Saturday, 30 June 2018

सेक्स शक्ति को बढ़ाने वाले घरेलू उपाय और पढ़ें : https://indianjadibooti.com





बाजारों में अधिक मात्रा में सेक्स शक्ति को बढ़ाने वाली दवाईयां भी मिलती है। जिसे लोग इन दवाईयों को काफी मात्रा में प्रयोग कर रहे हैं। वे लोग यह नहीं जानते हैं कि ये दवाईयां उनके शरीर पर कितना गलत प्रभाव ड़ालती है। कुछ ऐसे घरेलू उपाय है जिनको आप खुद ही तैयार करके प्रयोग में ला सकते हैं। ये घरेलू नुस्खें सरल, सस्ते, नुक्सान रहित तथा लाभदायक है। ये घरेलू नुस्खें इस प्रकार हैः- 

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1.  आंवलाः- 2 चम्मच आंवला के रस में एक छोटा चम्मच सूखे आंवले का चूर्ण तथा एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर दिन में दो बार सेवन करना चाहिए। इसके इस्तेमाल से सेक्स शक्ति धीरे-धीरे बढ़ती चली जाएगी। 


2. पीपलः- पीपल का फल और पीपल की कोमल जड़ को बराबर मात्रा में लेकर चटनी बना लें। इस 2 चम्मच चटनी को 100 मि.ली. दूध तथा 400 मि.ली. पानी में मिलाकर उसे लगभग चौथाई भाग होने तक पकाएं। फिर उसे छानकर आधा कप सुबह और शाम को पी लें। इसके इस्तेमाल करने से वीर्य में तथा सेक्स करने की ताकत में वृद्धि होती है। 

3.  प्याजः- आधा चम्मच सफेद प्याज का रस, आधा चम्मच शहद तथा आधा चम्मच मिश्री के चूर्ण को मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें। यह मिश्रण वीर्यपतन को दूर करने के लिए काफी उपयोगी रहता है। 

4. चोबचीनीः- 100 ग्राम तालमखाने के बीज, 100 ग्राम चोबचीनी, 100 ग्राम ढाक का गोंद, 100 ग्राम मोचरस तथा 250 ग्राम मिश्री को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। रोजाना सुबह के समय एक चम्मच चूर्ण में 4 चम्मच मलाई मिलाकर खाएं। यह मिश्रण यौन रुपी कमजोरी, नामर्दी तथा वीर्य का जल्दी गिरना जैसे रोग को खत्म कर देता है। 

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5. कौंच का बीजः- 100 ग्राम कौंच के बीज और 100 ग्राम तालमखाना को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें 200 ग्राम मिश्री पीसकर मिला लें। हल्के गर्म दूध में आधा चम्मच चूर्ण मिलाकर रोजाना इसको पीना चाहिए। इसको पीने से वीर्य गाढ़ा हो जाता है तथा नामर्दी दूर होती है। 

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6.  इमलीः- आधा किलो इमली के बीज लेकर उसके दो हिस्से कर दें। इन बीजों को तीन दिनों तक पानी में भिगोकर रख लें। इसके बाद छिलकों को उतारकर बाहर फेंक दें और सफेद बीजों को खरल में डालकर पीसें। फिर इसमें आधा किलो पिसी मिश्री मिलाकर कांच के खुले मुंह वाली एक चौड़ी शीशी में रख लें। आधा चम्मच सुबह और शाम के समय में दूध के साथ लें। इस तरह से यह उपाय वीर्य के जल्दी गिरने के रोग तथा संभोग करने की ताकत में बढ़ोतरी करता है। 

7. बरगदः- सूर्यास्त से पहले बरगद के पेड़ से उसके पत्ते तोड़कर उसमें से निकलने वाले दूध की 10-15 बूंदें बताशे पर रखकर खाएं। इसके प्रयोग से आपका वीर्य भी बनेगा और सेक्स शक्ति भी अधिक हो जाएगी। 

8. सोंठः- 4 ग्राम सोंठ, 4 ग्राम सेमल का गोंद, 2 ग्राम अकरकरा, 28 ग्राम पिप्पली तथा 30 ग्राम काले तिल को एकसाथ मिलाकर तथा कूटकर बारीक चूर्ण बना लें। रात को सोते समय आधा चम्मच चूर्ण लेकर ऊपर से एक गिलास गर्म दूध पी लें। यह रामबाण औषधि शरीर की कमजोरी को दूर करती है तथा सेक्स शक्ति को बढ़ाती है। 

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9.  अश्वगंधाः- अश्वगंधा का चूर्ण, असगंध तथा बिदारीकंद को 100-100 ग्राम की मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण दूध के साथ सुबह और शाम लेना चाहिए। यह मिश्रण वीर्य को ताकतवर बनाकर शीघ्रपतन की समस्या से छुटकारा दिलाता है। 

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10.  त्रिफलाः- एक चम्मच त्रिफला के चूर्ण को रात को सोते समय 5 मुनक्कों के साथ लेना चाहिए तथा ऊपर से ठंडा पानी पिएं। यह चूर्ण पेट के सभी प्रकार के रोग, स्वप्नदोष तथा वीर्य का शीघ्र गिरना आदि रोगों को दूर करके शरीर को मजबूती प्रदान करता है। 


11.  छुहारेः- चार-पांच छुहारे, दो-तीन काजू तथा दो बादाम को 300 ग्राम दूध में खूब अच्छी तरह से उबालकर तथा पकाकर दो चम्मच मिश्री मिलाकर रोजाना रात को सोते समय लेना चाहिए। इससे यौन इच्छा और काम करने की शक्ति बढ़ती है। 


12.   उंटगन के बीजः- 6 ग्राम उंटगन के बीज, 6 ग्राम तालमखाना तथा 6 ग्राम गोखरू को समान मात्रा में लेकर आधा लीटर दूध में मिलाकर पकाएं। यह मिश्रण लगभग आधा रह जाने पर इसे उतारकर ठंडा हो जाने दें। इसे रोजाना 21 दिनों तक समय अनुसार लेते रहें। इससे नपुंसकता (नामर्दी) रोग दूर हो जाता है। 

