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तगर फूल
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Ayurvedic Herb, Tagar , Jadi Booti, Organic |
तगर के गुण :
तगर शीतल, सबके अनुकूल, कड़वेपन के साथ मीठा हल्का स्वाद, विषैले प्रभाव नाशक, सुगंधित, वायु नाशक व स्नायु मंडल को शिथिल कर पीड़ा से राहत देने वाली है।
तगर शीतल, सबके अनुकूल, कड़वेपन के साथ मीठा हल्का स्वाद, विषैले प्रभाव नाशक, सुगंधित, वायु नाशक व स्नायु मंडल को शिथिल कर पीड़ा से राहत देने वाली है।
तगर से इन रोगों में फायदा :
तगर नेत्र रोग, रक्त विकार, मिर्गी, अनिद्रा, सूखी खांसी, श्वास नलियों की सूजन, पुराने घाव, हड्डी टूटने, गठिया और जोड़ों के दर्द, सिर दर्द, नसों में तनाव होने जैसे रोगों में यह आरामदायक होती है।
तगर नेत्र रोग, रक्त विकार, मिर्गी, अनिद्रा, सूखी खांसी, श्वास नलियों की सूजन, पुराने घाव, हड्डी टूटने, गठिया और जोड़ों के दर्द, सिर दर्द, नसों में तनाव होने जैसे रोगों में यह आरामदायक होती है।
नींद की गोलियां लेने वालों को तगर के कैप्सूल रोज रात को लेने से गहरी स्वप्न व पीड़ारहित नींद आ सकती है।
पुराने जख्मों (घावों) और फोड़ों पर तगर का लेप करने से जख्म जल्दी भरकर ठीक हो जाते हैं।
तगर का 1 से 3 ग्राम चूर्ण या 50 से 100 मिलीलीटर पानी में मिलाकर काढ़ा बना लें। इसका सेवन करने से मासिकधर्म नियमित हो जाता है। यह नींद को लाता है और पुराने प्रमेह को ठीक करता है।
तगर को यशद की राख के साथ सेवन करने से गठिया, पक्षाघात, कण्ठ के रोग व सन्धिवात आदि रोग ठीक हो जाते हैं।
तगर के पत्तों को पीसकर आंखों के बाहरी हिस्सों में लेप करने से आंखों का दर्द बंद हो जाता है।
तगर को यशद की राख के साथ सेवन करने से गठिया, पक्षाघात, कण्ठ के रोग व सन्धिवात आदि रोग ठीक हो जाते हैं।
तगर के पत्तों को पीसकर आंखों के बाहरी हिस्सों में लेप करने से आंखों का दर्द बंद हो जाता है।
लगभग 2 ग्राम तगर को ठंडे पानी में पीसकर 1 महीने तक प्रतिदिन सुबह पीने से हिस्टीरिया और मिर्गी का रोग ठीक हो जाता है।
इसकी लकड़ी और जड़ धुप में और हवन में जलाई जाती है.
इसकी जड़ को घिसकर लगाने से मस्तकशूल में आराम मिलता है.
इसकी जड़ को घिसकर लगाने से मस्तकशूल में आराम मिलता है.
छाती के हडि्डयों की जोड़ के दर्द में तगर की हरी जड़ की छाल की तीन ग्राम मात्रा को छाछ में पीसकर पीना चाहिए।
पुराने जख्मों (घावों) और फोड़ों पर इसका लेप करने से जख्म जल्दी भरकर ठीक हो जाते हैं।
लगभग 25 मिलीग्राम से 900 मिलीग्राम तगर का चूर्ण बनाकर रोगी को सुबह और शाम को देने से भ्रम रोग दूर हो जाता है।
तगर, सेंधानमक, कटेरी, कूठ और देवदारु को मिलाकर तिल के तेल में पकाकर मिश्रण बना लें, फिर इसी तेल में भिगी हुई रुई का फोहा बनाकर योनि में रखने से योनि का दर्द शांत हो जाता है।
तगर, सेंधानमक, कटेरी, कूठ और देवदारु को मिलाकर तिल के तेल में पकाकर मिश्रण बना लें, फिर इसी तेल में भिगी हुई रुई का फोहा बनाकर योनि में रखने से योनि का दर्द शांत हो जाता है।
लगभग 250 मिलीग्राम ग्राम से 900 मिलीग्राम तगर के चूर्ण को सुबह और शाम शहद के साथ लेने से घबराहट दूर हो जाती है इसके अलावा मानसिक अशांति खत्म हो जाती है।
हाथ-पैर की ऐंठन को दूर करने के लिए लगभग 150 मिलीग्राम तगर का सेवन करने से लाभ मिलता है।
लगभग 2 ग्राम तगर को ठंडे पानी में पीसकर 1 महीने तक प्रतिदिन सुबह पीने से हिस्टीरिया और मिर्गी का रोग ठीक हो जाता है।
लगभग 250 से 900 मिलीग्राम तगर के चूर्ण को यशद भस्म के साथ सुबह-शाम सेवन करने से कम्पवात ठीक होता है.
Jadi Booti, Ayurvedic Herbs, Organic Herbs |
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