Monday, 16 April 2018

गिलोय यानी अमृता - हर बीमारी की ये है दवा! अमृत से कम नहीं है गिलोय

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गिलोय
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आयुर्वेद में गिलोय को अमृत बेल भी कहा जाता है, गिलोय के गुणों की संख्या काफी बड़ी है। इसमें सूजन कम करने, शुगर को नियंत्रित करने, गठिया रोग से लड़ने के अलावा शरीर शोधन के भी गुण होते हैं। यह चमत्कारिक जूड़ी-बूटी दस्त जैसे सामान्य से लेकर कैंसर व  डेंगू जैसे प्राण घातक रोगों में भी बहुत लाभदायक है। गिलोय को नीम और आंवला के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने से त्वचा संबंधी रोग जैसे सोराइसिस और एग्जिमा दूर किए जा सकते हैं। इसे खून की कमी, कुष्ठ रोगों और  पीलिया के इलाज में भी कारगर माना जाता है।
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इसे ज्वर की महान औषधि माना गया है ।गिलोय में रोग प्रतिरोधक प्रणाली को बेहतर करने के गुण हैं। लंबे समय से चलने वाले बुखार के उपचार में गिलोय बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाता है,  यह डेंगू तथा स्वाइन फ्लू के उपचार में बहुत उपयोगी है। रोजमर्रा इसके उपयोग से मलेरिया से बचा जा सकता है। गिलोय के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर इस्तेमाल करना चाहिए। यह शरीर की आंतरिक सफाई करके किडनी और  लीवर के कार्य को दुरुस्त बनाती है। यह शरीर को कीटाणु जनित रोगों से सुरक्षित रखता है। इसका इस्तेमाल  सेक्स संबंधी रोगों के उपचार में भी किया जाता है। इतने सारे गुणों के कारण गिलोय पर अमृता नाम सही बैठता है।





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