13.  तुलसीः- आधा ग्राम तुलसी के बीज तथा 5 ग्राम पुराने गुड़ को बंगाली पान पर रखकर अच्छी तरह से चबा-चबाकर खाएं। इस मिश्रण को विस्तारपूर्वक 40 दिनों तक लेने से वीर्य बलवान बनता है, संभोग करने की इच्छा तेज हो जाती है और नपुंसकता जैसे रोग भी दूर हो जाते हैं। 

14.  गोखरूः- सूखा आंवला, गोखरू, कौंच के बीज, सफेद मूसली और गुडुची सत्व- इन पांचो पदार्थों को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। एक चम्मच देशी घी और एक चम्मच मिश्री में एक चम्मच चूर्ण मिलाकर रात को सोते समय इस मिश्रण को लें। इसके बाद एक गिलास गर्म दूध पी लें। इस चूर्ण से सेक्स कार्य में अत्यंत शक्ति आती है। 

15. सफेद मूसलीः- सालम मिश्री, तालमखाना, सफेद मूसली, कौंच के बीज, गोखरू तथा ईसबगोल- इन सबको समान मात्रा में मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें। इस एक चम्मच चूर्ण में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम दूध के साथ पीना चाहिए। यह वीर्य को ताकतवर बनाता है तथा सेक्स शक्ति में अधिकता लाता है। 

16. हल्दीः- वीर्य अधिक पतला होने पर 1 चम्मच शहद में एक चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर रोजाना सुबह के समय खाली पेट सेवन करना चाहिए। इसका विस्तृत रुप से इस्तेमाल करने से संभोग करने की शक्ति बढ़ जाती है। 

17.  उड़द की दालः- आधा चम्मच उड़द की दाल और कौंच की दो-तीन कोमल कली को बारीक पीसकर सुबह तथा शाम को लेना चाहिए। यह उपाय काफी फायदेमंद है। इस नुस्खे को रोजाना लेने से सेक्स करने की ताकत बढ़ जाती है। 

18.  जायफलः- जायफल 10 ग्राम, लौंग 10 ग्राम, चंद्रोदय 10 ग्राम, कपूर 10 ग्राम और कस्तूरी 6 ग्राम को कूट-पीसकर इस मिश्रण के चूर्ण की 60 खुराक बना लें। इसमें से एक खुराक को पान के पत्ते पर रखकर धीरे-धीरे से चबाते रहें। जब मुंह में खूब रस जमा हो जाए तो इस रस को थूके नहीं बल्कि पी जाएं। इसके बाद थोड़ी सी मलाई का इस्तेमाल करें। यह चूर्ण रोजाना लेने से नपुंसकता जैसे रोग दूर होते हैं तथा सेक्स शक्ति में वृद्धि होती है। 


19.  शंखपुष्पीः- शंखपुष्पी 100 ग्राम, ब्राह्नी 100 ग्राम, असंगध 50 ग्राम, तज 50 ग्राम, मुलहठी 50 ग्राम, शतावर 50 ग्राम, विधारा 50 ग्राम तथा शक्कर 450 ग्राम को बारीक कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर एक-एक चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम को लेना चाहिए। इस चूर्ण को तीन महीनों तक रोजाना सेवन करने से नाईट-फाल (स्वप्न दोष), वीर्य की कमजोरी तथा नामर्दी आदि रोग समाप्त होकर सेक्स शक्ति में ताकत आती है। 


20.  गाजरः- 1 किलो गाजर, चीनी 400 ग्राम, खोआ 250 ग्राम, दूध 500 ग्राम, कद्यूकस किया हुआ नारियल 10 ग्राम, किशमिश 10 ग्राम, काजू बारीक कटे हुए 10-15 पीस, एक चांदी का वर्क और 4 चम्मच देशी घी ले लें। गाजर को कद्यूकस करके कडा़ही में डालकर पकाएं। पानी के सूख जाने पर इसमें दूध, खोआ और चीनी डाल दें तथा इसे चम्मच से चलाते रहें। जब यह सारा मिश्रण गाढ़ा होने को हो तो इसमें नारियल, किशमिश, बादाम और काजू डाल दें। जब यह पदार्थ गाढ़ा हो जाए तो थाली में देशी घी लगाकर हलवे को थाली पर निकालें और ऊपर से चांदी का वर्क लगा दें। इस हलवे को चार-चार चम्मच सुबह और शाम खाकर ऊपर से दूध पीना चाहिए। यह वीर्यशक्ति बढ़ाकार शरीर को मजबूत रखता है। इससे सेक्स शक्ति भी बढ़ती है। 


21.  ढाकः- ढाक के 100 ग्राम गोंद को तवे पर भून लें। फिर 100 ग्राम तालमखानों को घी के साथ भूनें। उसके बाद दोनों को बारीक काटकर आधा चम्मच सुबह और शाम को दूध के साथ खाना खाने के दो-तीन घंटे पहले ही इसका सेवन करें। इसके कुछ ही दिनों के बाद वीर्य का पतलापन दूर होता है तथा सेक्स क्षमता में बहुत अधिक रुप से वृद्धि होती है। 

22.  जायफलः- 15 ग्राम जायफल, 20 ग्राम हिंगुल भस्म, 5 ग्राम अकरकरा और 10 ग्राम केसर को मिलाकर बारीक पीस लें। इसके बाद इसमें शहद मिलाकर इमामदस्ते में घोटें। उसके बाद चने के बराबर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। रोजाना रात को सोने से 2 पहले 2 गोलियां गाढ़े दूध के साथ सेवन करें। इससे शिश्न (लिंग) का ढ़ीलापन दूर होता है तथा नामर्दी दूर हो जाती है। 

