Monday 31 December 2018

जले हुए जख्मों के लिए सबसे अच्छी औषधि

सभी शुद्ध शक्तिवर्धक जड़ी बूटी और पाउडर खरीदने के लिए log on करें https://indianjadibooti.com

जले हुवे ज़ख़मों का बेहतरीन इलाज



ख़ून, कान बहने को रोकता है, पुरानी से पुरानी छपाकी 2 ख़ुराक से कंट्रोल होजाती है 


ज़खम सेज गया हो तो लगाने और खाने से ज़ख़्म व सूजन ठीक होती है 
( नुस्खा )


हडताल वरक़ी 1 तोला 
गंधक आँवलासार 5तोला 
तेल सरसों 500ग्राम""""

उपयोग :-

हडताल और गंधक को पहले शुध करलैं उसके बाद बारीक पीस कर लोहे की कड़ाही में तेल डाल कर हडताल और गंधक मिला कर धीमी आँच पर पकायें और चलाते रहें 
तेल सुर्ख और गाढा होता जायगा 
जब गंधक और हडताल वरक़ी तेल में घुल जायं तो आँच बंद कर दें 
ठंडा होने पर संभाल कर रखें 
और इसतेमाल में लें। 


सर्वोत्तम गुणवत्ता की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी, मसाले और पूजा सामग्री IndianJadiBooti.com पर उपलब्ध है. हमारे पास सभी जड़ी बूटी और मसाले केवल छानकर और शुद्ध करके ही बेचे जाते है, IndianJadiBooti का नाम, शुध्दता और उच्चतम गुणवत्ता की पहचान https://indianjadibooti.com


IndianJadiBooti के सभी Products  (Ayurvedic herbs, Pooja Items, Dry Fruits, Spices वेबसाइट के साथ भारत के सभी प्रमुख Online Portals पर उपलब्ध हैं


Sunday 30 December 2018

सेक्स रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद नुस्खा

सभी शुद्ध शक्तिवर्धक जड़ी बूटी और पाउडर खरीदने के लिए log on करें https://indianjadibooti.com

नुस्खा पेश ख़िदमत है

(१)सालब मिसरी एक नम्बर की ८तोला 
(२)मस्तगी रूमी असली ७तोला 
(३)सालब पंजा एक नंबर ७तोला 
(४)ताल मखाना मूक़शशर ७तोला 
(५)असगंध नागोरी ओरिजनल ७तोला 
(६)उटंगन साफ किया हुवा ३तोला 
(७)सतावर अव्वल दरजे का ३तोला 
(८)समंदर सोख मूक़शशर ३तोला 
(९)काहू शुध व साफ किया हुवा ३तोला 
नुस्खा पूरण हुवा 
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
तरक़ीब। 
तमाम दवाऔं को बारीक सफूफ करके रखैँ और एक गिलास दूध के साथ एक चम्मच सुबह ख़ाली पेट और एक चम्मच रात को सोते समय 
बिना नागा 40 दिन इस्तेमाल करें ,  आपकी मर्दाना कमजोरी की परेशानी ख़त्म 
दवाई इसतेमाल के दौरान ब्रहमचारये का पालन करें,  भोजन ऐसा लें जिस से कब्ज़ ना हो 

सर्वोत्तम गुणवत्ता की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी, मसाले और पूजा सामग्री IndianJadiBooti.com पर उपलब्ध है. हमारे पास सभी जड़ी बूटी और मसाले केवल छानकर और शुद्ध करके ही बेचे जाते है, IndianJadiBooti का नाम, शुध्दता और उच्चतम गुणवत्ता की पहचान https://indianjadibooti.com


IndianJadiBooti के सभी Products  (Ayurvedic herbs, Pooja Items, Dry Fruits, Spices वेबसाइट के साथ भारत के सभी प्रमुख Online Portals पर उपलब्ध हैं








ऋतुनुकूल रोग निवारक औषधियां

सभी शुद्ध शक्तिवर्धक जड़ी बूटी और पाउडर खरीदने के लिए log on करें https://indianjadibooti.com

ऋतुनुकूल रोग निवारक औषधियां


यज्ञ करने में उपयुक्त सामग्री एवं औषधियां
यज्ञ सामग्री व औषधियां
मलेरिया नाशक :-
अतीस, जायफल, चिरायते के फूल, 4 भाग, पांडरी, शाल पर्णी, ब्राहमी, मकोय, गुलाब के फूल और कांकोली, लौंग, मुलहटी, हाउबेर, कपूर, सुगंध काकिला, सहोड़ा की छाल, अकरकरा 1 भाग देशी खाण्ड 8 भाग घृत सुविधानुसार ।
मधुमेह नाशक :-
गूगल 2 भाग, बड़ी हरद, बहेड़ा आंवला, तिल, गिलोय, सफ़ेद चन्दन, बादाम, सुगंध कोकिला, जामुन की गुठली, गुडभार, बेल के पत्ते, गूलर की छाल, शहद 1-1 भाग ।
उपदंश नाशक :-
गूगल, मुंडी, चिरायता, गुला के फल, खस, कमल गट्टा, सिंघाड़ा, लाल सफ़ेद चन्दन, इन्द्रजी, गौरुख, ब्राहमी, गिलोय, मुनक्का, देवदार, शहद 1-1 भाग ।
त्रिफला (हरद, बहेड़ा, आंवला) 3 भाग तथा समिधायें-नीम, आम ढ़ाक, पीपल देवदार की मिलाकर ।
चेचक नाशक :-
हल्दी नीम की निमोली, बहेड़ा क :-मेहंदी, चिरायता, मुलैठी, खूबकलां, सफ़ेद सरसों, हरमल, देशी खाण्ड, शहद एवं गो घृत ।
दमा नाशक :-
गूगल, गिलोय, विसौटा 2-2 भाग त्रिफला, अगर, तगर, जटामांसी, मुलहटी, मुनक्का, 1-1 भाग कपूर आधा भाग देशी खाण्ड 2-2 भाग ।
क्षय रोग नाशक:-
ब्राहमी, इंद्रायण की जड़, शालपर्णी, मकोय, गुलाब के फूल, तगर रास्ना, अगर क्षीरकाकोली, जटमांसी, पांडरी, गौरुख, चिरोंजी, हरद बड़ी, आंवला जीवन्ती पनतवा, नरेन्द्र वागड़ी, चिड़ का बुरादा, खूबकला, जौ, तिल, चावल, बड़ी इलाचयी, सुन्गंधबाला सब समान बाग़ में । शतावरी, अडूसा, जायफल, बादाम, चन्दन सफ़ेद, मुनक्का, किशमिश, लौंग ये सब आधा भाग । गिलोय और गूले 4 भाग । केसर, मधु कपूर चौथाई भाग । शक्कर देशी 10 भाग ।
इसी प्रकार भिन्न-भिन्न- ऋतुओं के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार की हवन सामग्री प्रयोग की जाती है ।
वर्षा ऋतु में :-
काला अगर, पिला अगर, जौ चिड़, धूप, सरसों, तगर, देवदारु, गुग्गल, राग, जायफल, मुंडी, गोला, निर्मली, कस्तूरी मखाने, तेजपत्र, कपूर, वन कूचर, जटामांसी, छोटी इलायची, वच, गिलोय, तुलसी के बीज, वायविडंग, कमल, शहद, सफ़ेद चन्दन, नाग केशर, ब्राह्मी, चिरायता

