Saturday 29 August 2020

कपूर - वातवरण को शुद्ध और सकारत्मक ऊर्जा से युक्त बनाता है कपूर

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कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्....इस मंत्र को हमने अक्सर शिव मंदिरो में आरती के बाद सुना होगा,,इसमें भगवान शिव को कपूर वर्ण का बताया गया है...वर्षो से कपूर का उपयोग पूजा-पाठ, धूप-आरती में होता आया है,जो वातवरण को शुद्ध और सकारत्मक ऊर्जा से युक्त बनाता है....लेकिन कटते पेड़ो और अधिक लाभ की लालसा ने असली कपूर को दुर्लभ बना दिया है.....आज अधिकांश कपूर केमिकल्स युक्त है.....।

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कपूर एक विशालकाय, बहुवर्षायु लगभग सदावहार वृक्ष है..इसका वृक्ष एशिया के विभिन्न भागों में पाया जाता है,भारत,श्रीलंका,चीन, जापान,मलेशिया,कोरिया,ताइवान,इन्डोनेशिया आदि देशों में बहुतायत पाया जाता है......अन्य देशों में भी यहीं से ले जाया गया है.....कपूर का वृक्ष 50से100 फीट से भी ऊँचे आकार का पाया जाता है........इसके सुन्दर अति सुगन्धित पुष्प और मनमोहक फल तथा पत्तियाँ बरबस ही अपनी ओर आकृष्ट करते हैं.......यही कारण है कि कहीं-कहीं इसे श्रृंगारिक_वृक्ष  के रुप में भी अपनाया गया है,,पत्तियाँ बड़ी सुन्दर,चिकनी,मोमी, लालीमायुक्त हरापन लिए होती हैं,वसन्त ऋतु में छोटे-छोटे अति सुगन्धित फूल लगते हैं.....इसके फल भी बड़े मोहक होते हैं ...।

कपूर वृक्ष की लकड़ियाँ सुन्दर   फर्नीचर के काम में भी

लायी जाती हैं,जो काफी मजबूत और टिकाऊ होती हैं.....प्रौढ़ पौधे से प्राप्त लकड़ियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर,तेज ताप पर उबाला जाता है....फिर वाष्पीकरण और शीतलीकरण विधि से रवादार  कपूर का (crystalline substance )निर्माण होता है.......इसके अतिरिक्त भी अन्य-अन्य क्षेत्रों में अलग-अलग विधियों से भी कपूर पेड़ो से प्राप्त होता है....इसके अलावे अर्क और तेल भी बनाया जाता है....जिसका प्रयोग प्रसाधन एवं औषधी कार्यों में बहुतायत होता है.....।

आयुर्वेद में इसके अनेक औषधीय प्रयोगों का वर्णन है,,अंग्रेजी और होमियोपैथी  दवाइयों में भी कपूर का प्रयोग होता है....यह शीतवीर्य है,यानी ताशीर ठंढा है...।
भारतीय कर्मकांड और तन्त्र में तो कपूर रसाबसा है ही.....कपूर की कज्जली और गौघृत से काजल भी बनाया जाता है जो बड़ा गुणकारी होता है ।

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Friday 28 August 2020

हरड़ : बड़े काम की चीज (Haritiki , Chebulic Myrobalan)

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                                                         हरड़  : बड़े काम की चीज

 


 

 

कथा कितनी प्रमाणिक है ज्ञात नही लेकिन एक वार्तालाप में योग और योग्य सनातनी श्री प्रेम शंकर उपाध्याय जी के द्वारा यह कथा बतायी गयी ,जो भले ही किसी ग्रन्थ में लिखित न हो लेकिन अगर आधार को उठाया जाए तो कथा में सत्यता की पुष्टि अनायास ही हो जाती है    https://indianjadibooti.com

