Thursday 12 July 2018

तुलसी के असंख्य औषधीय गुण व् तुलसी से जुड़े सम्पूर्ण तथ्यों की जानकारी

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हिंदू धर्मग्रंथों और शास्त्रों के और आयुर्वेद में तुलसी के पौधे का विशेष महत्व है। ये न केवल धार्मिक दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण पौधा है, बल्कि आब-ओ-हवा के साथ ही यह सेहत के लिए भी लाभकारी है। पंडित अशोक शर्मा बताते हैं कि जिस घर में इस पौधे की स्थापना की जाती है, उस घर में आध्यात्मिक उन्नति के साथ ही सुख, शांति और समृद्धि आती है। ये घर मौसमी बीमारियों, प्रदूषण से बचा रहता है। तुलसी के पौधे का ये महत्व तो आप जानते ही होंगे। 

* आयुर्वेद के अनुसार, तुलसी के नियमित सेवन से व्यक्ति के विचार में पवित्रता, मन में एकाग्रता आती है और क्रोध पर नियंत्रण होने लगता है। आलस्य दूर हो जाता है।
* शरीर में दिन भर स्फूर्ति बनी रहती है। 
* इसके बारे में यहां तक कहा गया है कि औषधीय गुणों की दृष्टि से यह संजीवनी बूटी के समान है।
* तुलसी को संस्कृत में हरिप्रिया कहा गया है अर्थात जो हरि यानी भगवान विष्णु को प्रिय है।

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* कहते हैं, औषधि के रूप में तुलसी की उत्पत्ति से भगवान विष्णु का संताप दूर हुआ था। इसलिए तुलसी को यह नाम दिया गया है।
* धार्मिक मान्यता है कि तुलसी की पूजा-आराधना से व्यक्ति स्वस्थ और सुखी रहता है।
* पौराणिक कथाओं के अनुसार देवों और दानवों द्वारा किए गए समुद्र-मंथन के समय जो अमृत धरती पर छलका, उसी से तुलसी की उत्पत्ति हुई थी। 
* यही कारण है कि इस पौधे के हर हिस्से में अमृत समान गुण हैं। 
* हिन्दू धर्म में मान्यता है कि तुलसी के पौधे की 'जड़' में सभी तीर्थ, 'मध्य भाग (तना)' में सभी देवी-देवता और 'ऊपरी शाखाओं' में सभी वेद यानी चारों वेद स्थित हैं।
* इसलिए इस मान्यता के अनुसार, तुलसी का प्रतिदिन दर्शन करना पापनाशक समझा जाता है और इसके पूजन को मोक्षदायक कहा गया है। 
* पद्म पुराण में उल्लिखित है कि जहां तुलसी का एक भी पौधा होता है, वहां त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) निवास करते हैं. इस ग्रंथ में वर्णित है कि तुलसी की सेवा करने से महापातक से महापातक व्यक्ति के सम्पूर्ण पाप भी नष्ट हो जाते हैं।

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* कहते हैं कि जिस पूजा और यज्ञ के प्रसाद में तुलसी-दल नहीं होता है, उस भोग को भगवान स्वीकार नहीं करते हैं।
* भगवान विष्णु और उनके सभी अवतारों और स्वरूपों की पूजा में तुलसी का नैवेद्य नहीं होने पर पूजा अधूरी मानी जाती है।
* विष्णु पूजा के लिए तो यहां तक कहा गया है कि कोई भी नैवेद्य न हो, कोई भी विधान न किया गया हो, और केवल तुलसी का एक पत्ता भी अर्पित कर दिया जाए तो पूजा का सम्पूर्ण फल प्राप्त हो जाता है।
* कहते हैं, जब हनुमान लंका भ्रमण कर रहे थे, तो लंका में विभीषण के घर तुलसी का पौधा देखकर वे बहुत प्रसन्न हुए थे।


* रामचरितमानस में वर्णन है कि 'नामायुध अंकित गृह शोभा वरिन न जाई. नव तुलसी के वृन्द तहंदेखि हरषि कपिराई'
यही कारण है कि हनुमानजी ने विभीषण के महल को छोड़कर पूरी लंका को जला दिया था।
* मान्यता है कि जिस मृत शरीर का दहन तुलसी की लकड़ी की अग्नि से किया जाता है, वे मोक्ष को प्राप्त होते हैं और फिर उनका पुनर्जन्म नहीं होता है अर्थात जन्म-मरण के चक्र से उन्हें छुटकारा मिल जाता है।