Thursday 20 December 2018

क्या आप हथेली की जलन से पीड़ित हैं

सभी शुद्ध शक्तिवर्धक जड़ी बूटी और पाउडर खरीदने के लिए log on करें https://indianjadibooti.com

हथेली की जलन में तुरंत राहत देते है यह घरेलु उपचार




अक्सर कई लोगो को हाथो और पैरो में जलन होती हैं, वैसे तो ये समस्या गर्मियों में अधिक होती हैं, मगर कई बार कुछ बीमारियो के कारण ये सर्दियों में भी होती हैं।
वातावरण में उष्णता बढ़ने से शरीर में अनेक प्रकार के रोग निर्माण होते हैं। जैसे- आँखों में जलन होना, हाथ-पैर के तलुओं में जलन होना, पेशाब में जलन होकर पेशाब लाल रंग की होती है। अधिक प्यास लगना, वमन (उल्टी) होना, बार-बार शौच होना, लू लगने की तकलीफ होना।

रोग निवारण हेतु कुछ घरेलु उपचार
तुकमरिया को भीगोकर पैर के तलुओं में बाँधें।

हाथ-पैर के तलुओं(Talve) में यदि जलन होती हो तो लौकी को कद्दूकस करके उसकी पट्टी बाँधने से अथवा रस चुपड़ने से खूब ठंडक मिलती है।

दो गिलास गर्म पानी में, एक चम्मच सरसों का तेल मिलाकर दोनों पैर इस पानी में रखें और पांच मिनट बाद धोएं। इससे पैर साफ हो जाएंगे, जलन दूर हो जाएगी।*

राइ या सरसों या अरण्ड या अलसी का तेल मालिश के लिए सबसे अच्छा होता है. इससे सिकाई करना भी लाभकारी है, ये जलन के साथ साथ दर्द निवारक भी है. इसके लिए आप आधी बाल्टी गुनगुने पानी में 3-4 चम्मच तेल डालें और 5 min तक इसमें पैरों को डालें रहें. अब फूट फिलर से पैर घिसें जिससे पैर की सारी गन्दगी निकल जाये. अब ठन्डे पानी से पैर धो लें. ऐसा करने से दर्द भी कम होगा.

लौकी या घीया को काटकर इसका गूदा पैर के तलवों पर मलने से जलन दूर होती है।

पैरों में जलन होने पर करेले के पत्तों के रस की मालिश करने से लाभ होता है।

करेले के पत्ते पीस कर लेप करने से भी लाभ होता है।

गर्मी के दिनों में जिन लोगों के पैरों में निरंतर जलन होती है उन्हे पैरों में मेहंदी लगाने से लाभ होता है।
मेहँदी काफी ठंडक देती है, ये सब हम सभी जानते है, इसे हाथों में लगाना हर औरत, लड़की को पसंद होता है. लेकिन ये एक घरेलु उपचार भी है जो हाथ पैर की जलन ख़त्म करती है. मेहँदी पाउडर को निम्बू का रस व सिरके के साथ मिलाकर पेस्ट बना लें, अब इसे पैर के तलवों पर कुछ देर लगायें फिर धो लें. इसी तरह आप इसे हाथ में भी लगा सकते है. कुछ दिन तक करने से जलन ख़त्म हो जाएगी, साथ ही पैरों का दर्द भी गायब हो जायेगा.

हाथ-पैरों (Talve)में जलन आम की बौर रगडऩे से मिट जाती है।
तलवों, हाथ पैरों में जलन हो तो घी मलने से मिट जाती है

सर्वोत्तम गुणवत्ता की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी, मसाले और पूजा सामग्री IndianJadiBooti.com पर उपलब्ध है. हमारे पास सभी जड़ी बूटी और मसाले केवल छानकर और शुद्ध करके ही बेचे जाते है, IndianJadiBooti का नाम, शुध्दता और उच्चतम गुणवत्ता की पहचान https://indianjadibooti.com


IndianJadiBooti के सभी Products  वेबसाइट के साथ भारत के सभी प्रमुख Online Portals पर उपलब्ध हैं




आलू बुखारा (एक ऐसा चमत्कारिक फल जो बहुत से रोगो में है अमृत तुल्य)


 ( आलू बुखारा सूखा (PLUM DRY) सर्वोत्तम क्वालिटी खरीदने के लिए क्लिक करें
https://indianjadibooti.com/Jadistore/

Aaloo-Bhukhara-Dry )

