Saturday 1 September 2018

रसौत

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#रसौत तीखा व पीले रंग का होता है। यह पस (मवाद) को पकाता है। रसौत में फिटकरी मिलाकर पानी में पीसकर आंख की सूजन पर लगाने से आंखों की सूजन ठीक हो जाती है। सर्दी लगने से होने वाले रोगों में रसौत फायदा करता है। इसके प्रयोग से मूत्र नली (पेशाब की नली) के घाव के ठीक हो जाते हैं। रसौत को पानी में घिसकर सूजन पर लगाने से घाव ठीक हो जाता है, कमल बाय भी ठीक हो जाता है। इसका सेवन 1 ग्राम से 3 ग्राम का होता है।
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गुण (Property)
रसौत कडुवा, विष (जहर) तथा आंखों के लिए लाभदायक है। यह गर्म, रसायन, तीखा एवं घाव आदि विकारों को दूर करने वाली है।
विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)
आंखों के रोग :
सेंधानमक, हर्र, फिटकरी और अफीम को रसौत के साथ लेप बनाकर आंखों के बाहर चारों ओर लगाने से लाभ होता है।
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मुखक्षत :
रसौत को शहद के साथ गर्म करके मुखक्षत पर लगाने से लाभ होता है।
रसौत लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में रोजाना दिन में 3 बार खाली पेट या खाना खाने के 2 घंटे आगे पीछे देने से लाभ होता हैं। ध्यान रहे कि सेवन के बाद चादर ओढ़कर सोयें। कुछ देर के बाद प्यास और घबराहट होगी, चिंता की बात न करें पानी न पीयें। पसीना निकलने के बाद कमजोरी महसूस होगी। 1 घंटे बाद चावल के पानी या दूध का प्रयोग करें।
विनसेण्ट एनजाइना :
रसौत, कपूर और मक्खन को मिलाकर टांसिलों पर लगाने से जल्दी आराम मिलता है।
आंखों का नासूर :
बच्चे वाली औरत के दूध में रसौत को घिसकर आंखों में काजल की तरह थोड़े दिनों तक लगाने से आंखों के जख्म और नासूर पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं।
रसौत को घिसकर गुलाबजल में मिलाकर आंखों में लगाने से गर्मी के कारण दुखती हुई आंखों का लाल होना दूर होता है।
रसौत को पानी में घिसकर लगाने से पलकों की सूजन दूर हो जाती है।
गले के रोग :
रसौत 5 से 20 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम मक्खन के साथ सेवन करने से फुफ्फुसावरण (फेफड़ों के रोग) में बहुत लाभ मिलता है।
गुदा पाक (गुदा के पकने पर) :
रसौत को पानी के साथ पीसकर बच्चे के गुदा पर लगाएं। यह गुदा पाक में लाभकारी होता है।
1 ग्राम से 3 ग्राम रसौत को लेकर मक्खन या मलाई में मिला लें। यह मिश्रण रोजाना सुबह-शाम बच्चे को खिलाये और इसका मलहम बच्चे के गुदा छिद्र के चारों ओर लगाएं। इससे बच्चों का गुदा पाक ठीक हाता है।
गुदा पाक (गुदा के पकने पर) :
रसौत, नागरमोथा एवं लोध्र को शहद में मिलाकर मसूढ़ों पर लेप करने से व मसूढ़ों पर मलने से मसूढ़ों के सभी रोग ठीक होते हैं।
मुंह के छाले :
रसौत में शहद मिलाकर मुंह के अंदर रखने से मुंह में हुए दाने व मुंह का आना ठीक हो जाता है।
गर्भनिरोध :
रसोत, हरीतकी, आमलकी, 6-6 ग्राम की मात्रा में पीसकर और छानकर 3-3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ 3 दिनों तक लगातार माहवारी के बाद सेवन करने से 3 वर्ष तक गर्भ नहीं ठहरता है।
गर्भनिरोध :
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रसौत को पीसकर शहद में मिलाकर बूंद-बूंद करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
दस्त :
रसौत, आम की गुठली और पीपल आदि को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बनाकर लगभग आधा ग्राम शहद के देने से बच्चों को होने वाला अतिसार (दस्त) बंद हो जाता है।
बवासीर (अर्श):
5 ग्राम रसौत, 50 ग्राम छोटी हरड़ और 50 ग्राम अनार के पेड़ की छाल को मिलाकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। रोजाना 5 ग्राम चूर्ण सुबह पानी के साथ पीने से अर्श (बवासीर) में खून गिरना बंद हो जाता है।
रसौत, कपूर और नीम के बीजों (बीज) को पानी के साथ पीसकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से सूख जाते हैं।
3 ग्राम रसौत और 3 ग्राम अजवायन को मिलाकर खाने से बवासीर (अर्श) ठीक होती है।
रसोत लगभग आधा ग्राम से लगभग 2 ग्राम की मात्रा में रोजाना लेने से रोग में आराम मिलता है।
कान का बहना :
रसौत को औरत के दूध के साथ पीसकर उसके अंदर शहद और घी मिलाकर कान में डालने से बदबू के साथ मवाद निकलना बंद हो जाता है।
संग्रहणी :
50 ग्राम रसौत को मोटा-मोटा पीसकर 250 मिलीलीटर पानी में 1 घंटा भिगोने के बाद मसलकर छानकर आग पर पकायें। जब पककर गाढ़ा हो जाये तो उसके बाद कालीमिर्च जैसी गोलियां बना लें। 5-5 गोली हर 4 घंटे के बाद मट्ठा (लस्सी) के साथ सेवन करने से संग्रहणी अतिसार (ऑव दस्त) का रोग दूर हो जाता है।
पित्त संग्रहणी होने पर रसौत, अतीस, इन्द्रयव, धाय के फूल सबको एक ही मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। इसमें 2 चुटकी चूर्ण गाय के मट्ठा (लस्सी) के साथ खाने से संग्रहणी अतिसार के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
चोट :
चोट, मोच अभिघात से उत्पन्न सूजन पर लोध्र का लेप करने से लाभ होता है और सूजन कम हो जाती है।

कर्णमूल प्रदाह :
कान की सूजन में जलन होने पर रसौत का लेप करने से लाभ होता है।
भगन्दर :
रसौत, दोनों हल्दी, मजीठ, नीम के पत्ते, निशोथ, तेजबल को बारीक पीसकर भगन्दर पर लेप करने से भगन्दर ठीक हो जाता है।
प्रदर रोग :
रसौत और लाख को बकरी के दूध में मिलाकर पीने से रक्तप्रदर मिट जाता है।
रसौत और चौलाई की जड़ चावल के पानी के साथ पीने से प्रदर में आराम होता है 

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