Wednesday, 4 December 2019

अमलतास के फायदे

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अमलतास पीले फूलो वाला एक शोभाकर वृक्ष है। ।भारत में इसके वृक्ष प्राय: सब प्रदेशों में मिलते हैं। तने की परिधि तीन से पाँच कदम तक होती है, किंतु वृक्ष बहुत उँचे नहीं होते। शीतकाल में इसमें लगनेवाली, हाथ सवा हाथ लंबी, बेलनाकार काले रंग की फलियाँ पकती हैं। इन फलियों के अंदर कई कक्ष होते हैं जिनमें काला, लसदार, पदार्थ भरा रहता है। वृक्ष की शाखाओं को छीलने से उनमें से भी लाल रस निकलता है जो जमकर गोंद के समान हो जाता है। फलियों से मधुर, गंधयुक्त, पीले कलझवें रंग का उड़नशील तेल मिलता है।
आयुर्वेद में इस वृक्ष के सब भाग औषधि के काम में आते हैं। कहा गया है, इसके पत्ते मल को ढीला और कफ को दूर करते हैं। फूल कफ और पित्त को नष्ट करते हैं। फली और उसमें का गूदा पित्तनिवारक, कफनाशक, विरेचक तथा वातनाशक हैं फली के गूदे का आमाशय के ऊपर मृदु प्रभाव ही होता है, इसलिए दुर्बल मनुष्यों तथा गर्भवती स्त्रियों को भी विरेचक औषधि के रूप में यह दिया जा सकता है।


बुखार में अमलतास के फायदे (Amaltas Tree Benefits in Fighting with Fever in Hindi)
अमलतास फल मज्जा (amaltas ki phali), पिप्पली की जड़, हरीतकी, कुटकी एवं मोथा के साथ बराबर-बराबर मात्रा में लें। इसका काढ़ा बनाकर पिएं। इससे बुखार उतर जाता है।

फुंसी और छाले की परेशानी में अमलतास के फायदे (Amaltas Tree Uses for Pimple in Hindi)

अमलतास के पेड़ (amaltas ka ped) से पत्ते लें। इसे गाय के दूध के साथ पीस लें। इसका लेप करने से नवजात शिशु के शरीर पर होने वाली फुंसी या छाले दूर हो जाते हैं।

1 गले के रोग

अमलतास की छाल (पेड़ की छाल) के काढ़े से गरारा करने पर गले की प्रदाह (जलन), ग्रंथिशोध (गले की नली में सूजन) आदि रोग ठीक हो जाते हैं।

2 बिच्छू का विष

अमलतास के बीजों को पानी में घिसकर बिच्छू के दंश वाले स्थान पर लगाने से कष्ट दूर होता है।

3 बच्चों का पेट दर्द

अमलतास के बीजों की गिरी को पानी में घिसकर नाभि के आस-पास लेप लगाने से पेट दर्द और गैस की तकलीफ में आराम मिलता है।

4 त्वचा रोग

अमलतास के पत्तों को सिरके में पीसकर बनाए लेप को चर्म रोगों यानी दाद, खाज-खुजली, फोड़े-फुंसी पर लगाने से रोग दूर होता है।
यह प्रयोग कम से कम तीन हफ्ते तक अवश्य करें।
इसके पंचांग (पत्ते, छाल, फूल, बीज और जड़) को समान मात्रा में लेकर पानी के साथ पीसकर लेप बना लें।
इस लेप को लगाने से त्वचा सम्बंधी उपरोक्त रोगों में लाभ मिलता है।

5 मुखपाक (मुंह के छाले)

अमलतास की गिरी को बराबर की मात्रा में धनिए के साथ पीसकर उसमें चुटकी-भर कत्था मिलाकर चूर्ण तैयार करें.
इसकी आधा चम्मच मात्रा दिन में 2-3 बार चूसने से मुंह के छालों में आराम मिलता है।

6 वमन (उल्टी) हेतु

अमलतास के 5-6 बीज पानी में पीसकर पिलाने से हानिकारक खाई हुई चीज वमन (उल्टी) के द्वारा बाहर निकल जाती है।

7 पेशाब होना

अमलतास के बीजों की गिरी को पानी में पीसकर तैयार किये गाढ़े लेप को नाभि के निचले भाग और यौनांग से ऊपर लगाएं।
पेशाब खुलकर कराने के लिए यह प्रयोग अचूक माना जाता है.

