Thursday 20 February 2020

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ashwgandha benefits

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चमत्कारी और अमृततुल्य हर्ब मानी जाने वाली अश्वगंधा का आयुर्वेद मे खास स्थान है अश्वगंधा मे शरीर को स्वस्थ और ताकतवर बनाने  के ओषधीय गुण पाए जाते है

सर्दी करे दूर : जिन्हे सर्दी ज्यादा लगती  है , १ ग्राम अश्वगंधा पाउडर रात को गरम दूध के साथ ले 
खांसी मे दे आराम : १० ग्राम अश्वगंधा की जड़ को कूट ले । इसमें १० ग्राम मिश्री मिलाकर ४०० ग्राम पानी मे तब तक उबाले, जब तक वह आधा न रह जाये ।अब थोड़ा ठंडा करके पिए ।सूखी खांसी मे १ ग्राम अश्वगंधा मे १ छोटा चम्मच गाय का घी मिलाकर  गरम दूध के साथ पिए , लाभ होगा 
श्वसनरोगो मे लाभदायक : अश्वगंधा की  प्रकृति कफ और वात दोषो का शमन करने मे  मददगार साबित होती है अश्वगंधा की जड़ को पीसकर एक कप पानी मे उबालकर चाय बनाकर पी सकते है । रात मे सोने से पहले गर्म दूध के साथ १-२ ग्राम अश्वगंधा का चूर्ण ले सकते है 
पाचन तंत्र को करे सुचारु : पेट सम्बन्धी समस्या दूर कर अश्वगंधा पाचन तंत्र को सुचारु चलने मे मदद करता है बराबर- बराबर मात्रा मे अश्वगंधा पाउडर और मिश्री ले उसमे थोड़ी सोंठ मिलाकर गरम पानी के साथ सेवन करे ,पेट से जुडी समस्या नियंत्रित हो जाएगी ।कब्ज की शिकायत हो तो २ ग्राम अश्वगंधा पाउडर गुनगुने पानी के साथ ले 
हाई ब्लड प्रेशर को करे कम : नियमित तौर पर १ ग्राम अश्वगंधा चूर्ण गरमदूध के साथ लेने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है । अश्वगंधा चूर्ण मे अर्जुन छाल चूर्ण बराबर मात्रा मे मिलाकर गर्म पानी के साथ एक चम्मच सुबह शाम सेवन करने से हिरदय सम्बन्धी कमजोरी दूर होती है 
तनाव और अनिद्रा करे दूर : रात को सोने से पहले गरम दूध के साथ एक टेबल स्पून अश्वगंधा चूर्ण खाने से अनिद्रा की शिकायत दूर होती है 
जोड़ो के दर्द मे आराम : आर्थराइटिस  मे होने वाली सूजन और जोड़ो के दर्द मे अश्वगंधा का सेवन फायदेमंद है । आधा से एक ग्राम अश्वगंधा पाउडर ,गिलोय सत् ,और शक्कर बराबर -बराबर मात्रा मे मिला ले । एक गिलास दूध मे एक चम्मच पाउडर मिलाकर पकाये ।जब दूध एक -चौथाई रह जाये तो थोड़ा ठंडा करके पिए ।
यूरिक एसिड बढ़ने पर : यूरिक एसिड ब्रढ़ने से पेरो मे होने वाले दर्द के लिए हल्दी , मेथी , सोंठ , और अश्वगंधा के पाउडर को बराबर मात्रा मे मिलाकर सुबह -शाम गर्म पानी या दूध के साथ ले 
शरीर को दे मजबूती : १ ग्राम अश्वगंधा पाउडर मे मिश्री मिलाकर गर्म दूध के साथ सेवन करे । कुपोषण ग्रस्त बच्चों को दो- तीन रत्ती अश्वगंधा के चूर्ण मे शहद मिलाकर दूध के साथ देना फायदेमंद है  

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            जब

Wednesday 19 February 2020

केसर , Kesar , Saffron

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Pure Kashmiri Kesar , Saffron , केसर