23.  इलायचीः- इलायची के दानों का चूर्ण 2 ग्राम, जावित्री का चूर्ण 1 ग्राम, बादाम के 5 पीस और मिश्री 10 ग्राम ले लें। बादाम को रात के समय पानी में भिगोकर रख दें। सुबह के वक्त उसे पीसकर पेस्ट की तरह बना लें। फिर उसमें अन्य पदार्थ मिलाकर तथा दो चम्मच मक्खन मिलाकर विस्तार रुप से रोजाना सुबह के वक्त इसको सेवन करें। यह वीर्य को बढ़ाता है तथा शरीर में ताकत लाकर सेक्स शक्ति को बढ़ाता है। 


24.  सेबः- एक अच्छा सा बड़े आकार का सेब ले लीजिए। इसमें हो सके जितनी ज्यादा से ज्यादा लौंग चुभाकर अंदर तक डाल दीजिए। इसी तरह का एक अच्छा सा बड़े आकार का नींबू ले लीजिए। इसमें जितनी ज्यादा से ज्यादा हो सके, लौंग चुभाकर अंदर तक डाल दीजिए। दोनों फलों को एक सप्ताह तक किसी बर्तन में ढककर रख दीजिए। एक सप्ताह बाद दोनों फलों में से लौंग निकालकर अलग-अलग शीशी में भरकर रख लें। पहले दिन नींबू वाले दो लौंग को बारीक कूटकर बकरी के दूध के साथ सेवन करें। इस तरह से बदल-बदलकर 40 दिनों तक 2-2 लौंग खाएं। यह एक तरह से सेक्स क्षमता को बढ़ाने वाला एक बहुत ही सरल उपाय है। 


25.  अजवायनः- 100 ग्राम अजवायन को सफेद प्याज के रस में भिगोकर सुखा लें। सूखने के बाद उसे फिर से प्याज के रस में गीला करके सुखा लें। इस तरह से तीन बार करें। उसके बाद इसे कूटकर किसी शीशी में भरकर रख लें। आधा चम्मच इस चूर्ण को एक चम्मच पिसी हुई मिश्री के साथ मिलाकर खा जाएं। फिर ऊपर से हल्का गर्म दूध पी लें। करीब-करीब एक महीने तक इस मिश्रण का उपयोग करें। इस दौरान संभोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। यह सेक्स क्षमता को बढ़ाने वाला सबसे अच्छा उपाय है। 

बेल पत्र के औषधीय प्रयोग : https://www.amazon.in/s/ref=nb_sb_noss_2?url=search-alias%3Dhpc&field-keywords=Indianjadibooti


Bel Patta





जैसा की आप जानते है, सावन मॉस आने वाला है । इसी को स्मरण रख के, हम भगवन शिव के प्रिये बेल पत्र के औषधि गुड़ के बारे में बताएँगे ।
बेल का पेड़ बहुत प्राचीन है। इस पेड़ पर लगे पुराने पीले फूल फिर हरे हो जाते है । इसकी छाया पवित्र और आरोग्य करक होती है ।
बेल पत्र के औषधीय प्रयोग :
१. यदि आप बुखार से पीड़ित है तो बेल के पत्तियों का काढ़ा बना कर पे लें । तुरंत आराम मिलेगा ।
२. मधुमखी के काटने पर काटे गए स्थान पर बेल का रास लगाने से जलन काम हो जाती है और घाव जल्दी भर जाता है ।
३. शरीर में गर्मी बढ़ने के कारण मुँह के छालों के लिए बेल की पतियों को चबाते रहे , छाले समाप्त होने लगेंगे ।
४. दमा या आस्थमा के लिए बेल पत्तों का काढ़ा लाभदायक है ।
५. बरसात के मौसम में होने वाली सर्दी , खांसी और बुखार के लिए बेल पत्र के रास में शहद मिलाकर ले ।
६. जिन को एसिडिटी , अथवा अमल्पित रहता है उन्हें बेल के पत्तों में मिश्री मिलाकर पीना चाहिए ।
७. शरीर के दुर्गन्ध को दूर करने के लिए बेलपत्र का रास लगाकर आधे घंटे तक छोड़ दे और फिर नहाने जाये , दुर्गन्ध दूर हो जाएगी ।
८. अगर बच्चों को दस्त हो, उन्हें एक चमच बेल रास अवश्य पिलाये , दस्त रुक जायेंगे ।
९. आज कल बवासीर की बिमारी फैली हुई है । खुनी बवासीर बहुत तकलीफ देने वाली होती है । बेल की जड़ का गुदा पीसकर बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर उसका चूर्ण बनाकर , इससे रोज़ सुबह शाम पानी के साथ ले ले । इससे ये समस्या दूर हो जाएगी ।
१०. ह्रदय रोगियों के लिए भी बेलपत्र का प्रयोग बहुत असरदार है । बेलपत्र का काढ़ा रोज़ाना पीने से आपका ह्रदय हमेशा मज़बूत रहेगा और हार्ट अटैक का खतरा भी काम होगा ।
अंत में में आप सब को ये बताना चाहूंगा की यदि आपको अपना वातवरद शुद्ध रखना है तो घर में सूखे हुए बेल पत्रों की धुप अवश्य जलाएं

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गुर्दों में पथरी - Renal (Kidney) Stone

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वृक्कों गुर्दों में पथरी होने का प्रारंभ में रोगी को कुछ पता नहीं चलता है, लेकिन जब वृक्कों से निकलकर पथरी मूत्रनली में पहुंच जाती है तो तीव्र शूल की उत्पत्ति करती है। पथरी के कारण तेज दर्द से रोगी तड़प उठता है।
उत्पत्ति :
भोजन में कैल्शियम, फोस्फोरस और ऑक्जालिकल अम्ल की मात्रा अधिक होती है तो पथरी का निर्माण होने लगता है। उक्त तत्त्वों के सूक्ष्म कण मूत्र के साथ निकल नहीं पाते और वृक्कों में एकत्र होकर पथरी की उत्पत्ति करते हैं। सूक्ष्म कणों से मिलकर बनी पथरी वृक्कों में तीव्र शूल की उत्पत्ति करती है। कैल्शियम, फोस्फेट, कोर्बोलिक युक्त खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन से पथरी का अधिक निर्माण होता है।

