Saturday, 26 May 2018

जटामांसी - एक बहुपयोगी जड़ी बूटी

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जटामासी ~ Spikenard
हिस्टीरिया - मिरगी - वातोंमाद - Hysteria
4 चम्मच जटामांसी की जड़ का पाउडर + 2 चम्मच वच का पाउडर + एक चम्मच काला नमक मिलाकर आधा चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में तीन बार रोज लें !
इसे 1 हफ्ते तक खाने से रोग से मुक्ति मिलेगी !
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काले और लंबे बाल
जटामांसी का काढा बना बालों व जडों में रोज सुबह - सुबह लगायें ~ 2 घंटे के बाद नहा लें !
इसे रोज करने से फायदा पहुंचेगा !
त्‍वचा की चमक
जटामांसी की जड़ को गुलाबजल में पीसकर चेहरे पर लेप की तरह लगायें !
इससे कुछ दिनों में ही चेहरा खिल उठेगा !
उच्च रक्तचाप
जटामांसी - ब्राह्मी और अश्वगंधा का चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर 1 - 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करें !
नींद न आना
सोने से 1 घंटा पहले 1 चम्मच जटामांसी की जड़ का चूर्ण पानी से ले !
इससे नींद न आने की बीमारी दूर हो जाती है !
निद्राचारित या नींद में चलना
लगभग 600 मिलीग्राम से 1200 मिलीग्राम जटामांसी का सेवन सुबह और शाम को सेवन करने से इस रोग में बहुत लाभ मिलता है !
बवासीर
जटामांसी और हल्दी बराबर की मात्रा में पीसकर मस्सों पर लगायें !
इससे बवासीर नष्ट हो जाती है !
जटामासी के तेल को मस्सों पर लगाने से मस्सें सूख जाते हैं !
सूजन व दर्द
जटामांसी का पाउडर पानी में पीसकर लेप बना सूजन पर लगाने से सूजन और दर्द नष्ट हो जाती है !
दांतों का दर्द
जटामांसी की जड़ का बारीक पाउडर बना प्रतिदिन मंजन की तरह दांतों को साफ किया जाये तो दांतों - मसूढ़ों का दर्द - सूजन 
- पीव आना - मुंह की बदबू जैसे कष्टों से मुक्ति मिल जाती है !
पेट में दर्द
जटामांसी 200 ग्राम + 200 ग्राम मिश्री + शीतलचीनी 50 ग्राम + सौंफ 50 ग्राम + सोंठ 50 ग्राम + दालचीनी 50 ग्राम इन सबका पीसकर चूर्ण बना - इसे तीन से 6 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम सेवन करने से पेट के दर्द में लाभ होता है !
जटामांसी - सोंठ - आंवला - काला नमक बराबर की मात्रा में मिलाकर पीस लें और एक - एक चम्मच की मात्रा में 3 बार सेवन करें !
मासिक - धर्म के विकार
जटामांसी का चूर्ण 20 ग्राम + काला जीरा 10 ग्राम और कालीमिर्च 5 ग्राम मिला चूर्ण बना - एक - एक चम्मच दिन में 3 बार कुछ दिन सेवन करें !
इससे मासिक - धर्म की पीड़ा - मानसिक तनाव - अवसाद तथा शारीरिक कष्‍ट दूर होंगे !
 कष्टपूर्ण मासिकस्राव में जटामांसी का चूर्ण 600 मिलीग्राम से 1800 मिलीग्राम प्रतिदिन दो - तीन बार सेवन करने से बिना कष्ट के मासिकस्राव खुलकर होने लगता है !
रजोनिवृत्ति ( मासिक - धर्म की समाप्ति ) के बाद के कष्ट
रजोनिवृत्ति के समय सभी मानसिक और शारीरिक कष्टों को मिटाने के लिए जटामांसी का चूर्ण 600 मिलीग्राम से 1200 मिलीग्राम प्रतिदिन तीन बार देना चाहिए !
नपुंसकता
जटामांसी + सोंठ + जायफल + लौंग - समान मात्रा में ले - पीस ~ 1 - 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करें ~ इससे नपुंसकता नष्ट हो जाती है !
विसर्प ( छोटी - छोटी फुसियों का दल )
600 से 1200 मिलीग्राम जटामांसी - नौसादर के साथ देने से लाभ होता है
जटामांसी की छाल का लेप करने से दर्द कम हो जाता है !
अफारा ( गैस का बनना )
जटामांसी 200 ग्राम + मिश्री 400 ग्राम + दालचीनी 50 ग्राम + शीतलचीनी 50 ग्राम + सौंफ 50 ग्राम + 50 ग्राम सोंठ को लेकर मिला - इस मिश्रण को 3 से 6 ग्राम की मात्रा में दिन में सुबह और शाम सेवन करने से पेट दर्द समाप्त हो जाता है !
मुंह के छाले
जटामांसी के टुकड़े मुंह में रखकर चूसते रहने से मुंह की जलन एवं पीड़ा कम होती है !
मुंह की दुर्गन्ध
जटामांसी - कूट - सौंफ - नरकचूर - बड़ी इलायची - सफेद जीरा और बालछड़ 10 - 10 ग्राम लेकर कूट - इसमें 70 ग्राम खाण्ड ( कच्ची चीनी ) मिला लें !
प्रतिदिन सुबह - शाम 5 - 5 ग्राम मिश्रण पानी के साथ खाने से मुंह की बदबू व मुंह में लार का आना बंद हो जाता है !
जटामांसी चबाने से मुंह की दुर्गन्ध नष्ट होती है !
रक्तपित्त
जटामांसी का चूर्ण 600 मिलीग्राम से 1200 मिलीग्राम - नौसादर के साथ सुबह - शाम खाने से रक्तपित्त और खून की उल्टी ठीक होती है !

