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खजूर
खजूर
पकी हुई खजूर मधुर, पौष्टिक, वीर्यवर्धक, पचने में भारी
होती है। यह वातयुक्त पित्त के विकारों में लाभदायक है। खारिक के गुणधर्म खजूर
जैसे ही हैं।
आधुनिक मतानुसार 100 ग्राम खजूर में 10.6 मि.ग्रा. लौह
तत्त्व, 600 यूनिट कैरोटीन, 800 यूनिट कैलोरी के अलावा विटामिन बी-1, फास्फोरस एवं
कैल्शियम भी पाया जाता है।
मात्राः एक दिन में 5 से 10 खजूर ही खानी चाहिए।
सावधानीः खजूर पचने में भारी और अधिक खाने पर गर्म पड़ती
है। अतः उसका उपयोग दूध-घी अथवा मक्खन के साथ करना चाहिए।
पित्त के रोगियों को खजूर घी में सेंककर खानी चाहिए। शरीर
में अधिक गर्मी होने पर वैद्य की सलाह के अनुसार ही खजूर खावें।
औषधि प्रयोगः
अरुचिः अदरक, मिर्च एवं सेंधा नमक आदि डालकर बनायी गयी
खजूर की चटनी खाने से भूख खुलकर लगती है। पाचन ठीक से होता है और भोजन के बाद होने
वाली गैस की तकलीफ भी दूर होती है।
कृशताः गुठली निकाली हुई 4-5 खजूर को मक्खन, घी या दूध
के साथ रोज लेने से कृशता दूर होती है, शरीर में शक्ति आती है और शरीर की गर्मी
दूर होती है। बच्चों को खजूर न खिलाकर खजूर को पानी में पीसकर तरल करके दिन में
2-3 बार देने से वे हृष्ट-पुष्ट होते हैं।
रक्ताल्पता (पांडू)- घी युक्त दूध के साथ रोज
योग्य मात्रा में खजूर का उपयोग करने से खून की कमी दूर होती है।
शराब का नशाः ज्यादा शराब पिये हुए
व्यक्ति को पानी में भिगोयी हुई खजूर मसलकर पिलानी चाहिए।
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