Friday 30 November 2018

जड़ी बूटी परिचय : छड़ीला, पत्थरफूल

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छड़ीला 

पत्थरफुल को आप सभी जानते होंगे...पत्थरफूल एक प्रकार फूल हैं या कुछ और यह तो आपको पोस्ट पढ़कर ही पता चलेगा......भारतीय व्यंजनों में सूखे मसाले के रूप में पत्थरफुल का उपयोग हजारो वर्षो से होता आया हैं,इसमें एक अद्वितीय मिट्टी की सुगंध और स्वाद है...जिस वजह से ये विभिन्न भारतीय मसालो जे मिश्रणों में शामिल है ...।



यह वनस्पति पहाड़ी जमीन के पत्थरों पर पैदा होती हैं..ऐसा लगता हैं मानो यह पत्थर से ही अपना आहार लेती हो..पत्थरफुल हिमालय ओर नीलगिरी के पहाड़ो पर पाया जाताहैं...यह पत्थरो के अलावा पेड़ो के तने व दीवारों पर भी हो जाता हैं....इसकी हरी काय संचित होकर जब सूखकर उतरती हैं तब इसके ऊपर का पृष्ठ काला व नीचे का सफेद होता हैं,जो अधिक सफेद होती हैं वह अच्छी समझी जाती हैं,,इसके अनेक जातियाँ पाई जाती हैं.. इसका स्वाद फीका तिक्त-कसाय होता हैं...।

पत्थरफुल को छरीला, दगडफुल,कल्पासी,शैलज,भूरीछरीला,छडीलो, स्टोन फ्लावर आदि नामों से जाना जाता हैं,ओर भी क्षेत्रीय नाम हो सकते है..इसका वानस्पतिक नाम Parmotrema perlatum हैं...।।

औषधीय प्रयोग में नया व सुगन्धयुक्त पत्थरफुल उपयोग में लेना चाहिए....।
पेशाब रुकने पर पत्थरफुल 10 ग्राम को मिश्री के साथ फांक लेने से लाभ मिलता हैं,साथ ही गर्म पानी के साथ बांधने से भी लाभ होता हैं.... वही शिरशूल में इसको पीसकर सिर पर लेप लगाने से लाभ मिलता हैं....।
पत्थरफुल का उपयोग रक्त विकारों को दूर करता हैं...।

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Wednesday 28 November 2018

करंजवा

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करंजवा 

लता करन्ज (Caesalpinia Crista) को कट करंज, लता करंज, लात करंज,लता करंज, कंटकी, करंज, कोंटेकी, करंजा, कुवेरक्षी, विटप करंज आदि अनेक क्षेत्रीय नामों से जाना जाता हैं....।



औषधीय_गुण
इस पौधे की पत्तियां,फूल, फल, जड़, छाल सहित पौधे के सभी अंग औषधीय गुणों से युक्त हैं... इस पौधे के विभिन्न भागों का उपयोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों जैसे - अंडकोषवृद्धी, अंडकोष में पानी भर जाना, या शरीर के किसी भी भाग में पानी भर जाना, आधे सिर का दर्द, गंजापन, मिर्गी, आँखो के रोग, दांतों के रोग, खांसी, मंदाग्नि(पाचन शक्ति का कमजोर होना) यकृत (लीवर) रोग, पेट के कीड़े, गुल्म रोग, वात शूल, बवासीर, मधुमेह, वमन (उल्टी), वीर्य विकार, सुजाक रोग, वातज शूल, पथरी, भगन्दर, चर्म रोग, कुष्ठ रोग, घाव, चेचक रोग, पायरिया, रतिजन्य रोग, आदि रोगों के इलाज के लिए इसका उपयोग वर्षो से होता रहा हैं...।

