Wednesday, 31 October 2018

जवाखार है अनेक रोगों में उपयोगी औषधि (Jawakhar)

सभी शुद्ध शक्तिवर्धक जड़ी बूटी और पाउडर खरीदने के लिए log on करें https://indianjadibooti.com

 जवाखार का रंग सफेद होता है।

इसका स्वाद तेज नमकीन होता है।

जवाखार क्या है और कैसे तैयार होता है 

जौ के दाने से युक्त सूखे पौधे को लाकर, उन्हें जलाकर राख बनाएं। फिर उस राख को 10 गुने पानी में रात्रि में भिगों दें। सुबह के समय निथरा हुआ पानी सावधानीपूर्वक कपडे़ से छानकर कलई वाली कड़ाही में उबालें। पानी जल जाने पर जो बचता है उसी को जवाखार कहते हैं। यह मालाबार में अधिक मात्रा में बनाया जाता है। इसकी प्रकृति गर्म होती है, 

विभिन्न रोगों में उपयोग :


1. मूत्राघात:

जवाखार, इलायची और फिटकरी को बराबर लेकर कूट पीस लें फिर इस चूर्ण में शहद मिला दें। इसे सुबह-शाम 3 ग्राम खाने से पेशाब खुलकर आता है और पेशाब में धातु आना भी बंद हो जाता है।

2. मलेरिया का बुखार:

जवाखार 3 ग्राम, पीपल का चूर्ण 3 ग्राम को पीसकर गुड़ में मिलाकर छोटी-छोटी बराबर आकार की गोलियां बनाकर रख लें। सुबह और शाम को एक गोली गर्म पानी से लें।

3. बुखार:

जवाखार 360 मिलीग्राम और पीपल का चूर्ण 360 मिलाग्राम में 6 ग्राम गुड मिलाकर दिन में 2 बार देने से मलेरिया बुखार दूर हो जाता है।

4. मुंह का रोग:

जवाखार, पांचों नमक व शहद मिलाकर जीभ, होंठ व गले के छाले पर लगायें। इससे मुंह के सभी रोग ठीक होते हैं।

5. हिचकी का रोग:

जवाखार में शुद्ध घी और शहद मिलाकर चाटने से हिचकी बंद हो जाती है।

6. मक्कल शूल:

जवाखार का महीन चूर्ण गुनगुने गर्म पानी अथवा घी के साथ पीने से मक्कल शूल नष्ट हो जाता है।

7. गुर्दे के रोग:

जवाखार और शक्कर दोनों चीजें 2-2 ग्राम में लेकर मिला लें। इसे पीसकर पानी के साथ खाने से पथरी टूट-टूटकर पेशाब के साथ निकल जाती है। इस मिश्रण को रोज सुबह-शाम खाने से आराम आता है।

गाय के दूध के 250 मिलीलीटर मट्ठे में 5 ग्राम जवाखार मिलाकर सुबह और शाम पीने से गुर्दे की पथरी खत्म होती है।

8. घाव

जवाखार, सज्जी 10-10 ग्राम को पानी में पीसकर घाव पर लगायें। इससे सूजन उतरकर घाव भर जाता है।

9. अग्निमान्द्यता (अपच):**

जवाखार और सोंठ का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर रोजाना सुबह पानी के साथ इस्तेमाल करने से लाभ होता है।

*10. पथरी:**

जवाखार 2 ग्राम और चीनी 2 ग्राम को मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से पेट की गैस दूर होती है तथा पथरी गल जाती है।

*जवाखार 2 ग्राम तथा सुहागा 2 ग्राम को पीसकर चूर्ण बना लें। उस चूर्ण में गोखरू का 20 ग्राम रस मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीयें। इससे पथरी गलकर निकल जाती है।

*जवाखार, गोखरू तथा पत्थरचट तीनों 2-2 ग्राम की मात्रा में मिलाकर पानी के साथ खायें। लगातार दो महीने तक इसको खाने से पथरी घुलकर निकल जाती है।

*11. आमाशय की जलन:**

*120 मिलीलीटर से 240 मिलीलीटर जवाखार को सुगंधित पेय जैसे- लौंग या दालचीनी में मिलाकर शर्बत बनाकर भोजन से 20 मिनट पहले सुबह और शाम पिलाने से लाभ होता है।

*12. जिगर का रोग:**

* जवाखार को मट्ठे के साथ सेवन करने से यकृत की बीमारी से राहत मिलती है।

*13. यकृत का बढ़ना:**

*360 मिलीग्राम जवाखार को पानी के साथ खाने से यकृत के सभी रोग मिट जाते हैं।

*5-5 ग्राम जवाखार, पीपल, बायबिडंग, एक साथ बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर, छानकर चूर्ण बना लें। इसमें से एक चुटकी चूर्ण शहद के साथ सुबह देने से यकृत रोग मिट जाता है।

सर्वोत्तम गुणवत्ता की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी, मसाले और पूजा सामग्री IndianJadiBooti.com पर उपलब्ध है. सभी जड़ी बूटी और मसाले केवल छानकर और शुद्ध करके ही बेचे जाते है, IndianJadiBooti का नाम शुध्दता और उच्चतम गुणवत्ता की पहचान https://indianjadibooti.com

IndianJadiBooti के सभी Products वेबसाइट के साथ ही भारत के सभी प्रमुख Online Portals पर उपलब्ध हैं


14. जलोदर

जवाखार, त्रिकुटा और सेंधानमक का चूर्ण मिलाकर छाछ पीने से लाभ होता है।

*15. वीर्य रोग:**

* 1 ग्राम जवाखार में 10 ग्राम शक्कर मिलाकर पानी के साथ लेने से पेशाब के बाद वीर्य का गिरना रुक जाता है।

*16. मसूढ़ों का रोग:**

* जवाखर 20 ग्राम और पांचों नमक 20 ग्राम को बारीक पीसकर उसमें शहद मिलाकर मंजन बना लें। इसके मंजन से रोजाना सुबह-शाम मंजन करें। इससे मसूढ़ें स्वस्थ्य होते हैं।

*17. पेट दर्द:**

*100 ग्राम जौ के आटे में थोड़ा-सा जवाखार डालकर छाछ में मिलकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को गर्म करके पेट पर लेप लगाकर ऊपर से कपड़ा बांधकर दें। इससे पेट के दर्द में लाभ मिलता है।

*जवाखार 120 मिलीग्राम से 240 मिलीग्राम को लौंग या दालचीनी मिश्रित सुगंधित शर्बत में मिलाकर खाना खाने के 2 घंटे बाद रोजाना नियमित रूप सेवन करें। इससे भोजन करने के बाद होने वाला पेट दर्द समाप्त हो जाता है।

18. हैजा: जौ का आटा तथा जवाखार-इन दोनों को छाछ में पीसकर, आग पर पका लें। इस लेप को गर्म-गर्म ही पेट पर लेप करने से हैजा के रोगी का पेट दर्द दूर हो जाता है।

19. कुष्ठ (कोढ़): गन्धक और जवाखार का चूर्ण सरसों के तेल में मिलाकर लगाने से `सिध्म कुष्ठ´ समाप्त हो जाता है!!**

मात्रा : जवाखार को एक बार में 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करना चाहिए ,   जवाखार का अधिक मात्रा में उपयोग करने से जी मिचलाने लगता है। वंशलोचन और बबूल का गोंद, जवाखार के दोषों को दूर करता है।


 

No comments:

Post a Comment