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इन्द्रायण के फायदे
इन्द्रायण : यह कफ पित्तनाशक है और यह पीलिया ,पेट के रोग, श्वास (दमा) ,खांसी ,सफ़ेद दाग, गैस , गांठ , प्रमेह , गले मे गिल्टी का हो जाना तथा विष को नष्ट करता है
इन्द्रायण का उपयोग: इन्द्रायण के बीजो का तेल नारियल के तेल मे मिलाकर लगाने से बाल काले हो जाते है
मूत्रकच्छ : 10 से 20 ग्राम लाल इन्द्रायण की जड़ ,हल्दी ,हरड़ की छाल, बहेड़ा , और आवला को 160 ml पानी मे उबालकर इसका चौथाई हिस्सा बाकि रह जाने पर काढ़ा बनाकर उसे शहद के साथ सुबह शाम सेवन करने से मूत्रकच्छ का रोग समाप्त हो जाता है
मासिक -धरम की रूकावट : 3 ग्राम इन्द्रायण के बीज और पांच दाने कालीमिर्च को एक साथ पीसकर 200 ml पानी मे उबालकर काढ़ा बना ले इस काढ़े को छानकर रोगी को पिलाने से रुका हुआ मासिक धरम दुबारा शुरू हो जाता है
घुटनो का दर्द : इन्द्रायण जड़ और पीपल के चूर्ण को बराबर मात्रा मे लेकर गुड़ मे मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा मे रोज़ाना सेवन करने से संधिगत वायु दूर होती है
शरीर मे सूजन होने पर इन्द्रायण की जड़ को सिरके मे पीसकर लेप की तरह शरीर पर लगाने से सूजन दूर हो जाती है
https://indianjadibooti.com/Jadistore/
इन्द्रायण के फायदे
इन्द्रायण : यह कफ पित्तनाशक है और यह पीलिया ,पेट के रोग, श्वास (दमा) ,खांसी ,सफ़ेद दाग, गैस , गांठ , प्रमेह , गले मे गिल्टी का हो जाना तथा विष को नष्ट करता है
इन्द्रायण का उपयोग: इन्द्रायण के बीजो का तेल नारियल के तेल मे मिलाकर लगाने से बाल काले हो जाते है
मूत्रकच्छ : 10 से 20 ग्राम लाल इन्द्रायण की जड़ ,हल्दी ,हरड़ की छाल, बहेड़ा , और आवला को 160 ml पानी मे उबालकर इसका चौथाई हिस्सा बाकि रह जाने पर काढ़ा बनाकर उसे शहद के साथ सुबह शाम सेवन करने से मूत्रकच्छ का रोग समाप्त हो जाता है
मासिक -धरम की रूकावट : 3 ग्राम इन्द्रायण के बीज और पांच दाने कालीमिर्च को एक साथ पीसकर 200 ml पानी मे उबालकर काढ़ा बना ले इस काढ़े को छानकर रोगी को पिलाने से रुका हुआ मासिक धरम दुबारा शुरू हो जाता है
घुटनो का दर्द : इन्द्रायण जड़ और पीपल के चूर्ण को बराबर मात्रा मे लेकर गुड़ मे मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा मे रोज़ाना सेवन करने से संधिगत वायु दूर होती है
शरीर मे सूजन होने पर इन्द्रायण की जड़ को सिरके मे पीसकर लेप की तरह शरीर पर लगाने से सूजन दूर हो जाती है
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