Sunday, 19 August 2018

(Constipation) कब्ज़ सौ रोगों की एक जड़ , जानिये कब्ज़ के कारण और निदान

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 कब्ज़ (कारण एक - रोग अनेक)



 कब्ज़ एक ऐसी विकट स्वास्थय  समस्या है जिससे जनसँख्या का एक बड़ा वर्ग प्रभावित रहता है.

2017 के आंकड़ों के अनुसार लगभग 40%  जनसँख्या इस रोग से त्रस्त पाई जाती है.

महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों में इसका अधिक प्रकोप पाया जाता है. महिलाओं में कब्ज़ रोग बिना किसी विशेष कारण के भी हो सकता है, जबकि पुरुषों, बच्चों और बुजुर्गों में इसके पीछे के कारक ढूंढे जा सकते हैं.

कब्ज़ के लक्षण

इस रोग में आँतों की गतिशीलता सामान्य से बहुत कम हो जाती है जिस कारण मल निकास प्रक्रिया में अवरोध पैदा हो जाता है. पेट नियमित साफ़ नहीं होता, पेट साफ़ करने में अधिक समय लगता है, मल कठोर भी हो जाता है. कई बार मलक्षेत्र में पीड़ा भी हो जाया करती है और मल के साथ खून भी आ जाता है. पेट में दर्द भी बना रहने लगता है और एसिडिटी, गैस इत्यादि की समस्यायें होने लगती हैं. गुदा मलाशय में बवासीर (Piles), भगन्दर (Anal fistula) या मस्से (Hemorrhoids) इत्यादि हो सकते हैं.

रोग अधिक पुराना हो जाये तो आँतों की सूजन जैसे रोग भी पनप जाते हैं.

(Constipation) कब्ज़ के कारण

1 पेट के बैक्टीरिया का असंतुलन
हमारी आँतों में बैक्टीरिया की बहुत सारी प्रजातियाँ पाई जाती हैं.

एंटीबायोटिक दवाओं और दर्द निवारक दवाओं के उपयोग से इनके गणमान और विविधता में असंतुलन पैदा हो जाता है.

यही असंतुलन कब्ज़ का कारण बन जाता है.

2 आहारीय फाइबर की कमी
आहारीय फाइबर दो काम करता है.

यह पेट के बैक्टीरिया का आहार होता है, साथ ही यह आँतों को गतिशीलता प्रदान कर भोजन को आगे धकेलने का काम भी करता है.

जब हमारे भोजन में फाइबर की कमी रहती है (जैसे कि जंक फूड्स इत्यादि में) तो आँतों की गतिशीलता भी कम हो जाती है और कब्ज़ की शिकायत हो जाती है.

3 कब्ज़ निवारक दवाओं की अति
कब्ज़ की शिकायत होने पर कई लोग कब्ज़ निवारक दवाओं का नियमित सेवन करना आरम्भ कर देते हैं.

जब आप ऐसी आदत डाल लेते हैं तो एक तो इन दवाओं का प्रभाव भी धीरे धीरे कम होते जाता है.

और दूसरी समस्या यह होती है कि आंतो को भी क्रिशीलता पाने के लिए इन दवाओं की आदत पड़ जाती है.

फिर जब भी आप इनका उपयोग कम करें या नहीं करें  तो आंते काम ही करना छोड़ देती हैं.

इसलिये, पेट साफ़ करने की औषधियों का उपयोग कभी भी 2 सप्ताह से अधिक न करें.

साथ ही कब्ज़ के लिए सौम्य वनौषधियों के योग लें जैसे कि छोटी काली हरड या हरड और घृतकुमारी इत्यादि.


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बाज़ार में उपलब्ध बहुत सी दवाओं में तीव्र विरेचक होते हैं जो लम्बी अवधि में फायदे की जगह नुक्सान पहुंचाते हैं.