 इस बीज को सागरगोटी भी कहा जाता है, उपरोक्त जितने रोगो का वर्णन किया उतने रोगो के लिए राम बाण औषधी है अनुपान भी साधारण है इन बीजो को भून ले उपरी कठोर आवरण अलग निकाल कर सफेद भाग को बारीक पीस कर चूर्ण बनाले उसमे थोडा सौंठ का चूर्ण एवं थोडा नमक मिलाऐ और आधा चम्मच से एक चम्मच सुबह खाली पेट ले ।

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Tuesday 27 November 2018

सिंघाड़ा - SINGHARA - WATER CHESTNUT

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सिंघाड़ा को सीगोड़ा, सिंघाण, शृंगाटक या पानीफल भी कहा जाता है I यह पानी में पसरने वाली एक लता में पैदा होने वाला एक तिकोने आकार का फल है...... इसके सिर पर सींगों की तरह दो काँटे होते हैं...... इसको छील कर इसके गूदे को सुखाकर पीसकर आटा भी बनाया जाता है जो उपवास में फलाहार के रूप में काम आता है.....सिंघाड़ा भारतवर्ष के प्रत्येक प्रांत में तालों और जलाशयों में रोपकर लगाया जाता है.....इसकी जड़ें पानी के भीतर दूर तक फैलती है.... इसके लिये पानी के भीतर कीचड़ का होना आवश्यक है, कँकरीली या बलुई जमीन में यह नहीं फैल सकता...... अबीर बनाने में भी यह आटा काम में आता है........



औषधीय उपयोग
एनीमिया, ब्रोंकाईटिस, लेप्रोसी जैसे रोगों में यह फल किसी रामबाण से कम नहीं है .....इसमें पाया जाने वाला मैग्नीज और आयोडीन, थाइरोइड ग्रंथि को स्वस्थ रखते है.....सिंघाड़े के आटे के सेवन से खांसी से सम्बंधित समस्या में आराम मिलता है, वही अस्थमा रोगियो के लिए सिंघाड़े का आटा वरदान से कम नहीं है......अस्थमा के रोगीयों को 1 चम्मच सिंघाड़े के आटे को ठंडे पानी में मिलाकर नियमित सेवन करने से काफी लाभ मिलता है........
खून में उपस्थित गंदगी और विषैले पदार्थो को दूर करने के लिए भी सिंघाड़ा एक बेहतर औषधि है ......सिंघाड़े के आटा को नीबू के रस के साथ मिला ले और इसे एक्जीमा (खुजली) वाली जगह पर लगाने से काफी आराम मिलता है...
अपने औषधीय गुणों के कारण यह फल खसरा जैसे रोग के लिए भी अत्यंत लाभकारी होता है .....सिघाड़े का सेवन बालो को काला और मजबूत बनाता है ...।

सावधानी.….अगर कब्ज की परेशानी हो तो सिंघाड़े को न खाए ....सिंघाड़े को खाने के बाद तुरंत पानी ना पियें .....सिंघाड़े के अत्याधिक सेवन से पेट दर्द हो सकता है |




