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दिल की कमजोरी के कारण :
हृदय की निर्बलता यानी कमजोरी के एक नहीं, कई कारण हैं।
1) प्रदूषित वायु, प्रदूषित जल, मिलावट युक्त भोज्य पदार्थ।
2) मानसिक तनाव, अत्यधिक शारीरिक श्रम और संतुलित एंव पौष्टिक भोजन का अभाव।
3) संक्रामक रोग, रक्त की अत्यधिक कमी, क्षय रोग एवं मधुमेह रोग की वजह से शारीरिक कमजोरी।
4) अधिक शराब और सिगरेट क सेवन। खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा का अभाव और शरीर में खून की कमी। आइये जाने हृदय की कमजोरी के लक्षण के बारे में | आइये जाने heart kamjori ke lakshan क्या है |
1) प्रदूषित वायु, प्रदूषित जल, मिलावट युक्त भोज्य पदार्थ।
2) मानसिक तनाव, अत्यधिक शारीरिक श्रम और संतुलित एंव पौष्टिक भोजन का अभाव।
3) संक्रामक रोग, रक्त की अत्यधिक कमी, क्षय रोग एवं मधुमेह रोग की वजह से शारीरिक कमजोरी।
4) अधिक शराब और सिगरेट क सेवन। खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा का अभाव और शरीर में खून की कमी। आइये जाने हृदय की कमजोरी के लक्षण के बारे में | आइये जाने heart kamjori ke lakshan क्या है |
दिल की कमजोरी के लक्षण :
1) हृदय कमजोर होने पर हृदय जोर-जोर से धड़कने लगता है। श्वास का प्रकोप बढ़ जाता है।
2) किसी भी कार्य को करने का मन नहीं करता है।
3) भोजन के प्रति अरुचि रहने लगती है।
आइये जाने दिल की कमजोरी का घरेलू इलाज ,
2) किसी भी कार्य को करने का मन नहीं करता है।
3) भोजन के प्रति अरुचि रहने लगती है।
आइये जाने दिल की कमजोरी का घरेलू इलाज ,
दिल की कमजोरी का घरेलू उपचार :
1) कुदरती इलाज शहतूत गर्मियों का फल है। हृदय को इससे शक्ति प्राप्त होती है- शहतूत पके फल का शर्बत बनाकर कुछ दिन तक नियमित रुप से पीने से हृदय की कमजोरी दूर हो जाती है।
2) गिलोय एवं काली मिर्च दोनों को समान भाग लेकर कूट-पीसकर कपड़-छन कर के-प्रतिदिन 3-3 ग्राम चूर्ण गरम जल से देने से हृदय की दुर्बलता ठीक हो जाती है।
3) आंवला सूखा तथा मिश्री 50-50 ग्राम लेकर बारीक कूट-पीसकर छानकर रखलें। फिर इसे 6 ग्राम नित्य पानी के साथ सेवन करने से हृदय सम्बन्धी समस्त रोग दूर हो जाते है।
4) रेहा के बीज 10 ग्राम लें और रात्रि में मिट्टी के बर्तन में आधा किलो पानी में भिगों दें। बर्तन को रात भर बाहर खुले वातावरण (हवा) में रहने दें। प्रात:काल इसे मलकर व छानकर तथा थोड़ी सी मिश्री मिलाकर रोगी को सेवन करायें। मात्र एक सप्ताह के सेवन से ही हृदयकंप , हृदय की दुर्बलत सहित अन्य सभी हृदय सम्बन्धी रोग दूर हो जाते है।
5) आँवले के मुरब्बे का भी सेवन लाभप्रद है।
6) नित्यप्रति एक चम्मच शुद्ध शहद प्रयोग करने से हृदय सबल एवं सशक्त हो जाता है। एक चम्मच मधु से 200 कैलोरी शक्ति प्राप्त हो जाती है।
