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ममीरा से रोग उपचार https://indianjadibooti.com/Jadistore/kiraitapili-Jadi
परिचय
ममीरा आँख के रोगों की अपूर्व ओषधि मानी जाती है , यह एक वर्ष की आयु वाला पौधा होता है, लेकिन जड इसकी बहु-वर्षीय होती है। आसाम के लोग इसे मिष्मी तीता कहते हैं-क्योंकि ये स्वाद में तिक्त (तीखा) होता है। इसके सफेद रंग के फूल छोटे आकार के होते हैं जो सितम्बर-अक्टूबर माह में खिलते हैं। इन्हीं महीनों में ममीरे का संग्रह करना चाहिए। वैसे यह चीन में अधिक पाया जाता है। यहां काबुल से लेकर आसाम तक तथा हिमालय की तराइयों में मिलता है। इसके गुणों के कारण ही, इसका औषधि रुप में उपयोग किया जाता है। इसकी तासीर गर्म होती है।
प्रयोग
तिजारी बुखार: जिन लोगों को एक दिन छोडकर कर एक दिन बुखार आता है-ऐसे रोगियों को 2 मिलीग्राम ममीरे का चूर्ण बनाकर हर चार घंटे बाद सेवन कराने से तीन दिन में ही बुखार टूट जाता है।
आंखों के रोग: आंखों के रोगों में इसका लेप बहुत लाभकारी होता है। वैसे आंखों के फूलने, लाली तथा जलन रोग में ममीरे का बना सुरमा हर रोज प्रयोग करने पर 10 दिन में ही इन रोगों से छूटकारा मिल जाता है। आंखों की लाली व जलन दूर हो जाती है। फूला 40 दिन में कट जाता है।
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जिगर तथा पेट का रोग: पेट में दर्द, जलन, सूजन, अथवा जिगर के खराब होने अथवा बढ जाने पर रोगी को सुबह शाम ममीरे के चूर्ण का आधा चम्मच ताजा पानी के साथ सेवन कराने से पेट के समस्त रोग दूर हो जाते हैं। जिगर ठीक हो जाता है। बढा हुआ जिगर भी कम हो जाता है। पेट का दर्द, जलन व सूजन सब दूर हो जाते हैं।
यदि आपके चेहरे पर मुहासे हों और सब कुछ आजमा लिया हो तो इसकी जड़ घिसकर लगायें-
यदि आपके शरीर में अधिक कमजोरी हो तो ममीरा के साथ शतावर , मूसली और अश्वगंधा मिलाकर अवश्य लें-
यदि आपकी आँतों में या पेट में इन्फेक्शन (Infection) हो तो इसकी जड़ कूटकर रस या काढ़ा लें .
ममीरा से रोग उपचार https://indianjadibooti.com/Jadistore/kiraitapili-Jadi
परिचय
ममीरा आँख के रोगों की अपूर्व ओषधि मानी जाती है , यह एक वर्ष की आयु वाला पौधा होता है, लेकिन जड इसकी बहु-वर्षीय होती है। आसाम के लोग इसे मिष्मी तीता कहते हैं-क्योंकि ये स्वाद में तिक्त (तीखा) होता है। इसके सफेद रंग के फूल छोटे आकार के होते हैं जो सितम्बर-अक्टूबर माह में खिलते हैं। इन्हीं महीनों में ममीरे का संग्रह करना चाहिए। वैसे यह चीन में अधिक पाया जाता है। यहां काबुल से लेकर आसाम तक तथा हिमालय की तराइयों में मिलता है। इसके गुणों के कारण ही, इसका औषधि रुप में उपयोग किया जाता है। इसकी तासीर गर्म होती है।
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प्रयोग
तिजारी बुखार: जिन लोगों को एक दिन छोडकर कर एक दिन बुखार आता है-ऐसे रोगियों को 2 मिलीग्राम ममीरे का चूर्ण बनाकर हर चार घंटे बाद सेवन कराने से तीन दिन में ही बुखार टूट जाता है।
आंखों के रोग: आंखों के रोगों में इसका लेप बहुत लाभकारी होता है। वैसे आंखों के फूलने, लाली तथा जलन रोग में ममीरे का बना सुरमा हर रोज प्रयोग करने पर 10 दिन में ही इन रोगों से छूटकारा मिल जाता है। आंखों की लाली व जलन दूर हो जाती है। फूला 40 दिन में कट जाता है।
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जिगर तथा पेट का रोग: पेट में दर्द, जलन, सूजन, अथवा जिगर के खराब होने अथवा बढ जाने पर रोगी को सुबह शाम ममीरे के चूर्ण का आधा चम्मच ताजा पानी के साथ सेवन कराने से पेट के समस्त रोग दूर हो जाते हैं। जिगर ठीक हो जाता है। बढा हुआ जिगर भी कम हो जाता है। पेट का दर्द, जलन व सूजन सब दूर हो जाते हैं।
यदि आपके चेहरे पर मुहासे हों और सब कुछ आजमा लिया हो तो इसकी जड़ घिसकर लगायें-
यदि आपके शरीर में अधिक कमजोरी हो तो ममीरा के साथ शतावर , मूसली और अश्वगंधा मिलाकर अवश्य लें-
यदि आपकी आँतों में या पेट में इन्फेक्शन (Infection) हो तो इसकी जड़ कूटकर रस या काढ़ा लें .
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