Friday 10 July 2020

फिटकरी के विभिन्न उपयोग

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                                                                          फिटकरी , Fitkari

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फिटकरी लाल व सफेद दो प्रकार की होती है। दोनों के गुण लगभग समान ही होते हैं। सफेद फिटकरी का ही अधिकतर प्रयोग किया जाता है। यह संकोचक अर्थात सिकुड़न पैदा करने वाली होती है। शरीर की त्वचा, नाक, आंखे, मूत्रांग और मलद्वार पर इसका स्थानिक (बाहृय) प्रयोग किया जाता है। रक्तस्राव (खून बहना), दस्त, कुकरखांसी तथा दमा में इसके आंतरिक सेवन से लाभ मिलता है।
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फिटकरी के विभिन्न उपयोग :
1. संकोचन:
फिटकरी सिकुड़न पैदा करने वाली होती है। त्वचा, नाक, आंख, मूत्रांग और मलदार पर इसका स्थानीय प्रयोग किया जाता है। रक्तस्राव (खून बहना), दस्त, कुकरखांसी तथा दमा में आंतरिक सेवन से लाभ मिलता है।
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2. शराब का नशा:
यदि किसी व्यक्ति ने शराब ज्यादा पी ली हो तो 6-ग्राम फिटकरी को पानी में घोलकर पिला दें। इससे शराब का नशा कम हो जाएगा।
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3. बच्चों के रोग:
भुनी हुई फिटकरी, पापरी कत्था, इलायची के दानों को एक साथ पीसकर मुंह के छालों में लगाने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।
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लगभग 240 मिलीग्राम लाल फिटकरी को प्याज के रस में गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द बंद हो जाता है।
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गर्मी से आने वाली खांसी में कफ पककर सूख जाता है, कफ बाहर नहीं निकलता। ऐसी हालत में 120 मिलीग्राम भुनी हुई फिटकरी, 120 मिलीग्राम भुना सुहागा, शहद से चटायें या दूध के साथ पिलायें, इससे कफ ढीला होकर खांसी दूर हो जाएगी।
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4. गले के रोग:
खाने का सोडा और खाने का नमक बराबर मात्रा में और थोड़ी सी पिसी हुई फिटकरी मिलाकर शीशी में रख लेते हैं। इस मिश्रण की एक चम्मच मात्रा एक गिलास गर्म पानी में घोल लेते हैं। इस पानी से सुबह उठते और रात को सोते समय अच्छी तरह गरारे करने चाहिए। इससे गले की खराश, टॉन्सिल की सूजन, मसूढ़ों की के रोग और गले में जमा कफ, गले की व्याधि व खांसी नहीं होती है।
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लगभग 2-2 ग्राम भुनी हुई फिटकरी को 1-1 कप गर्म दूध से सुबह और शाम लें। इससे गले की गांठे दूर हो जाती हैं।
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10 ग्राम फिटकरी को तवे पर भूनकर और पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 2 ग्राम फिटकरी सुबह के समय चाय या गर्म पानी के साथ लें। यह प्रयोग दिन में चार बार करें। इससे गले की सूजन दूर हो जाती है।
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गले के दर्द में भुनी हुई फिटकरी को ग्लिसरीन में मिलाकर गले में डालकर फुरैरी (कुल्ला) करें। इससे गले का दर्द ठीक हो जाता है।
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5. जननांगों की खुजली:
फिटकरी को गर्म पानी में मिलाकर जननांगों को धोने से जननांगों की खुजली में लाभ होता है।
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6. टांसिल का बढ़ना:
टांसिल के बढ़ने पर गर्म पानी में चुटकी भर फिटकरी और इतनी ही मात्रा में नमक डालकर गरारे करें।
गर्म पानी में नमक या फिटकरी मिलाकर उस पानी को मुंह के अन्दर डालकर और सिर ऊंचा करके गरारे करने से गले की कुटकुटाहट, टान्सिल (गले में गांठ), कौआ बढ़ना, आदि रोगों में लाभ होता है।