4 दवाओं, सप्लीमेंट्स का सेवन
तेज़ दर्द निवारक दवाएं, और एल्युमीनियम कैल्शियम के एनटेसिड कब्ज़ पैदा करते हैं.

कुछेक सप्लीमेंट्स भी कब्ज़ के कारक होते हैं जिनमें आयरन और कैल्शियम के सप्लीमेंट्स मुख्य हैं.

लेकिन इनसे होने वाली कब्ज़ अस्थाई होती है, जैसे ही इनका उपयोग पूरा हो जाता है या ये बंद कर दिए जाते हैं, तो कब्ज़ का भी निदान हो जाता है.

5 दूध के उत्पाद
कुछेक को दूध के उत्पाद जैसे कि बर्फी, मिल्ककेक, रबड़ी इत्यादि कब्ज़ पैदा करते हैं, उन्हें इनका अधिक सेवन नहीं करना चाहिए, वैसे दूध के खमीरीकृत रूप जैसे कि पनीर, रसगुल्ला; और दूध का नियंत्रित सेवन कईयों के कब्ज़ को ठीक भी करते हैं.

6  रोग जो कब्जियत पैदा करते हैं
थायरॉयड की कमजोरी और पार्किन्सन रोग में कब्ज़ का प्रकोप बढ़ जाता है.

7 तनाव और Depression
निराशा, अवसाद और तनाव होने पर आँतों की गतिशीलता कम हो जाती है, जिस कारण कब्ज़ रोग पनप जाता है.

8 अत्यधिक चाय कॉफ़ी का सेवन
कब्ज़ का एक बड़ा कारण चाय काफी का अधिक सेवन भी होता है, लेकिन यदि चाय या कॉफ़ी कम मात्रा में लिए जाएँ तो यह कब्ज़ निवारक भी होते हैं.



9 कम पानी पीना
पानी पीने का कब्ज़ से सीधा सम्बन्ध है, पानी कम पीने के और भी कई नुकसान होते हैं, जो लोग पानी कम पीते हैं उन्हें यह समस्या बनी ही रहती है.

कब्ज़ से उत्पन्न होने वाले रोग
कब्ज़ को कई रोगों की जननी माना जाता है

IBS संग्रहणी, यह एक ऐसा रोग है जिसके मूल में कब्ज़ का योगदान है.

2 एसिडिटी समूह के रोग
इस रोग समूह में पित्त सम्बन्धी विकार होते हैं जिन्हें एसिडिटी और गैसट्राईटिस (Gastritis) कहा जाता है.

कब्ज़ के कारण जब पित्त बढ़ा रहने लगता है तो एसिडिटी, गैस, अफारा जैसे विकार भी पनपने लगते हैं.

जब ये विकार लम्बे समय तक चलते रहें तो आगे चलकर पेट के अलसर, नाभि का खिसकाना, GERD और Hiatus Hernia जैसे अगली श्रेणी के रोग भी हो जाते हैं.

3 गुदा रोग
कब्ज़ के कारण मल का रुकाव गुदाक्षेत्र में रहने लगता है, पहले तो गुदा क्षेत्र में कब्ज़ के कारण ज़ख्म होते हैं जो रुकाव के कारण बवासीर (hemorrhoids ), भगन्दर (anal fistula) या मस्से (anal fissure) इत्यादि में तब्दील  हो जाया करते हैं. गुदा क्षेत्र के इन्हीं में से कुछ विकार पेट की सूजन के कारण भी बन जाते हैं.



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कब्ज़ के उपाय और इलाज
इस रोग के बहुत सारे उपाय और इलाज विकल्प उपलब्ध हैं, जिन्हें रोग की गंभीरता के अनुसार अपनाना चाहिए, सामान्य कब्ज़ का निपटारा कुछ घरेलू उपायों  उपचारों से किया जा सकता है.

कब्ज निवारण के कारगर उपाय, कब्ज़ के उपाय बड़े ही सहज हैं, यह उपाय मौसमी फलों, सब्जियों और पेय आहारों के हैं जो आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं.