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लक्षण :
पथरी के कारण मूत्र का अवरोध होने से शूल की उत्पत्ति होती है। मूत्र रुक-रुक कर आता है और पथरी के अधिक विकसित होने पर मूत्र पूरी तरह रुक जाता है। पथरी होने पर मूत्र के साथ रक्त भी निकल आता है। रोगी को हर समय ऐसा अनुभव होता है कि अभी मूत्र आ रहा है। मूत्र त्याग की इच्छा बनी रहती है। पथरी के कारण रोगी के हाथ-पांवों में शोध के लक्षण दिखाई देते हैं। मूत्र करते समय पीड़ा होती है। कभी-कभी पीड़ा बहुत बढ़ जाती है तो रोगी पीड़ा से तड़प उठता है। रोगी कमर के दर्द से भी परेशान रहता है।

क्या खाएं?
* वृक्कों में पथरी पर नारियल का अधिक सेवन करें।
* करेले के 10 ग्राम रस में मिसरी मिलाकर पिएं।
* पालक का 100 ग्राम रस गाजर के रस के साथ पी सकते हैं।
* लाजवंती की जड़ को जल में उबालकर कवाथ बनाकर पीने से पथरी का निष्कासन हो जाता है।
* इलायची, खरबूजे के बीजों की गिरी और मिसरी सबको कूट-पीसकर जल में मिलाकर पीने से पथरी नष्ट होती है।

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* आंवले का 5 ग्राम चूर्ण मूली के टुकड़ों पर डालकर खाने से वृक्कों की पथरी नष्ट होती है।

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* शलजम की सब्जी का कुछ दिनों तक निरंतर सेवन करें।
* गाजर का रस पीने से पथरी खत्म होती है।
* बथुआ, चौलाई, पालक, करमकल्ला या सहिजन की सब्जी खाने से बहुत लाभ होता है।
* वृक्कों की पथरी होने पर प्रतिदिन खीरा, प्याज व चुकंदर का नीबू के रस से बना सलाद खाएं।
* गन्ने का रस पीने से पथरी नष्ट होती है।
* मूली के 25 ग्राम बीजों को जल में उबालकर, क्वाथ बनाएं। इस क्वाथ को छानकर पिएं।
* चुकंदर का सूप बनाकर पीने से पथरी रोग में लाभ होता है।
* मूली का रस सेवन करने से पथरी नष्ट होती है।
* जामुन, सेब और खरबूजे खाने से पथरी के रोगी को बहुत लाभ होता है।

नोट: पालक, टमाटर, चुकंदर, भिंडी का सेवन करने से पहले चिकित्सक से अवश्य परामर्श कर लें।

क्या न खाएं?* वृक्कों में पथरी होने पर चावलों का सेवन न करें।* उष्ण मिर्च-मसालों व अम्लीय रस से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।* गरिष्ठ व वातकारक खाद्य व सब्जियों का सेवन न करें।* चाय, कॉफी व शराब का सेवन न करें।* चइनीज व फास्ट फूड वृक्कों की विकृति में बहुत हानि पहंुचाते हैं।* मूत्र के वेग को अधिक समय तक न रोकें।* अधिक शारीरिक श्रम और भारी वजन उठाने के काम न करें।

Friday, 29 June 2018

बुखार कैसा भी हो इन आसान घरेलु उपायों से हो जायेगा छूमंतर



 अदरक को कूटकर देसी घी में भूनकर 3-४ बार खाने से सर्दी, जुखाम, बुखार  ठीक हो जाता है. 


 सर्दी जुखाम बुखार होने पर लहसुन को आग पर भूनकर खाना गुणकारी होता है. 


मुँह में जल भर करके नहाने से कभी जुखाम नही होता है.

 हल्दी का मोटा मोटा चूर्ण १० ग्राम और अजवाईन १० ग्राम दोनों को मिलकर २ कप पानी में डालकर आग में उबाल ले. इसे सोते समय पिए. २-३ दिन पीन से सर्दी, जुखाम, बुखार ठीक हो जाता है.. इसे पीने के बाद पसीना आता है.


                        (गुणों की खान हैं अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी, गोखरू, कौंच के बीज आदि:-
                    https://www.facebook.com/indianjadibuti/posts/372724186524932 )


 ११ पत्ते तुलसी, २ काली मिर्च, १ छूटी सोंठ का चरण और एक चुटकी पिसा हुआ सेंधा नमक. इनको २ कप पानी में डालकर उबाल ले, जब पानी आधा कप बच जाये तब उत्तर कर चयन ले. इसे रात को सोने से पहले, बिना गर्म किये हे, पी ले. चाहे तो सुबह भी पी सकते है. गर्मी मे सर्दी लग जाने पर हुए जुखाम में बहुत असर दर है. 


 राई के तेल को प्याज या लहसुन के साथ मिलकर थोड़ा गरम कर ले इसे पैरो के तलवो में २ मिनट मालिश से, कानो में सहन कर सहन कर सके तो थोड़ा नाक में डालने से सर का भारीपन ख़त्म होता है सर्दी जुखाम Sardi Bukhar Jukham एक दम ठीक हो जायेगा.


 जिन्हे बार बार सर्दी-जुखाम Sardi Bukhar Jukham होता हो, जुखाम बना रहता हो, नाक बंद रहती हो उन्हें जुखाम शुरू होने के २ दिन पहले ये नुस्खा प्रयोग करना छाए. ४ पिण्ड खौर गुठली हटकर १ ग्राम भर दूध में डाला ले, ४ काली मिर्च और एक बड़ी इलायची कूट कर डेल और आग पर पकाये. पूरी तरह से उबाल जाने पर उत्तर ले १ चम्मच सुध घी डाल ले. पिण्ड खजूर चबा चबाकर कर खाए और घुट घुट कर दूध पिए और मुँह साफ़ करके सो जाये वार्ना भाई शाहब या बहन जी दांत में कीड़े लग जायेगे फिर दांत दर्द की परेशानी शुरू, ४-५ दिन तक या जरुरत की हिसाब तक उपयोग करे ये नुखा ..ये इलाज आपकी मर्दाना शक्ति भी बढएगा.