5 ग्राम फिटकरी और 5 ग्राम नीलेथोथे को अच्छी तरह से पकाकर इसके अन्दर 25 ग्राम ग्लिसरीन मिलाकर रख लें। फिर साफ रूई और फुहेरी बनाकर इसे गले के अन्दर लगाने और लार टपकाने से टांसिलों की सूजन समाप्त हो जाती है।
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7. घावों में रक्तस्राव (घाव से खून बहना):
घाव ताजा हो, चोट, खरोंच लगकर घाव हो गया हो, उससे रक्तस्राव हो। ऐसे घाव को फिटकरी के पानी से धोएं तथा घाव पर फिटकरी को पीसकर इसका पावडर छिड़कने, लगाने व बुरकने से रक्तस्राव (खून का बहना) बंद हो जाता है।
शरीर में कहीं से भी खून बह रहा हो तो एक ग्राम फिटकरी पीसकर 125 ग्राम दही और 250 मिलीलीटर पानी मिलाकर लस्सी बनाकर सेवन करना बहुत ही लाभकारी होता है।
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8. खूनी बवासीर:
खूनी बवासीर हो और गुदा बाहर आती हो तो फिटकरी को पानी में घोलकर गुदा में पिचकारी देने से लाभ प्राप्त होता है। एक गिलास पानी में आधा चम्मच पिसी हुई फिटकरी मिलाकर प्रतिदिन गुदा को धोयें तथा साफ कपड़े को फिटकरी के पानी में भिगोकर गुदे पर रखें।
10 ग्राम फिटकरी को बारीक पीसकर इसके चूर्ण को 20 ग्राम मक्खन के साथ मिलाकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से सूखकर गिर जाते हैं। फिटकरी को पानी में घोलकर उस पानी से गुदा को धोने खूनी बवासीर में लाभ होता है।
भूनी फिटकरी और नीलाथोथा 10-10 ग्राम को पीसकर 80 ग्राम गाय के घी में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम बवासीर के मस्सों पर लगायें। इससे मस्से सूखकर गिर जाते हैं।
सफेद फिटकरी 1 ग्राम की मात्रा में लेकर दही की मलाई के साथ 5 से 7 सप्ताह खाने से रक्तार्श (खूनी बवासीर) में खून का अधिक गिरना कम हो जाता है।
भूनी फिटकरी 10 ग्राम, रसोत 10 ग्राम और 20 ग्राम गेरू को पीस-कूट व छान लें। इसे लगभग 3-3 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से खूनी तथा बादी बवासीर में लाभ मिलता है।
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9. घाव:
फिटकरी को तवे पर डालकर गर्म करके राख बना लें। इसे पीसकर घावों पर बुरकाएं इससे घाव ठीक हो जाएंगे। घावों को फिटकरी के घोल से धोएं व साफ करें।
2 ग्राम भुनी हुई फिटकरी, 2 ग्राम सिन्दूर और 4 ग्राम मुर्दासंग लेकर चूर्ण बना लें। 120 मिलीग्राम मोम और 30 ग्राम घी को मिलाकर धीमी आग पर पका लें। फिर नीचे उतारकर उसमें अन्य वस्तुओं का पिसा हुआ चूर्ण अच्छी तरह से मिला लें। इस तैयार मलहम को घाव पर लगाने से सभी प्रकार के घाव ठीक हो जाते हैं।
आग से जलने के कारण उत्पन्न हुए घाव को ठीक करने के लिए पुरानी फिटकरी को पीसकर दही में मिलाकर लेप करना चाहिए।
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10. किसी भी अंग से खून बहना: एक ग्राम फिटकरी पीसकर 125 ग्राम दही और 250 मिलीलीटर पानी मिलाकर लस्सी बनाकर पीने से कहीं से भी रक्तस्राव हो, बंद हो जाता है।
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11. नकसीर (नाक से खून बहना):
गाय के कच्चे दूध में फिटकरी घोलकर सूंघने से नकसीर (नाक से खून आना) ठीक हो जाती है। यदि नकसीर बंद न हो तो फिटकरी को पानी में घोलकर उसमें कपड़ा भिगोकर मस्तक पर रखते हैं। 5-10 मिनट में रक्तबंद हो जाएगा। चौथाई चाय की चम्मच फिटकरी पानी में घोलकर प्रतिदिन तीन बार पीना चाहिए।
अगर नाक से लगातार खून बह रहा हो तो 30 ग्राम फिटकरी को 100 मिलीलीटर पानी में मिलाकर उस पानी में कोई कपड़ा भिगोकर माथे और नाक पर रखने से नाक से खून बहना रुक जाता है।
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12. मुंह का लिबलिबापन:
काला नमक और फिटकरी समान मात्रा में मिलाकर पीसकर इसके पाउडर से मंजन करने से दांतों और मुंह का लिबलिबापन दूर हो जाता है।
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13. उंगुलियों की सूजन:
पानी में ज्यादा काम करने से जाड़ों में उंगुलियों में सूजन या खाज हो जाए तो पानी में फिटकरी उबालकर इससे उंगुलियों को धोने से लाभ होता है।
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14. पायरिया
, मसूढ़ों में दर्द, सूजन, रक्त आना: एक भाग नमक, दो भाग फिटकरी बारीक पीसकर मसूढ़ों पर प्रतिदिन तीन बार लगायें। फिर एक गिलास गर्म पानी में पांच ग्राम फिटकरी डालकर हिलाकर कुल्ले करें। इससे मसूढ़े व दांत मजबूत होंगे। इससे रक्त आना और मवाद का आना बंद हो जाएगा।
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15. दांतों का दर्द:
भुनी फिटकरी, सरसों का तेल, सेंधानमक, नौसादर, सांभर नमक 10-10 ग्राम तथा तूतिया 6 ग्राम को मिलाकर बारीक पीसकर कपड़े से छान लें। इससे दांतों को मलने से दांतों का दर्द, हिलना, टीस मारना, मसूढ़ों का फूलना, मसूढ़ों से पीव का निकलना तथा पायरिया रोग ठीक होता है.
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16. दस्त और पेचिश:
120 मिलीग्राम फिटकरी को जलाकर शहद के साथ एक दिन में 4 बार पीने से खूनी दस्त और पतले दस्त का आना बंद हो जाता है। खाने में साबूदाने की खीर या जौ का दलिया लें।
1 ग्राम फिटकरी को 1 कप छाछ के साथ एक दिन में 3 बार पीने से गर्मी के कारण आने वाले खूनी दस्तों में लाभ मिलता है।
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17. आंतरिक चोट:
चार ग्राम फिटकरी को पीसकर आधा किलो गाय के दूध में मिलाकर पिलाने से लाभ प्राप्त होता है।
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18. सूजाक:
सूजाक में पेशाब करते समय जलन होती है। इसमें पेशाब बूंद-बूंद करके बहुत कष्ट से आता है। इतना अधिक कष्ट होता है कि रोगी मरना पसन्द करता है। इसमें 6 ग्राम पिसी हुई फिटकरी एक गिलास पानी में घोलकर पिलाएं। कुछ दिन पिलाने से सूजाक ठीक हो जाता है।
साफ पानी में पांच प्रतिशत फिटकिरी का घोल बनाकर लिंग धोना चाहिए।
फिटकरी, पीला गेरू, नीलाथोथा, हराकसीस, सेंधानमक, लोध्र, रसौत, हरताल, मैनसिल, रेणुका और इलायची इन्हें बराबर लेकर बारीक कूट पीस छान लें। इस चूर्ण को शहद में मिलाकर लेप करने से उपदंश के घाव ठीक हो जाते हैं।
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19. हाथ-पैरों में पसीना आना:
यदि पसीना आए तो फिटकरी को पानी में घोलकर इससे हाथ-पैरों को धोएं। इससे पसीना आना बंद हो जाता है।
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20. सूखी खांसी:
लगभग 10 ग्राम भुनी हुई हुई फिटकरी तथा 100 ग्राम चीनी को बारीक पीसकर आपस में मिला लें और बराबर मात्रा में चौदह पुड़िया बना लेते हैं। सूखी खांसी में एक पुड़िया रोजाना 125 मिलीलीटर गर्म दूध के साथ सोते समय लेना चाहिए। इससे सूखी में बहुत लाभ मिलता है।
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21. गीली खांसी:
10 ग्राम भुनी हुई फिटकरी और 100 ग्राम चीनी को बारीक पीसकर आपस में मिला लें और बराबर मात्रा में 14 पुड़िया बना लें। सूखी खांसी में 125 ग्राम गर्म दूध के साथ एक पुड़िया प्रतिदिन सोते समय लेना चाहिए तथा गीली खांसी में 125 मिलीलीटर गर्म पानी के साथ एक पुड़िया रोजाना लेने से गीली खांसी लाभ होता है।
फिटकरी को पीसकर लोहे की कड़ाही में या तवे पर रखकर भून लें। इससे फिटकरी फूलकर शुद्ध हो जाती है। इस भुनी हुई फिटकरी का कई रोगों में सफलतापूर्वक बिना किसी हानि के उपयोग किया जाता है। इससे पुरानी से पुरानी खांसी दो सप्ताह के अन्दर ही नष्ट हो जाती है। साधारण दमा भी दूर हो जाता है। गर्मियों की खांसी के लिए यह बहुत ही लाभकारी है।
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22. श्वास, दमा:
आधा ग्राम पिसी हुई फिटकरी शहद में मिलाकर चाटने से दमा, खांसी में आराम आता है। एक चम्मच पिसी हुई फिटकरी आधा कप गुलाब जल में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से दमा ठीक हो जाता है।
एक गांठ सोंठ, सफेद फिटकरी का फूला दो ग्राम, हल्दी एक गांठ, 5 कालीमिर्च को चीनी में मिलाकर खाने से श्वास और खांसी दूर हो जाती है.
लगभग 120 मिलीग्राम भुनी हुई फिटकरी तथा 120 मिलीग्राम चीनी को मिलाकर सुबह-शाम रोगी को खिलाने से पांच दिनों में ही कालीखांसी दूर हो जाती है। वयस्कों (बालिग व्यक्तियों) को काली (कुकुर) खांसी होने पर उन्हें दुगुनी मात्रा में देना चाहिए। यदि बिना पानी के निगल न सके तो एक-दो घूंट गर्म पानी ऊपर से पिलाना चाहिए।
12 मिलीग्राम भुनी हुई फिटकरी लेकर इसमें 12 मिलीग्राम शक्कर मिलाकर दिन में 3 बार खाने से 5 दिन में ही खांसी ठीक हो जाती है।
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23. कान में चींटी चली जाने पर: कान में चींटी चली जाने पर कान में सुरसरी हो तो फिटकरी को पानी में घोलकर पीने से लाभ मिलता है।
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24. बिच्छू के काटने पर:
बिच्छू के काटने पर फिटकरी को पानी में पीसकर लेप करने से बिच्छू का विष उतर जाता है।
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25. हैजा:
आधा गिलास पानी में 5-ग्राम फिटकरी घोलकर सेवन करने से हैजा रोग में लाभ मिलता है।
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26. सर्पदंश:
सर्पदंश रोगी को फिटकरी पानी में घोलकर पिलाना लाभकारी होता है।
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27. घट्टा या आटण:
पैरों में कही-कहीं पर पत्थर की तरह सख्त कठोर गांठ सी हो जाती हैं, चलने में दर्द होता है। फिटकरी, हल्दी और सुहागा तीनों बराबर मात्रा में पीसकर रख लेते हैं। इसका थोड़ा पाउडर लेकर पानी में गाढ़ा-गाढ़ा मिलाकर घट्टे (गांठ) पर प्रतिदिन लगाना चाहिए। इससे कुछ ही दिनों में आटण ठीक हो जाएगा। नींबू के रस से आटण को तर (गीलर) रखने से भी आटण ठीक हो जाता है। यह सफल प्रयोग है।
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28. शरीर के अंग-अंग में दर्द:
कच्ची फिटकरी और सोडा बाई कार्ब दोनों समान मात्रा मिलाकर पीस लेते हैं। इसकी आधी चम्मच मात्रा गर्म पानी से फंकी लेने से लाभ मिलता है।
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29. हकलाना, तुतलाना:
फिटकरी को भूनकर उसका 2 ग्राम चूर्ण रोज रात को सोते समय जीभ पर रखें और 4-5 मिनट बाद कुल्ला कर लें। कुछ महीनों तक इसका प्रयोग करना लाभकारी होता है।
सोते समय मूंग की दाल के बराबर फिटकरी का टुकड़ा मुंह में रखकर सोंये। ऐसा प्रतिदिन करने से तुतलाना ठीक हो जाता है।
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30. कांच निकलना (गुदाभ्रंश):
कच्ची फिटकरी आधा ग्राम को पीसकर 100 मिलीलीटर पानी में घोलकर गुदा को धोने से गुदाभ्रंश ठीक होता है।
लगभग 1 ग्राम फिटकरी को 30 मिलीलीटर जल में घोल लें। शौच के बाद मलद्वार को साफ करके फिटकरी वाले जल को रूई से गुदा पर लगाएं। इससे गुदाभ्रंश ठीक होता है।
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31. उर:क्षत (सीने में घाव):
गुलाबी फिटकरी को महीन पीसकर शहद में मिलाकर चाटने से उर:क्षत (सीने में घाव) मिट जाता है।
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32. खून में पीव आना (प्याएमिया):
लगभग 240 से 480 मिलीग्राम फिटकरी मिश्री या शर्बत के साथ मिलाकर सेवन करने से यह खून में पीव की मात्रा को कम करके खून को साफ करता है।
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33. कैन्सर कर्कट रोग
: फिटकरी एक अच्छा रक्तशोधक माना गया है। इसलिए फिटकरी की 480 मिलीग्राम भस्म (राख) सुबह-शाम मिश्री के साथ या मिश्री मिले शर्बत के साथ रोग का सन्देह होते ही देना प्रारम्भ कर दें। सम्भवत: कुछ लाभ हो सकता है।