AALOO BUKHARA


आलू बुखारा बहुत ही कम फल ऐसे होते हैं जो खाने में स्वादिष्ट होने के साथ ही साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं और प्लम(आलूबुखारा) उन्हीं में से एक है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट की मात्रा कई सारी बीमारियों जैसे ऑस्टियोपोरोसिस, आंखों के सूखेपन, कैंसर, डायबिटीज, और मोटापे से दूर रखने का काम करते हैं। बॉडी में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कंट्रोल करने के साथ ही कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ और सही इम्यूनिटी सिस्टम को बरकरार रखता है। ब्लड की क्लॉटिंग से बचाता है और इलेक्ट्रोलाइट को बैलेंस करता है, नर्वस सिस्टम को दुरुस्त रखने के साथ ही त्वचा की कई प्रकार के रोगों से सुरक्षा करता है।
आलूबुखारा सबसे कलरफुल और स्वादिष्ट फल होता है। इसे ताजा या सुखाकर खाया जाता है। आलूबुखारा के कई स्वास्थ्य लाभ होते है। सूखे आलूबुखारा को प्रॉन्स के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इनमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व होते है और विटामिन सी, के, ए और ढ़ेर सारा फाइबर भी होता है। आलूबुखारा में एंटी – ऑक्सीडेंट भी होता है, इसमें सुपरऑक्साइड अनियन रेडीकल होता है जिसे ऑक्सीजन रेडीकल के नाम से जाना जाता है, इसकी सहायता से शरीर से वसा घटाने में मदद मिलती है।
पूरी दुनिया में आलूबुखारा की 2000 से ज्यादा किस्में पैदा की जाती है। इसके सेवन से हाई ब्लड़ प्रेशर, स्ट्रोक रिस्क आदि कम हो जाता है, शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ती है। इसके सेवन से पुरूषों का शरीर मजबूत होता है। आलूबुखारा के सेवन से होने वाले स्वास्थ्य लाभ निम्म प्रकार है
आलू बुखारा के फायदे (Benefits of Aloo Bukhara)
आलूबुखारा के सेवन से होने वाले स्वास्थ्य लाभ निम्म प्रकार है :
आलूबुखारा के फायदे –
1. वजन नियंत्रित करें :- आलूबुखारा में फैट की मात्रा कम होने के कारण इसके सेवन से फैट नहीं बढ़ता है और शरीर का वजन नियंत्रित रहता है। वजन कम करने वाले लोगों के लिए यह बहुत फायदेमंद होता है। आलूबुखारे के सेवन ज्याजदा भूख लगने की समस्याव से भी बचा जा सकता है।
2. बालों के लिए फायदेमंद :- आलूबुखारे हमारे बालों को सुंदर बनाने में मदद करता है और साथ ही बालों संबंधित समस्याओं से राहत दिलवाने में मदद करता है।
3. दिल को सुरक्षित रखें :- आलूबुखारा में मौजूद विटामिन ‘के’ दिल दुरुस्त रखता है। इसके सेवन से रक्त में थक्केे नहीं जमते, ब्लेड प्रेशर ठीक रहता है। आलूबुखारा में पौटेशियम भरपूर मात्रा में होता है जिससे हार्ट अटैक आदि पड़ने का खतरा समाप्त हो जाता है। इसके अलावा इसमें भरपूर मात्रा में ओमेगा 3 की मौजूदगी दिल को स्वनस्थस बनाती है।
4. इम्यूसनिटी बढाएं :- आलूबुखारे में मौजूद विटामिन सी इम्यूंनिटी को बढ़ाता है और शरीर को स्वसस्थव रखता है। हाल ही में हुए एक अध्युयन के अनुसार, आलूबुखारा के सेवन से शरीर में मिनरल ज्या्दा मात्रा में शोषित होने के कारण शरीर एनर्जी ज्यादा मिलती है।
5. कैंसर को रोकें :- अध्ययनों से पता चला है की आलूबुखारा एक एंटी-कैंसर एजेंट हैं जो कैंसर और ट्यूमर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है। आलूबुखारा में मौजूद एंटी-ऑक्सीसडेंट और कई अन्यं तरह के पोषक तत्व शरीर में कैंसर कोशिकाओं को एक्टिव नहीं से रोकते हैं। इसके सेवन से फेफड़ों और मुंह का कैंसर नहीं होता है।
6. कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करें :- आलूबुखारा में घुलनशील फाइबर होते है। इसके सेवन से शरीर में कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है। इसके सेवन से आंत दुरूस्तर रहती है। आलूबुखारा शरीर में बाईल की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे मोटापा कम होने के साथ ही कोलेस्ट्रॉ ल को भी कम करने में मदद करता है।
7. हड्डियों के लिए फायदेमंद :- आलूबुखारे का सेवन करने से हमारे शरीर को कई रोगों से तो निजात मिलती ही है और साथ ही शरीर में हड्डियों को भी मजबूत बनाने में मदद करता है।
8. आंखों के लिए लाभकारी :- आलूबुखारा में विटामिन ए और बीटा कैरोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है। विटामिन ‘ए’ आंखों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसिलिए इसका सेवन आंखों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसके सेवन से आंखें तेज होती है और हानिकारक यूवी किरणों से भी बच जाती है।
9. त्वचा को बनाएं स्वस्थ और ग्लोइंग :- आलू बुखारा में एंटीआक्सीडेंट की मौजूदगी के कारण इसके नियमित सेवन से स्किन ग्लो करने लगती है। इसे खाने से याददाश्त भी बेहतर होती है।
10. रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी करता है :- आलू बुखारा में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। जिन लोगों को सर्दी और जुकाम की समस्या ज्यादा रहती है, उन्हें आलू बुखारा का नियमित सेवन करना चाहिए।
https://indianjadibooti.com/Jadistore/Aaloo-Bhukhara
11. डाइजेस्टिव सिस्टम को स्वस्थ बनाता है :- आलू बुखारा में फाइबर उपस्थित होने के कारण इसके नियमित सेवन से डाइजेस्टिव सिस्टम स्वस्थ रहता है।
12. डायबिटीज को नियंत्रित करता है :- यह शरीर के शुगर लेवल को नियंत्रित रखता है। यही कारण है कि इसे डायबिटीज रोगियों के लिए अच्छा माना गया है।
13. शरीर को मिलती है ऊर्जा :- आलू बुखारा के सेवन से शरीर की मिनरल अवशोषित करने की क्षमता बढ़ती है, इसलिए इसे खाने पर ताजगी और ऊर्जा का एहसास होता है।
14. गर्भावस्था में फायदेमंद :- आलूबुखारे का सेवन करना गर्भवती महिलाओं के लिए काफी लाभकारी साबित होता हैं और साथ ही शिशु के लिए फायदेमंद होता हैं और गर्भावस्था में होने वाली समस्याएं जैसे पेट संबंधित ,एसे में आलूबुखारे का सेवन करना फायदेमंद साबित होता है ।

To Buy Premium Aloo Bhukara click on the link mention below https://indianjadibooti.com/Jadistore/Aaloo-Bhukhara-Dry
#aloobhukara #aloo bukhara #health #ayurved #indianjadibooti #herbs #fitness #plum #healthbenefits

 

सर्वोत्तम गुणवत्ता की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी, मसाले और पूजा सामग्री IndianJadiBooti.com पर उपलब्ध है. हमारे पास सभी जड़ी बूटी और मसाले केवल छानकर और शुद्ध करके ही बेचे जाते है, IndianJadiBooti का नाम, शुध्दता और उच्चतम गुणवत्ता की पहचान https://indianjadibooti.com


IndianJadiBooti के सभी Products  वेबसाइट के साथ भारत के सभी प्रमुख Online Portals पर उपलब्ध हैं




Wednesday 19 December 2018

सालमपंजा

सभी शुद्ध शक्तिवर्धक जड़ी बूटी और पाउडर खरीदने के लिए log on करें https://indianjadibooti.com

सालमपंजा

सालमपंजा के फायदे


सालमपंजा

सालमपंजा गुणकारी बलवीर्य वर्धक, पौष्टिक और नपुंसकता नष्ट करने वाली जड़ी -बूटी है | इसका कंद उपयोग में लिया जाता है | यह बल बढ़ाने वाली ,भारी, शीतवीर्य ,वात पित्त का शमन करने वाली, वात नाड़ियो को शक्ति देने वाली ,शुक्रवर्धक व पाचक है |

अधिक दिनों तक समुद्री यात्रा करने वालों को होने वाले रक्त विकार , कफजन्य रोग ,रक्तपित्त आदि रोगों को दूर करती है |

सालमपंजा के घरेलू उपाय :

यौन दुर्बलता :

सौ ग्राम सालमपंजा , 200 ग्राम बादाम की गिरी को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें| 10 ग्राम चूर्ण मीठे दूध के साथ सुबह खाली पेट तथा रात को सोते समय सेवन करने से दुबलापन दूर होता है वह यौन शक्ति में वृद्धि होती है|