7) अगर का चूर्ण शहद के साथ चाटने से भी हृदय की दुर्बलता दूर हो जाती है तथा हृदय शक्तिवान हो जाता है।
8) गुड़ तथा घी मिलाकर खाने से भी हृदय की शक्ति बढ़ जाती है।
9) अर्जुन वृक्ष की छाल दूध में औटाकर पीने से हृदय रोग दूर हो जाते है।
10)
एक ग्रेन (एक चावल भर) पीपलामूल का चूर्ण शहद के साथ चटाने से बालकों का हृदय रोग ठीक हो जाता है।
11)
6 ग्राम मैंथी के काढ़े में शहद मिला कर पीने से हृदय रोग मिट जाते हैं।
12) अर्जुन की छाल 10 ग्राम, गुड़ 10 ग्राम तथा दूध 500 ग्राम लें। पहले अर्जुन की छाल का कूट पीसकर कपड़छन करके चूर्ण बनालें फिर इस चूर्ण को दूध में डालकर पकायें, पीने योग्य होने पर पुनः छान लें तथा गुड़ मिलाकर रोगी को पिला दें। अद्भुत गुणकारी है। इसके प्रयोग से हृदय की शिथिलता (कमजोरी) दूर हो जाती है तथा यदि हृदय में शोथ (सूजन) हो वह भी दूर होकर हृदय जन्य अन्य बीमारियाँ भी दूर भाग जाती हैं।
13) अलसी के पत्ते और सूखे धनिये का क्वाथ बनाकर पीने से हृदय की दुर्बलता मिट जाती है।
14) अलसी के सूखे फूल पीसकर शहद के साथ खाने से दिल की कमजोरी मिट जाती है।
15) नागरबेल के पान का शर्बत पीने से दिल की शक्ति बढ़ती है।
16) हारसिंगार के सफेद फूलों की डण्डी अलग करके फूलों से दुगुनी पिसी हुई शक्कर मिलाकर शीशी में भरकर धूप में रख दें। 40 दिन बाद इस गुलकन्द को दो तोले रोज सुबह खाने से गर्मी की धड़कन मिटकर ह्रदय शक्तिशाली बनता है।
17) सेब का मुरब्बा प्रतिदिन सेवन करने से ह्रदय शक्तिशाली बनता है।
18) चार रत्ती जदवार को शिकज्जवीन के साथ प्रतिदिन लेने से दिल की दुर्बलता मिट जाती है।
19) हृदय की कमजोरी दूर करने के लिए 25 ग्राम शहतूत का शरबत दिन में दो बार पीना हितकर है।
20) सेब का मुरब्बा प्रतिदिन सेवन करने से हृदय की दुर्बलता दूर होती है।
21)
4 रत्ती जदवार शिकंजबीन के साथ प्रतिदिन लेने से दिल की दुर्बलता मिट जाती है।
22) अदरक का चूर्ण शहद मिलाकर खाने से हृदय की शक्ति बढ़ती है।
23) सेवती का अर्क तथा गुलकन्द का सेवन भी लाभप्रद है। गाजर का मुरब्बा भी लाभदायक है।
24)
रात्रि में गाजर को भूनकर छील लें तथा खुले में रख दें। प्रात:काल इसमें शक्कर और गुलाबजल मिलाकर खाने से हृदय की धड़कन में लाभ होगा।
25) नागफनी और थूहर के पंचांग की राख का सेवन करने अथवा दोनों के रस को मिलाकर पीने से (सामान्य मात्रा में) हृदय की धड़कन सामान्य हो जाती है।
26)
पीपल के कोमल पत्तों में दो कोपलों का रस 6 ग्राम से 10 ग्राम तक निकाल लें। इसमें शहद मिलाकर पीने से पीड़ा मिट जाती है तथा हृदय ताकतवर बनता है।
27) 2
ग्राम कुटकी और 3 ग्राम मुलेठी को पीसकर मिश्री के साथ शर्बत बनाकर पीने से हृदय गति सामान्य होती व कमजोरी दूर होती है।