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Friday 23 November 2018

safed daag

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विभिन्न औषधियों से सफेद दाग क उपचार-
1. कालीमिर्च: थोड़ी सी
पिसी हुई कालीमिर्च को सिरके में मिलाकर
त्वचा पर लगाने से सफेद दाग मिट जाते हैं।
2. सेंधानमक: 1 चुटकी सेंधानमक और 6 ग्राम
बावची को मिलाकर पानी के साथ खाने से सफेद
दाग दूर हो जाते हैं।
3. लहसुन:
हरड़ को घिसकर लहसुन के रस में मिलाकर लेप
करने से सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।
लहसुन को खाने से भी सफेद दाग
ठीक हो जाते हैं।
सफेद दाग के रोग में लहसुन जरूर खाने चाहिये।
लहसुन के रस को निकालकर लगाने से सफेद दाग
जल्दी ठीक हो जाते हैं।
लहसुन का रस त्वचा के सफेद दागों पर लगाने से
लाभ होता है।
4. केला : केले के पत्ते को जलाकर बिल्कुल राख बना लें। अब इसमें
थोड़ा सा मुर्दा शंख को पीसकर मिला लें। दोनो कों
तिल्ली के तेल में मिलाकर लगाने से सफेद दाग
ठीक हो जाते हैं।
5. चूना : 1 चम्मच चूना और 5 ग्राम हरताल को एक साथ
पीसकर नींबू के रस में मिलाकर लगभग 2
महीने तक सफेद दागों पर लगाने से लाभ होता है।
6. अंजीर :
अंजीर के कच्चे फलों से दूध निकालकर
सफेद दागों पर लगातार 4 महीने तक
लगाने से सफेद दाग मिट जाते हैं।
अंजीर को घिसकर नींबू के
रस में मिलाकर सफेद दाग पर लगाने से लाभ होता है।
अंजीर के पत्तों का रस श्वेत कुष्ठ
(सफेद दाग) पर सुबह और शाम लगाने से लाभ होता
है।
7. उड़द :
काले उड़द को पीसकर सफेद दागों पर
दिन में 3-4 बार लगाने से सफेद दागों का रंग वापस
शरीर के बाकी रंग
की तरह होने लगता है।
उड़द को पानी में भिगोकर और
पीसकर सफेद दागों पर लगातार 4
महीने तक लेप करने से सफेद दाग मिट
जाते हैं।
8. तुलसी :
तुलसी के पौधे की जड़ और
तने को साफ करके छोटे-छोटे टुकड़े कर लें। फिर इसे
आधा किलो शुद्ध तिल के तेल में डालकर आग पर
अच्छी तरह से पका लें और छानकर
एक शीशी में भर लें। इस
तेल को दिन में 3-4 बार रूई के फाये से लगाने से
सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।
1 तुलसी का ताजा हरा पौधा जड़ के साथ
लेकर धोकर साफ कर लें। फिर इसे
पीसकर आधा किलो पानी
और 500 मिलीलीटर तेल में
मिलाकर हल्की-हल्की
आग पर पकाने के लिये रख दें। जब पकते हुयें
पानी जल जाये और बस तेल
बाकी रह जाये तो इसे निकालकर छान लें।
यह तुलसी का तेल बन गया। इस तेल
को सफेद दागों पर लगाने से लाभ होता है।
काली तुलसी के रस में
थोड़ी सी गोलमिर्च मिलाकर
रोजाना 2 बार सेवन करने से सफेद दाग में लाभ मिलता
है।
9. नीम :
नीम के तेल में चालमोंगरे का तेल बराबर
मात्रा में मिलाकर शीशी में
भरकर रख लें। इस तेल को सफेद दागों पर लगाने
और 5 से 6 बूंदे बताशे में डालकर खाने से सफेद दाग
में लाभ मिलता है।
नीम की पत्तियों और फूलों
को पानी के साथ पीसकर
सफेद दागों पर लगाने से लाभ होता है।
5 नीम के ताजे कोमल पत्ते और 10
ग्राम हरे आंवला को पीसकर 50
मिलीलीटर पानी
में मिलाकर और छानकर पीने से सफेद
दाग ठीक हो जाते हैं।
10. हल्दी :
10-10 ग्राम हल्दी,
