Thursday, 26 December 2019

सभी प्रकार के दर्दों वातरोगों में अति उत्तम औषधि


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आयुर्वेद और यूनानी जड़ी बूटियों का मिश्रण

सभी प्रकार के दर्दों वातरोगों में यह बहुत अच्छा परिणाम देता है, सायटिका, कमर का दर्द सोकर उठने पर रहने वाली जकड़न, घुटनों का दर्द, घुटनों की सूजन , आमवात , पक्षाघात , मुहं का लकवा आदि में उपयोगी है. अंडकोष के रोगों की यह ख़ास दवा है , अंडकोष बड़े हो जाना, पानी भर जाना, अनायास ही रहने वाला दर्द आदि में लाभ करेगा. यह गैस , कब्ज को दूर कर भूख को बढाता है.

संचित मल को बाहर निकालता है. वर्षा ऋतू से लेकर शीतकाल पर्यंत इसके सेवन का सर्वोत्तम समय है.

200 ग्राम एरंड के बीज 15-20 घंटे तक पानी में भिगोकर रखे जब ठीक से भीग कर फूल जाये तो इनको छील कर उपरी कवच हटा दें, बीज के दोनों दलों (मगज) को बीच से फाड़कर अन्दर की अंतर्जिह्वा हटा दें.

( अंतर्जिह्वा एक प्रकार की पारदर्शी सी पत्तियां ही होती हैं जो बीज के अंकुरण के समय निकलती हैं ये कुछ विषैली होती हैं, इन्हें सावधानी से एकत्र करें और नष्ट कर दें जिससे कोई जानवर बच्चे आदि सेवन न कर लें )

अंतर्जिह्वा (अंकुरित पत्तियाँ )निकाले हुए मगज को पीस कर दो लीटर दूध के साथ मिलाकर मावा (खोया) बनाये. अच्छा सूखा मावा बन जाए तो इसे लगभग दो सौ ग्राम घी के साथ धीमी आँच पर भूने. हल्का गुलाबी होने तक भूनना है अब ढाई सौ ग्राम देसी लाल शक्कर या मिश्री पिसी हुई मिला कर धीमी आंच पर ही घोट लें और आंच से उतार लें.

आंच से उतारने के बाद सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, दालचीनी, तेजपत्ता, नागकेसर, छोटी इलायची, चित्रक्मूल छाल, चव्य , गिलोय सत्त्व, खरैटी के बीज , छोटा गोखरू, विदारीकंद, दारुहल्दी, वायबिडंग सब का पांच पांच ग्राम बारीक पीसा छाना हुआ चूर्ण मिलाकर ठीक से घोंट कर दस पंद्रह ग्राम के लड्डू बना लें.





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यदि कोई एक दो चीजें न मिले तो जो भी द्रव्य सहज उपलब्ध हों उन्ही को लेकर तैयार कर लें.

एक दो लड्डू दिन में दो बार लें.
अगर लड्डू ना बना सके तो एक से दो चम्मच की मात्रा में गर्म दूध के साथ सेवन करें

इसके सेवन के बाद पानी चाय कोल्ड ड्रिंक न पिये.

अपने रोग के अनुसार आवश्यक परहेज और दिनचर्या का पालन अवश्य करें, ठीक से बनाने पर यह एक महीने तक खराब नहीं होते है. कांच के जार में रखें.

अगर समस्या ज्यादा है

तो इसके साथ

या सुरंजान की 2 गोली ले

इतना आराम मिलेगा की भूल जाएंगे दर्द कहां था

इसके सेवन काल में महारास्नादि काढ़ा 6 चम्मच आधा कप पानी में खाना खाने के बाद दोपहर और रात को भी ले ज्यादा फायदे के लिए

दर्द वाले स्थान पर महाविषगर्भ तेल से मालिश करने के बाद गर्म रेत की पोटली बनाकर उससे सिकाई करें

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