Wednesday, 31 October 2018

मोटापा घटाने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic Tips for Weight Loss)



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अश्वगंधा के पत्ते को मसलकर गोली बनाकर प्रतिदिन सुबह,दोपहर,शाम को भोजन से एक घंटा पहले या खाली पेट जल के साथ निगल लें ! एक सप्ताह के नियमित सेवन के साथ फल,सब्जियों,दूध,छाछ और जूस पर रहते हुए कई किलो वजन कम किया जा सकता है !

मूली के रस में थोडा नमक और निम्बू का रस मिलाकर नियमित रूप से पीने से मोटापा कम हो जाता है और शरीर सुडौल हो जाता है .

* आहार में गेहूं के आटे और मैदा से बने सभी व्यंजनों का सेवन एक माह तक बिलकुल बंद रखें तथा इसमें रोटी भी शामिल है अब अपना पेट पहले के ४-६ दिन तक केवल दाल,सब्जियां और मौसमी फल खाकर ही भरें और दालों में आप सिर्फ छिलके वाली मूंग कि दाल ,अरहर या मसूर कि दाल ही ले सकतें हैं चनें या उडद कि दाल नहीं तथा सब्जियों में जो इच्छा करें वही ले सकते हैं गाजर,मूली,ककड़ी,पालक,पतागोभी,पके टमाटर और हरी मिर्च लेकर सलाद बना लें . सलाद पर मनचाही मात्रा में कालीमिर्च,सैंधा नमक,जीरा बुरककर और निम्बू निचोड़ कर खाएं बस गेहूं कि बनी रोटी छोडकर दाल,सब्जी,सलाद और एक गिलास छाछ का भोजन करते हुए घूंट घूंट करके पीते हुए पेट भरना चाहिए . इसमें मात्रा ज्यादा भी हो जाए तो चिंता कि कोई बात नहीं . इस प्रकार ६-७ दिन तक खाते रहें . इसके बाद गेहूं कि बनी रोटी कि जगह चना और जौ के बने आटे कि रोटी खाना शुरू करें फिर ५ किलो देशी चना और एक किलो जौ को मिलकर साफ़ करके पिसवा लें ! ६-७ दिन तक इस आटे से बनी रोटी आधी मात्रा में और आधी मात्रा में दाल,सब्जी,सलाद और छाछ लेना शुरू करें .एक महीने बाद गेहूं कि रोटी खाना शुरू कर सकते हैं लेकिन शुरुआत एक रोटी से करते हुए धीरे धीरे बढाते जाएँ . भादों के महीने में छाछ का प्रयोग नहीं किया जाता है इसलिए इस महीनें में छाछ का प्रयोग नां करें …

* एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाकर उसको छानकर एक एक चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में तीन बार नियमित सेवन करने से मोटापा दूर होता है ..

* चित्रक कि जड़ का चूर्ण एक ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सुबह शाम नियमित रूप से सेवन करने और खानपान का परहेज करनें से भी मोटापा दूर किया जा सकता है .

* बिना बुझा चूना 15 ग्राम पीसकर 250 ग्राम देशी घी में मिलाकर कपड़े में छानकर सुबह-शाम 6-6 ग्राम की मात्रा में चाटने से मोटापा कम होता है।

* सहजन के पेड़ के पत्ते का रस 3 चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से त्वचा का ढीलापन दूर होता है और चर्बी की अधिकता कम होती है।

* अर्जुन के 2 ग्राम चूर्ण को अग्निमथ के काढ़े में मिलाकर पीने से मोटापा दूर होता है।

* भृंगराज के पेड़ के पत्ते का रस 5 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ प्रयोग करने से मोटापा कम होता है।

* 120 से 240 ग्राम शहद 100 से 200 मिलीलीटर गुनगुना पानी के साथ दिन में 3 बार लेने से शरीर का थुलथुलापन दूर होता है।

* विडंग के बीज का चूर्ण 1 से 3 ग्राम शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा में लाभ मिलता है।
वायविंडग, सोंठ, जवाक्षार, कांतिसार, जौ और आंवले का चूर्ण शहद में मिलाकर सेवन करने से मोटापा में दूर होता है।


* तुलसी के कोमल और ताजे पत्ते को पीसकर दही के साथ बच्चे को सेवन कराने से अधिक चर्बी बनना कम होता है। तुलसी के पत्तों के 10 ग्राम रस को 100 ग्राम पानी में मिलाकर पीने से शरीर का ढीलापन व अधिक चर्बी नष्ट होती है।तथा तुलसी के पत्तों का रस 10 बूंद और शहद 2 चम्मच को 1 गिलास पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा कम होता है।

* रात को सोने से पहले त्रिफला का चूर्ण 15 ग्राम की मात्रा में हल्के गर्म पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इस पानी को छानकर शहद मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे मोटापा जल्दी दूर होता है। त्रिफला, त्रिकुटा, चित्रक, नागरमोथा और वायविंडग को मिलाकर काढ़ा में गुगुल को डालकर सेवन करें। त्रिफले का चूर्ण शहद के साथ 10 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार (सुबह और शाम) पीने से लाभ होता है।

* हरड़ 500 ग्राम, 500 ग्राम सेंधानमक व 250 ग्राम कालानमक को पीसकर इसमें 20 ग्राम ग्वारपाठे का रस मिलाकर अच्छी तरह मिलाकर सूखा लें। यह 3 ग्राम की मात्रा में रात को गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सेवन करने से मोटापे के रोग में लाभ मिलता है।