कब्ज़ में लाभकारी फल
1 अमरूद और पपीता ये दोनो फ़ल कब्ज रोगी के लिये अमॄत समान है, ये फ़ल दिन मे किसी भी समय खाये जा सकते हैं, इन फ़लों में पर्याप्त रेशा होता है और ये आंतों को शक्ति भी देते हैं, इन्हें लेने से मल आसानी से विसर्जित हो जाता है।

2 अंजीर एक कब्ज हरण फ़ल है, 4 अंजीर फ़ल रात भर पानी में गलावें, सुबह खाएं, यह आंतों को गतिमान कर कब्ज का निवारण करता है।

3 अंगूर मे भी कब्ज निवारण के गुण होते हैं।

सूखे अंगूर ( किश्मिश) पानी में 3 घन्टे गलाकर खाने से आंतों को ताकत मिलती है , जब तक बाजार मे अंगूर मिलें नियमित रूप से उपयोग करते रहें।

4 बेल का फ़ल कब्ज के लिये श्रेष्ठ औषधि है, इसे पानी में उबालें, फ़िर मसलकर रस निकालकर नित्य 7 दिन तक पियें। कब्ज़ मिट जायेगी।

5 नींबू भी कब्ज में गुण्कारी होता है, मामुली गरम जल में एक नींबू निचोडकर दिन में 2-3 बार पियें।

शाक सब्जियां अधिक खायें
6 सब्जियों में भिन्डी, तोरी, गाजर, मटर, लौकी, सब प्रकार के पत्तों के साग,  प्रतिदिन खाने से कब्ज में लाभ होता है।

7 पालक का रस या पालक कच्चा खाने से कब्ज नाश होता है।

एक गिलास पालक का रस रोज पीना उत्तम है।

पुरानी कब्ज भी इस सरल उपचार से मिट जाती है।

8. सब प्रकार के पत्तों के सूप भी कब्ज़ में लाभकारी होते हैं.

दूध का सेवन
9 सोते समय ठंडा या कुनकुना दूध पियें.

ठंडा या कुनकुना दूध कब्ज़ निवारक होता है, जबकि अधिक गरम दूध कब्ज़ कारक.

10. रात को सोते समय एक गिलास कुनकुना गरम दूध में 2 -3 चम्मच अरंडी का तेल मिलाकर पियें, मल आंतों में चिपक रहा हो तो यह नुस्खा परम लाभकारी है।

11 एक गिलास दूध में 1-2 चम्मच घी मिलाकर रात को सोते समय पीने से भी इस रोग का समाधान होता है।

12 एक कप कुनकुने गरम दूध मे 1 चम्म्च शहद मिलाकर पीने से कब्ज मिटती है।

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13 कब्ज का मूल कारण शरीर मे तरल की कमी होना है इसलिए भरपूर पानी पियें, पानी की कमी से आंतों में मल शुष्क हो जाता है और मल निष्कासन में जोर लगाना पडता है, अत: इससे परेशान रोगी को 24 घंटे मे, मौसम के अनुसार, 3 से 5 लिटर पानी पीने की आदत डालनी चाहिये, इससे रोग निवारण मे बहुत मदद मिलती है।

14. जल्दी सुबह उठकर एक लिटर गरम पानी पीकर 2-3 किलोमीटर घूमने जाएं। बहुत बढिया उपाय है।

15 भोजन में रेशे यानि फाइबर की मात्रा अधिक रखने से कब्ज का निवारण होता है।

हरी पत्तेदार सब्जियों और फ़लों में प्रचुर रेशा पाया जाता है।

भोजन मे करीब 200 से 400 ग्राम तक हरी शाक या फ़ल या दोनो चीजे शामिल करें।

16 इसबगोल की भूसी कब्ज में परम हितकारी है।

दूध या पानी के साथ 2-3 चम्मच इसबगोल की भूसी रात को सोते वक्त लेना फ़ायदे मंद है।

यह एक कुदरती रेशा है और आंतों की सक्रियता बढाता है।

17 एक और बढिया तरीका है।

अलसी के बीज  भी आहारीय फाइबर से भरपूर होते हैं.