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34. खून की उल्टी:
भुनी हुई फिटकरी को सुबह और शाम 1-1 ग्राम पानी से लेने से खून की उल्टी बंद हो जाती है।
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35. योनि रोग:
फिटकरी अथवा त्रिफला को पानी में डालकर उबाल लें। फिर उसे छानकर गुप्तांग (योनि) में पिचकारी देने से योनि रोग मिट जाते हैं।
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36. कान का कीड़ा:
पानी में फिटकरी को मिलाकर कान में डालने से कान में घुसा हुआ कीड़ा बाहर आ जाता है।
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37. कान का बहना:
फिटकरी के पानी से कान को धोने से कान में से मवाद बहना ठीक हो जाता है।
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38. गुर्दे के रोग:
गुर्दे की सूजन में भूनी हुई फिटकरी एक ग्राम दिन में कम से कम तीन बार जरूर लें।
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39. मुंह के छाले एवं रोग:
आधा चम्मच फिटकरी का चूर्ण और आधा चम्मच इलायची का चूर्ण लेकर दर्द होने पर थोड़ी-थोड़ी देर बाद छालों पर बुरकने से मुंह के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं।
मुंह में छाले, दाने व घाव होने पर 1 ग्राम कच्ची फिटकरी पीसकर इसमें शहद मिलाकर मुंह में लगाने से लाभ मिलता है।
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40. अण्डकोष की सूजन:
लगभग 1-4 ग्राम की मात्रा में फिटकरी और माजूफल को लेकर पानी के साथ बारीक पीस लें, फिर इस तैयार मिश्रण का लेप अण्डकोष पर करने से कुछ ही दिनों में अण्डकोष की सूजन दूर होती है।
भुनी फिटकरी 1-1 ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से अण्डकोष के सूजन और बढे़ हिस्से सही हो जाते हैं।
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41. दांत घिसना या किटकिटाना:
फिटकरी, सेंधानमक और नौसादर बराबर मात्रा में लें। इन सबको बारीक पीसकर पाउडर (मंजन) बना लें। इससे रोजाना 2 बार दांतों व मसूढ़ों को मलें। इससे दांतों में लगे कीड़े नष्ट हो जाते हैं और दांत का किट-किटाना बंद हो जाता है।
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42. दांत मजबूत करना:
भुनी फिटकरी 20-ग्राम तथा नमक 10-ग्राम को बारीक पीसकर पॉउडर (मंजन) बना लें। इसे रोजाना दांत एवं मसूढ़ों पर मलने से दांत मजबूत होते हैं।
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43. पायरिया:
1 ग्राम नमक और 2 ग्राम फिटकरी बारीक पीसकर मसूढ़ों व दांतों पर मलें तथा 1 गिलास गर्म पानी में 5 ग्राम फिटकरी मिलाकर कुल्ला करें। इससे पायरिया, मसूढ़ों में दर्द, सूजन और खून का आना बंद होता है।
दांतों में कीड़े लगना: रोजाना दोनों समय फिटकरी को गर्म पानी में घोलकर कुल्ला करें। फिटकरी के पानी से कुल्ला करने से दांतों के कीड़े तथा बदबू खत्म हो जाती है।
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44. पसीना:
फिटकरी को पानी में घोलकर शरीर को धोने से पसीना आना कम हो जाता है।
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45. पित्ती,
जलन और खुजली: पिसी हुई फिटकरी को आधा कप गर्म पानी में घोलकर पित्ती निकली हुई जगह पर लगाने और धोने से पित्ती के रोग में लाभ मिलता है। इससे खुजली, जलन तथा चकत्ते दूर हो जाते हैं।
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46. सन्निपात ज्वर:
1 ग्राम भूनी फिटकरी को 2 ग्राम चीनी में मिलाकर सुबह और शाम पानी के साथ पीने से बुखार ठीक हो जाता है।
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47. मोच, चोट:
मोच आ जाने पर, कचूर को फिटकरी के साथ पीसकर लेप करने से लाभ होता है।
फिटकरी के 3 ग्राम चूर्ण को आधा किलो दूध के साथ लेने से मोच और भीतरी चोट ठीक होती है।
