Friday, 1 June 2018

नहीं बनेगी पत्थरी (स्टोन) अगर खाएंगे कुल्थी


नहीं बनेगी पत्थरी (स्टोन) अगर खाएंगे कुल्थी।

कई लोगो को अक्सर ही (पत्थरी) स्टोन की समस्या आम ही रहती हैं। बार बार ऑपरेशन करवाने के बाद भी उनको ये समस्या दोबारा हो जाती हैं। ऐसा इसलिए होता हैं क्युकी उनका शरीर भोजन द्वारा ग्रहण किये हुए कैल्शियम को पचा नहीं पाता। और किडनी भी शरीर की गंदगी की सफाई करते समय इसको साफ़ करने में असक्षम हो जाती हैं और यही से ये हमारे मूत्राशय को भी प्रभावित करती हैं।

कुल्थी – प्राकृतिक पत्थरी नाशक।
गुर्दे से जुड़ी कई समस्याएं हैं, मसलन गुर्दे में दर्द, मूत्र में जलन या मूत्र का अधिक या कम आना आदि।
इन्हीं समस्याओं में से एक समस्या, जिसके पीडि़तों की संख्या लगातार बढ़ रही है, वह है किडनी में पथरी।
आयुर्वेद व घरेलू चिकित्सा में किडनी की पथरी में कुलथी को फायदेमंद माना गया है। गुणों की दृष्टि से कुल्थी पथरी एवं शर्करानाशक है। वात एवं कफ का शमन करती है और शरीर में उसका संचय रोकती है। कुल्थी में पथरी का भेदन तथा मूत्रल दोनों गुण होने से यह पथरी बनने की प्रवृत्ति और पुनरावृत्ति रोकती है। इसके अतिरिक्त यह यकृत व पलीहा के दोष में लाभदायक है। मोटापा भी दूर होता है।
250 ग्राम कुल्थी कंकड़-पत्थर निकाल कर साफ कर लें। रात में तीन लिटर पानी में भिगो दें। सवेरे भीगी हुई कुल्थी उसी पानी सहित धीमी आग पर चार घंटे पकाएं।
जब एक लिटर पानी रह जाए (जो काले चनों के सूप की तरह होता है) तब नीचे उतार लें। फिर तीस ग्राम से पचास ग्राम (पाचन शक्ति के अनुसार) देशी घी का उसमें छोंक लगाएं। छोंक में थोड़ा-सा सेंधा नमक, काली मिर्च, जीरा, हल्दी डाल सकते हैं। पथरीनाशक औषधि तैयार है।
आप दिन में कम-से-कम एक बार दोपहर के भोजन के स्थान पर यह सारा सूप पी जाएं। 250 ग्राम पानी अवश्य पिएं।
एक-दो सप्ताह में गुर्दे तथा मूत्राशय की पथरी गल कर बिना ऑपरेशन के बाहर आ जाती है, लगातार सेवन करते रहना राहत देता है।
यदि भोजन के बिना कोई व्यक्ति रह न सके तो सूप के साथ एकाध रोटी लेने में कोई हानि नहीं है।

Best Quality Kulthi Dal

गुर्दे में सूजन की स्थिति में जितना पानी पी सकें, पीने से दस दिन में गुर्दे का प्रदाह ठीक होता है।
यह कमर-दर्द की भी रामबाण दवा है। कुल्थी की दाल साधारण दालों की तरह पका कर रोटी के साथ प्रतिदिन खाने से भी पथरी पेशाब के रास्ते टुकड़े-टुकड़े होकर निकल जाती है। यह दाल मज्जा (हड्डियों के अंदर की चिकनाई) बढ़ाने वाली है।
कुल्थी का पानी भी लाभदायक
कुल्थी का पानी विधिवत लेने से गुर्दे और मूत्रशय की पथरी निकल जाती है और नयी पथरी बनना भी रुक जाता है। किसी साफ सूखे, मुलायम कपड़े से कुल्थी के दानों को साफ कर लें। किसी पॉलीथिन की थैली में डाल कर किसी टिन में या कांच के मर्तबान में सुरक्षित रख लें।
कुल्थी का पानी बनाने की विधि:
किसी कांच के गिलास में 250 ग्राम पानी में 20 ग्राम कुल्थी डाल कर ढक कर रात भर भीगने दें। प्रात: इस पानी को अच्छी तरह मिला कर खाली पेट पी लें। फिर उतना ही नया पानी उसी कुल्थी के गिलास में और डाल दें, जिसे दोपहर में पी लें। दोपहर में कुल्थी का पानी पीने के बाद पुन: उतना ही नया पानी शाम को पीने के लिए डाल दें।

 https://indianjadibooti.com/Jadistore/Kulthi

15 दिन में रुका किसी का डायलिसिस तो किसी का हुआ क्रिएटिनिन नार्मल किसी का टला ट्रांसप्लांट
इस प्रकार रात में भिगोई गई कुल्थी का पानी अगले दिन तीन बार सुबह, दोपहर, शाम पीने के बाद उन कुल्थी के दानों को फेंक दें और अगले दिन यही प्रक्रिया अपनाएं। महीने भर इस तरह पानी पीने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी धीरे-धीरे गल कर निकल जाती है।
इसके साथ ये सहायक उपचार भी करे।

कुल्थी का कुछ समय तक नियमित सेवन करने से पथरी टूट-टूट कर बाहर निकल जाती है। यह मूत्रमार्ग में पथरी, मूत्र में क्रिस्टल आना, मूत्र में जलन आदि में दी जाती है।https://indianjadibooti.com

No comments:

Post a Comment