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शरीर कांपना
हाथ - पैर कांपने पर या किसी दूसरे अंग के अपने आप हिलने पर जटामांसी का काढ़ा 2 चम्मच की मात्रा में सुबह - शाम रोज सेवन करें !
28 से 56 मिलीग्राम जटामांसी के चूर्ण को प्रतिदिन दो तीन बार सेवन करने से शरीर का कंपन दूर हो जाता है !
उंगुलियों का कांपना
280 से 560 मिलीग्राम जटामांसी को फेंटकर प्रतिदिन दो से तीन बारी सेवन करने से लाभ मिलता है !
धनुष्टंकार ( टेटनस रोग )
शीतलचीनी 10 ग्राम + दालचीनी 10 ग्राम + सोंठ 10 ग्राम + 40 ग्राम जटामांसी तथा 80 ग्राम मिश्री को मिलाकर चूर्ण बना लें !
यह चूर्ण 3 से 9 ग्राम प्रतिदिन सुबह - शाम सेवन करने से रोगी का रोग दूर हो जाता है !
 600 से 1200 मिलीग्राम जटांमासी का चूर्ण सुबह - शाम सेवन करने से टेटनेस के रोगी के शरीर का टेढ़ापन दूर हो जाता है !
जटामांसी का काढ़ा बनाकर 280 से 560 मिलीग्राम सुबह - शाम लेने से टेटनेस का रोग ठीक हो जाता है !
फॉर हेयर - जटामांसी (Jatamansi) - नारडोस्टेयस जटामांसी - बालछड़ - स्पाइक्नाड के फायदे :-
रात में जटामांसी का एक पाव मोटा चूर्ण थोड़े से पानी में भिगो दें और सुबह मन्द आँच पर पकायें !
चार भाग शेष रहने पर छानकर उसमें 1 पाव तिल का तेल और 5 तोला जटामांसी का कल्क (चटनी) मिलाकर दोबारा पकायें - थोड़ा सा तेल रहने पर उतार लें !
इस तेल के प्रयोग से बाल झड़ना बन्द होते हैं - जूएँ शीघ्र नष्ट होती है - बाल शीघ्र बढ़ते हैं - मुलायम तथा काले रहते हैं !
परंपरागत रूप से, यह बालों को काला और चमकदार बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है !
यह रूसी को भी नियंत्रित करता है !
चिकने - रेशमी - मोटे और स्वस्थ बालों के लिए इसका नियमित रूप से उपयोग करें !

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