Friday 29 June 2018

बुखार कैसा भी हो इन आसान घरेलु उपायों से हो जायेगा छूमंतर



 अदरक को कूटकर देसी घी में भूनकर 3-४ बार खाने से सर्दी, जुखाम, बुखार  ठीक हो जाता है. 


 सर्दी जुखाम बुखार होने पर लहसुन को आग पर भूनकर खाना गुणकारी होता है. 


मुँह में जल भर करके नहाने से कभी जुखाम नही होता है.

 हल्दी का मोटा मोटा चूर्ण १० ग्राम और अजवाईन १० ग्राम दोनों को मिलकर २ कप पानी में डालकर आग में उबाल ले. इसे सोते समय पिए. २-३ दिन पीन से सर्दी, जुखाम, बुखार ठीक हो जाता है.. इसे पीने के बाद पसीना आता है.


                        (गुणों की खान हैं अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी, गोखरू, कौंच के बीज आदि:-
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 ११ पत्ते तुलसी, २ काली मिर्च, १ छूटी सोंठ का चरण और एक चुटकी पिसा हुआ सेंधा नमक. इनको २ कप पानी में डालकर उबाल ले, जब पानी आधा कप बच जाये तब उत्तर कर चयन ले. इसे रात को सोने से पहले, बिना गर्म किये हे, पी ले. चाहे तो सुबह भी पी सकते है. गर्मी मे सर्दी लग जाने पर हुए जुखाम में बहुत असर दर है. 


 राई के तेल को प्याज या लहसुन के साथ मिलकर थोड़ा गरम कर ले इसे पैरो के तलवो में २ मिनट मालिश से, कानो में सहन कर सहन कर सके तो थोड़ा नाक में डालने से सर का भारीपन ख़त्म होता है सर्दी जुखाम Sardi Bukhar Jukham एक दम ठीक हो जायेगा.


 जिन्हे बार बार सर्दी-जुखाम Sardi Bukhar Jukham होता हो, जुखाम बना रहता हो, नाक बंद रहती हो उन्हें जुखाम शुरू होने के २ दिन पहले ये नुस्खा प्रयोग करना छाए. ४ पिण्ड खौर गुठली हटकर १ ग्राम भर दूध में डाला ले, ४ काली मिर्च और एक बड़ी इलायची कूट कर डेल और आग पर पकाये. पूरी तरह से उबाल जाने पर उत्तर ले १ चम्मच सुध घी डाल ले. पिण्ड खजूर चबा चबाकर कर खाए और घुट घुट कर दूध पिए और मुँह साफ़ करके सो जाये वार्ना भाई शाहब या बहन जी दांत में कीड़े लग जायेगे फिर दांत दर्द की परेशानी शुरू, ४-५ दिन तक या जरुरत की हिसाब तक उपयोग करे ये नुखा ..ये इलाज आपकी मर्दाना शक्ति भी बढएगा.

(गुणों की खान हैं अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी, गोखरू, कौंच के बीज आदि:-

 

तीन दिन तक रात को दस खजूर दूध में उबाल कर चबाकर खाए और दूध भी साथ पी जाये. सर्दी जुखाम में बहुत पुराण देसी इलाज है.

 पाँच मुनक्के धोकर १०० ग्राम पानी में उबाल ले. जब पानी आधा रह जाये तो मुनक्के को चबाते चबाते पानी के पी जाये. इस नुस्खे से आपका जुखाम एक दम भाग जायेगा.

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 भाँग की पति १.५ ग्राम, गुड ३ ग्राम- दोनों को मिलकर गोली बना ले और रोगी को निगला दे. दवा खाने के बाद बिल्कु भी पानी न पिए और चुप चाप सो जाये. एक ही रात्रि में आपका सर्दी जुखाम छु-मंतर  हो जायेगा. ये आयुर्वेदिक नुस्खा थोड़ा सा नशीला है पर अंग्रजी कोल्ड के सिरप से कही ज्यादा बेहतर है.


