Thursday, 19 April 2018

अर्जुन छाल - एक गुणकारी औषधि, ह्रदय रोगियों के लिए संजीवनी के समान

नमस्कार मित्रो, IndianJadiBooti.com सभी के अच्छे स्वास्थय की मंगल कामना करता है

आज हम आपको बताएँगे औषधीय वृक्ष अर्जुन की छाल के गुणों के सम्बन्ध में
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 अर्जुन की छाल वैसे तो बहुत ही आसानी से उपलब्ध औषधि है और आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही औषधियों में इसका प्रयोग होता रहा है, सामान्य तौर पर सभी ने इसका नाम सुना होता है लेकिन आज भी जनमानस इसके अनेको स्वास्थय लाभों से अनभिज्ञ है, आज के समय में हम सभी रोजमर्रा में पड़ते और सुनते है की जो चाय हमारी दिनचर्या का एक हिस्सा बन चुकी है वह भी हमारे स्वास्थय के लिए नुकसानदेह है, वही दूसरी और क्या आप जानते हैं की यदि आप केवल दिन में एक बार अर्जुन की छाल की चाय पीते है तो आपका ह्रदय सदा सदा के लिए स्वस्थ बना रहेगा,  अर्जुन की छाल के चूर्ण के प्रयोग से उच्च रक्तचाप भी अपने-आप सामान्य हो जाता है। यदि केवल अर्जुन की छाल का चूर्ण डालकर ही चाय बनायें,  तो यह बहुत ही प्रभावी होगा, इसके लिए पानी में चाय के स्थान पर अर्जुन की छाल का चूर्ण डालकर उबालें, फिर उसमें दूध व चीनी आवश्यकतानुसार मिलाकर पियें।

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यह हृदय रोग, हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर, अनियमित हृदय धड़कन अत्यधिक रक्तस्त्राव के इलाज में लाभकारी है और साथ ही इससे हृदय को पोषण मिलता है। यह विडम्बना ही है की हम इतनी अच्छी औषधि को छोड़, अपनी दिनचर्या में चाय रुपी धीमे विष का सेवन करते हैं, जबकि यह बाज़ार में मिलने वाली चाय से ज्यादा शरीर को सुफुर्ति प्रदान करती है और चाय से कम मूल्यों में बाजार में सुगमता से उपलब्ध है :-

कैसे उपयोग करें:
एक कप पानी में तीन ग्राम अर्जुन की छाल का चूर्ण डालकर उबालें। पानी की मात्रा आधी रहने पर इसे सुबह-शाम गुनगुना पी लें। इससे बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल कम होता है।
तीन ग्राम चूर्ण की मात्रा सुबह-शाम दूध के साथ लेने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में आराम मिलता है।
एक कप दूध (बिना मलाई वाला) में एक कप पानी मिलाकर उबालें। इसमें आधा चम्मच अर्जुन की छाल का चूर्ण डालें। जब इस तरल की मात्रा आधी रह जाए तो गुनगुना होने पर पिएं। इसे 1-2 बार खाली पेट पीने से हृदय की धड़कन नियमित व्यवस्थित रहती हैं।
चायपत्ती की बजाय इसकी छाल को पानी में उबालकर उसमें दूध चीनी डालकर पीना हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर कोलेस्ट्रॉल में फायदेमंद है। इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता।
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हड्डी टूटने पर :
अर्जुन के पेड़ के पाउडर की फंकी लेकर दूध पीने से टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है। चूर्ण को पानी के साथ पीसकर लेप करने से भी दर्द में आराम मिलता है।

जलने पर(On burn) : आग से जलने पर उत्पन्न घाव पर अर्जुन की छाल के चूर्ण को लगाने से घाव जल्द ही भर जाता है।

 हृदय के रोग 
अर्जुन की मोटी छाल का महीन चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में मलाई रहित एक कप दूध के साथ सुबह-शाम नियमित सेवन करते रहने से हृदय के समस्त रोगों में लाभ मिलता है, हृदय की बढ़ी हुई धड़कन सामान्य होती है।

हृदय की सामान्य धड़कन जब 72 से बढ़कर 150 से ऊपर रहने लगे तो एक गिलास टमाटर के रस में एक चम्मच अर्जुन की छाल का चूर्ण मिलाकर नियमित सेवन करने से शीघ्र ही धड़कन सामान्य हो जाती है।