शुक्रमेह :

सालमपंजा सफेद मूसली व काली मूसली 100-100 ग्राम बारीक पीस ले| प्रतिदिन आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम मीठे दूध के साथ लेने से शुक्रमेह ,शीघ्रपतन ,स्वप्नदोष आदि रोगों में लाभ होता है |

जीर्ण अतिसार :

सालम पंजा का चूर्ण एक चम्मच दिन में 3 बार छाछ के सेवन करने से पुराना अतिसार की खो जाता है | तथा आमवात व पेचिस में भी लाभ होता है|

प्रदर रोग :

सालमपंजा ,शतावरी, सफेद मुसली को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें| एक चम्मच चूर्ण मीठे दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से पुराना श्वेत रोग और इससे होने वाला कमर दर्द दूर हो जाता है |

वात प्रकोप :

सालमपंजा व पिप्पली को बारीक पीसकर आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम बकरी के मीठे दूध के साथ सेवन करने से व श्वास का प्रकोप शांत होता है |

धातुपुष्टता :

सालम पंजा, विदारीकंद, अश्वगंधा , सफेद मूसली, बड़ा गोखरू, अकरकरा 50 50 ग्राम लेकर बारीक पीस ले| सुबह -शाम एक चम्मच चूर्ण मीठे दूध के साथ लेने से धातु पुष्टि होती है तथा स्वप्नदोष होना बंदों होता है |

प्रसव के बाद दुर्बलता :

सालम पंजा व पीपल को पीसकर आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम मीठे दूध के साथ सेवन करने से प्रसव के बाद प्रस्तुत आपकी शारीरिक दुर्बलता दूर होती है|

सर्वोत्तम गुणवत्ता की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी, मसाले और पूजा सामग्री IndianJadiBooti.com पर उपलब्ध है. हमारे पास सभी जड़ी बूटी और मसाले केवल छानकर और शुद्ध करके ही बेचे जाते है, IndianJadiBooti का नाम, शुध्दता और उच्चतम गुणवत्ता की पहचान https://indianjadibooti.com


IndianJadiBooti के सभी Products  वेबसाइट के साथ भारत के सभी प्रमुख Online Portals पर उपलब्ध हैं





Sunday 2 December 2018

आयुर्वेदिक जड़ी बूटी का यह योग शारीरिक शक्ति बड़ा कर पुनः जीवन शक्ति प्रदान करता है -

सभी शुद्ध शक्तिवर्धक जड़ी बूटी और पाउडर खरीदने के लिए log on करें https://indianjadibooti.com 


यह योग (धात रोगों) के लिए सर्वोत्तम औषधि है , शरीर को ताक़त देता है,  दिल दिमाग़ को ताक़त देता है,  गुर्दो की तकलीफ को दूर करता है और उनको ताक़त देता है, शुक्राणुओं को बढ़ाता है, 
https://indianjadibooti.com


नुस्खा :- गोखरू छोटा 500 ग्राम लेकर बारीक कूट लें और इसको 500 ग्राम  देसी गाय के घी में भून लें फिर गाय का 5 किलो दूध  लेकर इसमे डालें और खोया बना लें और फिर नीचे लिखी हुई दवाएं बारीक पीस कर मिला लें

दवाएं :- बेल गिरी , काली मिर्च , जायेफल , समुन्दर सोख , इलायची छोटी , काफूर भीमसेनी , पत्रज , दारू हल्दी , हल्दी , कोठ , ताल मखाना , अफीम सब दवाये 25 - 25 ग्राम , केसर 5 ग्राम  (चांदी भसम ) हमदर्द कंपनी की सब ऊपर वाली दवा में मिक्स कर दें

खुराक :- 7 ग्राम सुबह ,  7 ग्राम रात को गाये के दूध से लें और चमत्कार देखें

परहेज़ :- खटाई , तली हुई और बादि चीजें तेज़ मिर्च मसाले से परहेज़ करें

सर्वोत्तम गुणवत्ता की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी, मसाले और पूजा सामग्री IndianJadiBooti.com पर उपलब्ध है. हमारे पास सभी जड़ी बूटी और मसाले केवल छानकर और शुद्ध करके ही बेचे जाते है, IndianJadiBooti का नाम, शुध्दता और उच्चतम गुणवत्ता की पहचान https://indianjadibooti.com


IndianJadiBooti के सभी Products  वेबसाइट के साथ भारत के सभी प्रमुख Online Portals पर उपलब्ध हैं





बेल गिरी

सभी शुद्ध शक्तिवर्धक जड़ी बूटी और पाउडर खरीदने के लिए log on करें https://indianjadibooti.com

जब उदर(पेट) विकार की समस्या से लोग ग्रसित हो जाया करते थे तब घर के बड़े बुजुर्ग बेल फल का भूनकर सेवन कराते थे और छाछ पीने की सलाह देते थे ।

https://indianjadibooti.com

दस्त पेंचिस के लिए आयुर्वेद का प्रसिद्ध बिल्वादि चूर्ण में बेल की गिरी का मुख्य घटक के रूप में प्रयोग किया जाता है ।

बेल के गूदे को निकालकर धूप में सुखाकर रख लिया जाता है जिसे बेल गिरी के नाम से जाना जाता हैं ।

पशुओं को जब दस्त लग जाते थे तब बेल गिरी और कत्थे को एक साथ मिलाकर प्रयोग करते हुए आज भी देखा जा सकता है ।

कागजी पका हुआ बेल फल खाने में रुचिकर होता है और पेट के लिए अमृत के समान फायदेमंद होता है ।

सर्वोत्तम गुणवत्ता की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी, मसाले और पूजा सामग्री IndianJadiBooti.com पर उपलब्ध है. हमारे पास सभी जड़ी बूटी और मसाले केवल छानकर और शुद्ध करके ही बेचे जाते है, IndianJadiBooti का नाम, शुध्दता और उच्चतम गुणवत्ता की पहचान https://indianjadibooti.com


IndianJadiBooti के सभी Products  वेबसाइट के साथ भारत के सभी प्रमुख Online Portals पर उपलब्ध हैं

Saturday 1 December 2018

जड़ी बूटी परिचय : अमरबेल , अफ्तीमून , अफ्तीयून

सभी शुद्ध शक्तिवर्धक जड़ी बूटी और पाउडर खरीदने के लिए log on करें https://indianjadibooti.com

 

