Friday 1 June 2018

मुलेठी बहुत गुणकारी औषधि है। मुलेठी के प्रयोग करने से न सिर्फ आमाशय के विकार बल्कि गैस्ट्रिक अल्सर के लिए फायदेमंद है।

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मुलेठी

मुलेठी बहुत गुणकारी औषधि है। मुलेठी के प्रयोग करने से न सिर्फ आमाशय के विकार बल्कि गैस्ट्रिक अल्सर के लिए फायदेमंद है। इसका पौधा 1 से 6 फुट तक होता है। यह मीठा होता है इसलिए इसे ज्येष्ठीमधु भी कहा जाता है। असली मुलेठी अंदर से पीली, रेशेदार एवं हल्की गंधवाली होती है। यह सूखने पर अम्ल जैसे स्वाद की हो जाती है। मुलेठी की जड़ को उखाड़ने के बाद दो वर्ष तक उसमें औषधीय गुण विद्यमान रहता है। ग्लिसराइजिक एसिड के होने के कारण इसका स्वाद साधारण शक्कर से पचास गुना अधिक मीठा होता है।

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मुलेठी के गुण –
– यह ठंडी प्रकृति की होती है और पित्त का शमन करती है .

– मुलेठी को काली-मिर्च के साथ खाने से कफ ढीला होता है। सूखी खांसी आने पर मुलेठी खाने से फायदा होता है। इससे खांसी तथा गले की सूजन ठीक होती है।- अगर मुंह सूख रहा हो तो मुलेठी बहुत फायदा करती है। इसमें पानी की मात्रा 50 प्रतिशत तक होती है। मुंह सूखने पर बार-बार इसे चूसें। इससे प्‍यास शांत होगी।

– गले में खराश के लिए भी मुलेठी का प्रयोग किया जाता है। मुलेठी अच्‍छे स्‍वर के लिए भी प्रयोग की जाती है।

– मुलेठी महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है। मुलेठी का एक ग्राम चूर्ण नियमित सेवन करने से वे अपनी सुंदरता को लंबे समय तक बनाये रख सकती हैं।

– लगभग एक महीने तक , आधा चम्मच मूलेठी का चूर्ण सुबह शाम शहद के साथ चाटने से मासिक सम्बन्धी सभी रोग दूर होते है.

– फोड़े होने पर मुलेठी का लेप लगाने से जल्दी ठीक हो जाते है.

– रोज़ ६ ग्रा. मुलेठी चूर्ण , ३० मि.ली. दूध के साथ पिने से शरीर में ताकत आती है.

– लगभग ४ ग्रा. मुलेठी का चूर्ण घी या शहद के साथ लेने से ह्रदय रोगों में लाभ होता है.

– इसके आधा ग्राम रोजाना सेवन से खून में वृद्धि होती है.

– जलने पर मुलेठी और चन्दन के लेप से शीतलता मिलती है.

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– इसके चूर्ण को मुंह के छालों पर लगाने से आराम मिलता है.

– मुलेठी का टुकड़ा मुंह में रखने से कान का दर्द और सूजन ठीक होता है.


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– उलटी होने पर मुलेठी का टुकडा मुंह में रखने पर लाभ होता है.

– मुलेठी की जड़ पेट के घावों को समाप्‍त करती है, इससे पेट के घाव जल्‍दी भर जाते हैं। पेट के घाव होने पर मुलेठी की जड़ का चूर्ण इस्‍तेमाल करना चाहिए।

– मुलेठी पेट के अल्‍सर के लिए फायदेमंद है। इससे न केवल गैस्ट्रिक अल्सर वरन छोटी आंत के प्रारम्भिक भाग ड्यूओडनल अल्सर में भी पूरी तरह से फायदा करती है। जब मुलेठी का चूर्ण ड्यूओडनल अल्सर के अपच, हाइपर एसिडिटी आदि पर लाभदायक प्रभाव डालता है। साथ ही अल्सर के घावों को भी तेजी से भरता है।

– खून की उल्टियां होने पर दूध के साथ मुलेठी का चूर्ण लेने से फायदा होता है। खूनी उल्‍टी होने पर मधु के साथ भी इसे लिया जा सकता है।

– हिचकी होने पर मुलेठी के चूर्ण को शहद में मिलाकर नाक में टपकाने तथा पांच ग्राम चूर्ण को पानी के साथ खिला देने से लाभ होता है।

– मुलेठी आंतों की टीबी के लिए भी फायदेमंद है।
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– ये एक प्रकार की एंटीबायोटिक भी है इसमें बैक्टिरिया से लड़ने की क्षमता पाई जाती है। यह शरीर के अन्‍दरूनी चोटो में भी लाभदायक होती है।

– मुलेठी के चूर्ण से आँखों की शक्ति भी बढ़ती है सुबह तीन या चार ग्राम खाना चाहिये।

– यदि भूख न लगती हो तो एक छोटा टुकड़ा मुलेठी कुछ देर चूसे, दिन में ३,४ बार इस प्रक्रिया को दोहरा ले ,भूख खुल जाएगी 

– कोई भी समस्या न हो तो भी कभी-कभी मुलेठी का सेवन कर लेना चाहिए आँतों के अल्सर ,कैंसर का खतरा कम हो जाता है तथा पाचनक्रिया भी एकदम ठीक रहती है .

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