समुद्र मंथन से उत्पन्न श्री हरि विष्णु के अंशावतारी भगवान धन्वंतरि ने जब देवो के वैद्य का कार्यभार छोड़ने का विचार बनाया तो सबके सामने यह समस्या उत्पन्न हुई कि आखिर उनके बादः इस सेवा भाव को देखेगा कौन ? खैर सूर्य के औरस पुत्र कहे जाने वाले दो युवकों जिन्हें नासत्य और दस्त्र जिन्हें अश्वनीकुमार के नाम से जाना गया को देव वैद्य होने का जिम्मा दिया गया , और इन्हें इस विद्या में पारंगत करने के लिए भगवान धन्वंतरि की सेवा में भेजा गया ताकि ये सम्पूर्ण औषधि विज्ञान भलीभांति समझ सकें,

चूंकि अश्वनीकुमार पहले से ही महर्षि दधीचि जैसे प्रकांड विद्वानों की संगत में रहकर योग और आयुर्वेद को सीख चुके थे लेकिन फिर भी भगवान धन्वंतरि से ज्ञान लेना बेहद गौरव की बात थी क्योकि उन्ही को आयुर्वेद का प्रणेता भी कहा जाता था, बात के अनुसार दोनो कुमारों ने भगवान धन्वंतरि की अपार सेवा की , प्रशन्न होकर भगवान धन्वंतरि ने दोनों कुमारों को आयुर्वेद की व्यापक शिक्षा देने का मन बनाया ,चूंकि आयुर्वेद बेहद विशाल और लंबे समय तक सीखने वाली विधा है इसलिए ज्यादा समय खर्च न हो इसके लिए उन्होंने दोनो कुमारों को एक विशेष आवाहन मंत्र प्रदान करते हुए कहा कि" कुमारों मेरे बताये हुए आवाहन मंत्र के साथ आप सम्पूर्ण पृथ्वी के वनस्पति और औषधि उगने वाले क्षेत्रों में जाओ और इस मंत्र का उच्चारण करो , और कहो कि अब भगवान धन्वंतरि नही रहे (अर्थात यह शरीर छोड़ चुके है)जिसके फलस्वरूप सभी वनस्पतियां और औषधीय पौधे खुद आपको अपने उपयोग ,अनुप्रयोग, दोष -गुण, इत्यादि के बारे में जानकारी देंगे और आप निजी अनुभव के आधार पर भविष्य की चिकित्सकीय पद्यति में इसका उपयोग करना"

दोनो कुमार निर्देशक की अनुकंपा पर विश्व के हर औषधि भू भाग में जाकर मंत्र का जाप करते( और भगवान धन्वंतरि के देहावसान की बाते कहते ) तो सभी वनस्पतियां खुद अपने द्वारा अपने लाभ ,हानि ,पथ्य कुपथ्य के बारे में अवगत कराती, लेकिन पहले दिन से लेकर अंतिम दिन तक हर जगह एक औषधि अश्वनीकुमारों के समक्ष प्रकट होकर कहती की मैं हरड़ हूँ और मैं हर रोग हर व्याधि में उपयोगी हूँ, और यह क्रम हर औषधि वाले भूभाग में चलता रहा ,

सभी ज्ञान प्राप्त करने के उपरांत जब दोनों कुमार भगवान धन्वंतरि के पास वापस लौटे तो उन्होंने सभी बातों का सविस्तार वर्णन निर्देशक के सामने किया , लेकिन सबसे रोमांचक बात हरड़ को लेकर बतायी की गुरुवर एक औषधि हरड़ हर जगह और हर बार यह बोलकर जाती रहती थी कि वह हर रोग में उपयोगी है,

इस पर भगवान धन्वंतरि ने मुस्कुराते हुए कहा कि क्या आपको अन्य कोई औषधीय ज्ञान प्राप्त करने की आवश्यकता है, कुमारों ने कहा कि देव आपकी कृपा से अब ज्ञान प्राप्त करना शेष नही बल्कि केवल अनुभव प्राप्त करना बचा है, इस पर भगवान धन्वंतरि ने कहा कि एक बार दोबारा एक निश्चित क्षेत्र में जाकर मंत्र का वाचन करो और वही बात दोहराना की अब धन्वंतरि नही रहे, लेकिन जब हरड़ यह कहे कि मैं सब व्याधियों में उपयोग होती हूँ तो कुमारों आपको मेरे बताये हुए वाक्य का उच्चारण करना है