आयुर्वेद में केसर के बहुत से लाभ बताये गए हैं , आयुर्वेद के अनुसार कई छोटे छोटे रोग हैं जिन्हे केसर के उपयोग से ठीक किया जा सकता है, कश्मीरी केसर को सबसे अच्छा माना जाता है , English Language में केसर को Saffron कहा जाता है , केसर की प्रतिदिन 5 से 20 कलियों का सेवन स्वास्थय वर्धक होता है , केसर के सेवन से चेहरे व् त्वचा पर निखार आता है , रंग गोरा हो जाता है , ब्रेन के लिए केसर बहुत लाभकारी है , जिन बच्चो को जल्दी जल्दी सर्दी जुखाम होता है उन्हें केसर प्रयोग करने से विशेष लाभ होता है , केसर के प्रयोग से आखों की रौशनी बढ़ती है
 
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Tuesday 18 February 2020

hemp seeds recipe

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हेम्प यानि भांग क़े बीज क़े अनेक स्वास्थ्य सम्बन्धी फायदे है यह कई पोषक तत्वों का स्त्रोत है यह एक प्राकृतिक फाइबर है जो पाचनतंत्र क़े लिए फायदेमंद है ।यह प्रोटीन का जबरदस्त स्त्रोत है इसमें 9 जरूरी एमिनो एसिड होते है साथ ही इसमें जरूरी फैटी एसिड जैसे अल्फा -लिनोलेनिक एसिड पाया जाता है ,जो दरअसल ओमेगा-3 ही है । जो लोग वजन घटाने क़े लिए कार्ब्स कम कर रहे है उनके लिए हेम्प सीड्स एक सटीक चयन है ।अब प्रश्न यह है की हम हेम्प सीड्स को अपनी डाइट मे शामिल कैसे करे ? इसके लिए आप निम्न तरह से हेम्प सीड्स को अपनी डाइट मे शामिल कर सकते है 

सीरियल  या योगर्ट  मे इन बीजो को छिड़के 
इन्हे पीसकर अपनी स्मूदी मे मिलाये 
घर मे हेम्प सीड्स वाला दूध तैयार  करे । इसके लिए दूध मे सीड्स ,पानी , कोकोनट शुगर और वनीला एक्सट्रेक्ट मिलाये ।
 सारी सामग्री को अच्छी तरह मिला ले , इससे आपको एक पौष्टिक और गाढ़ा हेम्प मिल्क पीने को मिलेगा ।
सलाद मे हेम्प सीड्स मिलाये ।  इसका  crunchy  स्वाद आपको बहुत भायेगा 
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हेम्प यानि भांग के बीज ,जिनका सेवन किया जा सकता है दिखने मे यह भले ही छोटे -छोटे बीज प्रतीत हो लेकिन इनमे पोस्टिक  तत्वों  की प्रचुरता होती है
 हेम्प मे काफी बड़ा और टिकाऊ प्राकृतिक फाइबर होता है ,जो पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद है और मेटाबोलिज्म को दुरुस्त करता है 
हेम्प सीड्स प्रोटीन का बड़ा स्त्रोत  है  इनमे 9 जरुरी एमिनो एसिड्स होते है ।अब आप अपने महंगे प्रोटीन पाउडर को एक किनारे रखे और अपनी  स्मूदी मे 3 टेबल स्पून कच्चे हेम्प सीड्स मिलाये । इनसे न सिर्फ आपको पेट भरे रहने का एहसास होगा ,बल्कि यह ऐसे शाकाहारियों के लिए भी प्रोटीन का एक बड़ा स्त्रोत हो सकते है जिन्हे यह चिंता  रहती  है कि उनके भोजन मे प्रोटीन की कमी है 
हेम्प सीड्स वजन घटाने मे भी कारगार है यह कई पोषक तत्वों का स्त्रोत है। हेम्प सीड्स मे जरुरी फैटी एसिड जैसे अल्फा -लिनोलेनिक एसिड पाया जाता है , जो दरअसल ओमेगा-3 है ।  यह ओमेगा -6 और ओमेगा -3 के  बीच संतुलन बनाये रखता है । साथ ही इसमें सैचुरेटेड फैट्स और ट्रांसफैट्स भी कम है।   
हेम्प सीड्स कीटो डाइट मे फायदेमंद है । हेम्प सीड्स की 3 टेबल स्पून सर्विंग मे केवल 2 ग्राम कार्ब होता है । हलके nutty  फ्लेवर क़े कारण
इसे आसानी से ओटमील या टोस्ट मे मिलाकर खाया  जा सकता है । जो लोग वजन घटाने क़े लिए कार्ब्स कम कर रहे है उनके लिए  हेम्प सीड्स एक सही चयन हो सकता है तो फिर इन छोटे -छोटे बीजो का फायदा उठाये और अपना वजन घटाए  
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Monday 17 February 2020