अमरबेल एक पराश्रयी लता हैं जो अक्सर हमे पेड़ो पर झूलती हुई दिखाई देती हैं.... यह मानव स्वास्थ्य के लिये एक संजीवनी है जो लगभग पूरे भारत वर्ष में पाई जाती है.....अमर बेल को आकाशबल्ली, कसूसे हिन्द, स्वर्ण लता, निर्मुली, अलकजरिया,आलोक लता, रस बेल, आकाश बेल, डोडर, अंधा बेल आदि नामो से जाना जाता है..अमर बेल हमेशा पेड़ पौधों पर चलती है मिट्टी से इसका कोई नाता नही होता इस कारण इसे आकाश बेल भी कहते हैं.।
यह एक प्रकार की लता है जो ठंड के दिनों में बहुत तेज गति से वृद्धि करती है ,वृक्ष पर एक पीले जाल के रूप में लिपटी रहती है.... यह परजीवी पौधा है जिसमें पत्तियों का पूर्णत: अभाव होता है ,यह जिस पेड़ पर डाल दे वहाँ पनप जाती है और धीरे धीरे उस पेड़ को सूखा तक देती है...।
कई बार यह फसलों को भी चपेट में ले लेती हैं,यह केवल ज्वार, मक्का,बाजरा,धान, गेंहू पर यह नही पनपती...।।

#औषधीय_गुण
अमर बेल का आर्युवेद जगत में विशेष स्थान है
अमरवेल का काढ़ा घाव धोने के लिए #टिंक्चर की तरह काम करता है....वहीँ यह घाव को पकने भी नहीं देता है.....बरसात में पैर के उंगलियों के बीच घाव या गारिया होने पर अमरबेल पौधे का रस दिन में 5-6 बार लगाया जाए तो आराम मिल जाता है..... #आम के पेड़ पर लगी अमरबेल को पानी में उबाल कर स्नान किया जाए तो बाल मजबूत और पुन: उगने लगते है......वहीँ अमरबेल को कूटकर उसे तिल के तेल में 20 मिनट तक उबालते हैं और इस तेल को कम बाल या गंजे सर में लगाने से काफी लाभ मिलता है....।  सफेद दाग मे आप इसका रस 20 ml सुबह ओर 20 ml शाम को ले, 3 महीनो में फर्क देखेंगे

अमरबेल को #लक्ष्मी का प्रतीक भी मानते है ...हर शुभ कार्य में इसकी पूजा की जाती है...।

#निवेदन- हमेशा ध्यान रखे कि अमरबेल को तोड़कर किसी फलदार छावदार पेड़ पर ना डाले... यदि आप इसकी वृद्धि चाहते हैं तो अनचाही झाड़ियों पर उपजा सकते हैं..।

Friday 30 November 2018

जड़ी बूटी परिचय : छड़ीला, पत्थरफूल

सभी शुद्ध शक्तिवर्धक जड़ी बूटी और पाउडर खरीदने के लिए log on करें https://indianjadibooti.com

छड़ीला 

पत्थरफुल को आप सभी जानते होंगे...पत्थरफूल एक प्रकार फूल हैं या कुछ और यह तो आपको पोस्ट पढ़कर ही पता चलेगा......भारतीय व्यंजनों में सूखे मसाले के रूप में पत्थरफुल का उपयोग हजारो वर्षो से होता आया हैं,इसमें एक अद्वितीय मिट्टी की सुगंध और स्वाद है...जिस वजह से ये विभिन्न भारतीय मसालो जे मिश्रणों में शामिल है ...।



यह वनस्पति पहाड़ी जमीन के पत्थरों पर पैदा होती हैं..ऐसा लगता हैं मानो यह पत्थर से ही अपना आहार लेती हो..पत्थरफुल हिमालय ओर नीलगिरी के पहाड़ो पर पाया जाताहैं...यह पत्थरो के अलावा पेड़ो के तने व दीवारों पर भी हो जाता हैं....इसकी हरी काय संचित होकर जब सूखकर उतरती हैं तब इसके ऊपर का पृष्ठ काला व नीचे का सफेद होता हैं,जो अधिक सफेद होती हैं वह अच्छी समझी जाती हैं,,इसके अनेक जातियाँ पाई जाती हैं.. इसका स्वाद फीका तिक्त-कसाय होता हैं...।

पत्थरफुल को छरीला, दगडफुल,कल्पासी,शैलज,भूरीछरीला,छडीलो, स्टोन फ्लावर आदि नामों से जाना जाता हैं,ओर भी क्षेत्रीय नाम हो सकते है..इसका वानस्पतिक नाम Parmotrema perlatum हैं...।।

औषधीय प्रयोग में नया व सुगन्धयुक्त पत्थरफुल उपयोग में लेना चाहिए....।
पेशाब रुकने पर पत्थरफुल 10 ग्राम को मिश्री के साथ फांक लेने से लाभ मिलता हैं,साथ ही गर्म पानी के साथ बांधने से भी लाभ होता हैं.... वही शिरशूल में इसको पीसकर सिर पर लेप लगाने से लाभ मिलता हैं....।
पत्थरफुल का उपयोग रक्त विकारों को दूर करता हैं...।

सर्वोत्तम गुणवत्ता की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी, मसाले और पूजा सामग्री IndianJadiBooti.com पर उपलब्ध है. हमारे पास सभी जड़ी बूटी और मसाले केवल छानकर और शुद्ध करके ही बेचे जाते है, IndianJadiBooti का नाम, शुध्दता और उच्चतम गुणवत्ता की पहचान https://indianjadibooti.com


IndianJadiBooti के सभी Products  वेबसाइट के साथ भारत के सभी प्रमुख Online Portals पर उपलब्ध हैं


Wednesday 28 November 2018

करंजवा

सभी शुद्ध शक्तिवर्धक जड़ी बूटी और पाउडर खरीदने के लिए log on करें https://indianjadibooti.com

करंजवा 

लता करन्ज (Caesalpinia Crista) को कट करंज, लता करंज, लात करंज,लता करंज, कंटकी, करंज, कोंटेकी, करंजा, कुवेरक्षी, विटप करंज आदि अनेक क्षेत्रीय नामों से जाना जाता हैं....।



औषधीय_गुण
इस पौधे की पत्तियां,फूल, फल, जड़, छाल सहित पौधे के सभी अंग औषधीय गुणों से युक्त हैं... इस पौधे के विभिन्न भागों का उपयोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों जैसे - अंडकोषवृद्धी, अंडकोष में पानी भर जाना, या शरीर के किसी भी भाग में पानी भर जाना, आधे सिर का दर्द, गंजापन, मिर्गी, आँखो के रोग, दांतों के रोग, खांसी, मंदाग्नि(पाचन शक्ति का कमजोर होना) यकृत (लीवर) रोग, पेट के कीड़े, गुल्म रोग, वात शूल, बवासीर, मधुमेह, वमन (उल्टी), वीर्य विकार, सुजाक रोग, वातज शूल, पथरी, भगन्दर, चर्म रोग, कुष्ठ रोग, घाव, चेचक रोग, पायरिया, रतिजन्य रोग, आदि रोगों के इलाज के लिए इसका उपयोग वर्षो से होता रहा हैं...।

