सभी शुद्ध शक्तिवर्धक जड़ी बूटी और पाउडर खरीदने के लिए log on करें https://indianjadibooti.com
हरड़ : बड़े काम की चीज
कथा कितनी प्रमाणिक है ज्ञात नही
लेकिन एक वार्तालाप में योग और योग्य सनातनी श्री प्रेम शंकर उपाध्याय जी
के द्वारा यह कथा बतायी गयी ,जो भले ही किसी ग्रन्थ में लिखित न हो लेकिन अगर आधार को उठाया जाए तो कथा में सत्यता की पुष्टि अनायास ही हो जाती है https://indianjadibooti.com
समुद्र मंथन से उत्पन्न श्री हरि विष्णु के अंशावतारी भगवान धन्वंतरि ने जब देवो के वैद्य का कार्यभार छोड़ने का विचार बनाया तो सबके सामने यह समस्या उत्पन्न हुई कि आखिर उनके बादः इस सेवा भाव को देखेगा कौन ? खैर सूर्य के औरस पुत्र कहे जाने वाले दो युवकों जिन्हें नासत्य और दस्त्र जिन्हें अश्वनीकुमार के नाम से जाना गया को देव वैद्य होने का जिम्मा दिया गया , और इन्हें इस विद्या में पारंगत करने के लिए भगवान धन्वंतरि की सेवा में भेजा गया ताकि ये सम्पूर्ण औषधि विज्ञान भलीभांति समझ सकें,
चूंकि अश्वनीकुमार पहले से ही महर्षि दधीचि जैसे प्रकांड विद्वानों की संगत में रहकर योग और आयुर्वेद को सीख चुके थे लेकिन फिर भी भगवान धन्वंतरि से ज्ञान लेना बेहद गौरव की बात थी क्योकि उन्ही को आयुर्वेद का प्रणेता भी कहा जाता था, बात के अनुसार दोनो कुमारों ने भगवान धन्वंतरि की अपार सेवा की , प्रशन्न होकर भगवान धन्वंतरि ने दोनों कुमारों को आयुर्वेद की व्यापक शिक्षा देने का मन बनाया ,चूंकि आयुर्वेद बेहद विशाल और लंबे समय तक सीखने वाली विधा है इसलिए ज्यादा समय खर्च न हो इसके लिए उन्होंने दोनो कुमारों को एक विशेष आवाहन मंत्र प्रदान करते हुए कहा कि" कुमारों मेरे बताये हुए आवाहन मंत्र के साथ आप सम्पूर्ण पृथ्वी के वनस्पति और औषधि उगने वाले क्षेत्रों में जाओ और इस मंत्र का उच्चारण करो , और कहो कि अब भगवान धन्वंतरि नही रहे (अर्थात यह शरीर छोड़ चुके है)जिसके फलस्वरूप सभी वनस्पतियां और औषधीय पौधे खुद आपको अपने उपयोग ,अनुप्रयोग, दोष -गुण, इत्यादि के बारे में जानकारी देंगे और आप निजी अनुभव के आधार पर भविष्य की चिकित्सकीय पद्यति में इसका उपयोग करना"
दोनो कुमार निर्देशक की अनुकंपा पर विश्व के हर औषधि भू भाग में जाकर मंत्र का जाप करते( और भगवान धन्वंतरि के देहावसान की बाते कहते ) तो सभी वनस्पतियां खुद अपने द्वारा अपने लाभ ,हानि ,पथ्य कुपथ्य के बारे में अवगत कराती, लेकिन पहले दिन से लेकर अंतिम दिन तक हर जगह एक औषधि अश्वनीकुमारों के समक्ष प्रकट होकर कहती की मैं हरड़ हूँ और मैं हर रोग हर व्याधि में उपयोगी हूँ, और यह क्रम हर औषधि वाले भूभाग में चलता रहा ,
सभी ज्ञान प्राप्त करने के उपरांत जब दोनों कुमार भगवान धन्वंतरि के पास वापस लौटे तो उन्होंने सभी बातों का सविस्तार वर्णन निर्देशक के सामने किया , लेकिन सबसे रोमांचक बात हरड़ को लेकर बतायी की गुरुवर एक औषधि हरड़ हर जगह और हर बार यह बोलकर जाती रहती थी कि वह हर रोग में उपयोगी है,
इस पर भगवान धन्वंतरि ने मुस्कुराते हुए कहा कि क्या आपको अन्य कोई औषधीय ज्ञान प्राप्त करने की आवश्यकता है, कुमारों ने कहा कि देव आपकी कृपा से अब ज्ञान प्राप्त करना शेष नही बल्कि केवल अनुभव प्राप्त करना बचा है, इस पर भगवान धन्वंतरि ने कहा कि एक बार दोबारा एक निश्चित क्षेत्र में जाकर मंत्र का वाचन करो और वही बात दोहराना की अब धन्वंतरि नही रहे, लेकिन जब हरड़ यह कहे कि मैं सब व्याधियों में उपयोग होती हूँ तो कुमारों आपको मेरे बताये हुए वाक्य का उच्चारण करना है
जैसा कि अश्वनीकुमारों को आदेश मिला वह एक पर्वतीय क्षेत्र पहुचे और पहले की भांति क्रिया कलाप का दोहराव किया जिसपर अन्य औषधियां खुद आकर अपना रहस्य खोलने लगी ताकि धन्वंतरि के बाद आयुर्वेद का लोप न हो जाये लेकिन जैसे ही हरड़ आयी तो उसने कहा कि वह सभी जगह उपयोगी है, इस पर अश्वनीकुमारों ने कहा कि आप दस्त / पेचिस / विरेचन जैसी समस्या में उपयोगी नही है,
अर्थात हरड़ पेचिस और दस्त की बीमारी में प्रयोग नही होती,
लेकिन जैसे ही हरड़ ने यह रहस्य सुना वह चिल्लाकर बोल उठी की धन्वंतरि अभी
जीवित है क्योंकि यह रहस्य केवल धन्वंतरि ही जानते है, दूसरा और कोई नही और
सभी औषधियां इस वाकये के बाद लुप्त हो गयी
कहने का मतलब हरड़ केवल चुनिंदा रोगों के अलावा हर व्याधि में उपयोगी है, यह खाने में उदर रोग की लगभग हर बीमारी को दूर करती है, मानसिक समस्या से लेकर घावों तक मे इस औषधि का समुचित प्रयोग होता है, आयुर्वेद में हरड़ एक ऐसी औषधि है जो कफ ,वात और पित्त तीनो का शमन करती है
No comments:
Post a Comment