(गुणों की खान हैं अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी, गोखरू, कौंच के बीज आदि:-

 

तीन दिन तक रात को दस खजूर दूध में उबाल कर चबाकर खाए और दूध भी साथ पी जाये. सर्दी जुखाम में बहुत पुराण देसी इलाज है.

 पाँच मुनक्के धोकर १०० ग्राम पानी में उबाल ले. जब पानी आधा रह जाये तो मुनक्के को चबाते चबाते पानी के पी जाये. इस नुस्खे से आपका जुखाम एक दम भाग जायेगा.

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 भाँग की पति १.५ ग्राम, गुड ३ ग्राम- दोनों को मिलकर गोली बना ले और रोगी को निगला दे. दवा खाने के बाद बिल्कु भी पानी न पिए और चुप चाप सो जाये. एक ही रात्रि में आपका सर्दी जुखाम छु-मंतर  हो जायेगा. ये आयुर्वेदिक नुस्खा थोड़ा सा नशीला है पर अंग्रजी कोल्ड के सिरप से कही ज्यादा बेहतर है.


 २ ग्राम पीसी हुई सोंठ की फंकी लेकर ऊपर से ग्राम दूध पे जिए आपका जुखाम एक दम ठीक हो जायेगा.


 जुखाम के साथ अगर आपको बुखार है तो गर्म पानी, शहद और अदरक रस में चुटकी भर मीठा सोडा डालकर पिला दे या पी ले और पसीना आने दे. पसीने आने के दौरान शरीर में हवा न लगने दे.आपका बुखार और जुखाम एक दम ठीक हो जायेगा


गर्म-गर्म जलेबी दूध में उबालकर खाए और सो जाये. जुखाम कुछ घंटो एक दम ठीक. टेस्टी इलाज है जुखाम भी ठीक करिये और जलेबी भी साथ खाइये

 20 तुलसी की पत्तियां और आधा चम्मच लौंग का पाउडर  एक गिलास पानी में उबाल ले और जब   उबलने के बाद जब पानी एक चौथाई रह जाये तो हर एक घंटे में इसका सेवन।

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 एक गिलास पानी में सूखी अदरक के टुकड़े,आधी चम्मच हल्दी ,आधी चम्मच  पिसी काली मिर्च और थोड़ी सी शक्कर को उबाले और जब एक चौथाई रह जाये तो इसका सेवन दिन में चार बार करे।

 2 या 4 लौंग को पीस कर पाउडर बना ले एक चम्मच शहद के साथ दिनभर  में इस पाउडर को तीन बार ले।

4 काली मिर्च और अदरक  समान भाग का चूर्ण तुलसी का रस और शहद  के साथ देने से  में  ज्वर लाभ होता है

 कायफल, पुष्करमूल, छोटी पीपल और काँकड़ासिंगी समान भाग लेकर, कूट-छान लें। इसे शहद में मिला कर सेवन करना चाहिये। ज्वर के साथ कफ, खाँसी आदि उपद्रव हों तो उस स्थिति में यह अधिक उपयोगी है।

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काँकड़ासिंगी, अतीस और छोटी पीपल समान भाग का चूर्ण शहद के साथ चाटने से वमन तथा कासयुक्त ज्वर शान्त हो जाता है। बालकों की खाँसी, ज्वर, दूध पलटना इत्यादि में यह चूर्ण अधिक उपयोगी है।

 छोटी पीपल का चूर्ण मधु के साथ चाटने से कास, श्वास, हिचकीयुक्त ज्वर दूर होता है। यदि ज्वर न हो तो भी खाँसी आदि में इस पिप्पली चूर्ण से लाभ हो जाता है। इससे तिल्ली में भी लाभ होता है। कण्ठ खुल जाता है। बालकों के लिए विषेष रुप से हितकारी है। मात्रा रोग और रोगी के लक्षणानुसार वर्तमान परिस्थिति में निष्चित करनी चाहिये।


(गुणों की खान हैं अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी, गोखरू, कौंच के बीज आदि:-
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 गुलाबी फिटकरी फुलाई हुई 2.3 रत्ती की मात्रा में देने से ज्वर मेें लाभ होता है।

  अभ्रक भस्म, लौह भस्म और शुद्ध वत्सनाभ (मीठा तेलिया) तीनों 2.2 ग्राम छोटी पीपल और करंज की गिरी (दोनांे का चूर्ण) 4.4 ग्राम, एकत्र खरल करें और नींबू के स्वरस में 200 दृ 200 मिलीग्राम की गोलियाँ बना लें।

 गिलोय का हिम बना कर पिलाने से जीर्णज्वर शीघ्र ही नष्ट होता है।

 अडूसा (वासा) का हिम बना कर पिलाने से रक्तपित्तजन्य ज्वर में शीघ्र लाभ होता है।

 एक गिलास गर्म पानी में तीन चम्मच शहद मिलकर लेने से ज्वर में लाभ आता है।

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Saturday, 23 June 2018

शरीर को वज्र सा बलवान बना देंगे यह घरेलु नुस्खें (Tips for Strong and Healthy Body)

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शरीर को वज्र सा बलवान बना देंगे यह घरेलु नुस्खें :-




पहला प्रयोगः 1 से 2 ग्राम सोंठ एवं उतनी ही शिलाजीत खाने से अथवा 2 से 5 ग्राम शहद के साथ उतनी ही अदरक लेने से शरीर पुष्ट होता है।
दूसरा प्रयोगः 3 से 5 अंजीर को दूध में उबालकर या अंजीर खाकर दूध पीने से शक्ति बढ़ती है।
तीसरा प्रयोगः 1 से 2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को आँवले के 10 से 40 मि.ली. रस के साथ 15 दिन लेने से शरीर में दिव्य शक्ति आती है।
चौथा प्रयोगः एक गिलास पानी में एक नींबू का रस निचोड़कर उसमें दो किसमिश रात्रि में भिगो दें। सुबह छानकर पानी पी जायें एवं किसमिश चबा जायें। यह एक अदभुत शक्तिदायक प्रयोग है।
पाँचवाँ प्रयोगः शाम को गर्म पानी में दो चुटकी हल्दी पीने से शरीर सदा नीरोगी और बलवान रहता है।