 इस बीज को सागरगोटी भी कहा जाता है, उपरोक्त जितने रोगो का वर्णन किया उतने रोगो के लिए राम बाण औषधी है अनुपान भी साधारण है इन बीजो को भून ले उपरी कठोर आवरण अलग निकाल कर सफेद भाग को बारीक पीस कर चूर्ण बनाले उसमे थोडा सौंठ का चूर्ण एवं थोडा नमक मिलाऐ और आधा चम्मच से एक चम्मच सुबह खाली पेट ले ।

सर्वोत्तम गुणवत्ता की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी, मसाले और पूजा सामग्री IndianJadiBooti.com पर उपलब्ध है. हमारे पास सभी जड़ी बूटी और मसाले केवल छानकर और शुद्ध करके ही बेचे जाते है, IndianJadiBooti का नाम, शुध्दता और उच्चतम गुणवत्ता की पहचान https://indianjadibooti.com


IndianJadiBooti के सभी Products  वेबसाइट के साथ भारत के सभी प्रमुख Online Portals पर उपलब्ध हैं





Tuesday 27 November 2018

सिंघाड़ा - SINGHARA - WATER CHESTNUT

सभी शुद्ध शक्तिवर्धक जड़ी बूटी और पाउडर खरीदने के लिए log on करें https://indianjadibooti.com 

सिंघाड़ा को सीगोड़ा, सिंघाण, शृंगाटक या पानीफल भी कहा जाता है I यह पानी में पसरने वाली एक लता में पैदा होने वाला एक तिकोने आकार का फल है...... इसके सिर पर सींगों की तरह दो काँटे होते हैं...... इसको छील कर इसके गूदे को सुखाकर पीसकर आटा भी बनाया जाता है जो उपवास में फलाहार के रूप में काम आता है.....सिंघाड़ा भारतवर्ष के प्रत्येक प्रांत में तालों और जलाशयों में रोपकर लगाया जाता है.....इसकी जड़ें पानी के भीतर दूर तक फैलती है.... इसके लिये पानी के भीतर कीचड़ का होना आवश्यक है, कँकरीली या बलुई जमीन में यह नहीं फैल सकता...... अबीर बनाने में भी यह आटा काम में आता है........



औषधीय उपयोग
एनीमिया, ब्रोंकाईटिस, लेप्रोसी जैसे रोगों में यह फल किसी रामबाण से कम नहीं है .....इसमें पाया जाने वाला मैग्नीज और आयोडीन, थाइरोइड ग्रंथि को स्वस्थ रखते है.....सिंघाड़े के आटे के सेवन से खांसी से सम्बंधित समस्या में आराम मिलता है, वही अस्थमा रोगियो के लिए सिंघाड़े का आटा वरदान से कम नहीं है......अस्थमा के रोगीयों को 1 चम्मच सिंघाड़े के आटे को ठंडे पानी में मिलाकर नियमित सेवन करने से काफी लाभ मिलता है........
खून में उपस्थित गंदगी और विषैले पदार्थो को दूर करने के लिए भी सिंघाड़ा एक बेहतर औषधि है ......सिंघाड़े के आटा को नीबू के रस के साथ मिला ले और इसे एक्जीमा (खुजली) वाली जगह पर लगाने से काफी आराम मिलता है...
अपने औषधीय गुणों के कारण यह फल खसरा जैसे रोग के लिए भी अत्यंत लाभकारी होता है .....सिघाड़े का सेवन बालो को काला और मजबूत बनाता है ...।

सावधानी.….अगर कब्ज की परेशानी हो तो सिंघाड़े को न खाए ....सिंघाड़े को खाने के बाद तुरंत पानी ना पियें .....सिंघाड़े के अत्याधिक सेवन से पेट दर्द हो सकता है |




सर्वोत्तम गुणवत्ता की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी, मसाले और पूजा सामग्री IndianJadiBooti.com पर उपलब्ध है. हमारे पास सभी जड़ी बूटी और मसाले केवल छानकर और शुद्ध करके ही बेचे जाते है, IndianJadiBooti का नाम, शुध्दता और उच्चतम गुणवत्ता की पहचान https://indianjadibooti.com

IndianJadiBooti के सभी Products  वेबसाइट के साथ भारत के सभी प्रमुख Online Portals पर उपलब्ध हैं

 

 


 

Friday 23 November 2018

safed daag

सभी शुद्ध शक्तिवर्धक जड़ी बूटी और पाउडर खरीदने के लिए log on करें https://indianjadibooti.com