अलसी का मिक्सर में पावडर बना लें।

एक गिलास पानी में इस  पावडर के करीब 20 ग्राम डालें और 3-4घन्टे तक गलने के बाद छानकर यह पानी पी जाएं।

बेहद हितकारी ईलाज है।

(गुणों की खान हैं अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी, गोखरू, कौंच के बीज आदि:-


18 भोजन में तेल और घी की मात्रा का उचित स्तर बनाये रखें।

चिकनाई युक्त पदार्थ पेट को साफ़ रखने में लाभकारी होते हैं.


लेकिन पुरानी और हठी कब्ज़ के उपाय एक समग्र सिलसिलेवार तरीके से करने की ज़रूरत होती है.

इन उपायों में सौम्य योगों से पेट की तरलता, आँतों की गतिशीलता और चिकनाहट बढ़ाने पर बल दिया जाता है.

मल को मुलायम करने के उपायों को भी प्राथमिकता दी जाती है.

आँतों की गतिशीलता बढाईये
अमरुद, आम, चीकू, अंजीर, पपीता जैसे Fiber Rich Food और कम FODMAP वाले फल और सब्जियां जैसे कि पालक, बथुआ, भिन्डी, मूली, गाजर इत्यादि का भरपूर उपयोग कीजिये.

ये सब आंतो को गतिशीलता देते हैं और मल को धकेलने का काम भी करते हैं.

सप्ताह के एक या दो दिन केवल फल या शाकसब्जियां ही उपयोग करें, लाभ मिलेगा,

चिकनाई युक्त उपाय कीजिये
घी तेल का प्रचुर उपयोग करना कब्ज़ का एक कारगर उपाय है.

रात को सोते समय कुनकुने दूध में दो बड़े चम्मच देशी घी या कैस्टर आयल  मिला कर पी लीजिये.

लाभ मिलेगा.

फाइबर के सप्लीमेंट्स
तरलता बढ़ाने के लिए हमें पानी के साथ साथ घुलनशील फाइबर का उपयोग भी करना चाहिए.

फाइबर तीन काम करता है.

एक तो यह आँतों को गतिशीलता देता है.

साथ ही यह पेट लाभकारी बैक्टीरिया के लिए भी उपयोगी होता है.

फाइबर में पानी को रोक रखने की अद्भुत क्षमता भी होती है.

जिससे मल को भार मिलता है और मल आसानी से विसर्जित हो जाता है.

(बचपन की गलतियों से पछताने वाले लोगो की समस्या दूर करने वाला अचूक और बेजोड़ नुस्खा :- रतिवल्लभ चूर्ण https://www.blogger.com/blogger.g?blogID=10285103552731910#editor/target=post;postID=5475006027743494839;onPublishedMenu=allposts;onClosedMenu=allposts;postNum=2;src=postname)


सौम्य कब्ज़ निवारक योग
कब्ज़ से बचे रहने के लिए कभी भी तेज़ किस्म की औषधियों से हमेशा बचना चाहिए.

इन्हें लम्बे समय तक उपयोग करने से आँतों में शिथिलता आ जाती है और कब्ज़ रोग बढ़ता ही जाता है.

छोटी काली हरड, सौंफ, एलोवेरा जैसे योगों वाली औषधियां ही लेनी चाहिए जो कब्ज़ का निवारण तो करती ही हैं साथ ही स्वास्थ्य कारी भी होती हैं.

कब्ज़ को कभी भी हल्का रोग नहीं समझना चाहिए.

क्योकि इस रोग से ही अन्य कई रोग पनपते हैं, पेट को नियमित रखिये; खानपान से और उचित उपायों से.


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