* सोंठ, जवाखार, कांतिसार, जौ और आंवला बराबर मात्रा में लेकर पीसकर छान लें और इसमें शहद मिलाकर पीएं। इससे मोटापे की बीमारी समाप्त हो जाती है।

* सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल, चव्य, सफेद जीरा, हींग, कालानमक और चीता बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण सुबह 6 ग्राम चूर्ण में गर्म पानी के साथ पीने से मोटापा कम होता है।

* गिलोय, हरड़, बहेड़ा और आंवला मिलाकर काढ़ा बनाकर इसमें शुद्ध शिलाजीत मिलाकर खाने से मोटापा दूर होता है और पेट व कमर की अधिक चर्बी कम होती है।


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* गिलोय 3 ग्राम और त्रिफला 3 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें और यह सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से मोटापा कम होता है।

* गिलोय, हरड़ और नागरमोथा बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। यह 1-1 चम्मच चूर्ण शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से त्वचा का लटकना व अधिक चर्बी कम होता है।

* गुग्गुल, त्रिकुट, त्रिफला और कालीमिर्च बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को अच्छी तरह एरण्ड के तेल में घोटकर रख लें। यह चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मोटापा की बीमारी ठीक होती है।

* तिल के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से शरीर पर बनी हुई अधिक चर्बी कम होती है।

* दही को खाने से मोटापा कम होता है।तथा छाछ में कालानमक और अजवायन मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।

* आलू को उबालकर गर्म रेत में सेंकर खाने से मोटापा दूर होता है।
* 100 ग्राम कुल्थी की दाल प्रतिदिन सेवन करने से चर्बी कम होती है।

* 4 पीपल पीसकर आधा चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से मोटापा कम होता है।
* पालक के 25 ग्राम रस में गाजर का 50 ग्राम रस मिलाकर पीने से शरीर का फैट (चर्बी) समाप्त होती है। 50 ग्राम पालक के रस में 15 ग्राम नींबू का रस मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त होता है।

* डिकामाली (एक तरह का गोंद) लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में गर्म पानी के साथ मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापा कम होता है।

* एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा दूर होता है।तथा एरण्ड के पत्तों का रस हींग मिलाकर पीने और ऊपर से पका हुआ चावल खाने से अधिक चर्बी नष्ट होती है। एरंड को अंडी भी कहा जाता है ..

* पिप्पली का चूर्ण लगभग आधा ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ प्रतिदिन 1 महीने तक सेवन करने से मोटापा समाप्त होता है।

* पीप्पल 150 ग्राम और सेंधानमक 30 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर कूटकर 21 खुराक बना लें। यह दिन में एक बार सुबह खाली पेट छाछ के साथ सेवन करें। इससे वायु के कारण पेट की बढ़ी हुई चर्बी कम होती है।

* पिप्पली के 1 से 2 दाने दूध में देर तक उबाल लें और दूध से पिप्पली निकालकर खा लें और ऊपर से दूध पी लें। इससे मोटापा कम होता है।

* जवाखार 35 ग्राम और चित्रकमूल 175 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें। यह 5 ग्राम चूर्ण एक नींबू का रस, शहद और 250 ग्राम गुनगुने पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट लगातार 40 दिनों तक पीएं। इससे शरीर की फालतू चर्बी समाप्त हो जाती है और शरीर सुडौल होता है। या फिर जौखार का चूर्ण आधा-आधा ग्राम दिन में 3 बार पानी के साथ सेवन करने से मोटापा दूर होता है।

* चित्रक की जड़ का बारीक चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से पेट की बीमारियां और मोटापा समाप्त होता है।

* प्रतिदिन अनन्नास खाने से स्थूलता नष्ट होती है क्योंकि अनन्नास चर्बी को नष्ट करता है।

* मोटापा कम करेगी यह स्पेशल चाय एक चम्मच सूखा अदरक पाउडर, आधा चम्मच धनिया पाउडर, दो चम्मच गुड़, आधा चम्मच सौंफ, एक टी बैग और एक कप पानी। सौंफ को दो मिनट पानी में उबालिए और गर्म पानी में 1 मिनट के लिए टी बैग डालें। इससे फ्लेवर आ जाएगा। और चाय का स्वाद भी कुछ बदल जाएगा जो पीने में अच्छा लगेगा। आखिर में सारे पदार्थ इसमें मिला दें और गुड़ मिलाकर इसे घोलें। जब गुड़ मिल जाए तो स्वाद के साथ पीएं।



गेहूं ,चावल,बाजरा और साबुत मूंग को समान मात्रा में लेकर सेककर इसका दलिया बना लें ! इस दलिये में अजवायन २० ग्राम तथा सफ़ेद तिल ५० ग्राम भी मिला दें ! ५० ग्राम दलिये को ४०० मि.ली.पानी में पकाएं ! स्वादानुसार सब्जियां और हल्का नमक मिला लें ! नियमित रूप से एक महीनें तक इस दलिये के सेवन से मोटापा और मधुमेह में आश्चर्यजनक लाभ होता है.




