Wednesday, 30 September 2020

नीम : आइये जानते हैं नीम के औषधीय गुणों के बारे में

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नीम के फूल,फल,पत्ती के फायदे*

*नीम थोड़े देर के लिए कडुआ जरुर लगता है लेकिन इसके हैरान करनेवाले फायदे होते है.नीम को गर्व का दवाखाना कहा जाता है क्योंकि नीम की फूल,पत्ते,फल,छाल और तना सभी औषधीय गुणों से भरपूर है जो कई रोगों के लिए फायदेमंद होते हैं.*

 

 

 

 

 

*नीम को आयुर्वेद में हजारों वर्षों से कई रोगों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है.नीम में बैक्टेरिया,वायरस और कई तरह के कीड़े मारने की क्षमता रहती है.नीम कई पुराने और जटिल रोगों का इलाज करता है. डायबिटीज,चर्मरोगों,बुखार जैसे कई पुराणी बिमारियों को दूर करने में आपकी मदद करता है।*

 

 

*आइये जानते हैं नीम के औषधीय गुणों के बारे में*

*डायबिटीज*

नीम पत्ती का निकला हुआ अर्क डायबिटीज को नियंत्रित रखता है.

*कोलेस्ट्रोल*

नीम की पत्तियों का सेवन करने से कोलेस्ट्रोल की समस्या दूर होती है.

*बबासीर*

नीम के बीज को पाउडर बनाकर एक ग्राम की मात्रा में सुबह -शाम पानी के साथ खाने से बबासीर कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है.

 

 

 

*खून*

नीम की पत्तियों को चबाकर खाने या नीम के छाल को क्वाथ बनाकर पिने से खून साफ होता है जिससे कई तरह के चर्मरोग दूर होती है.

*बालों की समस्या*

नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर बाल धोने से रुसी.बाल झड़ना दूर होता है.

*दातों के लिए*

नीम का दातुन करने से दातों के रोग दूर होते है दांत में कीड़े नही लगते हैं दातों में चमकआती है और दांत मजबूत होते है.

*कान दर्द*

कान में दर्द होने पर नीम की पत्तियों का रस कान में डालने से दर्द दूर होता है.

 

 

जोड़ों में दर्द होने पर

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जोड़ों में दर्द होने पर

 



 
 
 

१ * दस मि.ली. अरंड के तेल को सोंठ के काढ़े में मिलाकर सुबह शाम पीने से रोगी को लाभ होता है।

२ * सोंठ, बायविडंग, काली मिर्च और सेंधा नमक का चूर्ण बनाकर रख लें इस चूर्ण को तीन – तीन ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटें आपको आराम मिलेगा।

३ * अजवायन को पानी में डालकर पकाएं। फिर उस पानी की भाप दर्द वाले स्थान पर दें। आराम मिलेगा।४ * अजवायन के तेल की मालिश से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।

५ * बथुआ के ताज़े पत्तों का रस १५ ग्राम प्रतिदिन पीने से जोड़ों का दर्द दूर होता है। इस रस में आप नमक, चीनी वगैरह कतई न मिलाएं। केवल रस रोज सुबह शाम खाली पेट पिएं। आपको दो घंटे पहले व बाद में भी कुछ नहीं खाना है। दो तीन महीने तक सेवन करने से रोगी को जोड़ों के दर्द में बहुत आराम मिलेगा।

६ * नीम के तेल की मालिश भी बहुत लाभ पहुंचाती है।७ – लहसुन की दो तीन कलियां कुचलकर तिल के तेल में डालकर अच्छी तरह गर्म कर लें और जोड़ों की मालिश करें। बहुत फाएदा होगा।

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८ * कड़वा तेल (सरसों का तेल) में अजवायन और लह

सुन जलाकर, तैयार हुए तेल से जोड़ों की मालिश करने से आराम मिलेगा।

९ * लहसुन पीसकर लगाने से शरीर के हर अंग का दर्द ठीक हो जाता है। पर फफोले पड़ने का डर रहता है। इसलिए इसे ज्यादा देर तक शरीर पर न लगाएं।

१० * कनेर की पत्तियां उबालकर पीस लें और मीठे तेल में मिलाकर जोड़ों पर लेप करें। आराम मिलेगा।

११ * दिन में चार पांच बार टमाटर खाने से या एक ग्लास टमाटर का जूस पीने से भी जोड़ों के दर्द में लाभ होता है।

१२ * हरड़, अजवायन और सोंठ बराबर मात्रा में लेकर महीन चूर्ण बना लें और सुबह शाम एक – एक चम्मच दूध के साथ खाएं।