विभिन्न औषधियों से सफेद दाग क उपचार-
1. कालीमिर्च: थोड़ी सी
पिसी हुई कालीमिर्च को सिरके में मिलाकर
त्वचा पर लगाने से सफेद दाग मिट जाते हैं।
2. सेंधानमक: 1 चुटकी सेंधानमक और 6 ग्राम
बावची को मिलाकर पानी के साथ खाने से सफेद
दाग दूर हो जाते हैं।
3. लहसुन:
हरड़ को घिसकर लहसुन के रस में मिलाकर लेप
करने से सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।
लहसुन को खाने से भी सफेद दाग
ठीक हो जाते हैं।
सफेद दाग के रोग में लहसुन जरूर खाने चाहिये।
लहसुन के रस को निकालकर लगाने से सफेद दाग
जल्दी ठीक हो जाते हैं।
लहसुन का रस त्वचा के सफेद दागों पर लगाने से
लाभ होता है।
4. केला : केले के पत्ते को जलाकर बिल्कुल राख बना लें। अब इसमें
थोड़ा सा मुर्दा शंख को पीसकर मिला लें। दोनो कों
तिल्ली के तेल में मिलाकर लगाने से सफेद दाग
ठीक हो जाते हैं।
5. चूना : 1 चम्मच चूना और 5 ग्राम हरताल को एक साथ
पीसकर नींबू के रस में मिलाकर लगभग 2
महीने तक सफेद दागों पर लगाने से लाभ होता है।
6. अंजीर :
अंजीर के कच्चे फलों से दूध निकालकर
सफेद दागों पर लगातार 4 महीने तक
लगाने से सफेद दाग मिट जाते हैं।
अंजीर को घिसकर नींबू के
रस में मिलाकर सफेद दाग पर लगाने से लाभ होता है।
अंजीर के पत्तों का रस श्वेत कुष्ठ
(सफेद दाग) पर सुबह और शाम लगाने से लाभ होता
है।
7. उड़द :
काले उड़द को पीसकर सफेद दागों पर
दिन में 3-4 बार लगाने से सफेद दागों का रंग वापस
शरीर के बाकी रंग
की तरह होने लगता है।
उड़द को पानी में भिगोकर और
पीसकर सफेद दागों पर लगातार 4
महीने तक लेप करने से सफेद दाग मिट
जाते हैं।
8. तुलसी :
तुलसी के पौधे की जड़ और
तने को साफ करके छोटे-छोटे टुकड़े कर लें। फिर इसे
आधा किलो शुद्ध तिल के तेल में डालकर आग पर
अच्छी तरह से पका लें और छानकर
एक शीशी में भर लें। इस
तेल को दिन में 3-4 बार रूई के फाये से लगाने से
सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।
1 तुलसी का ताजा हरा पौधा जड़ के साथ
लेकर धोकर साफ कर लें। फिर इसे
पीसकर आधा किलो पानी
और 500 मिलीलीटर तेल में
मिलाकर हल्की-हल्की
आग पर पकाने के लिये रख दें। जब पकते हुयें
पानी जल जाये और बस तेल
बाकी रह जाये तो इसे निकालकर छान लें।
यह तुलसी का तेल बन गया। इस तेल
को सफेद दागों पर लगाने से लाभ होता है।
काली तुलसी के रस में
थोड़ी सी गोलमिर्च मिलाकर
रोजाना 2 बार सेवन करने से सफेद दाग में लाभ मिलता
है।
9. नीम :
नीम के तेल में चालमोंगरे का तेल बराबर
मात्रा में मिलाकर शीशी में
भरकर रख लें। इस तेल को सफेद दागों पर लगाने
और 5 से 6 बूंदे बताशे में डालकर खाने से सफेद दाग
में लाभ मिलता है।
नीम की पत्तियों और फूलों
को पानी के साथ पीसकर
सफेद दागों पर लगाने से लाभ होता है।
5 नीम के ताजे कोमल पत्ते और 10
ग्राम हरे आंवला को पीसकर 50
मिलीलीटर पानी
में मिलाकर और छानकर पीने से सफेद
दाग ठीक हो जाते हैं।
10. हल्दी :
10-10 ग्राम हल्दी,
शीतलचीनी,
सोना गेरू, बावची और नीम
की छाल को लेकर सुखाकर
पीस लें। इसमें से 10 ग्राम चूर्ण को
शीशे के बर्तन में कम से कम 6 घंटे
तक भिगोकर रखें। फिर इसे छानकर इसमें 2 चम्मच
शहद मिलाकर पी जायें। इसके अन्दर
बाकी बची हुई
गाढ़ी चीजों का लेप बनाकर
सफेद दागों पर लगाएं। यह क्रिया कम से कम 2
महीने तक करें।
5-5 ग्राम दोनों हल्दी, केले का खार
(रस), मूली के बीज,
हरताल, देवदारू और शंख का चूर्ण बराबर मात्रा में
लेकर नागरबेल के पत्तों के रस या नीम
के तेल में मिलाकर लेप करने से सफेद दागों के रोग में
लाभ होता है।
10-10 ग्राम हल्दी, हरताल, आक
की जड़, गंधक और कुटकी
को एक साथ पीसकर गाय के पेशाब में
मिलाकर 1 सप्ताह तक लेप करने से सफेद दाग
ठीक हो जाते हैं।
11. हरताल : 10 ग्राम हरताल, 20 ग्राम गंधक, 10 ग्राम मैनसिल,
10 ग्राम नीला थोथा, 10 ग्राम मुर्दाशंख, 10 ग्राम सिंदूर,
10 ग्राम सुहागा और 10 ग्राम पाराभस्म को एक साथ
पीसकर आधे कप नींबू के रस में मिलाकर
लगातार 2 महीने तक सफेद दागों पर लगाने से लाभ होता
है।
12. नारियल : 10 ग्राम नारियल के तेल में 1 ग्राम नौसादर को डालकर
अच्छी तरह से मिलाकर लेप बना लें। रात को सोते समय
इस लेप को लगाने से सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।
13. काली जीरी: 3-ग्राम
काली जीरी को
पीसकर 25-ग्राम शक्कर के साथ खाने से सफेद दाग
जल्दी ही ठीक हो जाते हैं।
14. खादिरसार : 20-20 ग्राम खादिरसार (कत्था) और आंवला को लेकर
400 मिलीलीटर पानी में
उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में 5 ग्राम बावची का चूर्ण
मिलाकर खाने से श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) ठीक हो जाता
है।
15. अंकोल: श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) में अंकोल का तेल लगाने से
बहुत लाभ होता है।
16.अनार :
अनार के पत्तों को छाया में सुखाकर बारीक
पीस लें और कपड़े में छान लें। इस
चूर्ण की 8-8 ग्राम की
मात्रा में सुबह और शाम ताजे पानी से
फंकी लेने से सफेद दाग दूर हो जाते हैं।
अनार का सेवन सफेद दागों के रोग में बहुत
ही लाभदायक है। अनार के पत्तों के रस
को शहद के साथ सेवन करने से भी
सफेद दागों में लाभ होता है।
17. कूट : कूट , चकबड़, सेंधानमक, बायबिडंग और सरसों के दानों को
बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसमें थोड़ा सा
तिल्ली का तेल मिलाकर त्वचा पर लगाने से सफेद दाग
ठीक हो जाते हैं।
18. पीपल : 20-20 ग्राम बायविडंग, त्रिफला चूर्ण और
पीपल को पीसकर
शीशी में भर लें। इसमें से 2 चम्मच चूर्ण
गाय या भैंस के घी में मिलाकर रोजाना सेवन करने से सफेद
दागों के रोग में लाभ होता है।
19. कुटकी : मंजीठ, त्रिफला,
कुटकी, बच, दारूहल्दी, नीम
की छाल और गिलोय को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर
40 दिनों तक सेवन करने से सफेद दाग का रोग ठीक हो
जाता है।
20. आलूचा: रोजाना आलूचा खाने से सफेद दाग ठीक हो
जाते हैं।
21. काजू : रोजाना काजू खाने से श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) का रोग कुछ
ही समय में समाप्त हो जाता है।
22. कठमूर : कठूमर के फलों को सुखाकर चूर्ण बनाकर रोजाना 2 बार