फिटकरी भूनी आधा ग्राम गर्म दूध से सुबह-शाम लें। यह गुम चोट में बहुत लाभकारी होता है।
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48. चोट से खून जमना:
10 ग्राम फिटकरी को 40 ग्राम घी में भूनकर रख लें। जब घी जम जाये, तब घी में चीनी और मैदा मिलाकर हलुवा बना लें। फिर इसमें फिटकरी मिलाकर 3 दिनों तक खाने से खून की गांठें बिखर जाती हैं।
डेढ़ ग्राम फिटकरी फांककर ऊपर से दूध सुबह-शाम पीने से चोट लगने के कारण खून जमने और इससे होने वाले दर्द दूर होते हैं।
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49. भगन्दर:
भुनी फिटकरी 1-1 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम पानी के साथ पीयें तथा कच्ची फिटकरी को पानी में पीसकर इसे रूई की बत्ती में लगाकर भगन्दर के छेद में भर दें। इससे भगन्दर में अधिक लाभ होता है।
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50. श्वेतप्रदर व रक्त प्रदर:
चौथाई चम्मच पिसी हुई फिटकरी को पानी से रोजाना 3 बार फंकी लेने से दोनों प्रदर ठीक हो जाते हैं। इसके साथ ही फिटकरी पानी में मिलाकर योनि को गहराई तक सुबह-शाम धोएं और पिचकारी दें।
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51. रक्तप्रदर:
लगभग 240-480 मिलीग्राम फिटकरी को कूट-पीसकर बनाई गई भस्म (राख) मिश्री या मिश्री के शर्बत के साथ सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर मिट जाता है।
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52. प्रदर रोग:
1-1 चुटकी पिसी हुई फिटकरी सुबह-दोपहर-शाम को पानी के साथ सेवन करने से प्रदर में लाभ मिलता है।
फिटकरी के पानी से नियमित रूप से योनि को अच्छी तरह से धोयें। अगर पिचकारी से योनि के अन्दर धोने की सुविधा हो तो धोयें। इसके बाद 2 चुटकी फिटकरी, 1 चम्मच पिसी हुई हल्दी और 2 चम्मच चीनी मिलाकर सुबह-शाम पानी के साथ करीब 20 दिनों तक इसका सेवन करने से ‘वेत प्रदर मिट जाता है।
फिटकरी के पानी से गुप्तांग (योनि) को धोने, सफाई करने और पिचकारी देने से प्रदर में लाभ होता है।
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53. (अन्दरूनी चोट):
अन्दरूनी चोट लगने पर 4 ग्राम फिटकरी को पीसकर आधा गिलास दूध में मिलकार पीने से लाभ होता है।
किसी भी तरह की अन्दरूनी चोट हो, कारण कुछ भी हो एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच फिटकरी घोलकर पी लें इससे खून का अन्दर ही अन्दर थक्का नहीं बनेगा और दर्द भी कम हो जायेगा।
भूनी फिटकरी आधा ग्राम गर्म दूध से सुबह-शाम लें। गुम चोट में लाभदायक है।
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54. पथरी:
फिटकरी का फूला 4 ग्राम प्रतिदिन सुबह-शाम छाछ के साथ पीने से पथरी ठीक होती है।
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55. गर्भाशय से रक्तस्राव:
फिटकरी का चूर्ण आधा चम्मच लेकर 1 लीटर पानी में घोल बना लें। इस घोल में रूई की फूरेरी भिगोकर गर्भाशय के मुख पर रखने से रक्तस्राव बंद हो जाता है।
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56. पित्ती निकलना:
पिसी हुई फिटकरी आधा चम्मच, आधे कप गर्म पानी में घोलकर पित्ती निकलने वाली जगह पर लगायें और धोयें।
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57. शीतपित्त:
फिटकरी को तवे पर भूनकर कूटकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की लगभग 480 मिलीग्राम मात्रा को मक्खन मिलाकर खाने से जल्द लाभ मिलता है।
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58. संतति निरोध (गर्भनिरोध):
फिटकरी और नौसादर को बराबर मात्रा में अच्छी तरह पीसकर पानी में रूई के साथ डालकर रख दें, फिर इसी रूई को सहवास करने से पहले स्त्री की योनि में रखते हैं। थोड़ी देर बाद रूई हटाकर सहवास (संभोग) करने से गर्भाधान यानी गर्भधारण नहीं होता है।