असमय आनेवाले बुढ़ापे को रोकने के लिएः 

पहला प्रयोगः त्रिफला एवं मुलहठी के चूर्ण के बराबर मिश्रण में से 1 तोला चूर्ण दिन में दो बार खाने से असमय आनेवाला बुढ़ापा रुक जाता है।
दूसरा प्रयोगः आँवले एवं काले तिल को सम्भाग में लेकर उसका 1 से 2 ग्राम बारीक चूर्ण घी या शहद के साथ लेने से असमय आने वाला बुढ़ापा दूर होता है एवं शक्ति आती है।

बलवर्धक प्रयोग : Tips for Strong and Healthy Body

छुहारा : लगभग 10 ग्राम छुहारे लेकर पीस लें। रोजाना कम से कम 2 ग्राम की मात्रा में इस छुहारे के चूर्ण को 250 मिलीलीटर हल्के गर्म दूध के साथ सोते समय लेने से शरीर मजबूत होता है। इसका सेवन केवल सर्दियों के दिनों में करना चाहिए।
हरड़ :लगभग 100-100 ग्राम की मात्रा में हरड़ का छिलका और पिसा हुआ आंवला को लेकर इसमें 200 ग्राम की मात्रा में खांड़ मिलाकर इस चूर्ण को सुबह के समय लगभग 10 ग्राम की मात्रा में 250 मिलीलीटर हल्के गर्म दूध के साथ लेने से शरीर में मजबूती आती है।
तालमखाना : लगभग 25-25 ग्राम की मात्रा में तालमखाना, असगंध, बीजबन्द, गंगेरन, बरियार, कौंच के बीजों की गिरी, काली मूसली, सफेद मूसली और गोखरू को पीसकर तथा छानकर इस चूर्ण को लगभग 100 ग्राम देसी घी में भूनकर इसमें लगभग 100 ग्राम खांड़ या शक्कर को मिलाकर रख लें। अब इस तैयार मिश्रण में से एक चम्मच चूर्ण रोजाना सुबह के समय दूध के साथ लेने से शरीर में ताकत आती है। इस मिश्रण का प्रयोग सर्दी के दिनों में करना चाहिए।

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अतीस : गीली अतीस को दूध में मिलाकर पीने से शरीर ताकतवर बनता है और व्यक्ति की मर्दानगी भी बढ़ती है।
अतीस का चूर्ण लगभग 2 से 3 ग्राम की मात्रा में लेकर उसमें थोड़ा सा छोटी इलायची और वंशलोचन के चूर्ण को मिलाकर खाने से शरीर शक्तिशाली बनता है।
शहद : लगभग 10 ग्राम की मात्रा में शहद, 5 ग्राम की मात्रा में घी और 3 ग्राम की मात्रा में आंवलासार गंधक को लेकर इसमें थोड़ी सी शक्कर मिलाकर सेवन करने से शरीर को मजबूती मिलती है।
असगंध :असगंध के चूर्ण को दूध में मिलाकर पीने से शरीर शक्तिशाली बनता है और आदमी का वीर्य पुष्ट होता है।
बराबर मात्रा में असगंध और विधारा को लेकर और पीसकर इसका चूर्ण बना लें।
बादाम : लगभग 4 बादाम की गिरियों को पीसकर इसमें 1-1 ग्राम की मात्रा में शहद और मिश्री को मिलाकर चाटने से मनुष्य के शरीर में ताकत बढ़ जाती है।
मूसली :काली मूसली के चूर्ण में मिश्री को मिलाकर खाने से शरीर की शक्ति बढ़ती है।

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 लगभग 10 ग्राम की मात्रा में सफेद मूसली के चूर्ण को 250 मिलीलीटर की मात्रा में दूध लेकर इसको पकायें और गाढ़ा होने तक पकने दें। अब इसको निकालकर 1 प्लेट पर रख दें और सुबह तक वह खीर की तरह उस प्लेट पर जम जायेगा। अब इसमें शक्कर मिलाकर इसको खायें। इसका सेवन 40 दिनों तक करना चाहिए। ऐसा करने से शरीर में ताकत बढ़ती है। इसका सेवन करने के दिनों में गर्म और खट्टे पदार्थों से परहेज करना चाहिए।
गोरखमुण्डी : गोरखमुण्डी के फूलों के चूर्ण को शहद में मिलाकर खाने से शरीर में ताकत आती है।
गोरखमुण्डी के पूरे पौधे को छाया में सुखाकर पीस लें। इसका हलवा बनाकर सेवन करने से आदमी की जवानी हमेशा के लिए बनी रहती है।
गन्ना : गन्ने के रस को रोजाना पीने से शरीर में खून बढ़ता है और शरीर में ताकत आती है
ढाक : ढाक के फूलों की कलियों का गुलकन्द बनाकर 6 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से शरीर की ताकत बढ़ती है।
लगभग 50 ग्राम की मात्रा में ढाक के बीज, लगभग 25 ग्राम की मात्रा में वायबिड़ंग और लगभग 200 ग्राम की मात्रा में गुठली वाले आंवले को एकसाथ पीसकर चूर्ण बना लें। इसके बाद रोजाना इस चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ लेने से शरीर की ताकत में वृद्धि होती है।
आम : रोजाना 250 मिलीलीटर आम का रस पीकर और इसके ऊपर से दूध पीने से शरीर में ताकत आती है।
गूलर : लगभग 100 ग्राम की मात्रा में गूलर के कच्चे फलों का चूर्ण बनाकर इसमें 100 ग्राम मिश्री को मिलाकर रख दें। इस चूर्ण को लगभग 10 ग्राम की मात्रा में रोजाना दूध के साथ लेने से शरीर को भरपूर ताकत मिलती है।
पीपल : शाम को सोते समय छोटी पीपल को पानी में भिगोकर रख दें,
और सुबह इसको पीसकर इसमें शहद मिलाकर चाटें और ऊपर से दूध पी लें। इसको लगातार 40 दिनों तक खाना चाहिए। इससे शरीर की ताकत में वृद्धि होती है।
खजूर :7 या 8 पिण्डखजूरों को 500 मिलीलीटर दूध में डालकर हल्की आंच पर पका लें और लगभग 400 मिलीलीटर की मात्रा में दूध रह जाने पर दूध को आंच पर से उतार लें। अब इसमें से खजूर निकालकर खाकर ऊपर से इसी दूध को पीने से शरीर में भरपूर ताकत और मजबूती आती है।
दालचीनी : दालचीनी को बारीक पीसकर इसका चूर्ण बना लें। शाम को इसके लगभग 2 ग्राम चूर्ण को 250 मिलीलीटर दूध में डालकर एक चम्मच शहद को मिलाकर पीने से शरीर की ताकत के साथ-साथ मनुष्य के वीर्य यानी धातु में भी वृद्धि होती है।
घी :लगभग 250 ग्राम की मात्रा में शुद्ध देसी घी में बनी जलेबियों को लगभग 250 मिलीलीटर गाय के दूध के साथ रोजाना सुबह के समय लेने से मनुष्य की लम्बाई बढ़ती है। इसका सेवन लगातार 2 या 3 महीने तक करना चाहिए।
विदारीकन्द : लगभग 6 ग्राम की मात्रा में विदारीकन्द के चूर्ण को लगभग 10 ग्राम गाय के घी मं0 और लगभग 20 ग्राम शहद में मिलाकर गाय के दूध के साथ लेने से शरीर में ताकत आती है। इसका सेवन लगातार 40 दिनों तक करना चाहिए।
तुलसी :एक निश्चित मात्रा में तुलसी के बीज या पत्तों को भूनकर इतनी ही मात्रा में इसमें गुड़ मिलाकर लगभग 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर सुबह और शाम को 1-1 गोली गाय के दूध के साथ लेने से शरीर में भरपूर ताकत आती है और व्यक्ति की मर्दानगी भी बढ़ती है।
लगभग आधा ग्राम की मात्रा में तुलसी के पीसे हुए बीजों को सादे या कत्था लगे पान के साथ रोजाना सुबह और शाम खाली पेट खाने से मनुष्य के वीर्य, बल और खून में वृद्धि होती है।