* प्रचलित परंपरा के अनुसार, मृत शैया पर पड़े व्यक्ति को तुलसी दलयुक्त जल सेवन कराया जाता है, क्योंकि हिन्दू विधान में तुलसी की शुद्धता सर्वोपरि है। * ऐसा माना जाता है कि इससे व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है।
* तुलसी का एक नाम वृंदा है। प्राचीन भारत में मथुरा के आसपास कई योजन में फैला इसका एक विशाल वन था, जिसे वृन्दावन कहते थे। 

तुलसी एक दिव्या पौधा है जो भारत के हर घर में मिलजाता है | भारतीय संस्कृति में तुलसी का बहुत महत्वपूरण स्थान है | आयुर्वेद में भी तलसी को अमृतदायी माना गया है क्यों की यह सर्व्रोग्नशिनी पौधा है | जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वंहा निर्धनता और रोग दोनों ही नहीं बसते |

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ये गुणकारी फायदे जानकर आप भी रोजाना करेंगे तुलसी की पत्तियों का सेवन

तुलसी की कई प्रजातीय होती है लेकिन औषधीय रूप में हम सर्व शुलभ पवित्र तुलसी ( ocimum sanctum ) का प्रयोग करते है जो दो प्रकार की होती है – श्वेत तुलसी ( हरी पतियों वाली और श्वेताभ शाखाओ वाली ) और दूसरी श्यामा तुलसी ( बैंगनी पतियों वाली और गहरे रंग की शाखाओ वाली ) |

तुलसी के गुण – धर्म एवं इसके प्रकार
गुण धर्म में समान होते हुए भी काली तुलसी को अच्छा माना गया है | श्यामा तुलसी में कफ निस्सारक एवं ज्वरनाgशक गुण श्वेत तुलसी से अधिक होते है | फिर भी दोनो ही तलसी समान गुण धर्म वाली होती है | माना जाता है की जिस घर में तुलसी होती है उस घर पर कभी बिजली नहीं गिरती क्यों की तुलसी में एक प्रबल विद्युत शक्ति होती है जो उसके चारो और दो सौ गज तक प्रवाहित होती रहती है जिसके कारण आकाशीय बिजली नहीं गिरती | जिस घर में तुलसी होगी उस घर में मच्छर और विषाणु नहीं फैलेगे | इसी लिए तुलसी को भारतीय संस्कृति में इतना ऊँचा स्थान प्राप्त है और लगभग सभी घरो में इसकी पूजा की जाती है |

लगभग हर रोग में तुलसी का प्रयोग किया जाता है और हर रोग में आशातीत लाभ भी मिलता है | लेकिन फिर भी तुलसी का प्रयोग करने से पहले रोगी की आयु – रोग की अवस्था – रोगी की प्रकृति और मौसम को ध्यान में रखते हुए तुलसी की पतियों की मात्रा का निर्धारण कर लेना चाहिए – जैसे तुलसी की प्रकृति गरम होति है इसलिए गरमियों में कम और सर्दियों में अधिक मात्रा का सेवन करना चाहिए |

विभिन्न रोगों में तुलसी के फायदे / लाभ
सर्दी जुकाम में तुलसी के फायदे
सर्दी जुकाम में तुलसी चमत्कारिक लाभ देती है | खांसी – जुकाम की ज्यादातर कफ सिरप में तलसी का प्रयोग किया जाता है | अगर जुकाम से परेशान है तो तुलसी की साफ की हुई 10-12 पतियों को दूध या चाय में उबाल कर पिए लाभ होगा |

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फीवर ( बुखार ) में तुलसी का प्रयोग
बुखार में 10-15 तुलसी की साफ़ पतियों को एक  कप पानी में उबाल ले साथ में एज चम्मच इलाइची पाउडर डाल कर काढ़ा आना ले और सुबह – शाम इसका सेवन करे | बुखार होने पर आप तुलसी अर्क जो बाजार में मिलजाता है उसका भी सेवन कर सकते है |

लीवर की समस्या में – लीवर के लिए भी तुलसी बहुत फायदेमंद होती है | रोज तुलसी की 10 पतिया खाए खाए लीवर की समस्या में आशातीत लाभ मिलेगा |

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पाचन सम्बंधित रोगों में तुलसी के फायदे  – पाचन सम्बंधित समस्या में तुलसी के 10-12 साफ पतों और एक चुटकी सेंधा नमक दोनों को एक कप पानी में उबल कर काढ़ा बना ले और इसका सेवन करे |

श्वास रोग में तुलसी के लाभ  – श्वास रोगों में तुलसी का बहुत उपयोग है श्वास रोगी को तुलसी – अदरक और शहद से बनाया हुआ काढ़ा उपयोग में लेना चाहिये | अवश्य लाभ होता है |

गुर्दे की पत्थरी – गुर्दे के लिए भी तुलसी बहुत उपयोगी होती है | अगर किसी की गुर्दे की पत्थरी है तो उसे शहद के साथ तुलसी अर्क का उपयोग करना चाहिये |