शीतलचीनी,
सोना गेरू, बावची और नीम
की छाल को लेकर सुखाकर
पीस लें। इसमें से 10 ग्राम चूर्ण को
शीशे के बर्तन में कम से कम 6 घंटे
तक भिगोकर रखें। फिर इसे छानकर इसमें 2 चम्मच
शहद मिलाकर पी जायें। इसके अन्दर
बाकी बची हुई
गाढ़ी चीजों का लेप बनाकर
सफेद दागों पर लगाएं। यह क्रिया कम से कम 2
महीने तक करें।
5-5 ग्राम दोनों हल्दी, केले का खार
(रस), मूली के बीज,
हरताल, देवदारू और शंख का चूर्ण बराबर मात्रा में
लेकर नागरबेल के पत्तों के रस या नीम
के तेल में मिलाकर लेप करने से सफेद दागों के रोग में
लाभ होता है।
10-10 ग्राम हल्दी, हरताल, आक
की जड़, गंधक और कुटकी
को एक साथ पीसकर गाय के पेशाब में
मिलाकर 1 सप्ताह तक लेप करने से सफेद दाग
ठीक हो जाते हैं।
11. हरताल : 10 ग्राम हरताल, 20 ग्राम गंधक, 10 ग्राम मैनसिल,
10 ग्राम नीला थोथा, 10 ग्राम मुर्दाशंख, 10 ग्राम सिंदूर,
10 ग्राम सुहागा और 10 ग्राम पाराभस्म को एक साथ
पीसकर आधे कप नींबू के रस में मिलाकर
लगातार 2 महीने तक सफेद दागों पर लगाने से लाभ होता
है।
12. नारियल : 10 ग्राम नारियल के तेल में 1 ग्राम नौसादर को डालकर
अच्छी तरह से मिलाकर लेप बना लें। रात को सोते समय
इस लेप को लगाने से सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।
13. काली जीरी: 3-ग्राम
काली जीरी को
पीसकर 25-ग्राम शक्कर के साथ खाने से सफेद दाग
जल्दी ही ठीक हो जाते हैं।
14. खादिरसार : 20-20 ग्राम खादिरसार (कत्था) और आंवला को लेकर
400 मिलीलीटर पानी में
उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में 5 ग्राम बावची का चूर्ण
मिलाकर खाने से श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) ठीक हो जाता
है।
15. अंकोल: श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) में अंकोल का तेल लगाने से
बहुत लाभ होता है।
16.अनार :
अनार के पत्तों को छाया में सुखाकर बारीक
पीस लें और कपड़े में छान लें। इस
चूर्ण की 8-8 ग्राम की
मात्रा में सुबह और शाम ताजे पानी से
फंकी लेने से सफेद दाग दूर हो जाते हैं।
अनार का सेवन सफेद दागों के रोग में बहुत
ही लाभदायक है। अनार के पत्तों के रस
को शहद के साथ सेवन करने से भी
सफेद दागों में लाभ होता है।
17. कूट : कूट , चकबड़, सेंधानमक, बायबिडंग और सरसों के दानों को
बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसमें थोड़ा सा
तिल्ली का तेल मिलाकर त्वचा पर लगाने से सफेद दाग
ठीक हो जाते हैं।
18. पीपल : 20-20 ग्राम बायविडंग, त्रिफला चूर्ण और
पीपल को पीसकर
शीशी में भर लें। इसमें से 2 चम्मच चूर्ण
गाय या भैंस के घी में मिलाकर रोजाना सेवन करने से सफेद
दागों के रोग में लाभ होता है।
19. कुटकी : मंजीठ, त्रिफला,
कुटकी, बच, दारूहल्दी, नीम
की छाल और गिलोय को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर
40 दिनों तक सेवन करने से सफेद दाग का रोग ठीक हो
जाता है।
20. आलूचा: रोजाना आलूचा खाने से सफेद दाग ठीक हो
जाते हैं।
21. काजू : रोजाना काजू खाने से श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) का रोग कुछ