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भिलावे : लगभग 25 ग्राम की मात्रा में छिलका उतारे और तेल निकाले हुए भिलावे को लेकर 2 या 3 घंटों तक कूटें और फिर इसके बाद लगभग 400 ग्राम की मात्रा में तिल का तेल लेकर भिलावे में 50-50 ग्राम की मात्रा में डालते जायें, और घोटते जायें। इसके बाद लगभग 1 घंटे बाद इसको निकाल लें। रोजाना इसे 2 ग्राम की मात्रा में सुबह दूध के साथ लेने से शरीर में भरपूर ताकत आती है।

लकवा (Paralysis) क्या है, लकवा के लक्षण, कारण, सावधानियां व् घरेलु आयुर्वेदिक और प्राकर्तिक चिकित्सा द्वारा उपचार

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लकवा (Paralysis) क्या है:


लकवा एक गंभीर रोग है जिससे व्यक्ति का कोई भी हिस्सा सुन्न हो जाता है। कभी-कभी इसका उग्र रूप देखने में आता है। व्यक्ति का आधा हिस्सा विकृत हो जाता है, मुंह टेढ़ा हो जाता है, यहां तक कि व्यक्ति की बोलने-सुनने की शक्ति भी क्षीण हो जाती है। इस रोग का शीघ्र उपाय किया जाय तो व्यक्ति का पूर्णरूपेण ठीक होना कठिन हो जाता है। अतः इसका प्रकोप होते ही तुरंत किसी अच्छे चिकित्सक से इसका इलाज कराना चाहिए। अधिकांशतः यह रोग उच्च रक्तचाप बढ़ जाने से होता है।
पैरालिसिस / लकवा के कारण :
1)   साधारणतः यह रोग उन्हें होता है जो व्यक्ति अधिक मात्रा में वायु के पदार्थों का सेवन करते हैं या शीतल पदार्थों का सेवन करते हैं।
2)   अत्यधिक काम-क्रीड़ा में लिप्त रहनेवाले व्यक्तियों की धातु क्षीण होकर, खून आदि की कमी होने पर उन्हें यह रोग होता है।
4)   विषम आहार-पदार्थों का सेवन करने तथा अधिक व्यायाम या विपरीत आसन करने से भी यह रोग हो सकता है।
5)   उल्टी या दस्तों का अधिक हो जाना, मर्म-स्थानों पर आघात होना, मानसिक दुर्बलता, नाड़ियों एवं मांसपेशियों की दुर्बलता, रक्तचाप अधिक बढ़ जाने आदि कारणों से यह रोग उत्पन्न हो सकता है।
6)   आयुर्वेद के मत से इस रोग का मुख्य कारण वायु का प्रकुपित होना है।