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Tuesday, 29 September 2020

आंबा हल्दी के फायदे

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आंबा हल्दी के फायदे
https://indianjadibooti.com/Jadistore/Amba-Haldi-Powder
परिचय :
आंबा हल्दी( Amba haldi)के पेड़ भी हल्दी की ही तरह होते हैं। दोनों में अंतर यह है कि आंबा हल्दी के पत्ते लम्बे तथा नुकीले होते हैं। आंबा हल्दी की गांठ बड़ी और भीतर से लाल होती है, किन्तु हल्दी की गांठ छोटी और पीली होती है। आंबा हल्दी में सिकुड़न तथा झुर्रियां नहीं होती

हैं।
रंग : आंबा हल्दी ( Amba haldi )लालिमा लिए हुए पीली रंग की होती है।
स्वाद :यह कड़वी और तेज होती है।
स्वरूप : यह एक पेड़ की जड़ है जो मिट्टी में उगती है।

स्वभाव : इसकी तासीर गरम होती है।
हानिकारक : आंबा हल्दी ( Amba haldi)का अधिक मात्रा में सेवन हृदय के लिए हानिकारक हो सकता है।
मात्रा : इसका सेवन चार ग्राम की मात्रा में कर सकते हैं।
गुण :

★ यह वायु को शांत करती है,
★ पाचक है,
★ पथरी को तोड़ने वाली,
★ पेशाब की रुकावट को खत्म करने वाली,
★ घाव और चोट में लाभ करने वाली,
★ मंजन करने से मुंह के रोगों को खत्म करने वाली है।
★ यह खांसी, सांस और हिचकी में लाभकारी होती है।
आइये जाने Amba haldi ke fayde रोग निवारण में ..
आंबा हल्दी( Amba haldi) से रोगों का उपचार :
1. सूजन पर : आंबा हल्दी को ग्वारपाठा (ऐलोवेरा) के गूदे पर डालकर कुछ गरम करके बांधने से सूजन दूर होती है तथा घाव को भरती है।
2. शीतला (मसूरिका) ज्वर के निशान होने पर : आमाहल्दी, सरकण्डे की जड़ और जलाई हुई कौड़ी को कूटकर छान लें। फिर भैंस के दूध में मिलाकर रात के समय चेहरे पर ल

गाकर सो जायें। पानी में भूसी को भिगो दें। सुबह और शाम उसी भूसी वाले पानी से मुंह को धोने से माता के द्वारा आने निशान (दाग-धब्बे) दूर हो जाते हैं।
3. चोट लगने पर :
★ चोट सज्जी, अम्बा हल्दी 10-10 ग्राम को पानी में पीसकर कपड़े पर लगाकर चोट (मोच) वाले स्थान पर बांध दें।
★ आंबा हल्दी को पीसकर, गरम करके बांधने से चोट को अच्छा करती है तथा सूजन दूर होती है।
★ पपड़िया कत्था 20 ग्राम अम्बा हल्दी 20 ग्राम कपूर, लौंग 3-3 ग्राम पानी में पीसकर चोट मोच पर लगाकर पट्टी बांध दें।
★ अम्बाहल्दी, मुरमक्की, मेदा लकड़ी 10-10 ग्राम लेकर पानी में पीसकर हल्का गर्म कर चोट पर लगायें।
4. घाव : अम्बाहल्दी, चोट सज्जी 10-10 ग्राम पीसकर 50 मिलीलीटर गर्म तेल में मिला दें। ठंडा होने पर रूई भिगोकर घाव, जख्म पर बांध दें।
5. हड्डी कमजोर होने पर :
★ चौधारा, अम्बा हल्दी 10-10 ग्राम पीसकर घी में भून लें। उसमें सज्जी और सेंधानमक 5-5 ग्राम पीसकर मिला लें। फिर टूटी हड्डी और गुम चोट पर बांधने से लाभ होता है