 २ ग्राम पीसी हुई सोंठ की फंकी लेकर ऊपर से ग्राम दूध पे जिए आपका जुखाम एक दम ठीक हो जायेगा.


 जुखाम के साथ अगर आपको बुखार है तो गर्म पानी, शहद और अदरक रस में चुटकी भर मीठा सोडा डालकर पिला दे या पी ले और पसीना आने दे. पसीने आने के दौरान शरीर में हवा न लगने दे.आपका बुखार और जुखाम एक दम ठीक हो जायेगा


गर्म-गर्म जलेबी दूध में उबालकर खाए और सो जाये. जुखाम कुछ घंटो एक दम ठीक. टेस्टी इलाज है जुखाम भी ठीक करिये और जलेबी भी साथ खाइये

 20 तुलसी की पत्तियां और आधा चम्मच लौंग का पाउडर  एक गिलास पानी में उबाल ले और जब   उबलने के बाद जब पानी एक चौथाई रह जाये तो हर एक घंटे में इसका सेवन।

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 एक गिलास पानी में सूखी अदरक के टुकड़े,आधी चम्मच हल्दी ,आधी चम्मच  पिसी काली मिर्च और थोड़ी सी शक्कर को उबाले और जब एक चौथाई रह जाये तो इसका सेवन दिन में चार बार करे।

 2 या 4 लौंग को पीस कर पाउडर बना ले एक चम्मच शहद के साथ दिनभर  में इस पाउडर को तीन बार ले।

4 काली मिर्च और अदरक  समान भाग का चूर्ण तुलसी का रस और शहद  के साथ देने से  में  ज्वर लाभ होता है

 कायफल, पुष्करमूल, छोटी पीपल और काँकड़ासिंगी समान भाग लेकर, कूट-छान लें। इसे शहद में मिला कर सेवन करना चाहिये। ज्वर के साथ कफ, खाँसी आदि उपद्रव हों तो उस स्थिति में यह अधिक उपयोगी है।

Pipal choti

काँकड़ासिंगी, अतीस और छोटी पीपल समान भाग का चूर्ण शहद के साथ चाटने से वमन तथा कासयुक्त ज्वर शान्त हो जाता है। बालकों की खाँसी, ज्वर, दूध पलटना इत्यादि में यह चूर्ण अधिक उपयोगी है।

 छोटी पीपल का चूर्ण मधु के साथ चाटने से कास, श्वास, हिचकीयुक्त ज्वर दूर होता है। यदि ज्वर न हो तो भी खाँसी आदि में इस पिप्पली चूर्ण से लाभ हो जाता है। इससे तिल्ली में भी लाभ होता है। कण्ठ खुल जाता है। बालकों के लिए विषेष रुप से हितकारी है। मात्रा रोग और रोगी के लक्षणानुसार वर्तमान परिस्थिति में निष्चित करनी चाहिये।


(गुणों की खान हैं अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी, गोखरू, कौंच के बीज आदि:-
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 गुलाबी फिटकरी फुलाई हुई 2.3 रत्ती की मात्रा में देने से ज्वर मेें लाभ होता है।

  अभ्रक भस्म, लौह भस्म और शुद्ध वत्सनाभ (मीठा तेलिया) तीनों 2.2 ग्राम छोटी पीपल और करंज की गिरी (दोनांे का चूर्ण) 4.4 ग्राम, एकत्र खरल करें और नींबू के स्वरस में 200 दृ 200 मिलीग्राम की गोलियाँ बना लें।

 गिलोय का हिम बना कर पिलाने से जीर्णज्वर शीघ्र ही नष्ट होता है।

 अडूसा (वासा) का हिम बना कर पिलाने से रक्तपित्तजन्य ज्वर में शीघ्र लाभ होता है।

 एक गिलास गर्म पानी में तीन चम्मच शहद मिलकर लेने से ज्वर में लाभ आता है।

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