पैरालिसिस / लकवा के प्रकार : Types of Paralysis

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यह रोग सारे शरीर पर हो सकता है। प्रायः शरीर का आधा हिस्सा रोगग्रस्त हो सकता है या केवल मुख का भाग (लकवा) रोगग्रस्त हो सकता है। इस रोग का हमला व्यक्ति पर कभी भी हो सकता है।
पक्षाघात के विविध नाम हैं जो इस प्रकार हैं
पक्षबध, पक्षाघात, अर्धांगवात, अर्धांगवध, एकांगवात, एक पक्षवध, हेमोप्लीजिया, फालिज
केवल वात-प्रकोप से जो पक्षाघात होता है, वह कष्टसाध्य होता है जो संसृष्ट वायु से पक्षाघात होता है, वह साध्य होता है तथा जो धातु-क्षय के कारण कुपित वात से पक्षाघात होता है, वह असाध्य होता है
1) मुंह का लकवा / Facial Paralysis गर्भिणी स्त्रियों में, प्रसूता स्त्रियों में, बालकों में, वृद्धों में रक्तक्षय होने पर उच्च स्वर से बोलने से, अति कठिन पदार्थ खाने से, हँसने और जमुंहाई लेने से, विषम बोझ उठाने से, विषम शयन पर सोने से, सिर, नासा, होंठ, कपोल, ललाट और नेत्र सन्धि में स्थित हुई वायु, कुपित होकर जब मुख को पीड़ित कर देती हैअर्दितकहलाती है।
मुंह का लकवा  में मुख टेढ़ा हो जाता है चेहरे के एक ओर की पेशियाँ शिथिल हो जाती हैं आधा चेहरा (टेढा) होता है, सिर चलायमान रहता है वाणी का ठीक निर्गम नहीं होता है नेत्रादि में विकृति होती है तथा जिस पार्श्व में अर्दित होता है उस पाश्र्व, कपोल और दाँतों में पीड़ा होती है।
2) पक्षाघात- इस दशा में आधे शरीर का घात होता है रोगी अपनी इच्छानुसार अर्ध शरीर की पेशियों का संकोच नहीं कर सकता है चेहरा बदल जाता है बोलने में रुकावट होती है तथा सम्वेदना में अन्तर जाता है
3) नरसिंहघात (Paraplegia) – यह शरीर के निचले अधोभाग का रोग है। इसमें कटि (कमर) प्रदेश से लेकर पैरों तक नीचे के अंग प्रत्यंगों की क्रिया शक्ति नष्ट हो जाती है।
4) सर्वांगघात (Piplegia) – यह सम्पूर्ण शरीर में होने वाली विकृति होती है।

पैरालिसिस / लकवा के लक्षण :

1)   प्रकुपित हुए आधे शरीर की नाड़ियों-नसों को सुखाकर यह रोग रक्त-संचार बंद कर देता है। 2) संधियों के जोड़ों को शिथिल करके शरीर के विशेष भाग को बेकार कर देता है। इस कारण उस अंगविशेष में खुद हरकत करने की क्षमता तथा भार उठाने की क्षमता नष्ट हो जाती है।
3)   मुख के लकवाग्रस्त होने पर बोलने की क्षमता भी नहीं रहती। मुख से घर-घरं करके आवाज निकलती है।
4)   आंख-नाक भी विकृत हो जाते हैं। दांतों में दर्द होता है, गर्दन भी टेढ़ी हो जाती है। होंठ नीचे लटक जाते हैं। इस रोग में चमड़ी सुन्न हो जाती है।

मुंह का लकवा कैसे होता है / कारण :

1)    यह बीमारी प्रायः उन्हीं लोगों को होती है जो हमेशा ऊंची आवाज में जोर-जोर से बोलते हैं, जोर-जोर-से हंसते हैं या जिन्हें जंभाइयां अधिक आती हैं।
2)    जो सदैव कठोर आहार-द्रव्यों का सेवन करते हैं।
3)   जो हमेशा ऊंचे-नीचे स्थान पर भारी वजन उठाने का कार्य अधिक करते हैं। उनकी वाय प्रकपित होकर सिर, मस्तक, नाक होंठ और आंखों में आकर रुक जाती है। तब यह रोग मुख को विकृत अर्थात उसके एक भाग को टेढ़ा कर देता है।

पैरालिसिस / लकवा का घरेलु इलाज : आयुर्वेदिक नुस्खे :

9)   काली मिर्च 1 छटांक पीसकर छानकर पाव भर तेल में मिलाकर कुछ देर पकाकर इस तेल का पतला-पतला लेफ करने से पक्षपात, एकांग घात या अर्धाग वात रोग नष्ट हो जाते हैं। यह लेप तुरन्त ही बनाकर गरम करके लगाया जाता है पक्षाघात की रामवाण दवा है प्रसिद्ध स्व० वैद्यराज श्री हरिदास जी ने अपनी अमरकृतिचिकित्सा चन्द्रोदयमें इसकी अत्यधिक प्रशंसा की है।
16)   20 ग्राम लहसुन की छिली हुई गिरी पीसकर गाय के आधा किलो दूध में पकायें और खीर की भाँति गादी हो जाने पर उतार लें शीतल होने पर लकवा रोग (किसी एक ओर का अंग मारा जाना) के रोगी को खिलायें इसके सेवन से रोग जड़ से ठीक हो जाता है। साथ ही लहसुन तेल निम्न प्रकार से बनाकर मालिश करें
लकवा का तेल बनाने की विधिछिली हुई लहसुन की 250 ग्राम गिरियों की पीठी आधा किलो सरसों का तेल और 2 किलो पानी में मिलाकर लोहे की कड़ाही में पकावें जब पानी जल जाये तब कड़ाही को उतारकर ठन्डा कर कपड़े से तेल छानकर किसी साफ स्वच्छ बोतल में सुरक्षित रखें तथा प्रयोग में लायें
17)   लहसुन 250 ग्राम, दूध 500 ग्राम लेकर मन्दाग्नि पर पाक करें। जब लहसुन दूध एकजीव हो जायें तब खूब मलकर छान लें तथा (पुन:) दुबारा छने हुए दूध को आग पर पकाकर खोवा बना लें तदुपरान्त इस खोवा में 500 ग्राम खाँड मिलाकर 10 ग्राम के पेडे बनालें इन पेड़ों को 1 से 2 तक सुबह शाम खाने से अर्धांग वात रोग एवं मुंह का लकवा(अर्दित रोग / FacialParalysis) नष्ट हो जाते हैं अतीव गुणकारी योग है।


51 पैरालिसिस के उपचार में मालिश से भी फायदा मिलता है पर किसी भी प्रकार की मालिश को शुरू करने से पहले एक बार डॉक्टर या फिर किसी आयुर्वेदिक वैद की सलाह जरूर ले। कलौंजी के तेल को गुनगुना कर के हलके हाथों से मालिश करे, इसके साथ दिन में 2 से 3 बार एक चम्मच तेल का सेवन भी करे। इस देसी नुस्खे से 30 दिनों में फरक दिखने लगेगा।

लकवा रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-