Saturday 30 November 2019

डाइबिटीज़ कंट्रोल की राम बाण प्राकृतिक औषधि

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डाइबिटीज़ कंट्रोल की राम बाण प्राकृतिक औषधि
अनार का फूल शरीर मे ग्लूकोस को नियंत्रित करने मे मदद करता है शरीर मे जब डॉयबिटीज अनियंत्रित हो जाती है  तब ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस की संभावना बढ़ जाती है जिससे दिमाग की कौशिकाओ  को नुकसान पहुँचता है अनार के फूल का सेवन इस स्ट्रेस को काम करता है डॉयबिटीज के रोगी अनार के फूल को एंटी बायोटिक दवा की तरह इस्तेमाल कर सकते है अगर आपको डॉयबिटीज नहीं है लेकिन होने का खतरा है तो भी आप अपनी डाइट मे कच्चे अनार के फूल को शामिल करे यह डॉयबिटीज को बढ़ने से रोकता है

अनार फूल के फायदे

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अनार फूल के फायदे
अनार के लाल फूल डाइबिटीज़  सहित कई बीमारियों मे हमारी मदद करते है सिर्फ आयुर्वेद मे ही नहीं यूनानी औषधियों मे भी अनार  के फूल को बहतरीन औषधियों मे शामिल किया गया है  अनार के फूल की पत्तियों के रस को नाक मे डालने से नकसीर की समस्या से निजात मिलती है अनार के फूल के चूर्ण से बने  मंजन से ब्रश करने पर दांतो  की सभी समस्याओ से छुटकारा मिलता है अनार के फूल का काढ़ा बना ले ओर इसमें दो तीन ग्राम तिल मिलाकर दिन मे दो बार पिए इससे पेट के सारे कीड़े मर जाते है

हरसिंगार के फायदे

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हरसिंगार के फायदे :
हरसिंगार के 6 से 7 पत्ते तोड़कर इन्हें पीस लें। पीसने के बाद इस पेस्ट को पानी में डालकर तब तक उबालें जब तक कि इसकी मात्रा आधी हो जाए। अब इसे ठंडा करके प्रतिदिन सुबह खाली पेट पिएं। नियमित रूप से इसका सेवन वर्षों पुराना गठिया के दर्द में भी निश्चित रूप से लाभ देता है।
बबासीर के लिए हरसिंगार के बीज रामबाण औषधि माने गए हैं इसके एक बीज का सेवन प्रतिदिन किया जाये तो बवासीर रोग ठीक हो जाता है। यदि गुदाद्वार में सूजन या मस्से हों तो हरसिंगार के बीजों का लेप बनाकर गुदा पर लगाने से लाभ होता है।
हरसिंगार के बीजों को पानी के साथ पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को 30 मिनट तक गंजे सिर पर लगायें। इस प्रयोग को लगातार 21 दिन तक करने से गंजेपन में अत्याधिक लाभ होता है।
किसी भी प्रकार के बुखार में हरसिंगार की पत्तियों की चाय पीना बेहद लाभप्रद होता है। डेंगू से लेकर मलेरिया या फिर चिकनगुनिया तक, हर तरह के बुखार को खत्म करने की क्षमता इसमें होती है। मलेरिया बुखार हो तो 2 चम्मच हरसिंगार के पत्ते का रस के साथ 2 चम्मच अदरक का रस और 2 चम्मच शहद आपस में मिलाकर प्रातः सायं सेवन करने से मलेरिया/डेंगू /चिकनगुनिया के बुखार में अत्यधिक लाभ होता है।
हरसिंगार की 7 कोंपलों (नयी पत्तियों) को पाँच काली मिर्च के साथ पीसकर प्रातः खाली पेट सेवन करने से विभिन्न स्त्री रोगों में लाभ मिलता है।
दो कप पानी में हरसिंगार के 8-10 पत्तों के छोटे-छोटे टुकड़े करके डाल लें, इस पानी को धीमी आंच पर आधा रह जाने तक पकाएं। ठंडा हो जाने पर इसे छानकर पियें। इस काढ़े को दिन में दो बारप्रातः खाली पेट एवं सायं भोजन के एक डेढ़ घंटा पहले पियें। इस प्रयोग से सायटिका रोग जड़ से चला जाता है। इस काढ़े का प्रयोग कम से कम 7 दिन तक अवश्य करना चाहिए

