Tuesday, 3 December 2019

शरीर के लिए वरदान रतनजोत

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देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग लोगों द्वारा रतनजोत को अनेक स्वास्थ्य लाभों तथा समस्याओं के लिये उपयोग में लाया जाता है, जैसे-

मसाले के रूप में उपयोग के अलावा रतनजोत का उपयोग आँखों की रोशनी सुधारने और बालों को काला करने के लिये भी किया जाता है। इसके लिये सबसे पहले मेंहदी का पेस्ट बनाया जाता है। इसके बाद इस पेस्ट में रतनजोत मिलाकर गर्म करते हैं। जब यह गर्म हो जाय तो ठंडा होने के लिये रखा जाता है और ठंडा होने पर इसे बालों में लगाकर कम-से-कम 15 से 20 मिनट के लिये छोड़ा दिया जाता है और अन्त में सिर को पानी से धो लिया जाता है।



कुछ लोग इसकी जड़ को पानी में घिसकर अपने माथे पर लगाते हैं। उनके अनुसार इस उपचार को करने से उन्हें डिप्रेशन नहीं होता और मानसिक क्षमता बढ़ती है।

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कुछ अन्य लोगों के अनुसार रतनजोत को बारीक पीस लें। इसे तेल में डाल दें। इस तैयार तेल से अपने शरीर की मालिश करें। ऐसा करने से त्वचा से रुखापन दूर हो जाता है।

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जिन लोगों को मिर्गी या दौरे पड़ते हों, उन्हें इसकी जड़ के बारीक चूर्ण की एक ग्राम मात्रा को सुबह के समय और शाम के समय खिलाएँ। ऐसा माना जाता है कि इस उपचार को लगातार करने से मिर्गी और दौरे की समस्या दूर हो जाती है।
त्वचा रोगों के उपचार के लिये रतनजोत के पौधे के जड़ को पीसकर पाउडर बना लें। इस पाउडर को रोजाना सुबह और शाम लगभग आधे ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इस उपचार को करने से स्किन पर होने वाले दाद, खुजली से छुटकारा मिल जाता है।

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इसकी पत्तियों की चाय बनाकर पीने से दिल से जुड़ी हुई बीमारी नहीं होती तथा इसकी ताजा पत्तियों का सेवन करने से खून का शुद्धिकरण होता है।

 
पथरी की समस्या में नियमित रूप से रतनजोत के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीया जाता है। इस उपचार को करने से गुर्दे की पथरी ठीक हो जाती है।

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अगर आप गठिया रोग से परेशान हैं तो सरसों के तेल में रतनजोत डालकर हल्का गुनगुना करके इस तेल से मालिश करें। इससे गठिया रोग में बेहद आराम मिलेगा।

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रतनजोत पौधे के पत्ते को पीसकर इसके रस को शहद के साथ मिलाकर चाटने से रक्त का शोधन होता है।

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रतनजोत पौधे की पत्तियों को पानी में उबालकर चाय बनाकर पीने से हार्ट प्रॉब्लम कई अन्य समस्याओं से बचे रहते हैं।

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इसके पुष्पों से एक स्वादिष्ट शर्बत तथा जैम तैयार किया जाता है।

रतनजोत के उपरोक्त वर्णित परम्परागत उपयोगों के अतिरिक्त बाजार में उपलब्ध अनेक औषधियों में भी एक अवयव के रूप में इसका उपयोग दर्दनिवारक, एंटीफंगल तथा घाव भरने के गुणों के लिये किया जाता है। आधुनिक वैज्ञानिक शोधों के अनुसार भी इसकी जड़ से प्राप्त तेल में घुलनशील लालरंग का पदार्थ जिसेशिकोनिनके नाम से जाना जाता है, अनेक औषधीय गुण रखता है। इसके अन्य औषधीय गुणों में पेट के कीड़े निकालने, बुखार उतारने, गले की समस्या, दिल की बीमारी, उत्तेजक, शक्तिवर्धक, खाँसी-निवारक, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, एंटी-कैंसर तथा एंटी-सेप्टिक गुण शामिल हैं।


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