28) सेब का मुरब्बा 50 ग्राम सुबह के वक्त सेवन करें। दिल की कमजोरी, दिल का बैठना ठीक करता है। इसे 15 दिन तक खायें।
29) हृदय रोग के कारण सर्वांग सूजन हो गई हो तो पुनर्नवा के मूल का 10 ग्राम चूर्ण और अर्जुन के छाल का 1 ग्राम चूर्ण 200 मि.ली. पानी में काढ़ा बनाकर सुबह शाम पियें।
30) इलायची के दाने, पीपलामूल और परवल के पत्ते समान भाग में लेकर, चूर्ण बनाकर उसमें 5 ग्राम शुद्ध घी डालें। इसे चाटने से हृदय के रोग और वेदना मिट जाती है।
31) गर्मी के दिनों में कुछ लोगों को घबराहट और बेचैनी महसूस होती है। उस दौरान दिल की धड़कन तेज हो जाती है। ऐसे में गुलाब के पुष्पों को प्रात:काल धोकर, चबाकर खाने से आराम मिलता है।
32) असगन्ध तथा बहेड़ा के चूर्ण को गुड में मिलाकर गोलियां बनायें । प्रात: सायं दो-दो गोली गरम पानी के साथ खाने से हृदय की पीड़ा से छुटकारा मिल जाता है।
33) पारस पीपली की छाल के मध्यभाग को पानी में घिसकर छाती पर लगाने से हृदय की पीड़ा (दर्द) दूर होती है।
34) 10
ग्राम अर्जुन की छाल, 10 ग्राम गुड और 50 ग्राम दूध लें । अर्जुन की छाल के चूर्ण को दूध में डालकर पकाएं तथा गुड मिलाकर पियें । इससे हृदय के समस्त रोग-विकार दूर हो जाते है।
35) 6
ग्राम दाना मैथी लेकर उसका क्वाथ बना लें, इसमें शहद मिलाकर सेवन करने से हृदय की पीड़ा, जलन और घबराहट दूर होती है।
36) गेहूं का सत और अर्जुन की छाल का चूर्ण समान भाग लेकर भून लें । इस चूर्ण कातीन गुना शहद डालें । इसकी 6 ग्राम से 10 ग्राम तक की मात्रा प्रतिदिन सेवन करने से सभी प्रकार के हृदय-रोग दूर होते हैं, घबराहट दूर होती है ।
37) बंशलोचन तथा गावजवा के फूल और छोटी इलायची के बीज सबको समान भार में लेकर पीस लें । 3 ग्राम औषधि को सेब के मुरब्बे के साथ सेवन करने से घबराहट,जलन व कमजोरी दूर होती है।
38)
पीपल के कोमल पत्तों का दो कोपलों का रस 6 ग्राम से 10 ग्राम तक निकाल लें । इसमें शहद मिलाकर पीने से पीड़ा मिट जाती है तथा हृदय ताकतवर बनता है ।
39)
2 ग्राम कुटकी और 3 ग्राम मुलहठी को पीस कर मिश्री के साथ शर्बत बनाकर पीने से हृदय-गति सामान्य होकर कमजोरी दूर होती है।
40) अनार हृदय रोग के लिए बहुत ही गुणकारी फल है। अनार का रस एक गिलास नियमित रुप से पीने से हृदय की दुर्बलता (कमजोरी) दूर होकर उसको बल मिलता है।
41) दूध और छुहारे का मेल हृदय और शरीर को शक्ति प्रदान करता है-दूध में दो छुहारे उबालें। छुहारे खा लें और ऊपर से दूध पीलें। इससे शारीरिक शक्ति में वृद्धि होकर हृदय की कमजोरी दूर होती है। इस औषधि का कुछ दिन तक नियमित रुप से सेवन करने से लाभ होता है।
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