* सबसे पहले मोटापे से पीड़ित रोगी को समझना चाहिए कि जब तक आप अपने खान-पान में सुधार नहीं करेगें, तब तक आपका मोटापा दूर नहीं हो सकता है। सादा भोजन और व्यायाम शरीर में अधिक चर्बी को पिघलाता है। मालिश उसमें सहायता करती है और रोगी के शरीर मे कमजोरी नहीं आने देती है, साथ ही चर्बी घटने पर शरीर के मांस को ढीला नहीं पड़ने देती, बल्कि मालिश शरीर को मजबूत तथा आकर्षक बना देती है। इसलिए मोटापा कम करने वाले व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने भोजन में सुधार करे तथा प्रतिदिन व्यायाम करें। ठण्डी मालिश मोटापा दूर करने में विशेष सहायता करती है, इसके अलावा तेल मालिश या सूखी मालिश भी की जा सकती है। वैसे तेल मालिश का उपयोग कम ही करें तो अच्छा है क्योंकि तेल की मालिश तभी अधिक लाभ देती है जब रोगी उपवास कर रहा हो।

जवाखार है अनेक रोगों में उपयोगी औषधि (Jawakhar)

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 जवाखार का रंग सफेद होता है।

इसका स्वाद तेज नमकीन होता है।

जवाखार क्या है और कैसे तैयार होता है 

जौ के दाने से युक्त सूखे पौधे को लाकर, उन्हें जलाकर राख बनाएं। फिर उस राख को 10 गुने पानी में रात्रि में भिगों दें। सुबह के समय निथरा हुआ पानी सावधानीपूर्वक कपडे़ से छानकर कलई वाली कड़ाही में उबालें। पानी जल जाने पर जो बचता है उसी को जवाखार कहते हैं। यह मालाबार में अधिक मात्रा में बनाया जाता है। इसकी प्रकृति गर्म होती है, 

विभिन्न रोगों में उपयोग :


1. मूत्राघात:

जवाखार, इलायची और फिटकरी को बराबर लेकर कूट पीस लें फिर इस चूर्ण में शहद मिला दें। इसे सुबह-शाम 3 ग्राम खाने से पेशाब खुलकर आता है और पेशाब में धातु आना भी बंद हो जाता है।

2. मलेरिया का बुखार:

जवाखार 3 ग्राम, पीपल का चूर्ण 3 ग्राम को पीसकर गुड़ में मिलाकर छोटी-छोटी बराबर आकार की गोलियां बनाकर रख लें। सुबह और शाम को एक गोली गर्म पानी से लें।

3. बुखार:

जवाखार 360 मिलीग्राम और पीपल का चूर्ण 360 मिलाग्राम में 6 ग्राम गुड मिलाकर दिन में 2 बार देने से मलेरिया बुखार दूर हो जाता है।

4. मुंह का रोग:

जवाखार, पांचों नमक व शहद मिलाकर जीभ, होंठ व गले के छाले पर लगायें। इससे मुंह के सभी रोग ठीक होते हैं।

5. हिचकी का रोग:

जवाखार में शुद्ध घी और शहद मिलाकर चाटने से हिचकी बंद हो जाती है।

6. मक्कल शूल:

जवाखार का महीन चूर्ण गुनगुने गर्म पानी अथवा घी के साथ पीने से मक्कल शूल नष्ट हो जाता है।

7. गुर्दे के रोग:

जवाखार और शक्कर दोनों चीजें 2-2 ग्राम में लेकर मिला लें। इसे पीसकर पानी के साथ खाने से पथरी टूट-टूटकर पेशाब के साथ निकल जाती है। इस मिश्रण को रोज सुबह-शाम खाने से आराम आता है।

गाय के दूध के 250 मिलीलीटर मट्ठे में 5 ग्राम जवाखार मिलाकर सुबह और शाम पीने से गुर्दे की पथरी खत्म होती है।

8. घाव

जवाखार, सज्जी 10-10 ग्राम को पानी में पीसकर घाव पर लगायें। इससे सूजन उतरकर घाव भर जाता है।

9. अग्निमान्द्यता (अपच):**

जवाखार और सोंठ का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर रोजाना सुबह पानी के साथ इस्तेमाल करने से लाभ होता है।

*10. पथरी:**

जवाखार 2 ग्राम और चीनी 2 ग्राम को मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से पेट की गैस दूर होती है तथा पथरी गल जाती है।

*जवाखार 2 ग्राम तथा सुहागा 2 ग्राम को पीसकर चूर्ण बना लें। उस चूर्ण में गोखरू का 20 ग्राम रस मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीयें। इससे पथरी गलकर निकल जाती है।

*जवाखार, गोखरू तथा पत्थरचट तीनों 2-2 ग्राम की मात्रा में मिलाकर पानी के साथ खायें। लगातार दो महीने तक इसको खाने से पथरी घुलकर निकल जाती है।

*11. आमाशय की जलन:**

*120 मिलीलीटर से 240 मिलीलीटर जवाखार को सुगंधित पेय जैसे- लौंग या दालचीनी में मिलाकर शर्बत बनाकर भोजन से 20 मिनट पहले सुबह और शाम पिलाने से लाभ होता है।

*12. जिगर का रोग:**

* जवाखार को मट्ठे के साथ सेवन करने से यकृत की बीमारी से राहत मिलती है।

*13. यकृत का बढ़ना:**

*360 मिलीग्राम जवाखार को पानी के साथ खाने से यकृत के सभी रोग मिट जाते हैं।

*5-5 ग्राम जवाखार, पीपल, बायबिडंग, एक साथ बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर, छानकर चूर्ण बना लें। इसमें से एक चुटकी चूर्ण शहद के साथ सुबह देने से यकृत रोग मिट जाता है।

