Saturday 21 December 2019

(Nyctanthes arbor-tristis) हारसिंगार (Harshingar) Parijaat पारिजात

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नारंगी डंडी वाले सफेद खूबसूरत और महकते हरसिंगार के फूलों को आपने जरूर देखा होगा। लेकिन क्या आपने कभी हरसिंगार की पत्तियों से बनी चाय पी है? या फिर इसके फूल, बीज या छाल का प्रयोग स्वास्थ्य एवं सौंदर्य उपचार के लिए क्या है? आप नहीं जानते तो, जरूर जान लीजिए इसके चमत्कारी औषधीय गुणों के बारे में। इसे जानने के बाद आप हैरान हो जाएंगे...

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हरसिंगार के फूलों से लेकर पत्तियां, छाल एवं बीज भी बेहद उपयोगी हैं। इसकी चाय, न केवल स्वाद में बेहतरीन होती है बल्कि सेहत के गुणों से भी भरपूर है। इस चाय को आप अलग-अलग तरीकों से बना सकते हैं और सेहत व सौंदर्य के कई फायदे पा सकते हैं। जानिए विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के लिए इसके लाभ और चाय बनाने का तरीका - 



Harshingar Flower
 

विधि 1 : हरसिंगार की चाय बनाने के लिए इसकी दो पत्तियां और एक फूल के साथ तुलसी की कुछ पत्तियां लीजिए और इन्हें 1 गिलास पानी में उबालें। जब यह अच्छी तरह से उबल जाए तो इसे छानकर गुनबुना या ठंडा करके पी लें। आप चाहें तो स्वाद के लिए शहद या मिश्री भी डाल सकते हैं। यह खांसी में फायदेमंद है।

विधि 2 : हरसिंगार के दो पत्ते और चार फूलों को पांच से 6 कप पानी में उबालकर, 5 कप चाय आसानी से बनाई जा सकती है। इसमें दूध का इस्तेमाल नहीं होता। यह स्फूर्तिदायक होती है।
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चाय के अलावा भी हरसिंगार के वृक्ष के कई औषधीय लाभ हैं। जानिए कौन-कौन सी बीमारियों में कैसे करें इसका इस्तेमाल -

1 जोड़ों में दर्द - हरसिंगार के 6 से 7 पत्ते तोड़कर इन्हें पीस लें। पीसने के बाद इस पेस्ट को पानी में डालकर तब तक उबालें जब तक कि इसकी मात्रा आधी न हो जाए। अब इसे ठंडा करके प्रतिदिन सुबह खालीपेट पिएं। नियमित रूप से इसका सेवन करने से जोड़ों से संबंधित अन्य समस्याएं भी समाप्त हो जाएगी।

2 खांसी - खांसी हो या सूखी खांसी, हरसिंगार के पत्तों को पानी में उबालकर पीने से बिल्कुल खत्म की जा सकती है। आप चाहें तो इसे सामान्य चाय में उबालकर पी सकते हैं या फिर पीसकर शहद के साथ भी प्रयोग कर सकते हैं।

3 बुखार - किसी भी प्रकार के बुखार में हरसिंगार की पत्तियों की चाय पीना बेहद लाभप्रद होता है। डेंगू से लेकर मलेरिया या फिर चिकनगुनिया तक, हर तरह के बूखार को खत्म करने की क्षमता इसमें होती है।

4 साइटिका - दो कप पानी में हरसिंगार के लगभग 8 से 10 पत्तों को धीमी आंच पर उबालें और आधा रह जाने पर इसे अंच से उतार लें। ठंडा हो जाने पर इसे सुबह शाम खाली पेट पिएं। एक सप्ताह में आप फर्क महसूस करेंगे।

5 बवासीर - हरसिंगार को बवासीर या पाइल्स के लिए बेहद उपयोगी औषधि माना गया है। इसके लिए हरसिंगार के बीज का सेवन या फिर उनका लेप बनाकर संबंधित स्थान पर लगाना फायदेमंद है।


Harshingar Patta
 



6 त्वचा के लिए - हरसिंगार की पत्तियों को पीसकर लगाने से त्वचा संबंधी समस्याएं समाप्त होती हैं। इसके फूल का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से चेहरा उजला और चमकदार हो जाता है।

7 हृदय रोग - हृदय रोगों के लिए हरसिंगार का प्रयोग बेहद लाभकारी है। इस के 15 से 20 फूलों या इसके रस का सेवन करना हृदय रोग से बचाने में कारगर है।

8 दर्द - हाथ-पैरों व मांसपेशियों में दर्द व खिंचाव होने पर हरसिंगार के पत्तों के रस में बराबर मात्रा में अदरक का रस मिलाकर पीने से फायदा होता है।

9 अस्थमा - सांस संबंधी रोगों में हरसिंगार की छाल का चूर्ण बनाकर पान के पत्ते में डालकर खाने से लाभ होता है। इसका प्रयोग सुबह और शाम को किया जा सकता है।

10 प्रतिरोधक क्षमता - हरसिंगार के पत्तों का रस या फिर इसकी चाय बनाकर नियमित रूप से पीने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर हर प्रकार के रोग से लड़ने में सक्षम होता है। इसके अलावा पेट में कीड़े होना, गंजापन, स्त्री रोगों में भी बेहद फायदेमंद है।


(Nyctanthes arbor-tristis)
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हारसिंगार एक पुष्प देने वाला वृक्ष है...इसे हमारे ग्रामीण अंचल में सियाली/सियारी कहकर पुकारते है,इसकी टहनियों से टोकरी बनाने का काम वर्षो से होता आया हैं.... कुछ लोग इसे पारिजात भी कहते है, पर इसमे कई मतभेद भी हैं... हारसिंगार को शेफाली, शिउली आदि नामो से भी जाना जाता है....।

हारसिंगार का पेड़ 10 से 15 फीट तक ऊँचा हो जाता है......हारसिंगार पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं....इसकी सबसे बड़ी पहचान है सफ़ेद फूल और केसरिया डंडी होती है... इसके फूल रात में खिलते है और सुबह सब झड जाते है ...।



हारसिंगार अत्यंत लाभकारी ओषधि हैं.... जो अनेक रोगों को दूर करने में सहायक है...।




Harshingar Beej
  
साइटिका का सफल इलाज...
एक पैर मे पंजे से लेकर कमर तक दर्द होना साइटिका या रिंगण बाय कहलाता है....प्रायः पैर के पंजे से लेकर कूल्हे तक दर्द होता है जो लगातार होता रहता है... मुख्य लक्षण यह है कि दर्द केवल एक पैर मे होता है.... दर्द इतना अधिक होता है कि रोगी सो भी नहीं पाता......।
हारसिंगार के 250 ग्राम कोमल पत्ते को कटे फटे न हों तोड़ लाएँ....पत्ते को धो कर थोड़ा सा कूट ले या पीस ले.....बहुत अधिक बारीक पीसने कि जरूरत नहीं है। लगभग एक लीटर पानी में धीमी आंच पर उबाले.. जब 700 ग्राम पानी बचे तब इसे छान कर बोतल में भर लीजिये,,व प्रतिदिन आधा कप खाली पेट लीजिये...कुछ ही दिनों में साइटिका में आराम मिल जाएगा....ध्यान रखे बसन्त ऋतु में इसके पत्रों का असर कुछ कम हो जाता हैं...।
(नोट -काढ़े से 15 मिनट पहले और 1 घंटा बाद तक ठंडा पानी न पीए,दही लस्सी और आचार न खाएं..)

 

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