हृदय रोग – तुलसी खून में स्थित कोलेस्ट्रोल को घटती है इसलिए हृदय रोगियों को तुलसी का सेवन करना चाहिए |

मानसिक तनाव – तुलसी की खुसबू में तनावरोधी गुण होते है इसलिए रोज सुबह तुलसी के सेवन से मनुष्य मानसिक तनाव से बच सकता है |

कैंसर में तुलसी के फायदे
7 से 21 तुलसी की पतियों को साफ़ पत्थर पर पिस कर चटनी की तरह लुग्धि बना ले | अब 50  से 125 ग्राम दही ( जो बिलकुल खट्टा न हो ) के साथ 2 से 3 महीने तक लगातार सेवन करे | इस चटनी की पहली मात्रा नित्य क्रम से निपट कर नास्ते से आधा घंटा पहले ले | यह मात्रा दिन में दो से तीन बार ले सकते है |

हाई ब्लड प्रेसर – उच्च रक्त चाप के रोगियों को तुलसी का सेवन करना चाहिए | क्योकि यह कोलेस्ट्रोल को घटा कर रक्तचाप को सामान्य करटी है |

मुंह की दुर्गन्ध – जिनको श्वास में दुर्गन्ध आती हो उनको तुलसी के सूखे पतों के चूर्ण में सरसों का तेल मिला कर मंजन करनी चाहिए | समस्या से निजत मिलेगी |


वात रोग – तुलसी के साथ कालीमिर्च का सेवन करना से वात व्याधि ठीक होती है |

सिरदर्द – तुलसी के काढ़े के सेवन से सिरदर्द से बचा जा सकता है |

तुलसी का पौधा कर देता है मुसीबत की भवि‍ष्यवाणी

आपके घर, परिवार या आप पर कोई मुसीबत आने वाली होती है तो उसका असर सबसे पहले आपके घर में स्थित तुलसी के पौधे पर होता है. तुलसी का पौधा ऐसा है जो आपको पहले ही बता देगा कि आप पर या आपके घर परिवार को किसी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है.
पुराणों में तुलसी के पौधे का महत्व
पुराणों और शास्त्रों के अनुसार माना जाए तो ऐसा इसलिए होता है कि जिस घर पर मुसीबत आने वाली होती है उस घर से सबसे पहले लक्ष्मी यानी तुलसी चली जाती है. दरिद्रता, अशांति और क्लेश के बीच लक्ष्मी जी का निवास नहीं होता. ज्योतिष में इसकी वजह बुध माना जाता है. 

घर में तुलसी का पौधा है तो अवश्य बरतें ये सावधानियां

मान्यता ऐसी है कि अगर आप अपने घर की साज-सज्जा वास्तुशास्त्र के नियमों के अनुसार करते हैं तो यह आपके जीवन को सकारात्मक रूप प्रदान करता है, घर में खुशहाली का आगमन होता है। घर में पौधे लगाना इन्हीं में ही शामिल है। सामान्यतौर पर घर की सुंदरता बढ़ाने के लिए हम पौध लगाते हैं, हिन्दू परिवारों में तुलसी का पौधा घर में विराजित करने का भी विधान है।

तुलसी को धर्म के साथ भी जोड़ा गया है इसलिए इसके स्थापित करते समय खास सावधानियां बरतने की सलाह दी गई है। तुलसी का पौधा घर में खुशहाली और समृद्धि लाता है, यह स्वयं मां लक्ष्मी का प्रतीक है, इसे घर में स्थापित करने से घर में धन की कमी नहीं होती। साथ ही साथ यह घर से सकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश का द्वार खोलता है।

तुलसी का पौधा घर में लगाते समय ये अवश्य ध्यान रखें कि उस पौधे में कोई और पौधा ना उग रहा हो। तुलसी को हमेशा उत्तर और पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए। वास्तुशास्त्र के अनुसार घर के दक्षिण भाग को छोड़कर तुलसी कहीं भी स्थापित की जा सकती है, क्योंकि दक्षिण में तुलसी लगाने से फायदा नहीं नुकसान होने लगेगा|
                                        
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प्राचीन परंपरा के अनुसार गृहस्थ जीवन में तुलसी पूजन अवश्य किया जाना चाहिए, जिनकी संतान नहीं होती उनके द्वारा तुलसी विवाह करवाए जाने का भी विधान है। शालीग्राम की पूजा भी तुलसी के पत्ते के बगैर नहीं होती। जब व्यक्ति के प्राण उसका साथ छोड़ रहे होते हैं उनके मुंह में भी तुलसी का पत्ता रखा जाता है।

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