KESAR

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चेहरे का रंग निखारे केसर : चेहरे की सुंदरता बढ़ाने के लिए नारियल के तेल या देसी घी के साथ केसर को पीसकर चेहरे पर लगाया जाता है दूध की मलाई को केसर के साथ चेहरे पर मलने से रंग गोरा होता है और निखार  भी आता है 

हिरदय रोग मे बहुत ही लाभकारी इलाज : केसर का सेवन करने से हिरदय सम्बन्धी रोग दूर होते है यह  लो बीपी  को नियंत्रित करता है धमनियों मे ब्लॉकेज को ठीक करता है । इसके सेवन से बढ़ा हुआ वजन   कम  होता है । इसके लिए : अर्जुन की छाल 5 ग्राम ,गिलोय 2 ग्राम , मुलेठी  2 ग्राम पुष्कर मूल 2 ग्राम हल्दी 2 ग्राम सौंफ 2 ग्राम छोटी इलायची 2 , 1 ग्राम कलोंजी और  एक चौथाई ग्राम केसर को कूटकर एक साथ मिलाकर 2 कप दूध तथा  2  कप पानी मे हलकी आंच पर उबाले जब यह एक कप रह जाये तो छान कर गुनगुना होने पर पिए ।

बुद्धिवर्धक केसर : इसके लिए केसर के 10  रेशे ,1 चम्मच गाय का माखन ,1 चम्मच ब्राह्मी का रस , तथा 1 चम्मच शंखपुष्पी के रस मे शहद मिलाकर रोजाना सेवन करे स्मरण शक्ति बेहतर होगी 

जिन लोगो को मूत्र विकार हो ,उन्हें पुनर्नवा के काढ़े के साथ केसर का सेवन करना चाहिए । 

माता के दाने  होने पर केसर को अजवाइन अवं बड़ी इलायची के छिलके के साथ उबाले और फिर हल्का गुनगुना करके रोगी   को  पिलाये इससे लाभ होगा 
सर्दी जुकाम तथा बुखार मे केसर  रामबाण है अगर छोटे बच्चे को सर्दी- जुकाम हो तो उसे दूध मे मिलाकर केसर का सेवन कराये 

केसर के सेवन से भोजन ठीक से पचता है और पाचन तंत्र ठीक होता है यह आंतो मे होने वाले संक्रमण  को ठीक करता है इसके सेवन से दिल मजबूत होता है और शरीर मे खून बढ़ता है यकृत या लिवर मे सूजन होने पर पेट पर इसका लेप करना चाहिए 


rasaut benefits

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रसौत  तीखा व् पीले रंग का होता है रसौत मे फिटकरी  मिलाकर पानी मे पीसकर आँख की सूजन पर लगाने से आँखों की सूजन ठीक हो जाती है 

रसौत ,कपूर और माखन को मिलाकर टौंसिलो  पर लगाने से जल्दी आराम मिलता है 

रसौत को पानी मे घिसकर लगाने से पलकों की सूजन दूर हो जाती है 

रसौत को सुबह शाम ५ से २० ग्रामं की मात्रा  मे मखन्न के साथ खाने से फैफड़ो  मे  बहुत  आराम मिलता है 
रसौत ,नागरमोथा , एवं लोध्र को शहद मे मिलाकर मसूड़ों पर लेप करने से व् मसूड़ों पर मलने से मसूड़ों के सभी रोग ठीक होते है 

रसौत को पीसकर शहद मे मिलाकर बूँद  बूँद करके  कान मे डालने से कान का दर्द  ठीक हो जाता है

दस्त : रसौत , आम की गुठली , और पीपल आदि को बराबर मात्रा मे लेकर पीसकर चूर्ण बनाकर आधा ग्राम शहद के साथ देने से बच्चो को होने वाला अतिसार बंद हो जाता है 

बवासीर : ५ ग्राम रसौत , ५० ग्राम छोटी हरड़ , और ५० ग्राम अनार  की छाल को मिलाकर बारीक़ पीसकर चूर्ण बना ले रोज़ाना ५ ग्राम चूर्ण सुबह पानी के साथ पीने से बवासीर मे खून गिरना बंद हो जाता है 