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14. जलोदर

जवाखार, त्रिकुटा और सेंधानमक का चूर्ण मिलाकर छाछ पीने से लाभ होता है।

*15. वीर्य रोग:**

* 1 ग्राम जवाखार में 10 ग्राम शक्कर मिलाकर पानी के साथ लेने से पेशाब के बाद वीर्य का गिरना रुक जाता है।

*16. मसूढ़ों का रोग:**

* जवाखर 20 ग्राम और पांचों नमक 20 ग्राम को बारीक पीसकर उसमें शहद मिलाकर मंजन बना लें। इसके मंजन से रोजाना सुबह-शाम मंजन करें। इससे मसूढ़ें स्वस्थ्य होते हैं।

*17. पेट दर्द:**

*100 ग्राम जौ के आटे में थोड़ा-सा जवाखार डालकर छाछ में मिलकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को गर्म करके पेट पर लेप लगाकर ऊपर से कपड़ा बांधकर दें। इससे पेट के दर्द में लाभ मिलता है।

*जवाखार 120 मिलीग्राम से 240 मिलीग्राम को लौंग या दालचीनी मिश्रित सुगंधित शर्बत में मिलाकर खाना खाने के 2 घंटे बाद रोजाना नियमित रूप सेवन करें। इससे भोजन करने के बाद होने वाला पेट दर्द समाप्त हो जाता है।

18. हैजा: जौ का आटा तथा जवाखार-इन दोनों को छाछ में पीसकर, आग पर पका लें। इस लेप को गर्म-गर्म ही पेट पर लेप करने से हैजा के रोगी का पेट दर्द दूर हो जाता है।

19. कुष्ठ (कोढ़): गन्धक और जवाखार का चूर्ण सरसों के तेल में मिलाकर लगाने से `सिध्म कुष्ठ´ समाप्त हो जाता है!!**

मात्रा : जवाखार को एक बार में 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करना चाहिए ,   जवाखार का अधिक मात्रा में उपयोग करने से जी मिचलाने लगता है। वंशलोचन और बबूल का गोंद, जवाखार के दोषों को दूर करता है।


 

Monday, 29 October 2018

IndianJadiBooti.com: किडनी की पत्थरी को खत्म करने की रामबाण दवा कुल्थी ...

IndianJadiBooti.com: किडनी की पत्थरी को खत्म करने की रामबाण दवा कुल्थी ...: आज कल पथरी की समस्या आम हो गयी है पथरी का दर्द बहुत ही पीड़ादायक होता है कई बार तो ऑपरेशन से ही पथरी को बाहर निकलना पड़ता है लेकिन आज जो ह...

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किडनी की पत्थरी को खत्म करने की रामबाण दवा कुल्थी की दाल


आज कल पथरी की समस्या आम हो गयी है पथरी का दर्द बहुत ही पीड़ादायक होता है कई बार तो ऑपरेशन से ही पथरी को बाहर निकलना पड़ता है लेकिन आज जो हम उपाय बता रहे है उससे पथरी बाहर निकल जायगी चाहे किडनी की हो या मूत्राशय की



पथरी की रामबाण दवा-
कुल्थी की दाल उड़द की दाल की तरह होती है यह लाल रंग की होती है
250 ग्राम कुल्थी कम से कम 3 किलो पानी में भिगो कर रख दे और सुबह उसी पानी के साथ ही इसे धीमी धीमी आग पर कम से कम 4 घंटे पकने के लिए रख दे और जन ३ किलो से 1 किलो पानी रह जाये तो इसे नीचे उतर ले यह काले चने के सूप की तरह दिखेगा

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अब आप इस में देसी घी का छोक लगाये छोक में थोडा सेंधा नमक, काली मिर्च, जीरा, हल्दी डाल सकते है
यह एक अच्छा भोजन तो है ही साथ साथ यह पथरी का नाश करने वाला भी है
प्रयोग विधि –
दिन में दोपहर के खाने की बजाये यह सारा सूप पी जाये, कम से कम 250 ग्राम जरुर पिये कम से कम एक से दो हफ्ते में किडनी और मूत्राशय की पथरी इस के सेवन से बाहर आ जायगी
जब तक पथरी बहार ना आ जाये तब तक इस पानी का सेवन करते रहे, यदि अधिक दिन तक सेवन करना भी पड़े तो कोई दिक्कत नही है

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इस के सेवन से पथरी के तीव्र हमले रुक जाते है यह पथरी के लिए रामबाण है
यदि कोई व्यक्ति बिना खाना खाए नही रह सकता वह खाने में रोटी भी खा सकता है
किडनी के प्रदाह और सूजन –
सूजन में यह पानी पीने से दस दिन में गुर्दे का प्रदाह ठीक होता है
कुल्थी का इस्तेमाल कमर दर्द में भी अमृत की तरह है
कुल्थी की दाल को साधारण दाल की तरह पका कर रोटी के साथ खाने से भी पथरी टूट टूट कर बहार आ जाती है
ध्यान रहे –
कभी भी मूत्र को रोकना नही चाहिए और एक ही स्थान पर बहुत देर तक नही बैठना चाहिए



क्या ना खाए –
टमाटर, पालक, बैंगन, चावल, उड़द, सूखे मेवे, चाय
एक बात का जरुर ध्यान रखे यदि आप सर्जरी कराने की सोच रहे है तो एक बार इस दाल का प्रयोग कर के देख ले

Sunday, 28 October 2018

खांसी (Cough)