ही समय में समाप्त हो जाता है।
22. कठमूर : कठूमर के फलों को सुखाकर चूर्ण बनाकर रोजाना 2 बार
सेवन करने से सफेद दाग दूर हो जाते हैं।
23. अखरोट : रोजाना अखरोट खाने से श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) का रोग
नहीं होता है और स्मरण शक्ति (याददाश्त)
भी तेज हो जाती है।
24. काले चने : मुट्ठी भर काले चने और 10 ग्राम
त्रिफला के चूर्ण (हरड़, बहेड़ा, आंवला) को 125
मिलीलीटर पानी में भिगो दें। कम
से कम 12 घंटों के बाद इन चनों को मोटे कपड़े में बांधकर रख दें और
बचे हुए पानी कपडे़ की पोटली
के ऊपर डाल दें। फिर 24 घंटे के बाद पोटली को खोल दें।
अब तक इन चनों में से अंकुर निकल आयेंगे। यदि किसी
मौसम में अंकुर न भी निकले तो चनों को ऐसे
ही खा लें। इस तरह से अंकुरित चनों को चबा-चबाकर
लगातार 6 हफ्तों तक खाने से सफेद दाग दूर हो जाते हैं।
25. अदरक : 30 मिलीलीटर अदरक का रस
और 15 ग्राम बावची को एक साथ मिलाकर और भिगोकर
रख दें। जब अदरक का रस और बावची दोनों सूख जाये तो
इन दोनों के बराबर लगभग 45 ग्राम चीनी को
मिलाकर पीस लें। अब इसकी 1 चम्मच
फंकी को ठंड़े पानी से रोजाना 1 बार खाना खाने
के 1 घंटे के बाद लेने से सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।
26. छाछ : सफेद दागों के रोग में रोजाना 2 बार छाछ पीने से
बहुत ही लाभ मिलता है।
27. बथुआ :
बथुए की सब्जी खाने से
सफेद दाग में लाभ होता है। इसका रस निकालकर
सफेद दागों पर लगाने से सफेद दाग कुछ समय में
ठीक हो जाते हैं।
सफेद दाग के रोग में बथुआ उबालकर निचोड़कर
इसका रस पीये, और सब्जी
साग बना कर खायें। बथुऐं के उबले हुए
पानी से त्वचा को धोयें। बथुए के कच्चे
पत्ते पीसकर निचोड़कर रस निकालें। इस
2 कप रस में आधा कप तिल का तेल मिलाकर
हल्की आग पर गर्म करें। जब रस
खत्म होकर तेल बाकी रह जायें तब इसे
छानकर किसी साफ
शीशी में सुरक्षित रख लें।
इस तेल को त्वचा पर रोजाना लम्बे समय तक लगाने
से दाद, खुजली, फोड़ा, कुष्ट और त्वचा
रोग भी ठीक हो जाते हैं।
28. चमेली :
चमेंली की नई पत्तियां,
इन्द्र जौ, सफेद कनेर की जड़, करंज
के फल और दारूहल्दी की
छाल का लेप कुष्ठनाशक (कोढ़ को दूर करने वाला)
होता है।
चमेंली की जड़ का काढ़ा
सेवन करने से कुष्ठ (कोढ) रोग में लाभ मिलता है।
29. मालकांगनी : मालकांगनी और
बावची के तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर एक
शीशी में रख लें। इस तेल को सफेद दागों पर
सुबह-शाम नियमित रूप से लगाने से लाभ मिलता है।
30. रिजका: लगभग 100-ग्राम रिजका और 100-
मिलीलीटर ककड़ी के रस को
एक साथ मिलाकर रोजाना सुबह और शाम कुछ महीनों तक
पीने से त्वचा के रोग और सफेद दाग ठीक हो
जाते हैं।
31. गिलोय: सफेद दाग के रोग में 10-से 20
मिलीलीटर गिलोय के रस को रोजाना 2-3 बार
कुछ महीनों तक रोगी को देने से सफेद दाग के
रोग में आराम आता है।
32. कुटज : कुटज के बीजों को गाय के पेशाब में
पीसकर दागों पर रोजाना लगाने से सफेद दाग का रोग
ठीक हो जाता है।
33. मूली :
10 ग्राम मूली के बीजों को
20 ग्राम खट्टे दही में डालकर रख दें।
4 घंटे के बाद इन बीजों को