 


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जैसा कि अश्वनीकुमारों को आदेश मिला वह एक पर्वतीय क्षेत्र पहुचे और पहले की भांति क्रिया कलाप का दोहराव किया जिसपर अन्य औषधियां खुद आकर अपना रहस्य खोलने लगी ताकि धन्वंतरि के बाद आयुर्वेद का लोप न हो जाये लेकिन जैसे ही हरड़ आयी तो उसने कहा कि वह सभी जगह उपयोगी है, इस पर अश्वनीकुमारों ने कहा कि आप दस्त / पेचिस / विरेचन जैसी समस्या में उपयोगी नही है,

अर्थात हरड़ पेचिस और दस्त की बीमारी में प्रयोग नही होती,
लेकिन जैसे ही हरड़ ने यह रहस्य सुना वह चिल्लाकर बोल उठी की धन्वंतरि अभी जीवित है क्योंकि यह रहस्य केवल धन्वंतरि ही जानते है, दूसरा और कोई नही और सभी औषधियां इस वाकये के बाद लुप्त हो गयी

कहने का मतलब हरड़ केवल चुनिंदा रोगों के अलावा हर व्याधि में उपयोगी है, यह खाने में उदर रोग की लगभग हर बीमारी को दूर करती है, मानसिक समस्या से लेकर घावों तक मे इस औषधि का समुचित प्रयोग होता है, आयुर्वेद में हरड़ एक ऐसी औषधि है जो कफ ,वात और पित्त तीनो का शमन करती है

 



 

Monday 17 August 2020

गोंद कतीरा के फायदे | Gond Katira Benefits In Hindi

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गोंद कतीरा के फायदे | Gond Katira Benefits In Hindi

गोंद कतीरा एक स्वादहीन, गंधहीन, चिपचिपा और पानी में घुलने वाला प्राकृतिक गोंद है। गोंद कतीरा का उपयोग गर्मियों में अच्छा रहता है, क्योंकि इसमें ठंडक रहती है। जिससे शरीर में ताकत आती है और पेशाब संबंधी इसके अलावा सिर के बालों को झड़ने से रोकता है।

इसकी छाल काटने और टहनियों से जो तरल निकलता है वही जम कर सफेद पीला हो जाता है यही गोंद कतीरा होता है।

इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन और फॉलिक एसिड जैसे पोषक तत्व पाए जाते है, जो हमारे शरीर से जुड़ी कई समस्याओं से भी राहत दिलाने में मदद करते हैं। इसके सेवन करने से गर्मियों में लू से तो बचा जा सकता है साथ ही साथ हम कई कई रोगों से भी निजात पा सकते हैं।
गोंद कतीरा के फायदे

1. हाथ-पैरों में जलन (Gond Katira For Jalan)
अगर हाथ-पैरों में जलन की समस्या हो तो 2 चम्मच गोंद कतीरा को रात को 1 गिलास पानी में भिगों दें, सुबह इसमें शक्कर मिला कर खाने से राहत मिलती है।

2. एंटी-एजिंग (Gond Katira For Anti Ageing)
गोंद कतीरा आपकी त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद है और यह आपकी सुंदरता को बढ़ाता है गोंद कतीरा में एंटी-एजिंग गुण होते हैं ,जो झुर्रियों जैसी समस्या को दूर करता है।

3. कमजोरी और थकान से छुटकारा (Gond Katira For Weakness)
हर रोज सुबह आधा गिलास दूध में कतीरा गोंद और मिश्री डाल कर पीने से कमजोरी और थकान से छुटकारा मिलता है।

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