Monday, 2 December 2019

hing

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हम आपको बताते हैं कि आखिर हींग यानी Asafoetida कैसे बनाई जाती है.
ऐसे बनाई जाती हैं हींग यानी Asafoetidaभारत में हींग की खेती बहुत कम जगहों पर की जाती है. इसकी खेती ज्यादातर ईरान, अफगानिस्तान, तुर्केमिस्तान, बलूचिस्तान, काबुल औैर खुरासान के पहाड़ी क्षेत्रों में जोता जाता हैइसके बाद इसे पंजाब और मुंबई समुद्र के रास्ते लाया जाता है. महर्षि चरक के अनुसार हींग दमा के रोगियों के लिए रामबाण औषधि है.
असल में हींग का पौधा 2 से 4 फीट ऊंचा होता है. इसके पौधे को फेरूला-फोइटिडा के नाम से जानते हैं और हींग असल में इसी पौधे का रस होती है. इस पौधे के रस को सुखाकर ही हींग बनाई जाती है.


हींग को गुड़ के साथ खाने पर हिचकी आना बंद हो जाती है.
हींग का सेवन करने से रक्त जमने या थक्के बनने की स्थिति में फायदा होता है.
लो ब्लड प्रेशर होने पर आपके लिए हींग का सेवन फायदेमंद होता है.
अगर आपके दांतों में दर्द है तो इसे थोड़े से पानी में उबालकर कुल्ला करें इससे आपको फायदा होगा.
इसके अलावा हींग के साथ गर्म पानी के गलाले करने से गले के सारे संक्रमण खत्म हो जाते हैं.
हींग, आम की गुठली के भीतर की गिरी और कपूर बराबर मात्रा में लेकर कूटकर उसे पुदीने के रस के साथ मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें. ये हैजा की बीमारी में फायदेमंद होता है.
अगर आपको पेशाब आने में दिक्कत होती है तो हींग को सौंफ के अर्क के साथ मिलाकर खाने से ये समस्या खत्म हो जाती है.
हींग को तेल में पकाकर उस तेल को छान लें और रोज एक बूंद सुबह-शाम कान में डालने से कान में होने वाले दर्द खत्म हो जाता है.
नीम की कोमल पत्तियां और हींग को पीसकर फोड़े-फुंसी या चोट पर लगाने से इसमें जल्दी ही राहत मिलती है.
अगर आपको कहीं पर दाद हो गया है तो हींग को सिरके के साथ मिलाकर दाद वाली जगह पर लगाने से आराम जल्दी मिलता है

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