Thursday 21 November 2019

बंसलोचन के फायदे

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वंशलोचन(Bambusa vulgaris, Tabasheer) एक प्राकृतिक कैल्शियम है जो कि बांस के पेड़ से प्राप्त होता है। आयुर्वेद की दृष्टि से इसका उपयोग कई प्रकार की दवाईयां बनाने में किया जाता है। वंशलोचन बांस के पेड़ में पाया जाता है। ये बांसों की गांठों में जम जाता है और बांस को काटकर इसके अंदर से निकाला जाता है।
 
कमजोर हड्डियों और मांसपेशियों के दर्द के लिए ये अत्यंत लाभकारी है। अक्सर रात में पैरों में दर्द की समस्या भी इससे दूर हो जाती है। इसके लिए एक चम्मच वंशलोचन का चूर्ण लेकर उसे आधा ग्लास दूध के साथ पीने से आराम मिलता है।

 विभिन्न रोगों मे सहायक :
1. दमा : 20-20 ग्राम वंशलोचन और पीपल को पीसकर 2 ग्राम की मात्रा में शहद में मिलाकर सुबह-शाम देने से दमा का रोग दूर हो जाता है।
2. दांत निकलना: दांत निकलते समय बच्चे को वंशलोचन और शहद मिलाकर चटाने से दांत सुन्दर निकलते हैं और दांतों का दर्द भी खत्म हो जाता है।
·         वंशलोचन एक ऐसा द्रव्य है जो अनेक योगों में प्रयुक्त होता है। बहुत सी प्रसिद्ध औषधियां इसके योग से बनती हैं। खांसी और सांस के रोग में इससे ज्यादा लाभ उठाया जा सकता है। खांसी अगर सूखी हो तो आधा ग्राम वंशलोचन शहद के साथ मिलाकर चाटने से दूर हो जाती है। सांस के रोग में भी वंशलोचन बहुत लाभकारी होता है। आधे ग्राम तक वंशलोचन के चूर्ण में 1 चुटकी पीपल का चूर्ण मिलाकर शहद के साथ देने से पूरा लाभ मिलता है।
·         1 से ढाई ग्राम वंशलोचन के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर खाने से सूखी खांसी ठीक हो जाती है।
4. गर्भ कीरक्षा : आधा ग्राम वंशलोचन पानी या दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से गर्भपात नहीं होगा और गर्भशक्तिशाली बनता है। इससे गर्भवती स्त्री और बच्चे का स्वास्थ्य ठीक रहता है।
·         मुंह के छाले में वंशलोचन के साथ शहद मिलाकर लगाने से मुंह के छालों में आराम रहता है।
·         हल्दी वंशलोचन को एक साथ पीसकर मुंह के छाले पर लगाने से छाले ठीक हो जाते हैं।
·         50 ग्राम वंशलोचन को पीसकर 50 ग्राम चीनी में मिलाकर इसे 5-5 ग्राम कच्चे दूध और पानी से सुबह-शाम सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ होता है।
·         50-50 ग्राम की मात्रा में वंशलोचन, नागकेसर, छोटी इलायची को लेकर पीस लें। इसमें 100 ग्राम की मात्रा में मिश्री मिला लें। इसमें से 1-1 चम्मच सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ होता है।
·         1.5 ग्राम वंशलोचन को शहद के साथ मिलाकर रोगी को चटाकर खिलाने से यकृत (जिगर) वृद्धि में बहुत लाभ होता है।
·         120 मिलीग्राम की मात्रा में असली वंशलोचन बच्चे को सुबह-शाम दूध या शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता हैं।
·         120-120 मिलीग्राम वंशालोचन, पपीता और चिरायता का चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से यकृत वृद्धि में बहुत फायदा होता है।
·         30 ग्राम वंशलोचन और 3 ग्राम छोटी इलायची को पीसकर 1-1 ग्राम सुबह-शाम घी और चीनी में मिलाकर लेने से वीर्य के रोग दूर होते हैं।
·         60 ग्राम वंशलोचन को पीस लें। इसमें 40 ग्राम चीनी मिला लें। इसे 5-5 ग्राम सुबह-शाम दूध से लेते रहने से वीर्य रोग में लाभ होता है।
9. हाथ-पैरोंकी जलन : 1 ग्राम वंशलोचन को शहद के साथ सुबह-शाम चाटने से हाथ-पैरों की जलन शान्त हो जाती है।
10. बालरोग : 120 मिलीग्राम पिसा हुआ वंशलोचन शहद में मिलाकर सुबह रोगी को चटाने से खांसी ठीक हो जाती है।


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