8 कुष्ठ (कोढ़)

अमलतास की 15-20 पत्तियों से बना लेप कुष्ठ का नाश करता है।
इसकी जड़ का लेप कुष्ठ रोग के कारण हुई विकृत त्वचा को हटाकर जख्म वाले स्थान को ठीक कर देता है।

9 त्वचा के चकत्तों में

अमलतास के नर्म पत्तों को पीसकर लेप करना चाहिए।

10 खुजली के लिए

इसके पत्तों को छाछ में पीसकर लेप करना चाहिये और कुछ देर बाद स्नान करना चाहिए।

11 कफरोग

अमलतास के गूदे में गुड़ मिलाकर और सुपारी के बराबर गोलियां बनाकर गर्म पानी के साथ देना चाहिए।

12 भिलावे की सूजन

भिलावे की वजह से त्वचा के मोटा और सख्त हो जाने पर  सूजन पैदा हो जाने पर इसके पत्तों का रस लगाने से त्वचा की सूजन ठीक हो जाती है।

13 बवासीर (Piles)

10 ग्राम अमलतास की फलियों का गूदा, 6 ग्राम हरड़ और 10 ग्राम मुनक्का (काली द्राक्ष) को पीसकर 500 मिलीलीटर पानी में पकायें।
जब यह आठवां हिस्सा शेष बचे तो उतारकर रख दें।
इस काढ़े को प्रतिदिन सुबह के समय देना चाहिए।
4 दिन में ही असर दिखाई देता है।
रक्त-पित्त यानी नस्कोरे फूटकर खून बहने, पेशाब साफ होने और बुखार में भी यह काढ़ा दिया जाता है।
इससे दस्त साफ होकर भूख भी लगती है।

14 सूजन (Swelling) पर

अमलतास के पत्तों को सेंककर बांधने से सूजन उतरती है।

15 यकृत, प्लीहा (Liver & Spleen) में सूजन

लगभग 20 ग्राम की मात्रा में इसके ताजे फूल और 3 ग्राम की मात्रा में भुना हुआ सुहागा लें.
सुबह और शाम इसे हल्के गर्म पानी के साथ को देने से यकृत और प्लीहा वृद्धि के कारण पैदा होने वाली सूजन दूर हो जाती है।

16 कब्ज

10 ग्राम अमलतास का गूदा और 10 ग्राम मुनक्का मिलाकर खाने से शौच साफ आती है और कब्ज समाप्त हो जाती है।
अथवाअमलतास और इमली के गूदे को पीसकर रख लें।
फिर इसे सोने से पहले पीने से सुबह शौच अच्छी तरह से आती है।

17 विसर्प (छोटी-छोटी फुंसियों का दल बनना)

अमलतास के पत्तों को पीसकर घी में मिलाकर लेप करने से विसर्प में लाभ होता है।

18 शिशु की फुंसियां

इसके पत्तों को दूध के साथ पीसकर लेप करने से नवजात शिशु के शरीर पर होने वाली फुंसियां और छाले दूर हो जाते हैं।

19 श्वास

इसकी फली का गूदा पानी में उबालकर पीने से दस्त साफ होकर श्वास की रुकावट मिटती है।
इससे कब्ज भी दूर हो जाती है।

20 पेट दर्द

पेट दर्द और गैस में अमलतास के गूदे को बच्चों की नाभि के चारों ओर लेप करने से लाभ होता है।
पेट दर्द और अफारे में इसके बीज की मज्जा को पीसकर बच्चों की नाभि के चारों ओर लेप करने से भी लाभ होता है।

21 पक्षाघात (facial paralysis)

अमलतास के पत्तों के रस की पक्षाघात ग्रस्त अंग पर मालिश करने से लाभ होता है।

22 लकवा (paralysis) होने पर

लगभग 10 ग्राम से 20 ग्राम अमलतास के पत्तों का रस पीने तथा चेहरे पर अच्छी तरह से नियमित रूप से मालिश करने से मुंह के लकवे में लाभ मिलता है।

23 सुप्रसव (आसानी से बच्चे का जन्म) के लिये

प्रसव (प्रजनन) के समय अमलतास की फली के 2 चम्मच छिलके 2 कप पानी में उबालकर उसमें शक्कर मिलाकर छानकर गर्भवती को पिलायें.
बच्चा सुख से पैदा हो जाता है।

24 प्रसव का दर्द

बच्चा पैदा होने में यदि बहुत अधिक कष्ट हो रहा हो तो अमलतास 10 ग्राम को पानी में गर्मकर थोड़ी सी शक्कर मिलाकर पीना चाहिए।


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