Wednesday 11 December 2019

बकायन फल के फायदे

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बुखार में बकायन के फायदे एवं सेवन विधि:
विषम ज्वर में बकायन की छाल और धमासा 10-10 ग्राम तथा कासनी के बीज 10 दाने एकत्र कर, जौकुट कर लें तथा 50 मिलीलीटर से 10 मिलीलीटर तक पानी में भिगोकर कुछ समय बाद बुखार में जाड़ा लगने से पूर्व अच्छी तरह हाथ से मसलकर छानकर पिला दे। जीर्ण ज्वर में गुठली रहित बकायन के कच्चे ताजे फलों को कूटकर उनके रस में समान भाग गिलोय का रस मिलाकर तथा दोनों का चौथाई भाग देशी अजवायन का चूर्ण मिलाकर खूब खरल कर झाडी के बेर जैसी गोलियां बनाकर, दिन में तीन बार एक-एक गोली ताजे जल के साथ सेवन करने से पुराने से पुराना बुखार नष्ट हो जाता है।

बवासीर में बकायन के फायदे एवं सेवन विधि:
अर्श (बवासीर) में बकायन के सूखे बीजों को कूटकर लगभग 2 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से खूनी-बादी दोनों बवासीर में अत्यंत लाभ होता है। बकायन के बीजो की गिरी और सौंफ दोनों समभाग में पीसकर बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर दो ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम-दोपहर सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है। तथा रक्तस्राव बंद हो जाता है।
सफ़ेद पानी में बकायन के फायदे एवं सेवन विधि:
श्वेत प्रदर (सफ़ेद पानी) में बकायन के बीज तथा चंदन, सम भाग चूर्ण कर उसमें बराबर बूरा मिलाकर 6 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार सेवन करने से सफ़ेद पानी में लाभ होता है।
सफ़ेद दाग में बकायन के फायदे एवं सेवन विधि:
कुष्ठ (सफ़ेद दाग) में बकायन के पके हुए पीले बीजों को लेकर उनमें से 3 ग्राम बीजों को 50 ग्राम पानी में रात को भिगोकर रखें, प्रातः काल महीन चूर्ण बनाकर फंकी लेने से या 20 दिनों तक निरंतर सेवन करने से सफ़ेद दाग नष्ट हो जाता है। पथ्य में बेसन की रोटी और गो घृत लेवें।



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