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अदरक का सूखा हुआ रूप सौंठ होता है। इस सौंठ को पीस कर पानी में खूब देर तक उबालें। जब एक चौथाई रह जाए तो इसका सेवन गुनगुना होने पर दिन में तीन बार करें। तुरंत फायदा होगा।

काली मिर्च, हरड़े का चूर्ण, अडूसा तथा पिप्पली का काढ़ा बना कर दिन में दो बार लेने से खांसी दूर होती है।

हींग, काली मिर्च और नागरमोथा को पीसकर गुड़ के साथ मिलाकर गोलियाँ बना लें। प्रतिदिन भोजन के बाद दो गोलियों का सेवन करें। खांसी दूर होगी। कफ खुलेगा।

पानी में नमक, हल्द‍ी, लौंग और तुलसी पत्ते उबालें। इस पानी को छानकर रात को सोते समय गुनगुना पिएं। सुबह खांसी में असर दिखाई देगा। नियमित सेवन से 7 दिनों के अंदर खांसी का नामोनिशान नहीं रहेगा।

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Saturday, 27 October 2018

हाइब्लडप्रेशर (High Blood Pressure) और अनिद्रा (insomnia) की समस्या को जायेंगे भूल

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व्यस्तता,  तनाव और अनियमित दिनचर्या की वजह से स्वास्थ्य को बिगाडऩे वाले अनेक रोग आज लोगों को परेशान किए हुए है - जब कोई व्यक्ति ऐसे किसी रोग से पीडि़त हो जाता है, तो अन्य कई बिमारीयां उसे घेर लेती हैं !

आयुर्वेद में बहुत सी ऐसी जड़ी - बूटियां हैं जो इन रोगों पर प्रभावी नियंत्रण कर शरीर को स्वस्थ बनाती है जड़ी बूटियों के मिश्रण से तैयार नुस्खा  जो उच्चरक्तचाप - अनिद्रा - मानसिक तनाव - दिल की धड़कनों का बढऩा - शरीर में जलन सी रहना आदि व्याधियों पर बहुत असरकारक है !

सामग्री :-
अश्वगंधा - जटामांसी - नागरमोथा - ब्राह्मी - शंखपुष्पी - पुष्कर मूल - तगर - कपूर कचरी और बड़ी इलायची , सभी को समान मात्रा में  लें

बनाने की विधि :-
इन सबकी बराबर मात्रा लेकर कूट - पीसकर कपड़े से छान कर महीन चूर्ण तैयार कर लें !

बस तैयार है अनमोल नुस्खा 

इसे कांच की शीशी में भरकर रख दें - रोग तथा रोगी की स्थिति के अनुसार 2 से 3 ग्राम तक की मात्रा में रात में सोने से पहले पानी से सेवन करवायें !

यदि रोग बढ़ा हुआ है - तब दिन में भी 1 बार इतनी ही मात्रा में और ले सकते हैं !

आयुर्वेदिक पद्धति पर आधारित यह नुस्खा भले ही तुरंत असर न दिखाए लेकिन यह रोग की जड़ पर प्रहार कर धीरे - धीरे उसे खत्म कर देता है !

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ममीरा - एक बहुउपयोगी चमत्कारी जड़ी बूटी

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ममीरा से रोग उपचार  https://indianjadibooti.com/Jadistore/kiraitapili-Jadi


परिचय
ममीरा आँख के रोगों की अपूर्व ओषधि मानी जाती है , यह एक वर्ष की आयु वाला पौधा होता है, लेकिन जड इसकी बहु-वर्षीय होती है। आसाम के लोग इसे मिष्मी तीता कहते हैं-क्योंकि ये स्वाद में तिक्त (तीखा) होता है। इसके सफेद रंग के फूल छोटे आकार के होते हैं जो सितम्बर-अक्टूबर माह में खिलते हैं। इन्हीं महीनों में ममीरे का संग्रह करना चाहिए। वैसे यह चीन में अधिक पाया जाता है। यहां काबुल से लेकर आसाम तक तथा हिमालय की तराइयों में मिलता है। इसके गुणों के कारण ही, इसका औषधि रुप में उपयोग किया जाता है। इसकी तासीर गर्म होती है।


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प्रयोग
तिजारी बुखार: जिन लोगों को एक दिन छोडकर कर एक दिन बुखार आता है-ऐसे रोगियों को 2 मिलीग्राम ममीरे का चूर्ण बनाकर हर चार घंटे बाद सेवन कराने से तीन दिन में ही बुखार टूट जाता है।
आंखों के रोग: आंखों के रोगों में इसका लेप बहुत लाभकारी होता है। वैसे आंखों के फूलने, लाली तथा जलन रोग में ममीरे का बना सुरमा हर रोज प्रयोग करने पर 10 दिन में ही इन रोगों से छूटकारा मिल जाता है। आंखों की लाली व जलन दूर हो जाती है। फूला 40 दिन में कट जाता है।
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जिगर तथा पेट का रोग: पेट में दर्द, जलन, सूजन, अथवा जिगर के खराब होने अथवा बढ जाने पर रोगी को सुबह शाम ममीरे के चूर्ण का आधा चम्मच ताजा पानी के साथ सेवन कराने से पेट के समस्त रोग दूर हो जाते हैं। जिगर ठीक हो जाता है। बढा हुआ जिगर भी कम हो जाता है। पेट का दर्द, जलन व सूजन सब दूर हो जाते हैं।
यदि आपके चेहरे पर मुहासे हों और सब कुछ आजमा लिया हो तो इसकी जड़ घिसकर लगायें-
यदि आपके शरीर में अधिक कमजोरी हो तो ममीरा के साथ शतावर , मूसली और अश्वगंधा मिलाकर अवश्य लें-
यदि आपकी आँतों में या पेट में इन्फेक्शन (Infection) हो तो इसकी जड़ कूटकर रस या काढ़ा लें .