पीसकर लेप करने से श्वेत कुष्ठ
(सफेद दाग) के व्रण जख्म समाप्त हो जाते हैं।
मूली के बीज,
पीली सरसों के दाने,
दारूहल्दी, चकबड़ के बीज,
गोंद, त्रिकुटा, बायबिडंग और कूट को बराबर मात्रा में
एकसाथ पीसकर गाय के पेशाब में मिला
लें। फिर इसे 2 महीने तक दिन में 3-4
बार लेप करने से सफेद दाग का रोग ठीक
हो जाता है।
34. अनारदाना:
10 ग्राम लाल चंदन और 10 ग्राम अनारदाना को
पीसकर सहदेवी के रस में
मिलाकर गोलियां बना लें। इन गोलियों को पानी
में घिसकर लेप करने से सफेद दागों में बहुत लाभ
मिलता है।
35. प्याज:
प्याज के बीजों का लेप करने से सफेद
दागों में लाभ मिलता हैं।
प्याज के रस में शहद और सेंधानमक मिलाकर रोजाना
2 बार लगाने से सफेद दाग ठीक हो जाते
हैं।
36. बावची :
20-20 ग्राम चालमोगरा, बावची और
चंदन के तेल को लेकर एक
शीशी में डालकर रख दें।
इस तेल को दिन में 3 बार लगाने से श्वेत कुष्ठ
(सफेद दाग) ठीक हो जाता है।
3 ग्राम बावची का चूर्ण और 3 ग्राम
तिल को पीसकर रोजाना सुबह और शाम
खाने से सफेद दाग कुछ ही दिन में
ठीक हो जाता है।
250 ग्राम बावची के बीजों
को पीसकर पानी में मिलाकर
किसी मिट्टी की
हांड़ी या छोटे घड़े में लेप कर दें। फिर उस
हांड़ी या घड़े में दही जमा
लें। इस दही का घी
निकालकर खाने से श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) में आराम
आता है।
100 ग्राम बावची को
पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 2
ग्राम सुबह और शाम पानी के साथ सेवन
करने पर श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) में लाभ होता है।
बावची और शुद्ध गंधक को बराबर मात्रा
में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। रोजाना
सुबह इस 10 ग्राम चूर्ण को 50 ग्राम
पानी में डाल लें। शाम को इसे थोड़ा सा
मसलकर और छानकर रोगी को पिलाने से
सफेद दाग का रोग कुछ ही समय में दूर
हो जाता है।
बावची के बीज और तिल को
बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना
लें। इस चूर्ण को 1 चम्मच ठंड़े पानी से
रोजाना सुबह-शाम 1 वर्ष तक लगातार सेवन करने से
सफेद दाग के रोग में पूरा लाभ मिलता है।
बावची का तेल सफेद दागों पर लगाना
लाभकारी रहता है। बावची
का तेल लगाने से किसी-
किसी रोगी के
शरीर पर कभी-
कभी फफोले और घाव भी
हो जाता है। इसलिये रोगी को यह तेल
सावधानी से लगाना चाहियें। अगर तेल
लगाते समय जरा सा भी दर्द होता है तो
बावची का तेल नहीं लगाना
चाहिये। शुरूआत में इस तेल को शरीर में
एक जगह के दाग पर 4 दिन तक लगाकर देंखें।
अगर इस तेल को दाग पर लगाने से कोई
परेशानी नहीं
होती तो पूरे शरीर पर जहां
पर भी सफेद दाग हो वहां पर ये तेल लगा
लें। अगर सफेद दाग निकलना शुरू ही
हुआ हो तो इस तेल का प्रयोग करने से सिर्फ 5
महीनो के अन्दर ही ये रोग
ठीक हो जाता है।
प्राकृतिक उपचार-
सफेद दाग के रोग में सुबह-सुबह उठकर सैर करना
चाहिए।
सफेद दाग में एनिमा लेना लाभदायक रहता है।
सफेद दाग वाले स्थान पर 2 मिनट तक गर्म सिंकाई
करें और 3 मिनट तक ठंड़ी सिकाई करें।
धूप का स्नान सफेद दाग के रोग में काफी
लाभदायक रहता है।