सेवन करने से सफेद दाग दूर हो जाते हैं।
23. अखरोट : रोजाना अखरोट खाने से श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) का रोग
नहीं होता है और स्मरण शक्ति (याददाश्त)
भी तेज हो जाती है।
24. काले चने : मुट्ठी भर काले चने और 10 ग्राम
त्रिफला के चूर्ण (हरड़, बहेड़ा, आंवला) को 125
मिलीलीटर पानी में भिगो दें। कम
से कम 12 घंटों के बाद इन चनों को मोटे कपड़े में बांधकर रख दें और
बचे हुए पानी कपडे़ की पोटली
के ऊपर डाल दें। फिर 24 घंटे के बाद पोटली को खोल दें।
अब तक इन चनों में से अंकुर निकल आयेंगे। यदि किसी
मौसम में अंकुर न भी निकले तो चनों को ऐसे
ही खा लें। इस तरह से अंकुरित चनों को चबा-चबाकर
लगातार 6 हफ्तों तक खाने से सफेद दाग दूर हो जाते हैं।
25. अदरक : 30 मिलीलीटर अदरक का रस
और 15 ग्राम बावची को एक साथ मिलाकर और भिगोकर
रख दें। जब अदरक का रस और बावची दोनों सूख जाये तो
इन दोनों के बराबर लगभग 45 ग्राम चीनी को
मिलाकर पीस लें। अब इसकी 1 चम्मच
फंकी को ठंड़े पानी से रोजाना 1 बार खाना खाने
के 1 घंटे के बाद लेने से सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।
26. छाछ : सफेद दागों के रोग में रोजाना 2 बार छाछ पीने से
बहुत ही लाभ मिलता है।
27. बथुआ :
बथुए की सब्जी खाने से
सफेद दाग में लाभ होता है। इसका रस निकालकर
सफेद दागों पर लगाने से सफेद दाग कुछ समय में
ठीक हो जाते हैं।
सफेद दाग के रोग में बथुआ उबालकर निचोड़कर
इसका रस पीये, और सब्जी
साग बना कर खायें। बथुऐं के उबले हुए
पानी से त्वचा को धोयें। बथुए के कच्चे
पत्ते पीसकर निचोड़कर रस निकालें। इस
2 कप रस में आधा कप तिल का तेल मिलाकर
हल्की आग पर गर्म करें। जब रस
खत्म होकर तेल बाकी रह जायें तब इसे
छानकर किसी साफ
शीशी में सुरक्षित रख लें।
इस तेल को त्वचा पर रोजाना लम्बे समय तक लगाने
से दाद, खुजली, फोड़ा, कुष्ट और त्वचा
रोग भी ठीक हो जाते हैं।
28. चमेली :
चमेंली की नई पत्तियां,
इन्द्र जौ, सफेद कनेर की जड़, करंज
के फल और दारूहल्दी की
छाल का लेप कुष्ठनाशक (कोढ़ को दूर करने वाला)
होता है।
चमेंली की जड़ का काढ़ा
सेवन करने से कुष्ठ (कोढ) रोग में लाभ मिलता है।
29. मालकांगनी : मालकांगनी और
बावची के तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर एक
शीशी में रख लें। इस तेल को सफेद दागों पर
सुबह-शाम नियमित रूप से लगाने से लाभ मिलता है।
30. रिजका: लगभग 100-ग्राम रिजका और 100-
मिलीलीटर ककड़ी के रस को
एक साथ मिलाकर रोजाना सुबह और शाम कुछ महीनों तक
पीने से त्वचा के रोग और सफेद दाग ठीक हो
जाते हैं।
31. गिलोय: सफेद दाग के रोग में 10-से 20
मिलीलीटर गिलोय के रस को रोजाना 2-3 बार
कुछ महीनों तक रोगी को देने से सफेद दाग के
रोग में आराम आता है।
32. कुटज : कुटज के बीजों को गाय के पेशाब में
पीसकर दागों पर रोजाना लगाने से सफेद दाग का रोग
ठीक हो जाता है।
33. मूली :
10 ग्राम मूली के बीजों को
20 ग्राम खट्टे दही में डालकर रख दें।
4 घंटे के बाद इन बीजों को
पीसकर लेप करने से श्वेत कुष्ठ
(सफेद दाग) के व्रण जख्म समाप्त हो जाते हैं।
मूली के बीज,
पीली सरसों के दाने,
दारूहल्दी, चकबड़ के बीज,
गोंद, त्रिकुटा, बायबिडंग और कूट को बराबर मात्रा में
एकसाथ पीसकर गाय के पेशाब में मिला
लें। फिर इसे 2 महीने तक दिन में 3-4
बार लेप करने से सफेद दाग का रोग ठीक
हो जाता है।
34. अनारदाना:
10 ग्राम लाल चंदन और 10 ग्राम अनारदाना को
पीसकर सहदेवी के रस में
मिलाकर गोलियां बना लें। इन गोलियों को पानी
में घिसकर लेप करने से सफेद दागों में बहुत लाभ
मिलता है।
35. प्याज:
प्याज के बीजों का लेप करने से सफेद
दागों में लाभ मिलता हैं।
प्याज के रस में शहद और सेंधानमक मिलाकर रोजाना
2 बार लगाने से सफेद दाग ठीक हो जाते
हैं।
36. बावची :
20-20 ग्राम चालमोगरा, बावची और
चंदन के तेल को लेकर एक
शीशी में डालकर रख दें।
इस तेल को दिन में 3 बार लगाने से श्वेत कुष्ठ
(सफेद दाग) ठीक हो जाता है।
3 ग्राम बावची का चूर्ण और 3 ग्राम
तिल को पीसकर रोजाना सुबह और शाम
खाने से सफेद दाग कुछ ही दिन में
ठीक हो जाता है।
250 ग्राम बावची के बीजों
को पीसकर पानी में मिलाकर
किसी मिट्टी की
हांड़ी या छोटे घड़े में लेप कर दें। फिर उस
हांड़ी या घड़े में दही जमा
लें। इस दही का घी
निकालकर खाने से श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) में आराम
आता है।
100 ग्राम बावची को
पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 2
ग्राम सुबह और शाम पानी के साथ सेवन
करने पर श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) में लाभ होता है।
बावची और शुद्ध गंधक को बराबर मात्रा
में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। रोजाना
सुबह इस 10 ग्राम चूर्ण को 50 ग्राम
पानी में डाल लें। शाम को इसे थोड़ा सा
मसलकर और छानकर रोगी को पिलाने से
सफेद दाग का रोग कुछ ही समय में दूर
हो जाता है।
बावची के बीज और तिल को
बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना
लें। इस चूर्ण को 1 चम्मच ठंड़े पानी से
रोजाना सुबह-शाम 1 वर्ष तक लगातार सेवन करने से
सफेद दाग के रोग में पूरा लाभ मिलता है।
बावची का तेल सफेद दागों पर लगाना
लाभकारी रहता है। बावची
का तेल लगाने से किसी-
किसी रोगी के
शरीर पर कभी-
कभी फफोले और घाव भी
हो जाता है। इसलिये रोगी को यह तेल
सावधानी से लगाना चाहियें। अगर तेल
लगाते समय जरा सा भी दर्द होता है तो
बावची का तेल नहीं लगाना
चाहिये। शुरूआत में इस तेल को शरीर में
एक जगह के दाग पर 4 दिन तक लगाकर देंखें।
अगर इस तेल को दाग पर लगाने से कोई
परेशानी नहीं
होती तो पूरे शरीर पर जहां
पर भी सफेद दाग हो वहां पर ये तेल लगा
लें। अगर सफेद दाग निकलना शुरू ही
हुआ हो तो इस तेल का प्रयोग करने से सिर्फ 5
महीनो के अन्दर ही ये रोग
ठीक हो जाता है।
प्राकृतिक उपचार-
सफेद दाग के रोग में सुबह-सुबह उठकर सैर करना
चाहिए।
सफेद दाग में एनिमा लेना लाभदायक रहता है।
सफेद दाग वाले स्थान पर 2 मिनट तक गर्म सिंकाई
करें और 3 मिनट तक ठंड़ी सिकाई करें।
धूप का स्नान सफेद दाग के रोग में काफी
लाभदायक रहता है।