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Friday, 26 October 2018

धन वैभव प्राप्त करने हेतु अचूक उपाय

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जीवन में कभी कभी हमारे प्रयासों में कोई कमी नहीं होती लेकिन मेहनत के परिणाम हमें इच्छानुरूप या ये कहे बहुत अच्छे नहीं मिल पाते ऐसे में अपने कर्म और प्रयासों के साथ साथ कुछेक प्रयोग करें ...  सफलता आपके कदम चूमेगी, ऐसा ही एक अचूक प्रयोग है :-




एक नये पीले कपड़े में नागकेसर, हल्दी, सुपारी एक चांदी का सिक्का, एक तांबे का सिक्का व अक्षत बांध कर एक थैली बना लें। इस थैली को भगवान शिवजी के सम्मुख रखकर विधिविधान से उसका पूजन कर तिजोरी या गल्ले में रख दें। इस प्रयोग से अपार आर्थिक सफलता प्राप्त होती है

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Thursday, 25 October 2018

सफेद दाग की समस्या ( विटिलिगो, ल्यूकोडर्मा )

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घरेलू उपायों से ठीक हो सकती है सफेद दाग की समस्या.....




आयुर्वेद के अनुसार पित्त दोष की वजह से सफेद दाग की समस्या होती है !

सफेद दाग को ल्यूकोडर्मा कहा जाता है !

कुछ लोगों का मानना है ये कुष्ठ रोग का पहला स्टेज है  लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं !

ये न तो किसी प्रकार का कैंसर होता है न ही कोढ़ !
भारत में लगभग 4 प्रतिशत लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं !

त्वचा पर सफेद दाग का होना उतनी गंभीर बीमारी नहीं, जितना लोग इसे समझते हैं !
समय रहते इसका इलाज करवा लिया जाए तो समस्या को आसानी से दूर किया जा सकता है !
इस बीमारी में त्वचा पर सफेद चकते बनने प्रारंभ हो जाते है और कई बार यह पूरे शरीर पर फैल जातें है !

वैसे विटिलिगो (ल्यूकोडर्मा) नामक इस बीमारी का कुष्ठ रोग से कोई लेना देना नहीं है !
जहां कुष्ठ रोग का प्रमुख लक्षण ही त्वचा में संवेदना खत्म होना होता है वहीं त्वचा में से रंग का अनुपस्थित होना कभी कभार ही होता है बल्कि अधिकतर बार त्वचा सामान्य रंग की ही होती है !

सफेद दाग होना एक आम समस्या है यह दाग हाथों - पैरों - चेहरे - होठों आदि पर छोटे रूप में होते हैं फिर ये बडे़ सफेद दाग का रूप ले लेते हैं !
यह रोग छोटे बच्चों को भी हो सकता है - सफेद दाग का इलाज आयुर्वेद में उपल्ब्ध है !




चिंतित होने की जरूरत नहीं है - इसके लिए ज्यादातर लोग दवाओं का सहारा लेते हैं, जिससे ठीक होने में काफी समय लगता है !
सफेद चक्तों को दूर करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है अपनी जीवन शैली और खान पान में परिवर्तन लाना !
* करेले की सब्जी का सेवन अधिक से अधिक करना / खट्टा - ज्यादा नमक का सेवन - मछली और दही आदि से दूर रहना !
साबुन और डिटरजेंट का इस्तेमाल न करें !
मूली और मांस के साथ दूध न पीएं - नींद पूरी लें - कम से कम 8 घंटे नींद लें !
तांबे के बर्तन में रात को पानी भरकर उसका सुबह सेवन करें !
गाजर - लौकी और दालें अधिक से अधिक सेवन करें !
2 से 4 बादाम डेली सेवन करें !
सफेद तिल को खाने में इस्तेमाल करें !
पालक - गाय का घी - खजूर का इस्तेमाल करते रहें !

घर में मौजूद कुछ चीजों से ही इसका इलाज संभव है !
सफेद दाग को दूर करने के घरेलू उपचार :-

गर्म दूध में पीसी हल्दी को डालकर दिन में 2 बार पीने से 5 महीने में सफेद दाग से मुक्ति मिल जाती है !

2 चम्मच अखरोट का पाउडर उसमें थोड़ा सा पानी मिलाकर पेस्ट बनाएं और इसे 20 मिनट तक लगा कर रखें दिन में 3 से 4 बारी एैसा करें !

बथुए का पत्तियां :-
इनकी पत्तियों का इस्तेमाल भी सफेद दाग के उपचार के तौर पर किया जाता है !
सब्जी बनाने से ले इसकी पत्तियों का रस लगाने से भी काफी आराम मिलता है !

ऐलोवेरा जेल :-
ऐलोवेरा की पत्तियों के अंदर के जेल को निकाल सफेद दाग वाले हिस्से पर लगाएं और अच्छे से मसाज कर सूखने पर इसे पानी की सहायता से धो लें !

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दिन में 2 - 3 बार इसका इस्तेमाल करें !
ऐलोवेरा जूस पीना भी फायदेमंद होता है !