हरसिंगार की पत्तियों को पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा से सम्बंधित रोगों में लाभ मिलता है और त्वचा संबंधी समस्याएं समाप्त होती हैं। त्वचा रोगों में इसके तेल का प्रयोग भी उपयोगी है। हरसिंगार के फूल का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से चेहरा उजला और चमकदार हो जाता है।
हरसिंगार के बीज को पानी के साथ पीसकर सिर के गंजेपन की जगह लगाने से सिर में नये बाल आना शुरू हो जाते हैं। इसके साथ ही यह रूसी और सफेद बालों को भी ठीक करता है। 50 ग्राम हरसिंगार के बीज पीस कर 1 लीटर पानी में मिलाकर बाल धोने से रुसी समाप्त हो जाती है इसका प्रयोग सप्ताह में 3 बार करें

पेट के कीड़े 

प्रातः ,दोपहर एवं सायंकाल एक चम्मच हरसिंगार के पत्तों के रस में आधा चम्मच शहद मिला कर चाटने पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं। इस प्रयोग को कम से कम तीन दिन तक करना चाहिए।

हरसिंगार के फूल हृदय के लिए अत्यंत उपयोगी होते हैं हैं। एक माह तक प्रातः खाली पेट हरसिंगार के 15-20 फूल या फूलों का रस का सेवन हृदय रोग से बचाता है। हृदय रोगों के लिए हरसिंगार का प्रयोग हृदय रोग से बचाने में कारगर है।
स्वास्थ्य रक्षक :
स्वस्थ्य व्यक्ति भी यदि सर्दियों में एक सप्ताह तक हरसिंगार के पत्तों का काढ़ा पियें तो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढती है एवं शरीर यदि किसी प्रकार का संक्रमण हो रहा है तो वह भी समाप्त हो जाता है। हाथ-पैरों मांसपेशियों में दर्द खिंचाव होने पर हरसिंगार के पत्तों के रस में बराबर मात्रा में अदरक का रस मिलाकर पीने से फायदा होता है। इसके फूल ठण्डे दिमाग वालों को शक्ति देता है और गर्मी को कम करता है।

सायटिका रोग का रामबाण इलाज

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हिंदू धर्म में हरसिंगार का बहुत महत्व है, इसे ईश्वर की अराधना में भी एक खास स्थापन प्रदान किया गया है। इसके फूल ईश्वर की आराधना में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। अंग्रेजी में इसे नाइट जेस्मिन और उर्दू में इसे गुलज़ाफ़री कहा जाता है। हरसिंगार का यह वृक्ष रात की रानी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसके पुष्प रात के समय खिलकर वातावरण को सुगंधित करते है और झड़ जाते हैं। हरसिंगार का वृक्ष झाड़ीनुमा या छोटा पेड़ जैसा होता है। इसे प्राजक्ता, शेफाली, शिउली आदि नामों से भी जाना जाता है। इसका वृक्ष 10 से 15 फीट ऊँचा होता है और कहीं 25-30 फीट ऊँचा एक वृक्ष होता है। इसके पेड़ की छाल जगह-जगह परत दर सलेटी से रंग की होती है एवं पत्तियाँ हल्की रोयेंदार छह से बारह सेमी लंबी और ढाई से.मी. चौड़ी होती हैं। हरसिंगार के पेड़ पर रात्रि में खुशबूदार छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और एवं फूल की डंडी नारंगी रंग की होती है।
इसका वनस्पतिक नाम 'निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस' है। परिजात पर सुन्दर सुगन्धित फूल लगते हैं। इसके फूल, पत्ते और छाल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। इस वृक्ष के पत्ते और छाल विशेष रूप से उपयोगी होते हैं। इसके पत्तों का सबसे अच्छा उपयोग गृध्रसी(सायटिका) रोग को दूर करने में किया जाता है। यह हलका, रूखा, तिक्त, कटु, गर्म, वात-कफनाशक, ज्वार नाशक, मृदु विरेचक, शामक, उष्णीय और रक्तशोधक होता है। सायटिका रोग को दूर करने का इसमें विशेष गुण है। यह देशभर में पैदा होता है। यह पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प है। ये पौधा पूरे भारत में विशेषतः बाग-बगीचों में लगा हुआ मिलता है। विशेषकर मध्यभारत और हिमालय की नीची तराइयों में ज्यादातर पैदा होता है।