गेहूं का आटा 20 ग्राम लेकर 30 ग्राम गाय के घी में भून लें जब यह गुलाबी हो जाये तो अर्जुन की छाल का चूर्ण तीन ग्राम और मिश्री 40 ग्राम तथा खौलता हुआ पानी 100 मिलीलीटर डालकर पकायें, जब हलुवा तैयार हो जाये तब सुबह सेवन करें। इसका नित्य सेवन करने से हृदय की पीड़ा, घबराहट, धड़कन बढ़ जाना आदि शिकायतें दूर हो जाती हैं।
अर्जुन की छाल का रस 50 मिलीलीटर, यदि गीली छाल मिले तो 50 ग्राम सूखी छाल लेकर 4 किलोग्राम में पकावें। जब चौथाई शेष रह जाये तो काढ़े को छान लें, फिर 50 ग्राम गाय के घी को कढ़ाई में छोड़े, फिर इसमें अर्जुन की छाल की लुगदी 50 मिलीलीटर और पकाया हुआ रस तथा दूध को मिलाकर धीमी आंच पर पका लें। घी मात्र शेष रह जाने पर ठंडाकर छान लें। अब इसमें 50 ग्राम शहद और 75 ग्राम मिश्री मिलाकर कांच या चीनी मिट्टी के बर्तन में रखें। इस घी को 6 ग्राम सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन करें। यह घी हृदय को बलवान बनाता है तथा इसके रोगों को दूर करता है। हृदय की शिथिलता, तेज धड़कन, सूजन या हृदय बढ़ जाने आदि तमाम हृदय रोगों में अत्यंत प्रभावकारी योग है।

हार्ट अटैक हो चुकने पर 40 मिलीलीटर अर्जुन की छाल का दूध के साथ बना काढ़ा सुबह तथा रात दोनों समय सेवन करें। इससे दिल की तेज धड़कन, हृदय में पीड़ा, घबराहट होना आदि रोग दूर होते हैं।

हृदय रोगों में अर्जुन की छाल का कपड़े से छाने चूर्ण का प्रभाव इन्जेक्शन से भी अधिक होता है। जीभ पर रखकर चूसते ही रोग कम होने लगता है। हृदय की अधिक धड़कनें और नाड़ी की गति बहुत कमजोर हो जाने पर इसको रोगी की जीभ पर रखने मात्र से नाड़ी में तुरन्त शक्ति प्रतीत होने लगती है। इस दवा का लाभ स्थायी होता है और यह दवा किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचाती है।

अर्जुन की छाल का चूर्ण 10 ग्राम को 500 मिलीलीटर दूध में उबालकर खोया बना लें। उस खोये के वजन के बराबर मिसरी का चूरा मिलाकर, प्रतिदिन 10 ग्राम खोया खाकर दूध पीने से हृदय की तेज धड़कन सामान्य होती है।

अर्जुन की छाल को छाया में सुखाकर, कूट-पीसकर चूर्ण बनाएं। इस चूर्ण को किसी कपड़े द्वारा छानकर रखें। प्रतिदिन 3 ग्राम चूर्ण गाय का घी और मिश्री मिलाकर सेवन करने से हृदय की निर्बलता दूर होती है।

. जीर्ण ज्वर (पुराना बुखार) : अर्जुन की छाल के एक चम्मच चूर्ण की गुड़ के साथ फंकी लेने से जीर्ण ज्वर मिटता है।

. दमा या श्वास रोग : अर्जुन की छाल कूटकर चूर्ण बना लेते हैं। रात को दूध और चावल की खीर बना लेते हैं। सुबह 4 बजे उस खीर में 10 ग्राम अर्जुन का चूर्ण मिलाकर खिलाना चाहिए। इससे श्वांस रोग नष्ट हो जाता है।

. उरस्तोय रोग (फेफड़ों में पानी भर जाना) : अर्जुन वृक्ष का चूर्ण, यष्टिमूल तथा लकड़ी को बराबर मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बना लेना चाहिए। इस चूर्ण को 3 से 6 ग्राम की मात्रा में 100 से 250 मिलीमीटर दूध के साथ दिन में 2 बार देने से उरस्तोय रोग (फेफड़ों में पानी भर जाना) में लाभ होता है।


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