सरसों तेल :-
सरसों तेल स्किन से लेकर बालों तक के लिए फायदेमंद है - इस तेल में हल्दी पाउडर मिलाकर उसे सफेद दाग पर लगा सूखने के बाद ठंडे पानी से धो लें !
साबुन का इस्तेमाल कम से कम करें - चिकनाहट मिटाने के लिए बेसन का इस्तेमाल करें !

नीम की पत्ती :-
नीम की पत्ती कई सारी बीमारियों का घरेलू उपचार है !
इसकी पत्तियों का पेस्ट बनाकर उसे दाग वाले हिस्से पर लगाएं !
नीम की पत्तियों के जूस में शहद मिलाकर पीना भी लाभकारी होगा !
जल्द असर के लिए ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें - ये ब्लड प्यूरीफाई का काम करता है !
नीम की पत्तीयों का पेस्ट बनाएं उसे छननी में डालकर उसका रस निकाल लें फिर उसमें 1 चम्मच शहद डालें और मिलाकर दिन में 3 बार पीएं !

अदरक :-
अदरक के छोटे से टुकड़े को सफेद दाग वाली जगह पर हल्के - हल्के रगड़ें - इससे उसका रस त्वचा तक पहुंचता है और अदरक में मौजूद मिनरल्स स्किन की इस समस्या को दूर करने में मदद करते हैं !

हरड़ - लहसुन :-
हरड़ को घिसकर लहसुन के रस में मिलाकर इसके पेस्ट को सफेद दाग पर लगाएं !
एैसा करने से सफेद दाग ठीक हो जाते हैं !

छाछ :-
डाइट में हेल्दी चीजों को शामिल करें - लिक्विड चीजों का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा करें और छाछ पीने से इस समस्या को दूर करना संभव है !

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सफेद दाग की समस्या कोई लाइलाज बीमारी नहीं है !
आयुर्वेदिक उपायों के जरिए इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है !
साथ ही यह बीमारी छूने से किसी से हाथ मिलाने या फिर शररिक संबंध बनाने से भी नहीं फैलती है !

Wednesday, 24 October 2018

गुर्दे की पथरी

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गुर्दे की पथरी जिससे दुनिया भर के लाखों लोग प्रभावित है !
आम तौर पर गुर्दे की पथरी के जीवन के लिए खतरा नहीं हैं - लेकिन यह कष्टदायी दर्द पैदा कर सकती है !




औषधि सामग्री :-

50 ग्राम अजमोद   https://indianjadibooti.com/Jadistore/Ajmod
 1 लीटर पानी !
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 बनाने की विधि :-

अजमोद को पानी में डाल 10 मिनट के लिए उबाल लें,  फिर इसे ठंडा होने के लिये रख दें,  ठंडा होने पर इसे छान साफ कांच की बोतल में डाल फ्रिज में रख दें !

रोजाना 1 ग्‍लास पीयें - आप देखेंगे कि किस तरहा यह पेय शरीर में से अतिरिक्‍त लवण और विषाक्त पदार्थों को पेशाब के माध्यम से बाहर निकाल रहा है !

अजमोद  गुर्दे की सफाई के लिए सबसे अधिक लाभकारी जड़ी बूटी हैं

दुर्भाग्य से डॉक्टर गुर्दे की सफाई के लिए सबसे अच्‍छे वैकल्पिक तरीकों को करने का सुझाव नही देते - वे आम तौर पर पारंपरिक एलौपैथी दवाओं का ही सेवन करने को देते है - जो हमें फायदे से ज्‍यादा नुकसान ही देती है !

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पक्षाघात (लकवा)

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Strokes

भांग और मिर्च बराबर लेकर चूर्ण बना लेंं इसकी एक से तीन माशा की मात्रा खिलाने एवं पीली सरसों के तेल में एक चम्मच मिलाकर पका कर मालिश करने से पक्षाघात में त्वरित लाभ होता है।

नीम के बीजों का तेल सुन्न हो चुके अंगों पर पहले चुपड़ दें और फिर मालिश करें। चैतन्यता लाने में नीम विशेष रूप से प्रभावकारी है। 

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गठिया रोग का सरल घरेलु उपचार

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गठिया का दर्द

गठिया के उपचार के लिए बकायन के बीज पीसकर दो ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। नीम के कोंपल, स्वणक्षीरी का पंचांग, अमरबेल, मकोय के पत्ते और सँभालू के पत्ते दस ग्राम की मात्रा में लेकर पीसें। सौ ग्राम गौ मूत्र में भरकर छान लें। इसकी मालिश से भी गठिया में बहुत लाभ होता है।

गले की गिल्टियाँ
गले की गिल्टियों की तकलीफ दूर करने के लिए सिरस के बीज दस ग्राम पीसकर उसमें तिगुना शहद मिला चटनी बना लें। दस-दस ग्राम की वह चटनी चाटकर सौ ग्राम दूध पी लें। अगर ज्यादा कष्ट हो और गांठें उभर आयीं हो, तो सिरस के कुछ पत्ते तेल में भूनकर गले पर पुल्टिस की तरह लेप करें इससे आराम मिल जाएगा।