रसौत , कपूर ,और नीम के बीजो को पानी के साथ पीसकर बवासीर के मस्सो पर लगाने से मस्से सूख जाते है
३ ग्राम रसौत और ३ ग्राम अजवायन को मिलाकर खाने से बवासीर ठीक हो जाती है 

प्रदर रोग :  रसौत और लाख को बकरी के दूध मे मिलाकर पीने से रक्तप्रदर मिट जाता है 
रसौत और चौलाई की जड़ चावल के पानी के साथ पीने से प्रदर मे आराम होता है 

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benefit of kesar

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केसर के अभूतपूर्ण लाभ।
 आयुर्वेद मे केसर के अनेक गुण बताये गए है। केसर मे कई ऐसे  तत्व है जो हमारे शरीर को  पूर्ण स्वस्थ रखने मे सहायक है। प्रतिदिन 5 से 20 पंखुड़ी केसर का इस्तेमाल किया जा सकता है

विभिन्न रोगो मे केसर का उपयोग -

पेट का दर्द : पेट मे दर्द होने पर 5 ग्राम भुनी हींग  ,5  ग्राम केसर ,2ग्राम कपूर ,25ग्राम भुना जीरा ,5ग्राम काला नमक ,5ग्राम सेंधा नमक ,100 ग्राम छोटी हरड़ ,25 ग्राम  bibidang  बीज , 25ग्राम अजवाइन को एक साथ पीसकर चूर्ण बना ले कैसा भी पेट दर्द हो आधा चम्मच चूर्ण को गरम पानी के साथ सेवन करे तुरंत लाभ होगा

नर्वस सिस्टम को बनाये बेहतर : दिमाग और नर्वस सिस्टम के लिए केसर अत्यंत लाभकारी है ।    मस्तिष्क रोग  व् diabities  के कारण  होने वाली समस्याओ मे केसर का दूध, चीनी ,और घी के साथ सेवन करने से लाभ होता है

आँखों के लिए फायदे : आँखों की रोशनी बढ़ाने के लिए 10 केसर के रेशे दूध के साथ मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है ।असली चन्दन को केसर के साथ घिसकर इसका लेप माथे पर लगाने से भी आँखों की रोशनी बढ़ती है सर दर्द ठीक होता है तथा नकसीर मे भी लाभ होता है

प्रसव के बाद केसर : प्रसव के बाद गर्भाशय शोधन के लिए केसर को अजवाइन के साथ मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है । केसर ,जीरा, गुड़ और अजवाइन को देसी घी मे मिलाकर सेवन करने से माता का दूध शुद्ध होता है और दूध अधिक मात्रा मे बनता है अगर प्रसव के बाद माता को 5 चम्मच कच्चे नारियल के दूध के साथ केसर के 10  रेशे मे 2 चम्मच  शहद   मिलाकर  सेवन कराया जाये तो काफी लाभ होता है 

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Friday 14 February 2020

benefit of ral gond

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राल यह शाल वृक्ष का गोंद है यह तीखा ,ठंडा ,रस से  भरा हुआ ,खून के रोग , कुष्ठ  तथा जलन और अतिसार को खतम करता  है

विभिन्न रोगो मे उपचार :

खांसी : लगभग आधे से १ ग्राम राल को छोटी पीपल , अडूसा ,शहद , और घी के साथ मिलाकर सुबह शा
म सेवन करने से खांसी के रोग मे लाभ होता है

दस्त के लिए : १ ग्राम राल को शहद के साथ दिन मे दो बार सेवन करने से लाभ होता है

बवासीर : ६० ग्राम पीली राल लेकर बारीक़ पीसकर चूर्ण बना ले रोज़ सुबह इस ७ ग्राम चूर्ण को १२५ ग्राम दही  मे मिलाकर खाये  यह खूनी बवासीर के साथ सभी प्रकार की बवासीर को ठीक करता है

प्रदर रोग : १ ग्राम सफ़ेद राल मे ४ ग्राम चीनी मिलाकर सुबह शाम दूध के साथ खाने से प्रदर रोग मे लाभ मिलता है