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59. रक्तपित्त (पित्त के कारण रक्तविकार):
लाल फिटकरी पीसकर इसका बारीक चूर्ण 10 ग्राम शीशी में रख लें। यह स्फटिक चूर्ण बहुत से रोगों में फायदा करता है। एक ग्राम चूर्ण 3 ग्राम शक्कर में मिलाकर फांक लें और तुरन्त दूध पी लें। यह रक्तपित्त में खून चाहे कहीं से भी गिर रहा हो तो बंद कर देगा।
लगभग 120 मिलीग्राम फिटकरी को एक चम्मच चीनी में मिलाकर या दोनों को एक साथ पानी में घोलकर रोज दो तीन बार पिलाने से रक्तपित्त की शिकायतें दूर हो जाती हैं।
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60. नाक के कीड़े:
लगभग 240 मिलीग्राम फिटकरी के चूर्ण को 100 मिलीलीटर पानी में डालकर रख लें। इस पानी की 3-4 बूंदें रोजाना 3 से 4 बार सिर को पीछे की ओर झुकाकर नाक के नथुनों (छेदों) में डालने से नाक के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
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61. वीर्य रोग में:
फिटकरी भूनी 30-ग्राम खांड 60-ग्राम मिला लें। 3-3 ग्राम सुबह-शाम पानी से लें।
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62. पेट में दर्द:
पिसी हुई फिटकरी को चूर्ण के रूप में खाने के बाद ऊपर से दही को पीयें।
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63. पेशाब में खून आना:
1 ग्राम भुनी हुई फिटकरी को सुबह और शाम पानी के साथ लेने से पेशाब में खून आना बंद हो जाता है।
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64. अपरस:
भूनी फिटकरी, आमलासार, गंधक, भुना हुआ सुहागा और शक्कर को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को सफेद वैसलीन में मिलाकर रोजाना 2-3 बार त्वचा पर लगाने से लाभ होता है।
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65. गठिया रोग:
5 ग्राम फिटकिरी, 15 ग्राम मीठी सुरंजन, 5 ग्राम बबूल की गोंद और 10 पीस कालीमिर्च सबको सूखाकर भूनकर एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें। उसमें से 2 चुटकी चूर्ण रोजाना दो बार लेने से गठिया रोग जल्द ठीक होता है।
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66. खाज-खुजली:
गर्म पानी में फिटकरी मिलाकर उससे जननेन्द्रिय को धोने से जननेन्द्रिय की खुजली दूर हो जाती है।
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67. हाथ-पैरों की ऐंठन:
10 ग्राम भुनी हुई सफेद फिटकरी, 30 ग्राम सुरज्जन मीठी और 2 ग्राम कीकर के गोंद को पीसकर थोड़ा पानी मिलाकर गोलियां बना लें। एक-एक गोली दिन में तीन बार लेने से हाथ-पैरों की ऐंठन दूर हो जाती है। यह दवा खूनी बवासीर के लिए भी लाभकारी है।
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68. हाथ-पैरों की जलन:
पानी में फिटकरी घोलकर हथेली और तलुवे धोने से अधिक पसीना आना बंद हो जाता है और जलन भी दूर हो जाती है।
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69. पीलिया रोग:
सफेद फिटकरी को भूनकर पीस लें। पहले दिन आधा ग्राम दवा दही में मिलाकर खाएं, दूसरे दिन एक ग्राम और तीसरे दिन डेढ़ ग्राम........इसी प्रकार बढ़ाते हुए सातवें दिन साढे़ तीन ग्राम दवा दही में डालकर खायें। इससे एक सप्ताह में पीलिया रोग मिट जाता है।
फिटकरी 18 ग्राम को बारीक पीसकर 21 पुड़िया बना लें। प्रात:काल बिना कुछ खाए एक पुड़िया गाय के 20 ग्राम मक्खन में मिलाकर खाने से पाण्डु (पीलिया) रोग में लाभ होता है।
फूली हुई फिटकिरी एक चुटकी, मिश्री में मिलाकर दिन में तीन बार पानी से सेवन करें।
200 ग्राम दही में चुटकी भर फिटकरी घोल कर पिलायें। बच्चों के अनुपान में मात्रा कम लें। दिन भर केवल दही ही सेवन करें। इससे पीलिया शीघ्र ठीक होगा। यदि उल्टी हो तो घबरायें नहीं।
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Thursday 9 July 2020

