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पीपल की जड़(पीपरा मूल ) उत्तेजक ,पाचक ,पित्तकारक , वात, उदर रोग ,प्लीहा रोग , गुल्म ,कृमि ( कीड़े ) , श्वास (दमा), तथा टी बी के रोगो का नाश करता है
विभिन्न रोगो मे उपचार
मूर्छा (बेहोशी ) : पीपरामूल और सर्पगंधा को महीन पीसकर चूर्ण बना ले इस चूर्ण को १ से २ ग्राम सौंफ के रस के साथ सुबह शाम रोगी को खिलाने से बेहोशी दूर हो जाती है
हिरदय रोग : २५ ग्राम पिपरा मूल ,२५ ग्राम छोटी इलायची को कूट पीसकर चूर्ण बना ले इस चूर्ण को ३ ग्राम प्रतिदिन घी के साथ सेवन करने से कब्ज की समस्या से उत्पन हिरदय रोगो मे लाभ होता है
हिरदय की दुर्बलता : आधा ग्राम पीपली चूर्ण का सेवन शहद के साथ करने से हिरदय की दुर्बलता मिटती है और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है
खस के १० ग्राम चूर्ण मे पीपलामूल का १० ग्राम चूर्ण मिलाकर प्रतिदिन २ ग्राम मात्रा मे गाय के २ ग्राम दूध के साथ सेवन करने से हिरदय के दर्द मे लाभ होता है
गले के रोग : १० ग्राम पीपरामूल ,१० ग्राम अमलवेत, १० ग्राम सोंठ , १० ग्राम काली मिर्च , १० ग्राम छोटी पीपल ,१० ग्राम तेजपत्ता , १० ग्राम समय का दाना ,१० ग्राम इलायची दाना , १० ग्राम तालीसपत्र ,१० ग्राम दालचीनी , १० ग्राम सफ़ेद जीरा , १० ग्राम चित्रक की जड़ की छाल को बारीक़ पीसकर चूर्ण बना ले इस चूर्ण मे कम से कम एक साल पुराना गुड़ मिलाकर रख दे यह चूर्ण सुबहा शाम ४ ग्राम की मात्रा मे
गाय के दूध के साथ खाने से बिगड़ा हुआ जुकाम , खांसी और स्वरभेद (गला बैठ जाना) ठीक हो जाता है
https://indianjadibooti.com/Jadistore/
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मूर्छा (बेहोशी ) : पीपरामूल और सर्पगंधा को महीन पीसकर चूर्ण बना ले इस चूर्ण को १ से २ ग्राम सौंफ के रस के साथ सुबह शाम रोगी को खिलाने से बेहोशी दूर हो जाती है
हिरदय रोग : २५ ग्राम पिपरा मूल ,२५ ग्राम छोटी इलायची को कूट पीसकर चूर्ण बना ले इस चूर्ण को ३ ग्राम प्रतिदिन घी के साथ सेवन करने से कब्ज की समस्या से उत्पन हिरदय रोगो मे लाभ होता है
हिरदय की दुर्बलता : आधा ग्राम पीपली चूर्ण का सेवन शहद के साथ करने से हिरदय की दुर्बलता मिटती है और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है
खस के १० ग्राम चूर्ण मे पीपलामूल का १० ग्राम चूर्ण मिलाकर प्रतिदिन २ ग्राम मात्रा मे गाय के २ ग्राम दूध के साथ सेवन करने से हिरदय के दर्द मे लाभ होता है
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