घाव : ४ ग्राम राल के चूर्ण को ४० ml  नारियल के तेल मे अच्छी तरह से मिलाकर व् कपडे से छानकर रखे इसे जलने से हुए घाव पर लगाने से घाव जल्दी ठीक हो जाता है

खाज खुजली : ४ भाग राल , ४ भाग मोम , ४ भाग तिल का तेल और ३ भाग घी को गरम करके मिला दे और उसका लेप बना ले यह लेप लगाने  से  खाज खुजली ठीक हो जाती है

शरीरको शक्तिशाली बनाना: १० गरम राल के चूर्ण को फांककर ऊपर से लगभग  500ml गरम दूध पीने से शरीर मे ताकत आती है


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Wednesday 12 February 2020

खस घास

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खस घास
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बुखार हो तो इसकी जड़ का काढ़ा पीयें . उसमें गिलोय और तुलसी मिला लें तो और भी अच्छा रहेगा . हल्का बुखार हो या रह रह कर बुखार आये , बुखार टूट रहा हो तो यह काढ़ा बहुत लाभदायक रहता है .
पित्त , एसिडिटी या घबराहट हो तो इसकी जड़ कूटकर काढ़ा बनाएं और मिश्री मिलाकर पीयें . चर्म रोग या एक्जीमा या एलर्जी हो तो इसकी 3-4 ग्राम जड़ में 2-3 ग्राम नीम मिलाकर काढ़ा बनाएं और सवेरे शाम पीयें .
दिल संबंधी कोई परेशानी हो तो इसकी जड़ में मुनक्का मिलाकर काढ़ा बनाकर मसलकर छानकर पीयें .इससे होरमोंस भी ठीक रहेंगे और धड़कन की गति भी ठीक रहेगी . किडनी की परेशानी में खस और गिलोय का काढ़ा सवेरे सवेरे पीयें . हाय बी. पी . हो या एंजाइना की समस्या हो तो इसकी जड़ और अर्जुन की छाल का काढ़ा पीयें .
प्यास बहुत अधिक लगती हो तो इसकी जड़ कूटकर पानी में ड़ाल दें . बाद में छानकर पानी पी लें . यह शीतल अवश्य है ; परन्तु इसे लेने से जोड़ों का दर्द बढ़ता नहीं है .
खस का इस्तेमाल सिर्फ ठंडक के लिए ही नहीं होता, आयुर्वेद जैसी परंपरागत चिकित्सा प्रणालियों में औषधि के रूप में भी इसका इस्तेमाल होता है। इसके अलावा इससे तेल बनता है और इत्र जैसी खुशबूदार चीजों में भी इसका उपयोग होता है।