दालचीनी के फायदे (Dalchini , Cinnamon Benefits)

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दालचीनी के फायदे

• पेटदर्द और सीने में जलन महसूस होने पर आप दालचीनी, सौन्ठ, जीरा और इलायची सम मात्रा में लेकर पीसकर गरम पानी के साथ ले सकते हैं।
• दालचीनी, काली मिर्च पावडर और शहद आदि मिलाकर भोजन के बाद लेने से पेट अफारा नहीं होता
• दालचीनी से जी मचलना, उल्टी और जुलाब रुकते है।ठंड की वजह से सिरदर्द हो तो दालचीनी पानी के साथ पीसकर सिरपर लगाये।
• चुटकी भर दालचीनी पावडर पानी में उबालकर, उसीमे चुटकी भर काली मिर्च पावडर और शहद डालकर लेने से सर्दी-जुकाम, गले की सुजन एवं मलेरिया कम हो जाता है।
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• मुह की दुर्गंध और दांत की दवा में दालचीनी का उपयोग किया जाता है।खसरा निवारक के तौर पर दालचीनी का उपयोग किया जाता है।


 
 

Sunday 5 July 2020

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला काढ़ा ( Immunity Booster Kadha)

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यह Indian Jadi Booti All in one काढ़ा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और सर्दी , जुकाम और बुखार जैसी बीमारियों से बचाव करने में कारगर है , यह काढ़ा शक्तिशाली आयुर्वेदिक जड़ी बूटी के मिश्रण से बनाया गया है जिसमे #गिलोय , #अश्वगंधा , #मुलेठी , #आवला , #तुलसी पत्ता , #पोदीना , #दालचीनी , #अर्जुन छल , #कालीमिर्च , #अजवाइन , #छोटी पीपल , #लौंग , #सौंठ इत्यादि प्रमुख हैं , यह काढ़ा शरीर को विभिन्न रोगों से लड़ने की शक्ति और ऊर्जा प्रदान करता है

This kadha is a Mixture of most powerful herbs like #Ashwagandha , #Giloy , #Mulethi , #Arjun chhal , #Tulsi leaves, #Podina leaves, Indian #gooseberry (#Awla) #Dalchini , Black pepper , Choti #pipal , Ajwain etc...






Saturday 4 July 2020

Uses and Benefits of Gond Katira (गोंद कतीरा)



GOND KATIRA is better known as Tragacanth Gum is a tasteless, odourless, viscous water-soluble natural gum. BENEFITS :-1. TREATING CONSTIPATION 2. WEAKNESS IN MEN 3. BENEFITS FOR ANTI-AGING . 4. BENEFITS OF GOND KATIRA AS A REMEDY FOR URINARY INCONTINECE.Gond katira is an extremely useful remedy for treating urinary incontinence. It also helps in calming the urinary muscles in case of inflammation of the urinary tract and blockage of urine. 5. A BOOST OF ENERGYTragacanth Gum use as an energy tonic is well-known. In Ayurveda, it is given to those who feel lethargic, weak, and are lacking energy.6. PREVENT HEAT STROKES Tragacanth gum powder has excellent cooling properties.



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गोंद कतीरा में ढेर सारा Protein और Folic Acid पाया जाता है। इसके सेवन से शरीर को तुरंत ताकत मिलती है।  20 ग्राम गोंद कतीरा को एक गिलास पानी या फिर दूध में भिगो कर रखें और फिर सुबह मिश्री मिलाकर शर्बत बनाकर पिएं

 अल्सर के कारण होने वाली सूजन और दर्द को कम करने के लिए 

गोंद कतीरा का बारीक पिसा हुआ पेस्ट बनाएं और तुरंत राहत के लिए अपने छालों पर लगाएं। 

 

https://www.reddit.com/user/Indian_Jadi_Booti/comments/hm5gz9/uses_and_benefits_of_pumpkin_seeds/?utm_source=share&utm_medium=web2x

 

 

Friday 3 July 2020

Benefits of Dried Ginger (Sonth)

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Dried Ginger is called sonth in hindi language . It has a strong aroma and slightly pungent flavor . Dried ginger is a important part of Indian Garam Masala. In india it is used in masala tea.
Health benefits of Dried Ginger (Sonth)
Sonth (Dried Ginger) is an effective medicine for cough and cold , sore throat , indigestion etc. , it is also very beneficial in used to treat nausea . it stimulate blood circulation , remove toxins from the body , cleanse kidney and nourish the skin.
 
 
 

Thursday 2 July 2020

Benefits of Carrot Seeds


Best Quality IndianJadiBooti Carrot Seeds



Benefits of Carrot seeds:-

It is good for liver.

Carrot seeds are also good for skin , some people used carrot seeds to fight cold and flu , it detoxify the body and improve digestive system.

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