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छड़ीला
पत्थरफुल को आप सभी जानते होंगे...पत्थरफूल एक प्रकार फूल हैं या कुछ और यह तो आपको पोस्ट पढ़कर ही पता चलेगा......भारतीय व्यंजनों में सूखे मसाले के रूप में पत्थरफुल का उपयोग हजारो वर्षो से होता आया हैं,इसमें एक अद्वितीय मिट्टी की सुगंध और स्वाद है...जिस वजह से ये विभिन्न भारतीय मसालो जे मिश्रणों में शामिल है ...।
यह वनस्पति पहाड़ी जमीन के पत्थरों पर पैदा होती हैं..ऐसा लगता हैं मानो यह पत्थर से ही अपना आहार लेती हो..पत्थरफुल हिमालय ओर नीलगिरी के पहाड़ो पर पाया जाताहैं...यह पत्थरो के अलावा पेड़ो के तने व दीवारों पर भी हो जाता हैं....इसकी हरी काय संचित होकर जब सूखकर उतरती हैं तब इसके ऊपर का पृष्ठ काला व नीचे का सफेद होता हैं,जो अधिक सफेद होती हैं वह अच्छी समझी जाती हैं,,इसके अनेक जातियाँ पाई जाती हैं.. इसका स्वाद फीका तिक्त-कसाय होता हैं...।
पत्थरफुल को छरीला, दगडफुल,कल्पासी,शैलज,भूरीछरीला,छडीलो, स्टोन फ्लावर आदि नामों से जाना जाता हैं,ओर भी क्षेत्रीय नाम हो सकते है..इसका वानस्पतिक नाम Parmotrema perlatum हैं...।।
औषधीय प्रयोग में नया व सुगन्धयुक्त पत्थरफुल उपयोग में लेना चाहिए....।
पेशाब रुकने पर पत्थरफुल 10 ग्राम को मिश्री के साथ फांक लेने से लाभ मिलता हैं,साथ ही गर्म पानी के साथ बांधने से भी लाभ होता हैं.... वही शिरशूल में इसको पीसकर सिर पर लेप लगाने से लाभ मिलता हैं....।
पत्थरफुल का उपयोग रक्त विकारों को दूर करता हैं...।
छड़ीला
पत्थरफुल को आप सभी जानते होंगे...पत्थरफूल एक प्रकार फूल हैं या कुछ और यह तो आपको पोस्ट पढ़कर ही पता चलेगा......भारतीय व्यंजनों में सूखे मसाले के रूप में पत्थरफुल का उपयोग हजारो वर्षो से होता आया हैं,इसमें एक अद्वितीय मिट्टी की सुगंध और स्वाद है...जिस वजह से ये विभिन्न भारतीय मसालो जे मिश्रणों में शामिल है ...।
यह वनस्पति पहाड़ी जमीन के पत्थरों पर पैदा होती हैं..ऐसा लगता हैं मानो यह पत्थर से ही अपना आहार लेती हो..पत्थरफुल हिमालय ओर नीलगिरी के पहाड़ो पर पाया जाताहैं...यह पत्थरो के अलावा पेड़ो के तने व दीवारों पर भी हो जाता हैं....इसकी हरी काय संचित होकर जब सूखकर उतरती हैं तब इसके ऊपर का पृष्ठ काला व नीचे का सफेद होता हैं,जो अधिक सफेद होती हैं वह अच्छी समझी जाती हैं,,इसके अनेक जातियाँ पाई जाती हैं.. इसका स्वाद फीका तिक्त-कसाय होता हैं...।
पत्थरफुल को छरीला, दगडफुल,कल्पासी,शैलज,भूरीछरीला,छडीलो, स्टोन फ्लावर आदि नामों से जाना जाता हैं,ओर भी क्षेत्रीय नाम हो सकते है..इसका वानस्पतिक नाम Parmotrema perlatum हैं...।।
औषधीय प्रयोग में नया व सुगन्धयुक्त पत्थरफुल उपयोग में लेना चाहिए....।
पेशाब रुकने पर पत्थरफुल 10 ग्राम को मिश्री के साथ फांक लेने से लाभ मिलता हैं,साथ ही गर्म पानी के साथ बांधने से भी लाभ होता हैं.... वही शिरशूल में इसको पीसकर सिर पर लेप लगाने से लाभ मिलता हैं....।
पत्थरफुल का उपयोग रक्त विकारों को दूर करता हैं...।
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