★ अम्बा हल्दी 3-3 ग्राम पानी से सुबह-शाम लें और मैदालकड़ी, कुरण्ड, चोट सज्जी, कच्ची फिटकरी, अम्बा हल्दी 10-10 ग्राम पानी में पीसकर कपड़े पर फैलाकर चोट पर रखकर रूई लगाकर बांध दें।
6. गिल्टी (ट्यूमर) :
★ आमाहल्दी, अलसी, घीग्वार का गूदा और ईसबगोल को पीसकर एक साथ मिलाकर आग पर गर्म करने के बाद गिल्टी पर लगाने से लाभ होता है और सूजन मिट जाती है।
★ 10 ग्राम आमाहल्दी, 6 ग्राम नीलाथोथा, 10 ग्राम राल, 6 ग्राम गूगल और 10 ग्राम गुड़ इसमें से सूखी वस्तुओं को पीसकर और उसमें गुड़ मिलाकर बांधें तो आराम होगा और जल्द ही फूट जायेगा।
★ आमाहल्दी, चूना और गुड़ सबको एक ही मात्रा में लेकर पीसे और बद पर लेप कर दें। इससे गिल्टी जल्द फूट जायेगी।
7. पेट में दर्द होने पर : आमाहल्दी और कालानमक को मिलाकर पानी के साथ पीने से पेट के दर्द में आराम होता है।
8. उपदंश (फिरंग) के रोग में : आमाहल्दी, राल और गुड़ 10-10 ग्राम, नीलाथोथा और गुग्गुल 6-6 ग्राम इन सबको मिलाकर पीस लें और बद पर बांधे इससे तुरन्त लाभ मिलता है।
9. पीलिया रोग : सात ग्राम आमाहल्दी का चूर्ण, पांच ग्राम सफेद चंदन का चूर्ण शहद में मिलाकर सुबह और शाम सात दिन तक खाने से पीलिया रोग मिट जाता है।
10. खाज-खुजली और चेहरे का काला दाग : आमाहल्दी को पीसकर शरीर में जहां पर खाज-खुजली हो वहां पर लगाने से आराम मिलता है।।। 


Saturday, 19 September 2020

Make a great addition to any bowl of oatmeal.😋 - with Hemp Seeds

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Hemp seed is an excellent source of protein and fiber. Need a great munch idea? Throw some whole hemp seeds into a frying pan with some raw garlic, some mustard and some the fermented bean sauce of your choice. Simmer on low until the liquids are gone and then flash heat them until they start to crackle...makes an excellent snack!

Friday, 18 September 2020

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Wednesday, 16 September 2020

उच्चत्तम गुणवत्ता की जड़ी बूटी प्रयोग करें और कोरोना काल में अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं और सुरक्षित रहे

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Thursday, 10 September 2020

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Tuesday, 8 September 2020

पिपरी , Pipal , Piper Retrofractum , पिप्पली

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पिपरी को Pipal , Piper Retrofractum , पिप्पली वैदेही, कृष्णा, मागधी, चपला आदि पवित्र नामों से जाना जाता है ...आयुर्वेद में इसकी चार प्रजातियों का वर्णन आता है परन्तु व्यवहार में छोटी और बड़ी दो प्रकार की पिप्पली ही अधिक उपयोगी है....।
बड़ी पिप्पली मलेशिया,इंडोनेशिया और सिंगापुर से आयात की जाती है वही छोटी पिप्पली भारतवर्ष में प्रचुर मात्रा में पायी जाती है ,इसकी खेती बिहार असम,बंगाल,तमिलनाडु और आंध्र के पर्वतीय क्षेत्रों में की जाती है….।

पिपरी के फूल वर्षा ऋतू में आते है तथा शरद ऋतू में इसकी बेल फलों से लद जाती है ....बाजारों में इसकी जड़ को पीपला_मूल के नाम से मिलती है .....गाँवो में आज भी प्रसूता महिलाओ को पीपला मूल पिलाया जाता है....।

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जिस प्रकार हरड़-बहेड़ा-आंवला को #त्रिफला कहा जाता है, वैसे ही सोंठ-पीपर-काली मिर्च को  त्रिकटु  कहा जाता है.....यह योग रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी सहायक होता हैं...।

 औषधीय गुणों से भरपूर पिपरी
पिप्पली को शहद के साथ लेने से अनेक रोगों में लाभ मिलता है.........पिप्पली को पानी में पीसकर माथे पर लेप करने से सिर दर्द ठीक होता है .......पिप्पली के १-२ ग्राम चूर्ण में सेंधानमक,हल्दी और सरसों का तेल मिलाकर दांत पर लगाने से दांत का दर्द ठीक होता है ......पिप्पली,पीपल मूल,काली मिर्च और सौंठ के समभाग चूर्ण को २ ग्राम की मात्रा में लेकर शहद के साथ चाटने से जुकाम में लाभ होता है .....पिप्पली चूर्ण में शहद मिलाकर प्रातः सेवन करने से,कोलेस्ट्रोल की मात्रा नियमित होती है तथा हृदय रोगों में लाभ होता है .....खांसी में पिप्पली को सेक कर शहद के साथ लेने से काफी आराम मिलता हैं..।
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