Monday 9 December 2019

कुष्ठ रोग का इलाज खैर छाल

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आयुर्वेदिक ग्रंथों में यह बताया गया है कि खैर या खादिर कुष्ठ, एक्ज़िमा इत्यादि चर्म रोगों की अच्छी दवा है। खैर (खादिर) स्वाद में तीखा और कसैला होता है। इसकी तासीर ठंडी होती है। इसमें भूख जगाने और खाना आसानी से पचाने के गुण होते हैं। यह बल देने वाला, ग्रहणी (duodenal) तथा दांतों को मजबूत करने वाला होता है। यह पेट के दर्द से आराम दिलाता है। आइए जानते हैं कि आप रोगों को ठीक करने के लिए खैर (acacia catechu) का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं।

कत्थे का उपयोग पारम्परिक चिकित्सा मे बतौर औषधि होता है।
  • मलेरिया : मलेरिया बुखार होने पर कत्था एक बेहतर औषधि के रूप में काम करता है। समय-समय पर इसकी समान मात्रा को गोली बनाकर चूसने से मलेरिया से बचाव किया जा सकता है।
  • दांतों की बीमारी : कत्थे को मंजन में मिलाकर दांतों मसूढ़ों पर रोज सुबह-शाम मलने से दांत के सभी रोग दूर होते है
  • दांतों के कीड़े : कत्थे को सरसों के तेल में घोल कर रोजाना 3 से 4 बार मसूढ़ों पर मलें। इससे खून तथा बदबू आना बंद हो जायेगा।
  • खट्टी डकार : कत्था का सुबह शाम सेवन करने से खट्टी डकार बंद हो जाती है।
  • दस्त : कत्थे को पका कर प्रयोग करने से दस्त बंद हो जाता है। साथ ही इसके प्रयोग से पाचन शक्ति भी ठीक होती है।
  • बवासीर : सफेद कत्था, बड़ी सुपारी और नीलाथोथा बराबर मात्रा में लें। पहले सुपारी नीलाथोथा को आग पर भून लें और फिर इस में कत्थे को मिला कर पीस कर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को मक्खन में मिला कर पेस्ट बनाएं। इस पेस्ट को रोज सुबह-शाम शौच के बाद 8 से 10 दिन तक मस्सों पर लगाने से मस्से सूख जाते हैं।
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  • गले की खराश : कत्थे का चूर्ण मुंह में रख कर चूसने से गला बैठना, आवाज रुकना, गले की खराश और छाले आदि दूर हो जाते हैं। इसका दिन में 5 से 6 बार प्रयोग करना चाहिए।
  • कान दर्द : सफेद कत्थे को पीस कर गुनगुने पानी में मिला कर कानों में डालने से कान दर्द दूर होता है।
  • कुष्ठ रोग : कत्थे के काढ़े को पानी में मिलाकर प्रति दिन नहाने से कुष्ठ रोग ठीक होता है।
  • योनि की जलन और खुजली : 5 ग्राम की मात्रा में कत्था, विण्डग और हल्दी लेकर पानी के साथ पीस कर योनि पर लगाएं। इससे खुजली और जलन दोनों ठीक हो जाएगी।
  • खांसी : अगर आप लगातार खांसी से परेशान हैं, तो कत्थे को हल्दी और मिश्री के साथ एक-एक ग्राम की मात्रा में मिलाकर गोलियां बना लें। अब इन गोलियों को चूसते रहें। इस प्रयोग को करने से खांसी दूर हो जाती है।
  • घाव : किस प्रकार की चोट लगने पर घाव हो जाए, तो उसमें कत्थे को बारीक पीसकर इस चूर्ण को डाल दें। लगातार ऐसा करने पर घाव जल्दी भर जाता है और खून का निकलन भी बंद हो जाता।
  • प्रदर रोग : कत्थे और बांस के पत्तों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और इसमें 6 ग्राम शहद की मात्रा लेकर पेस्ट बनाकर खाएं। इस प्रयोग को करने से लाभ मिलता है।
  • दमा रोग : सांस संबंधी समस्याओं के लिए भी कत्था बहुत अच्छी औषधि है। इसे हल्दी और शहद के साथ मिलाकर दिन में दो से चार बार एक चम्मच की मात्रा में लेने से काफी लाभ होता है।



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