खस या खसखस ( Khus) एक सुगंधित पौधा है। इसका वानस्पतिक नाम वेटिवीरिआ जिजेनिऑयडीज (Vetiveria) है जिसकी व्युत्पत्ति तमिल के शब्द वेटिवर से हुई प्रतीत होती है। यह सुगंधित, पतले एकवर्ध्यक्ष (Racemes) का लंबे पुष्पगुच्छवाला वर्षानुवर्षी पौधा है। इसकी अनुशूकी का जोड़ा सीकुररहित होता है, जिसमें से एक अवृंत और पूर्ण तथा दूसरा वृंतयुक्त और पृंपुष्पी होता है। अवृंत अनुशूकि में बारीक कंटक होते हैं। इसका प्रकंद (rhizoma) बहुत सुगंधित होता है। प्रकंद का उपयोग भारत में इत्र बनाने और ओषधि के रूप में प्राचीन काल से हो रहा है। पौधे की जड़ों का उपयोग विशेष प्रकार का पर्दा बनाने में होता है जिसेखस की टट्टीकहते हैं। इसको ग्रीष्म ऋतु में कमरे तथा खिड़कियों पर लगाते हैं और पानी से तर रखते हैं जिससे कमरे में ठंडी तथा सुगंधित वायु आती है और कमरा ठंडा बना रहता है। प्रकंद के वाष्प आसवन से सुगंधित वाष्पशील तेल प्राप्त होता है जिसका उपयोग इत्र बनाने में होता है। फूलों की गंध को पकड़ रखने की इसमें क्षमता पर्याप्त होती है। https://indianjadibooti.com/Jadistore/Khus-Root
यह सघन गुच्छेदार घास राजस्थान एवं भारत के अन्य राज्यों में स्वजात उगती पाई जाती है। राजस्थान में भरतपुर तथा अजमेर जिलों में यह खूब उगती है। इस पादप के मजबूत डंठल प्रकद से निकले हुए लगभग 2 मीटर तक ऊंचे, सघन गुच्छों में, मजबूत स्पंजी जड़ों वाले होते हैं। इसकी जड़ों से प्राप्त तेल इत्र उद्योग में प्रसाधन सामग्री बनाने साबुन का सुगंध प्रदान करने में प्रयुक्त होता है। खस तेल का अध्याम, शूल दुराग्राही उल्टियों में वातानुलोमक के रूप में प्रयोग होता है। यह उद्दीपक, स्वेदनकारी शीतलक माना जाता है। इसके अतिरिक्त आमवात, कटिवेदना मोच में भी इससे मालिश करने पर आराम मिलता है। https://hi.wikipedia.org/…/%E0%A4%96%E0%A4%B8%E0%A4%96%E0%A…
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खस एक सुगन्धित घास होती है. खस को अंग्रेजी में Vetiver कहा जाता है, जोकि खस का तमिल शब्द है. गुच्छों में उगने वाले इस पौधे की ऊंचाई 5-6 फीट तक हो सकती है. इसके पौधे देखने में सरकंडे या सरपत के पौधे जैसे लगते हैं.
खस की जड़ों (Khus roots) से निकले तेल का प्रयोग परफ्यूम, इत्र और सुगन्धित तेल, शर्बत, दवाइयाँ, साबुन और सौन्दर्य प्रसाधन आदि बनाने में किया जाता है. खस के इत्र का अरब अन्य देशों में निर्यात भी किया जाता है.
खस का पौधा पानी वाली जगह जैसे झील, तालाब, नदी आदि के किनारे अपने आप उग आता है. उत्तर भारत के राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार दक्षिण भारत में केरल, कर्नाटक आदि राज्यों में खस की खेती की जाती है.
खस (Vetiver) का प्रयोग गर्मियों में चलने वाले कूलर फैन में महकने वाली घास के रूप में किया जाता है. लकड़ी की छीलन के बीच में इसे लगाने से कूलर से बढ़िया भीनी भीनी तरावट वाली खुशबू आती है.
खस की ऊपरी घास काटकर नीचे की घास से खस के पर्दे बनाये जाते हैं, जिसे खस की टट्टी कहा जाता था. पहले लोग गर्मियों में घर की खिडकियों में खस के पर्दे लगाकर उन्हें पानी से भिगोये रखते थे, जिससे गर्मियों की लू भी ठंडी, महकदार हवा में बदल जाती थी. https://indianjadibooti.com/Jadistore/Khus-Root
खस के फायदे – VETIVER BENEFITS IN HINDI :
ठंडी तासीर की वजह से खस का प्रयोग गर्मियों में खस का शरबत बनाने में किया जाता है. यह शर्बत पीने से प्यास बुझती है, शरीर की जलन मिटती है, दिमाग और शरीर में तरावट आती है गर्मियों के त्वचा रोग भी नष्ट होते हैं.
इसके अलावा खस (Vetiver) का प्रयोग ह्रदय रोग, उलटी, त्वचा रोग, बुखार, धातुदोष, सिरदर्द, रक्त विकार, पेशाब की जलन, सांस के रोग, पित्त रोग, मांसपेशियों की ऐंठन, हार्मोनल समस्याओं में भी फायदेमंद है.
खस के तेल की मालिश करने से कमरदर्द, मोच में आराम मिलता है. खस के तेल का अरोमाथेरेपी में भी प्रयोग किया जाता है. खस की खुशबु से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, नर्वस सिस्टम शांत होता हैं और डर, असुरक्षा की भावनायें दूर होती है. खस के तेल की महक स्ट्रेस दूर करने, नींद लाने में सहायक होती है.
खस के पौधे लगाने का सबसे बड़ा फायदा तो पर्यावरण को होता है. सदियों से जानकार भारतीय किसान खस के पौधे लगाकर मृदा संरक्षण (soil conservation) यानि भूमि के कटाव रोकने, जल शुद्धिकरण जल संरक्षण (water conservation) करते रहे हैं. https://indianjadibooti.com/Jadistore/Khus-Root