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Tuesday, 23 October 2018

नयी पुरानी कब्ज वः आंतो की सफाई

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सनाय 3 तोला  
गुलाब के फूल। 3 तोला  https://indianjadibooti.com/Jadistore/Gulab-Patti
हरड़। 3 तोला https://indianjadibooti.com/Jadistore/Harad-Choti
बहेड़ा। 3 तोला https://indianjadibooti.com/Jadistore/Bahera-Chilka
आँवला। 3 तोला https://indianjadibooti.com/Jadistore/Awla-Amla-Powder
बादाम की गिरी। 1 तोला https://indianjadibooti.com/Jadistore/Almonds
कुलफा के बीज 1 तोला https://indianjadibooti.com/Jadistore/Kulfa
शुद् जमालगोटा 3 माशे https://indianjadibooti.com/Jadistore/Jamaal-Ghota

इन सब को कूटकर बारीक़ चूर्ण बना लो।
1 से 2 माशे चूर्ण को 3 माशे मिश्री में मिलाकर रात को सोते समय ले और ऊपर से गर्म दूध जा गर्म पानी पीवे।
यह चूर्ण नई पुराणी कब्ज को दूर करता है,जिससे आंते तथा आमाशय शुद् बन जाते है।इस चूर्ण से दस्तो से कमज़ोरी नही आती।कोमल प्रकुतिवाला भी ले सकता है।इस से एक या दो दस्त सुबह खुलकर हो जाते है।बहुत ही उत्तम चूर्ण है।
 
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Monday, 22 October 2018

किडनी स्टोन (घरेलु उपचार)

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आजकल किडनी स्टोन (kidney stone) या पथरी की समस्या आम होती जा रही है. इस समस्या में मरीज़ को असहनीय पीडा और पेशाब में संक्रमण होता है और उचित उपचार ना कराने पर किडनी को नुकसान भी हो सकता है.
वैसे तो किडनी स्टोन (kidneystones) से निजात दिलाने के लिए चिकित्सक दवाइयों से लेकर ऑपरेशन तक करते हैं, परन्तु सही समय पर घरेलु उपचारों को अपनाकर आप प्रकारिक रूप से इस समस्या को दूर कर सकते हैं. ऐसा ही एक घरेलू उपचार है सौंफ (fennel) का प्रयोग.


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गुर्दे की पथरी के लिए सौंफ एक रामबाण उपचार है. यह आपकी किडनी को साफ-सुथरा रखने में मदद करती है. इसके लिए सौंफ, मिश्री (rock sugar) और सूखा धनिया (coriander) 50-50 ग्राम मात्रा में लेकर रात को डेढ़ लीटर पानी में भिगोकर रखें और 24 घंटे बाद इसे छानकर पेस्ट बनाएं. अब आधा कप पानी में एक चम्मच पेस्ट मिलाकर पिएं.
इससे किडनी साफ होती है, और पथरी बाहर निकल जाती है. 



थाइराइड (Thyroid) का अचूक उपचार

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आज के समय में ज़्यादातर लोगों को थाइराइड की समस्या है, इसके कारण सैकड़ों बीमारियां घेर लेती है।
मोटापा इसी के कारण बढ़ जाता है, थाइराइड में वजन बहुत तेजी से कम भी हो जाता है
लोग दवा खाते रहते हैं लेकिन ये ठीक नही होता।
इसलिए दवा के साथ कुछ नियम जान लें 10 दिन में थाइराइड से आराम मिल जायेगा।

✍1: घर से रिफाइंड तेल बिलकुल हटा दीजिये, न सोयाबीन न सूरजमुखी, भोजन के लिए सरसों का तेल, तिल का तेल या देशी घी का प्रयोग करें।

✍2: आयोडीन नमक के नाम से बिकने वाला ज़हर बंद करके सेंधा नमक का प्रयोग करें, समुद्री नमक BP, थाइराइड, त्वचा रोग और हार्ट के रोगों को जन्म देता है।

✍3: दाल बनाते समय सीधे कुकर में दाल डाल कर सीटी न लगाएं, पहले उसे खुला रखें, जब एक उबाल आ जाये तब दाल से झाग जैसा कुछ निकलेगा, उसे किसी चमचे से निकाल कर फेंक दें, फिर सीटी लगा कर दाल पकाएं।

इन तीन उपायों को अगर अपना लिया तो पहले तो किसी को थाइराइड होगा नही और अगर पहले से है तो दवा खा कर 10 दिन में ठीक हो जायेगा।

✍ *थाइराइड की दवा:*

2 चम्मच गाजर का रस
3 चम्मच खीरे का रस
1 चम्मच पिसी अलसी
IndianJadiBooti Best Quality Flax Seed (Alsi)

https://indianjadibooti.com/Jadistore/Flax-Seed-Alsi

तीनो को आपस में मिला कर सुबह खाली पेट खा लें।
इसे खाने के आधे घंटे बाद तक कुछ नही खाना है।


Sunday, 14 October 2018

कब्ज़ :- कब्ज़ दूर करने के लिए रामबाण औषधि

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पेट सफा औषधि :-

पीली हरड़ - सौंठ - सौंफ और उसारे रेवन्द -
सभी समान मात्रा में लेकर चूर्ण तैयार करके उसमें स्वादानूसार सेंधा नमक मिलाकर कांच के बर्तन मे रख ले - औषधि तैयार है


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सेवन करने की विधि :-
रात्रि मे रोज सोने से पहले 6 ग्राम से 10 ग्राम तक गुनगुने पानी के साथ सेवन करें !

लाभ :-

प्रातः खुलकर पेट साफ़ हो जाएगा - अजीर्ण से उत्पन्न रोग - वात - पित्त - कफ - बवासीर - नेत्र - रोग और सिर दर्द के लिए बेजोड़ योग हैं !

सर्वोत्तम औषधि हैं !
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